रामायण में सबसे बड़ा योद्धा कौन था - raamaayan mein sabase bada yoddha kaun tha

हमने महाभारत के हीरो और विलेन्स के बारे में तो सुना है, लेकिन इन दोनों के बीच भी कुछ लोग होते हैं जो अपनी वफ़ादारी और अपनों के प्रति निष्ठा के कारण विलेन बन जाते हैं. ऐसा ही एक पात्र रामायण में था जिसे हम मेघनाथ या इंद्रजीत के नाम से जानते हैं.

रावण की चाहत थी एक सपूत

हम सब जानते हैं कि रावण जितना शक्तिशाली था, उतना ही ज्ञानी भी. उसे एक पुत्र की चाहत थी जो दुनिया का सबसे अच्छा पुत्र साबित हो. उसने अपने ज्ञान से सारे ग्रहों को ऐसे स्थान पर बैठाया जिससे उसे एक सपूत की प्राप्ति हो और वो शक्ति और ऐश्वर्य का धनी हो. रावण की चाहत पूरी हुई और मेघनाथ पैदा हुआ.

मेघनाथ नाम क्यों पड़ा

जब रावण का पुत्र पैदा हुआ तो उसके रोने की आवाज़़ बिजली के कड़कने जैसी थी. इस आवाज़ के कारण ही रावण ने अपने बेटे का नाम मेघनाथ रखा, जिसका मतलब होता है बिजली.

शुक्राचार्य ने सिखाई युद्ध विद्या

राक्षस गुरू ने मेघनाथ के अंदर का योद्धा पहचाना और उसे युद्ध के गुण सिखाए. उसे कई देवआस्त्रों का भी ज्ञान दिया, जिससे वो और बलशाली हो गया.

स्वर्ग पर विजय प्राप्त की.

राक्षस और देवों के बीच अकसर युद्ध होता रहता था. एक बार इस युद्ध में रावण और उसके पुत्र मेघनाथ ने भी हिस्सा लिया. मेघनाथ ने अकेले ही इंद्र को पराजित कर उसे अपना बंधक बना लिया. ब्रह्मा को जब इस बात का पता चला तो वो वहां आए और इंद्र को छोड़ने के बदले मेघनाथ को एक वरदान देने की बात की.

ब्रह्मा का वरदान

इंद्र को छोड़ने के बदले मेघनाथ ने ब्रह्मा से अमरता का वरदान मांगा. ब्रह्मा ने अमरता देने से मना कर दिया, लेकिन उसे वरदान दिया कि कोई भी युद्ध में मेघनाथ को नहीं हरा सकता. लेकिन इस पर भी एक शर्त रखी कि हर युद्ध से पहले उसे अपने पर्थयांगिरा देवी के लिए यज्ञ करना पड़ेगा. साथ ही ब्रह्मा ने मेघनाथ को इंद्रजीत नाम भी दिया.

रामायण युद्ध

रामायण युद्ध में रावण की हार और कुम्भकर्ण की मौत के बाद इंद्रजीत युद्ध के लिए गया, जहां उसने कोहराम मचा दिया. भगवान राम की सेना उसके डर से भागने लगी.

हनुमान को भी हराया

धरती पर सबसे शक्तिशाली हनुमान को भी इंद्रजीत ने अपने देवअस्त्रों के ज़रिए हराया था.

इंद्रजीत के हाथों हार गए थे राम

इंद्रजीत ने भगवान राम को भी युद्ध में हरा दिया था. उसने अपनी मायावी शक्ती नागपाश से उन्हें बेहोश कर दिया था. जब भगवान को मारने के लिए इंद्रजीत ने हथियार उठाया, उसी वक़्त हनुमान भगवान राम को लेकर गायब हो गए.

लक्ष्मण को दो बार हराया

इंद्रजीत ने अपनी मायावी शक्तियों के सहारे लक्ष्मण को युद्ध में दो बार पराजित किया. दूसरी बार तो लक्ष्मण मौत के करीब पहुंच गए थे, और उन्हें बचाने के लिए हनुमान संजीवनी ले कर आए थे.

