Highlights
- अच्छी सेहत के लिए कम से कम 7 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी है।
- बार-बार नींद टूटने का एक कारण तनाव भी हो सकता है।
दिनभर भागदौड़ भरी लाइफ की थकावट उतारने के लिए अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी हैं। लेकिन आज के समय में सोशल मीडिया की अधिक लत होने के कारण देर रात तक जगते रहते हैं। इसके बाद किसी न किसी तरह से सोने की कोशिश करते हैं। लेकिन बीच में कई बार नींद खुल जाती हैं, जिसके कारण आपको अधिक चिड़चिड़ाहट या फिर गुस्सा आने लगता है। क्योंकि एक बार नींद टूट जाने के बाद दोबारा नींद आना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में आप धीरे-धीरे कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।
अगर कभी-कभी नींद खुले तो नॉर्मल बात है। लेकिन अगर आपके साथ ऐसा रोजाना हो रहा हैं तो आपको थोड़ा सा सतर्क होने की जरूरत है। दरअसल हमारी दिनचर्या में कई ऐसी चीजें होती हैं जिन्हें हम नॉर्मल समझते हैं लेकिन वह हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं। जानिए ऐसे ही कुछ कारणों के बारे में, जिसके कारण आपकी नींद बार-बार खुल जाती हैं।
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बार-बार नींद खुलने का कारण
तनाव
आमतौर पर तनाव के कारण भी नींद खुल जाने की समस्या का सामना करना पड़ता है। डॉक्टरों के अनुसार करीब 17 प्रतिशत महिलाओं को तनाव की समस्या शुरूआत होती हैं। दिनके बारे में उन्हें पता ही नहीं होता है। क्योंकि अवसाद के लक्षण बहुत नॉर्मल होते हैं, जिनमें नकारात्मक विचार, अत्यधिक चिंता, एनर्जी की कमी और शरीर में दर्द शामिल हैं।
सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल
अगर आप सोने से पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं तो इसका फर्क भी आपकी नींद पर अधिक पड़ेगा। आंखों में मोबाइल की लाइट पड़ने के कारण शरीर मेलाटोनिन और स्लीप हार्मोन को बनने से रोकता है, जिसके कारण नींद में खलल पड़ता है।
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सोने से पहले एल्कोहाल लेना
अगर आप सोने से पहले थोड़ी मात्रा में एल्कोहाल का सेवन करते हैं तो इससे आपको नींद आने में मदद मिलती हैं। लेकिन इसका सेवन अधिक मात्रा में करने से नींद को बढ़ावा देने वाले केमिकल एडिनोसिन का उत्पादन
शरीर में बढ़ जाता है, जिसके कारण व्यक्ति की रात में बार-बार नींद खुल जाती है।
स्लीप एप्निया
ये नींद से संबधित बीमारी है जिसके चलते लोगों को कम नींद आती है और आधी रात में नींद खुल जाती है। इस रोग में व्यक्ति रात में बार-बार सांस लेना बंद कर देता है जो कुछ सेकंड से लेकर पूरे एक मिनट तक, जिसके कारण वह थोड़े समय के लिए जाग जाता है।
थायराइड की समस्या
थायराइड से ग्रसित मरीजों को भी इस समस्या का सामना करना पड़ता है। थायराइड के कारण
हार्मोन इनबैलेंस हो जाते हैं, जिसके कारण नींद पर असर पड़ता है। जब थायराइड अति सक्रिय होता है तो आपका दिल तेजी से काम करने लदता है, जिससे आपका एड्रेनालाईन हार्मोन बढ़ता है और आपको अनिद्रा और चिंता की समस्या का सामना करना पड़ता है।
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दिन भर की थकान के बाद अगर सुकून की नींद मिल जाए तो दूसरे दिन नई शुरुआत करना बहुत ही फ्रेश होता है. लेकिन यह रात की सुकून भरी नींद हर किसी के खाते में दर्ज नहीं होती है. इस बीमारी को नाइट ड्रेड के नाम से जाना जाता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि अधिकतर कामकाजी लोगों को रात में बार-बार जगने की आदत पड़ जाती है. अगर आपकी आंख भी रात में सोते समय बेमतलब ही कई बार खुलती है तो आप कटस्ट्रोफिसिंग या नाइट ड्रेड नामक बीमारी के शिकार हो सकते हैं. इस बीमारी में आधी रात में नींद खुल जाती है और इंसान चौंक कर बैठ जाता है.
