सहजीवी से आप क्या समझते हैं उदाहरण सहित समझाइए? - sahajeevee se aap kya samajhate hain udaaharan sahit samajhaie?

सहजीवन में दो प्राणी जीवित रहने के लिये एक दूसरे पर निर्भर रहते है ; जैसे कि एक क्लाउनफिश रीढीविहीन जंतुओं पर निर्भर रहती है

सहजीवन (Symbiosis) दो प्राणियों में पारस्परिक, लाभजनक, आंतरिक साझेदारी है। यह सहभागिता के (partnership) दो पौधों या दो जंतुओं के बीच, या पौधे और जंतु के पारस्परिक संबंध में हो सकती है। यह संभव है कि कुछ सहजीवियों (symbionts) ने अपना जीवन परजीवी (parasite) के रूप में शुरू किया हो और कुछ प्राणी जो अभी परजीवी हैं, वे पहले सहजीवी रहे हों।

सहजीवन का एक अच्छा उदाहरण लाइकेन (lichen) है, जिसमें शैवाल (algae) और कवक के (fungus) के बीच पारस्परिक कल्याणकारक सहजीविता होती है। बहुत से कवक बांज (oaks), चीड़ इत्यादि पेड़ों की जड़ों के साथ सहजीवी होकर रहते हैं।

बैसिलस रैडिसिकोला के (Bacillus radicicola) और शिंबी के (leguminous) पौधों की जड़ों के बीच का अंतरंग संबंध भी सहजीविता का उदाहरण है। ये जीवाणु शिंबी पौधों को जड़ों में पाए जाते हैं, जहाँ वे गुलिकाएँ (tubercles) बनाते हैं और वायुमंडलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करते हैं।

सहजीविता का दूसरा रूप हाइड्रा विरिडिस (Hydra viridis) और एक हरे शैवाल का पारस्परिक संबंध है। हाइड्रा (Hydra) जूक्लोरेली (Zoochlorellae) शैवाल को आश्रय देता है। हाइड्रा की श्वसन क्रिया में जो कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलता है, वह जूक्लोरेली के प्रकाश संश्लेषण में प्रयुक्त होता है और जूक्लोरेली द्वारा उच्छ्‌वसित ऑक्सीजन हाइड्रा की श्वसन क्रिया में काम आती है। जूक्लोरेली द्वारा बनाए गए कार्बनिक यौगिक का भी उपयोग हाइड्रा करता है। कुछ हाइड्रा तो बहुत समय तक, बिना बाहर का भोजन किए, केवल जूक्लोरेली द्वारा बनाए गए कार्बनिक यौगिक के सहारे ही, जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

सहजीविता का एक और अत्यंत रोचक उदाहरण कंबोल्यूटा रोजिओफेंसिस (Convoluta roseoffensis) नामक एक टर्बेलेरिया क्रिमि (Turbellaria) और क्लैमिडोमॉनाडेसिई (Chlamydomonadaceae) वर्ग के शैवाल के बीच का पारस्परिक संयोग है। कंबोल्यूटा के जीवनचक्र में चार अध्याय होते हैं। अपने जीवन के प्राथमिक भाग में कंबोल्यूटा स्वतंत्र रूप से बाहर का भोजन करता है। कुछ दिनों बाद शैवाल से संयोग होता है और फिर इस कृमि का पोषण, इसके शरीर में रहने वाले शैवाल द्वारा बनाए गए कार्बनिक यौगिक और बाहर के भोजन दोनों से होता है। तीसरी अवस्था में कंबोल्यूटा बाहर का भोजन ग्रहण करना बंद कर देता है और अपने पोषण के लिए केवल शैवाल के प्रकाश संश्लेषण द्वारा बनाए गए कार्बनिक यौगिक पर ही निर्भर रहता है। अंत में कृमि अपने सहजीवी शैवाल को ही पचा लेता है और स्वयं मर जाता है।

बहुत से सहजीची जीवाणु और अंतरकोशिक यीस्ट (yeast) आहार नली की कोशिकाओं में रहते हैं और पाचन क्रिया में सहायता करते हैं। दीमक की आहार नली में बहुत से इंफ्यूसोरिया (Infusoria) होते हैं, जिनका काम काष्ठ का पाचन करना होता है और इनके बिना दीमक जीवित नहीं रह सकती।