राम की पूरी सेना पर अकेले भारी था इंद्रजीत

भगवान राम की सेना को अकेले हराने की ताकत थी इंद्रजीत के पास. लेकिन जब उसने युद्ध के अलग दिन लक्ष्मण को ज़िंदा देखा तो वो रावण के पास गया और अपने पिता से सीता को लौटाने का अग्रह किया. उसने रावण को समझाया कि राम कोई आम मानव नहीं, अगर वो लोग इस युद्ध को लड़ते रहे तो रावण की हार निश्चित है.

रावण ने किया मना

रावण ने इंद्रजीत की इस राय को ठुकरा दिया. रावण ने कहा कि वो युद्ध को जीतने के लिए यज्ञ करे और राम और लक्ष्मण को हराए. ये एक पिता का अपने पुत्र के लिए आदेश है.

राम ने जाना इंद्रजीत को हराने का तरीका

राम के साथी और रावण के भाई विभीषण ने इंद्रजीत की कमज़ोरी बताई. उन्होंने बताया कि जब इंद्रजीत यज्ञ में होगा तब उसके पास कोई हथियार नहीं होगा और उसे हराया जा सकता है. लेकिन ये चाल भी काम नहीं आई और इंद्रजीत उस हमले से बच कर निकलने में कामयाब रहा.

इंद्रजीत की हार

इंद्रजीत एक बात समझ गया था कि उसके पिता कभी भी सीता को वापिस नहीं करेंगे. साथ ही राम और लक्ष्मण कोई आम इंसान नहीं. अगले दिन इंद्रजीत को लक्ष्मण ने मार दिया.

रामायण का सबसे बड़ा योद्धा

इंद्रजीत दुनिया का अकेला ऐसा शख़्स था जिसके पास ब्रह्मास्त्र, पशुपत्रास्त्र और वैश्णवास्त्र थे. अगर इंद्रजीत इन तीनों का इस्तेमाल युद्ध में करता तो शायद हमारा इतिहास कुछ और ही होता. इंद्रजीत इस युद्ध का सबसे बड़ा योद्धा था. उसने रावण को भी समझाया लेकिन उसके न मानने पर भी अपने पिता का साथ नहीं छोड़ा. उसे पता था कि इस युद्ध को जीतना नामुमकिन है और उसकी मौत पक्की. लेकिन को एक महान योद्धा की तरह इस युद्ध में लड़ा और वीरगति को प्राप्त हुआ.

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रामायण भगवान राम, हनुमान, रावण, बाली और कुंभकरण जैसे बड़े योद्धाओं से भरी हुई है. लेकिन रामायण में एक योद्धा इन सबसे ज्यादा शक्तिशाली था. एक बार अगस्त्य मुनि जब अयोध्या आए तो उन्होंने प्रभु श्रीराम को बताया कि रावण का पुत्र मेघनाद ही इस संग्राम का सबसे ताकतवर योद्धा यानी सबसे शक्तिशाली राक्षस था. आइए जानते हैं अगस्त्य मुनि ने ऐसा क्यों कहा और किसके हाथों मेघनाथ की मौत हुई.

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ऐसा कहा जाता है कि रावण के घर जब पुत्र ने जन्म लिया तो उसके रोने की आवाज बिजली के कड़कने जैसी थी. यही कारण था कि रावण ने अपने बेटे का नाम मेघनाद रख दिया, जिसका अर्थ होता है बादलों में कड़कती बिजली.

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राक्षसों के सबसे बड़े गुरू ने मेघनाथ के अंदर छिपे योद्धा को पहचाना था और उसे युद्ध के गुर सिखाए. उन्होंने मेघनाद को देव आस्त्रों का ज्ञान भी दिया, जिससे वो अधिक बलशाली हो गया था. मेघनाद अकेला ऐसा वीर था जिसके पास ब्रह्मास्त्र समेत पशुपत्रास्त्र और वैश्णवास्त्र थे. यही कारण है कि वो अकेला राम की पूरी सेना पर भारी था.

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दानव और देवों के बीच हुए एक युद्ध में रावण के पुत्र मेघनाद ने अकेले ही इंद्र को पराजित कर दिया था. इंद्र को हराने के बाद वो उन्हें बंधक बनाकर अपने साथ ले आया. इस बारे में जब ब्रह्मा को पता चला तो उन्होंने इंद्र को छोड़ने के लिए मेघनाथ को एक वरदान देने की बात कही.

