सौर ऊर्जा क्या है और इसके उपयोग क्या है? - saur oorja kya hai aur isake upayog kya hai?

सौर ऊर्जा क्या है  ( What is solar energy) 

जब सूर्य से प्राप्त प्रकाशविकिरण  ऊर्जा का उपयोग कर उसके ताप  ऊर्जा का उपयोग भोजन पकाने, बिजली उत्पन्न करने सम्बन्धी अनेक कार्यो में किया जाता है तब ये सौर ऊर्जा  कहलाता है 

सौर ऊर्जा का उपयोग कैसे करें 

हम कई तरीकों से सौर ऊर्जा को उपयोग में ला सकते हैं

 सौर सकेन्द्रण: सौर विकिरण को प्रत्यक्ष रूप से पानी या किसी अन्य तरल को गर्म करने के लिए उपयोग करना और इसके बाद गर्म पानी या भाप प्राप्त करना। इसे सौर-तापीय ऊर्जा भी कहा जाता है।

विद्युत में रूपांतरण:

सौर विकिरण को एक ऐसी फोटोवोल्यइक सेल पर फोकस  कर, बिजली पैदा की जाती है।

सौर संकेन्द्रण 

सौर सकेंन्द्रण का एक सामान्य उदाहरण छत पर लगाया जाने वाले सोलर वाटर हीटर है जो अन्दर से खोखली  ट्यूब  का प्रयोग किया जाता है जिनसे होकर पानी प्रवाहित होता है।  खोखली  ट्यूब ताप संग्राहक   पारदर्शी कांच नलिकाओं की समान्तर पंक्तियां होते हैं।

 प्रत्येक दयूब में एक आंतरिक और एक बाहरी ट्यूब होती है। दोनों के बोच विद्यमान निर्वात द्वारा संवहनीय और संचारी ऊष्मा हानि को न्यूनतम कर दिया जाता है। एक कलेक्टर बैंक को एक अनुकूल कोण पर रखा जाता है ताकि सौर विकिरण को ग्रहण कर सके आंतरिक ट्यूब में ठंडा पानी प्रवाहित होता है

और यह गर्म होने के बाद एक टैंक में इकट्ठा कर लिया जाता है। टैंक में एक इलैक्ट्रिक HEATER एलीमेंट भी लगा होता है जो कि बादलों के घिरे होने की स्थिति में वैकअप के रूप में कार्य करता है।

 सोलर कुकर 

में पकाये वाली चीजों पर विकिरण को फोकस  करने के लिए एक सपाट दर्पण या एक परावलयी तस्तरी  का प्रयोग किया जाता है इससे इंधन बचने के साथ-साथ भोजन को  धीमे आंच पर पका भी लिया जाता है 

खोखली  ट्यूब  से स्वाध्यप्रद भोजन बनता  है।

 सौर सकेन्द्रण का प्रयोग एक बड़े स्तर पर भी किया जा सकता है जिसके अंतर्गत सूर्य की ऊष्मा को एक उपयुक्त तरल पर डाला जाता है जो सिस्टम में घूमता रहता है। यह गर्म तरल पानी को गर्म करता है और वाष्प निर्मित करता है जिसका प्रयोग कई प्रयोजनों हेतु किया जा सकता है।

