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मरीज को सुन करने वाला इंजेक्शन स्टॉक में नहीं
इमरजेंसी वार्ड में 3 दिन से गंभीर रूप से घायल मरीजों को टांके (स्टिच) लगाने से पहले शरीर के एक हिस्से को सुन करने के लिए लगने वाले जाइलोकेन इंजेक्शन आउट ऑफ स्टॉक है। ऐसे में डॉक्टरों को उन मरीजों के उपचार में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है जिन्हें चोट लगने पर सुन्न करने की जरूरत है, बवासीर, ऐरेथमिया,अनियमित हार्ट रेट, जलने या फिर एलर्जी की समस्या है। अस्पताल में प्रतिदिन इस तरह के 60 से 70 मरीज आ रहे हैं। अगर मरीज दिन के समय आता है तो उसे बाहर से इंजेक्शन खरीदने के लिए कहा जाता है लेकिन रात को मेडिकल बंद होने से दिक्कत का सामना करना पड़ता है। एमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों का कहना है अब तक काम चलाया पर अब मजबूरी में मरीजों को बाहर रेफर करना पड़ेगा।
अस्पताल प्रबंधकों को 3 दिन पहले बताने के बावजूद नहीं भेजा स्टॉक
एमरजेंसी वार्ड में तैनात डॉक्टरों व अन्य कर्मचारियों ने कहा कि जाइलोकेन इंजेक्शन खत्म होने के कुछ दिन पहले ही अस्पताल अस्पताल प्रबंधन को जानकारी दे दी गई थी। अभी तक उक्त इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो सका है। वार्ड में तैनात डाक्टरों व अन्य कर्मचारियों ने कहा कि एमरजेंसी
वार्ड में अधिकतर लड़ाई, झगड़े व दुर्घटना में जख्मियों का इलाज किया जाता है। जख्मियों के इलाज के दौरान सर्जरी में इस्तेमाल में होनी वाली महत्वपूर्ण दवाएं खत्म हो गई हैं। कई बार मरीज के परिजन उन पर जानबूझ कर परेशान करने जैसे आरोप भी लगा देते हैं व झगड़ा करने में उतारु हो जाते हैं।
24 घंटे सेहत सुविधा का दावा
सिविल अस्पताल में 24 घंटे सेहत सुविधा मिलने का दावा है। ऐसे में जिले भर में होने वाले सड़क हादसों, लड़ाई झगड़ों व एकाएक बर्न केस व अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीज पहुंचते हैं। यही नहीं
कस्बों में स्थित छोटे अस्पतालों के मरीज भी रात को रेफर करके भेजे जाते हैं।
अगले सप्ताह तक आपूर्ति संभव
सरकारी अस्पताल में दुर्घटना व लड़ाई झगड़े के मामले अधिक आते हैं। इस कारण दवाओं की सबसे अधिक खपत होती है। दवाओं की खरीद की प्रक्रिया चल रही है। अगले सप्ताह के अंदर चयनित दवाओं की आपूर्ति हो होने की संभावना है। सुखजिंदर गिल, एसएमओ।
सेहत विभाग को लिखा है
आगे से दवा नहीं आ रही है। सेहत विभाग को पत्र लिखकर दवाईयों की मांग की गई है। जोगिंदर सिंह, स्टोर इंचार्ज।
मरीजों ने झेली
परेशानी
शनिवार को सुबह लगभग 8 बजे दुर्घटना में जख्मी कुलदीप सिंह वासी पक्का कला, चरणदीप वासी चक्क हीरा सिंहवाला इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया। दुर्घटना में कुलदीप सिंह का जबड़ा टूट गया था। इस दौरान वार्ड में तैनात कर्मचारियों ने घायलों को दाखिल करने से पहले जाइलोकेन ढूंढने लगे। इंजेक्शन नहीं मिलने पर कर्मचारियों ने पर्ची लिखकर बाहर से मंगवाई। जिसके बाद जख्मियों का इलाज शुरू हुआ।
मुफ्त दवा योजना का पालन नहीं
नि:शुल्क दवा योजना का पूरा सिस्टम ऑनलाइन है, लेकिन अस्पताल में उपलब्ध दवाओं
की ही एंट्री की जाती है, जो दवा उपलब्ध नहीं है उनको नॉट अवेलेबल हिट कर दिया जाता है। ताकि शॉर्ट दवा की जानकारी उच्चाधिकारियों तक पहुंच सके, लेकिन यहां ऐसा नहीं हो रहा है।