राज्य के कार्यों में नागरिक समाज का क्या महत्व है?

नागरिक समाज की अवधारणा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनागरिक समाज, सरकार द्वारा समर्थित संरचनाओं (राज्य की राजनीतिक प्रणाली का लिहाज़ किए बिना) और बाजार के वाणिज्यिक संस्थानों से बिलकुल अलग, क्रियात्मक समाज के आधार को रूप देने वाले स्वैच्छिक नागरिक और सामाजिक संगठनों और संस्थाओं की समग्रता से बना है।

सिविल समाज की भूमिका क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनागरिक समाज की भूमिका (Role of Civil Society): नागरिक समाज संगठन (स्वयंसेवी या गैर-सरकार संगठन) कल्याण एवं विकास प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं । वे सूचना का प्रसार करते हैं और लोगों को उनकी बेहतरी के लिए सरकार द्वारा शुरू की गईं विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों और परियोजनाओं के बारे में जानकारी देते हैं ।

नागरिक समानता का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंनागरिक समानता नागरिकता समानता से तात्पर्य है कि सभी लोगों को नागरिक अधिकार और स्वतंत्रताएं समान रूप से मिलनी चाहिए। कानून की दृष्टि से सभी नागरिक बराबर होने चाहिए। राज्य व समाज द्वारा नागरिकों को जो स्वतंत्रता प्रदान की जाती है वह नागरिक स्वतंत्रता होती है, जैसे धार्मिक, भाषण, प्रेस आदि की स्वतंत्रता।

नागरिक क्यों व्यस्त हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर – नागरिक इसलिए व्यस्त हैं क्योंकि उनको विजय के भाव प्रदर्शित करते हुए विजयी सेना एवं शासक का स्वागत करना है । तथा इस उत्सव के लिए उन्हें नाना प्रकार की तैयारियां करनी हैं । नागरिकों की यह व्यस्तता जायज नहीं कही जा सकती क्योंकि उन्हें वास्तविक स्थिति का ज्ञान ही नहीं है ।

नागरिक समाज से आप क्या समझते हैं राज्य के कार्य में नागरिक समाज का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंनागरिक समाज उन सामाजिक संगठनों का समूह है, जोकि राज्य से स्वतंत्र है और राज्य पर प्रभाव डालना उनके मुख्य मुददों में शामिल है। एक शक्तिशाली नागरिक समाज, लोकतांत्रिक सहभागिता को स्थापित करता है, जोकि मानव अधिकारों की रक्षा करता है, और मुख्य निर्णयों में अपनी मुख्य भूमिका निभाता है।

वैश्वीकरण में नागरिक समाज की बदलती भूमिका क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनागरिक समाज का केंद्र उस प्रक्रिया के साथ युद्ध में खड़ा है जिसके द्वारा भारतीय लोकतंत्र मजबूती से आगे बढ़ रहा है और सामाजिक विशिष्टताओं में स्वयं को गढ़ रहा है। …

प्रजातंत्र में नागरिक समाज की क्या भूमिका है?

इसे सुनेंरोकेंसुशासन को अमल में लाने के लिए नागरिक समाज का अहम स्थान है, क्योंकि यही समाज की क्षमता में वृद्धि करते हैं और उसे जागरूक बनाते हैं। यही सरकार या राज्य को आगाह करते हैं कि कैसे नागरिकों की भागीदारी से उनका संपूर्ण विकास किया जाए। नागरिक समाज सामूहिकता को बढ़ावा देकर सहभागिता को सामाजिक जीवन का अंग बनाता है।

नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) की विशेषताएं  बिन्दुवार 

विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत विचारों के आधार पर नागरिक समाज की निम्न विशेषताएं होती हैं-

  • यह संगठित समाज को इंगित करता है। 
  • इसके अन्तर्गत राज्य का एक बड़ा हिस्सा आता है। 
  • यह राज्य से अलग होता हैलेकिन राज्य के साथ इसका सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों तरह का स सम्बन्ध पाया जाता है। 
  •  यह नागरिक जीवन में राज्य के अनावश्यक हस्तक्षेप को कम करता है। 
  • समाज में राजनीतिकसामाजिकप्रशासनिक और आर्थिक चेतना जागृत करता है। 
  • सरकारी विभागों में कार्य संचालन को बेहद पारदर्शी बनाता है। 
  • यह स्वतंत्र एंव उत्तरदायी संगठन होता है। 
  • राज्य की मनमानी जनविरोधी नीतियों पर प्रतिबंध लगाता है। 
  • योजनाओं प्रशासन और नीति निर्माण के क्रियावयन में जन सहभागिता सुनिश्चित करता है।
  • नागरिकों में देश के लिए कर्तव्य एवं निष्ठा का प्रसार एवं जागरण करता है ।
  • इसके अर्न्तगत राज्य (राजनैतिक समाज) एवं परिवार (प्राकृतिक समाज) के बीच के समूह आते हैं। 
  • यह जनमत का निर्माण करता है और जनसामान्य प्रकृति वाली मांगे तय करता है।यह सरकार एवं बाजार दोनों पर लोकतांत्रिक जागरूकता के कारण नियंत्रण रखता है। 
  • इसका लक्ष्य सार्वजनिक भलाई के ओत-प्रोत होता है । 
  • यह राज्य के अधिपत्य कम करने के लिए संस्थाओं के निर्माण का समर्थन करता है। 
  • यह बौद्धिक रूप से उन्नत एवं प्रगतिशील होता है। 
  • यह सामुदायिक मूल्य प्रणाली में नैतिक संदर्भ के रूप में कार्य करता है। 
  • यह स्वायत्त होते हुए भी राज्य की सत्ता के अधीन होता है।

नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) के संघटक

नागरिक समाज की अवधारणा के अन्तर्गत निम्नलिखित संगठनसमूह एवं संस्थायें आती हैं -

1. गैर सरकारी संगठन 

2. सामुदायिक संगठन 

3. मजदूर संगठन 

4. किसान संगठन 

5. महिला संगठन 

6. धार्मिक संगठन 

7. सहकारी संस्थायें 

8. व्यवसायिक एसोसियेशन 

9. अन्य संगठित समूह

नागरिक समाज (सिविल सोयसायटी) विषय सूची- 

सिविल सोसाइटी (नागरिक समाज) का अर्थ , प्रकृति और परिभाषा 

लोकतंत्र और नागरिक समाज  (सिविल सोसायटी)

नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) और राज्य 

नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) अवधारणीकरण- प्रमुख अंशदाता

श्रेष्ठ राजनीतिक अर्थशास्त्री 

हेजलः नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) और राज्य

नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) के बारे में मार्क्स के विचार 

नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) के बारे में ग्रामस्की के विचार 

नागरिक समाज विवेचना की समसामयिक सार्थकता

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