सन्दर्भ[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • परजीवी
  • सहभोजी

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

हेलो फ्रेंड्स वेलकम टू डाउटनट हमारा क्वेश्चन दे रखा है कि सहजीवी क्या है उदाहरण सहित समझाइए प्रश्न का उत्तर देख लेते हैं तो सही क्या है तू जो सहजीवी है यह जीरी वे प्रजातियां होती है सहजीवी वे प्रजातियां होती है जो आपस में यह जीवन करती है ठीक है सर जी भी वे प्रजातियां होती है जो क्या करती है जो कि आपस में करती है वह जीवन में क्या करती है सहजीवन करती है यानी कि 7777 जीवन व्यतीत करती है 77 जीवन व्यतीत करती है ठीक है और क्या करती है साथ-साथ जीवन व्यतीत करती है तथा एक दूसरे को एक दूसरे को लाभ पहुंचाती है

ठीक है क्या करती है एक दूसरे को लाभ पहुंचाती है ठीक है जैसे कि माइक ओराइजा जैसे कि क्या हो गया माई को राइडर ठीक है क्या होता है जो राइजोबियम जीवाणु रहता है वह क्या होते हैं जो दलहनी पादप होते हैं क्या होते हैं जो दलहनी पादप होते हैं मान लीजिए दलहनी पादप कौन सा हो गया जैसे कि चने का जो पादप होता है वह उसकी जड़ों में पाई जाती है गांठ है जिनमें निवास करता है कौन राइजोबियम राइजोबियम नामक का जो निवास करता है जीवाणु और यह क्या करता है यह इनको क्या करता है पोषक तत्व प्रदान करता है तथा यह इनको आवाज प्रदान करता है भोजन प्रदान करता है तथा जो राइजोबियम रहता है यह क्या करता है यह भी जो चने का जो पौधा रहता है तनहाई पादप रहता है उनको क्या पता करते हैं पोषक तत्व प्रदान करते हैं यानी कि वह क्या होते हैं

कहते हैं दोनों को ही क्या हो रहा है लाभ हो रहा है यह सहजीवी आशा है कि आप को इस प्रश्न का उत्तर समझ आया हो वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद