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इंद्र को आजाद करने के लिए मेघनाद ने ब्रह्मा से सदा अमर रहने का वरदान मांगा. ब्रह्मा ने इससे इनकार कर दिया और उन्हें युद्ध में कभी परास्त ना होने का वरदान दिया. ब्रह्मा ने मेघनाथ से कहा कि तुम्हें कभी कोई युद्ध में परास्त नहीं कर सकेगा, लेकिन हर युद्ध से पहले उसे अपने पर्थयांगिरा देवी के लिए यज्ञ करना होगा. ब्रह्मा ने ही मेघनाद को इंद्रजीत नाम दिया था.

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कुंभकरण का वध होने के बाद युद्ध भूमि पर कदम रखते ही मेघनाथ ने कोहराम मचाकर रख दिया था. अपने मायावी शस्त्रों से उन्होंने राम की पूरी सेना को हिलाकर रख दिया था. भगवान राम से लेकर हनुमान तक मेघनाथ को रोकने में असफल हो रहे थे. युद्ध में मेघनाथ का अंत सबको असंभव लगने लगा था.

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रावण के भाई विभीषण ने भगवान राम से कहा कि मेघनाद जब यज्ञ करता है, तब उसके पास कोई हथियार नहीं होता है. मेघनाथ को मारने का यही सही मौका होगा. हालांकि ये चाल भी काम न आई और मेघनाद बचकर निकल गया. बाद में रणभूमि में उसका सर्वनाश लक्ष्मण के हाथों हुआ.

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अगस्त्य मुनि ने राम को बताया कि इंद्रजीत रावण से भी बड़ा शूरवीर था. लक्ष्मण के हाथों उसका संहार हुआ और केवल वही उसे मार सकते थे. राम ये बात सुनकर काफी हैरान हुए. तब अगस्त्य ने बताया कि वरदान देते वक्त ब्रह्मा ने मेघनाथ से कहा था कि उसका वध ऐसे योद्धा के हाथों ही हो सकता है जो 14 वर्षों से ना सोया हो.

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भगवान राम के पूछने पर लक्ष्मण ने बताया कि वनवास के समय वह 14 साल तक नहीं सोए थे. वह रातभर धनुष पर बाण चढ़ाए पहरेदारी पर रहते थे. लक्ष्मण ने निद्रा को अपने वश में कर लिय था. ब्रह्मा के मुख से निकले स्वर शायद लक्ष्मण के लिए ही थे, जिनके हाथों निश्चित ही मेघनाद का अंत लिखा था.

Photo: Thinkstock photos

दुनिया का सबसे शक्तिशाली योद्धा कौन था?

भीष्म ने भी परशुराम को पराजित किया था। और भगदत्त तो इन्द्र का मित्र था, उसने भी अनेकों बार देवासुर संग्राम में देवताओं की सहायता की थी। ये ऐसे योद्धा थे जिन्होने युद्ध मे बहुत ही कम बार हार का स्वाद चखा था

रावण कितना शक्तिशाली था?

किंचित मान्यतानुसार रावण में अनेक गुण भी थे। सारस्वत ब्राह्मणपुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा का पुत्र रावण एक परम भगवान शिव भक्त, उद्भट राजनीतिज्ञ, महाप्रतापी, महापराक्रमी योद्धा, अत्यन्त बलशाली, शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता, प्रकान्ड विद्वान, पंडित एवं महाज्ञानी था

रावण दल का रावण को छोड़कर सबसे बड़ा वीर कौन था और क्यों?

मेघनाद अकेला ऐसा वीर था जिसके पास ब्रह्मास्त्र समेत पशुपत्रास्त्र और वैश्णवास्त्र थे. यही कारण है कि वो अकेला राम की पूरी सेना पर भारी था. दानव और देवों के बीच हुए एक युद्ध में रावण के पुत्र मेघनाद ने अकेले ही इंद्र को पराजित कर दिया था.

मेघनाथ किसका अवतार है?

मेघनाद किसका अवतार था whose avtar was Meghnad और लक्ष्मण जी भी शेषनांग (Sheshnaang) के अवतार थे इसलिए मेघनाद लक्ष्मण जी का दामाद हुआ किन्तु मेघनाद किसका अवतार था इसका कोई प्रमाणित साक्ष्य नहीं है।

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