स्ट्रेस है बड़ी वजह
आजकल की जिंदगी में घर, रिश्तों और ऑफिस के काम का प्रेशर तनाव को बढ़ाने के लिए काफी है. आपकी सुकून भरी नींद से तनाव का गहरा रिश्ता है. जब आपका दिमाग शांत होता है
तो आपको अच्छी नींद आती है और आप दिनभर ताजगी से भरे रहते हैं. लेकिन जैसे ही आपका दिमाग प्रेशर और तनाव से भर जाता है तो आपकी सोने की आदतों पर प्रभाव डालती है. यह समस्या इंसोमेनिया की बीमारी से बहुत अलग है. इसलिए इसे इस बीमारी से न जोड़ें.
करवट लेना है आम
किसी भी चिंता की वजह से रात को नींद का टूट जाना, बेचैनी महसूस होना, मन उदास होना, तनाव और पसीने का आना आदि आम लक्षण हैं. कारण एक व्यक्ति 90-120 मिनट के बीच में सोता है और इनमें से अधिकांश लोग इस बीच करवट बदलते हैं और फिर सो
जाते हैं. लेकिन इसके विपरीत कई लोग चिंता और डर की वजह से उठ जाते हैं और फिर दोबारा सो नहीं पाते हैं. यह समस्या किसी को भी हो सकती है.
क्या कारण हैं इसके
इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं जैसे: देर रात तक जागना, खानपान की आदतों का खराब होना, डिप्रेशन और मेनोपॉज जल्द हो जाना. इस बीमारी का
प्रतिशत हर रोज बढ़ता जा रहा है और इसके शिकार स्कूली बच्चे भी हो रहे हैं. इस बीमारी में लोग अकारण डर के शिकार हो जाते हैं और बिना बात के ही जल्दी हाइपर होने लगते हैं.
यह बीमारी ज्यादातर नकारात्मक सोच रखने वालों को अपनी गिरफ्त में लेती है. बच्चों में भी इस तरह एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर देखने को मिल रहा है. यह ऐसे लोगों के साथ होता है जो लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते हैं.
कैसे करें बचाव
अपने दिमाग में
सकारात्मक भाव लाने के प्रयास करें. मन की बातों को किसी करीबी से शेयर करें या फिर अपनी भावनाओं को डायरी में लिखना शुरू कर दें. इस समस्या को समय रहते ठीक करना बहुत जरुरी है. रात में सोते समय आप अच्छी किताब पढ़ने की आदत डालें. साथ ही लड़ाई-झगड़े वाली मूवीज और गेम्स से दूर रहें.
रुटीन को बनाएं रखें
अपने डेली रुटीन को बनाएं रखें. सोने से पहले कुछ जरूरी काम करने की आदत डालें जैसे: गहरी सांस लेना, अपने तकिए पर लैवेंडर के तेल की कुछ बूंदें लगाए, कैमोमाइल चाय पीएं, सॉफ्ट म्यूजिक सुनें. म्यूजिक सुनने से दिमाग को आराम मिलता है और वह नकारात्मक भाव से दूर रहता है. ब्लड प्रेशर को नाॅर्मल रखने के लिए व्यायाम करें जिससे नींद आपको अच्छी नींद आएगी.
नींद का रुटीन बिगड़ने से इंसान में चिड़चिड़ा हो जाता है और इस कारण मोटापा, टाइप 2 मधुमेह और दिल की बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है.