सहजीविता या सहजीवन क्या है, लाइकेन किस कुल के पौधों की जड़ों में रहता है

परजीविता Parasitism-

  • वातावरण में कवक, जीवाणु एवं विषाणु तथा कुछ उच्चवर्गीय आवृत्त बीजी पौधे जैसे- अमरबेल, लोरेन्थस, ओरोबैका, वेलेनोफोरा, रैफ्लेशिया आदि परजीवी के रूप में उगते हैं।
  • इनमें पर्णहरिम का अभाव होता है और ये सभी अपना भोजन स्वयं नहीं बना पाते हैं दूसरे पौधों से चूषकांगों द्वारा प्राप्त करते हैं। पौधों के इस गुण को परजीविता एवं ऐसे पौधों को परजीवी कहते हैं।
  • इन पौधों का पृथ्वी से कोई सम्बन्ध नहीं रहता है। जिन पौधों पर परजीवी उगते हैं और अपना भोजन लेते हैं उन्हें पोषित पौधे कहते हैं।
  • कुछ पौधे पूर्णरूप से परजीवी होते हैं, जैसे- अमरबेल तथा कुछ आंशिक परजीवी होते हैं जैसे- लोरेन्थस, विस्कम तथा चंदन।
  • कुछ तनों पर परजीवी होते हैं जिन्हें क्रमशः मूल परजीवी तथा स्तम्भ परजीवी कहते है।
  • पूर्ण मूल परजीवी – औरोबैंकी
  • आंशिक मूल परजीवी – चंदन (Santalum album)
  • पूर्ण स्तम्भ परजीवी – अमरबेल (Cuscuta)
  • आंशिक स्तम्भ परजीवी – लोरेन्थस (Loranthus) तथा विस्कम (Vixcum)।
सहजीविता Symbiosis-
  • जब दो पौधे अथवा जीवधारी साथ-साथ रहते हैं तथा एक-दूसरे को लाभ पहुंचाते हैं तो उन्हें सहजीवी तथा इस प्रकार के सम्बन्ध को सहजीवन कहते हैं। पौधों का यह गुण सहजीविता कहलाता है।
  • सहजीविता के उदाहरण है – लाइकेन तथा लैग्यूमिनेसी कुल के पौधों की जड़ों की ग्रन्थियों में पाये जाने वाले नाइट्रीकरण जीवाणु।
    लाइकेन के शरीर का निर्माण शैवाल तथा कवक के द्वारा होता है।
  • नाइट्रीकरण जीवाणु भूमि की स्वतंत्र नाइट्रोजन को नाइट्रेट में परिवर्तित कर देते हैं। इसे पौधे जड़ों द्वारा खाद रूप में ग्रहण करते हैं। इसके बदले में पौधे इन जीवाणुओं को भोजन एवं रहने के लिये स्थान देते हैं। इस प्रकार इस सहजीविता का प्रभाव पौधों एवं वातावरण पर पड़ता है।
माइकोराइजा Mycorrhiza
  • कवक का किसी पौधे की जड़ के साथ सहजीवन माइकोराइजा कहलाता है।
  • यह दो प्रकार का होता है-
    अ. एक्टोट्रोफिक – जिसमें कवक जाल जड़ों के धरातल पर मिलता है
    ब. एण्डोट्रोफिक- जिसमें कवक जड़ों की बल्कुट कोशिकाओं में फैला रहता है।
  • माइकोराइजा चीड़ आर्किड, लीची, रेफ्लेशिया व अन्य पौधों की जड़ों में पाया जाता है।
मृतोपजीविता Saprophytism
  • पौधों का सडे़ गले पदार्थों पर उगला तथा उन्हीं से अपना भोजन प्राप्त करने का गुण मृतोपजीविता कहलाता है।
    ये पौधे मृतोपजीवी कहलाते हैं।
  • इनमें पर्णहरित का अभाव होता है जिससे ये अपना भोजन स्वयं नहीं बना पाते हैं।
  • मृतोपजीवी के अन्तर्गत विभिन्न कवक जैसे- यीस्ट, म्यूकर, राइजोपस, पेनीसिलियम, कुकुरमत्ता आदि जीवाणु तथा सुपुष्पी पौधे जैसे – मोनोट्रोपा, नियोट्टिया तथा यूनीफ्लोरा आदि आते हैं। मृतोपजीवी कवक एवं जीवाणु पौधों तथा जन्तुओं के मृतक शरीरों का अपघटन करके सरल तत्वों में बदलते रहते हैं जिससे प्रकृति में कूड़ा-करकट के ढेरों तथा लाशों की सफाई होती रहती है।
कीटभक्षी पौधे
  • ये पौधे प्रायः उन स्थानों पर पाये जाते हैं जहां की भूमि में नाइट्रोजन की कमी होती है। इस कमी को पूरा करने के लिए कीटभक्षी पौधे छोटे-छोटे कीट-पतंगों को मारकर उससे नाइट्रोजन युक्त पदार्थ ग्रहण करते हैं।
  • इनमें हरी पत्तियां पाई जाती हैं। ये पौधे अपना भोजन स्वयं बना सकते हैं। कीटभक्षी पौधे के उदाहरण हैं – यूट्रीकुलेरिया, ड्रोसेरा, नेपेन्थिस तथा डायोनियां आदि।

सहजीवी क्या है उदाहरण सहित?

सहजीविता Symbiosis- जब दो पौधे अथवा जीवधारी साथ-साथ रहते हैं तथा एक-दूसरे को लाभ पहुंचाते हैं तो उन्हें सहजीवी तथा इस प्रकार के सम्बन्ध को सहजीवन कहते हैं। पौधों का यह गुण सहजीविता कहलाता है। सहजीविता के उदाहरण है – लाइकेन तथा लैग्यूमिनेसी कुल के पौधों की जड़ों की ग्रन्थियों में पाये जाने वाले नाइट्रीकरण जीवाणु।

सहजीवी का मतलब क्या होता है?

[वि.] - किसी के साथ रहकर जीवन बिताने वाला; साथ रहने वाला।

मृतजीवी का उदाहरण क्या है?

<br> मृतजीवी-जो जीव अपना भोजन मृत व गले-सड़े कार्बनिक पदार्थों से ग्रहण करते हैं, मृतजीवी कहलाते हैं, जैसे मशरूम, कुकुरमुत्ता।

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