सौर ऊर्जा को बिजली में बदलना

  • सौर सेल -फोटोवोल्टाइक सेल (पीवी सेल) में सिलीकॉन की दो परतें होती हैं। निचली परत में इलेक्ट्रॉन होते हैं ,जो कि आसानी से क्षय हो जाते हैं और ऊपर की परत इलेक्ट्रोनों को ग्रहण करने के लिए तैयार रहती है। जब प्रकाश ऊर्जा सेल पर पड़ती है तो वह निचली परत से इलेक्ट्रॉनों को हटा देती है।
  • इसके बाद एक विद्युत धारा निर्मित होती है जो सर्किट से होते हुए इलेक्ट्रॉनों को ऊपरी परत तक ले जाती है। 
  • प्रत्येक सेल, बिजली की एक छोटी सी मात्रा उत्पन्न करती है किन्तु एक पैनल में कई सेलों को एक साथ रखा जाता है जिससे एक उपकरण को चलाने के लिए पर्याप्त बिजली पैदा हो जाती है।
  • एक सौर पैनल से पैदा होने वाली बिजली की सामान्यतः एक बैटरी में भंडारित किया जाता है जिसके साथ हम एक उपकरण को सीधे नहीं जोड़ सकते हैं। इस प्रकार पैनल पर सूरज की रोशनी पड़ने से ऊर्जा  उत्पन्न होती है और इसे बैटरी में भंडारित कर लिया जाता है तथा जरूरत के समय इसका प्रयोग किया जाता   है।
  • बैटरी से निकलने वाली डीसी धारा को एक RECTIFIRE   के माध्यम से एसी धारा में बदल दिया जाता है।
  • इसके बाद हम एक पंखा या टेलीविजन जैसे सामान्य उपकरण को चला सकते हैं। पीवी सेल का प्रयोग वर्तमान में घड़ियों, जेबी कैल्कुलेटरों, खिलौनों इत्यादि में किया जाता है।
  • बड़े सोलर पैनल -रोशनी प्रदान कर सकते हैं, एक सिंचाई पम्प चला सकते हैं, ट्रैफिक लाइटों को प्रचालित कर सकते हैं। मरस्थल भूमियों में कई ऐसे बड़े  सोलर पीवी स्टेशन  भी हैं जो बिजली संयंत्र की भाति कार्य करते हैं।

सौर ऊर्जा के लाभ और हानियां क्या हैं?

सौर ऊर्जा के लाभ इस प्रकार है:

  •  यह ऊर्जा का एक अक्छय  रूप है जो कि प्रारंभिक  रूप से निशुल्क प्रतीत होता है। आरंभिक निवेश और रख-रखाव के अलावा सौर ऊर्जा आभासी तौर पर निःशुल्क होती है।
  • यद्यपि यह सूर्य में निरन्तर चलने वाली तापीय-नाभिकीय संलयन अभिक्रिया से आती है, फिर भी इस अभिक्रिया से पैदा होने वाले सभी रेडियोधर्मी और प्रदूषणकारी रॉ मटेरियल  15 करोड़ किलोमीटर दूर सूर्य पर ही रह जाते हैं।
  •  पृथ्वी पर प्रतिदिन सौर ऊर्जा की भारी मात्रा आपतित होती है। एक महीने में हम सूर्य से जितनी ऊर्जा प्राप्त करते हैं, वह सभी जीवाश्म ईंधनों में संचित ऊर्जा से अधिक है। एक वर्गमीटर की सतह पर गिरने वाली सौर ऊर्जा 60 वाट की पांच लैम्पों को प्रकाशित कर सकती है।
  • सौर शक्ति उन दूरवर्ती क्षेत्रों के लिए एक अच्छा विकल्प है जहां बिजली की पहुंच की कठिनाई के कारण नहीं बिछायी जा सकती हैं।

सौर ऊर्जा के लागत 

  •  सौर ऊर्जा के उत्पादन में कोई भी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित नहीं होती है: सौर पैनल से ऊर्जा के उत्पादन में किसी प्रकार का धुआं, गैस, या अन्य रासायनिक उपोत्पाद पैदा नहीं होता है। 
  • सौर पैनलों को कार्यचालन अवधि 25-30 वर्ष होती और हम अगर अच्छे से देख भाल के साथ रखे तब यह 40 वर्ष तक भी  उपयोग किया जा सकता है।
  • सौर ऊर्जा  को आत्मनिर्भर समुदायों द्वारा  गठन किया जाता  है जो कि अपनी ऊर्जा आपूर्ति पर नियंत्रण रखते हैं। यहां पर्यावरण की कोई हानि नहीं होती है, बिजली का उपयोग स्थानीय स्तर पर किया जाता है ।
  • बिजली ग्रिड से मुक्ति- एक घर पारम्परिक बिजली ग्रिड से पूरी तरह दूर  हो सकता है जिसके वजह से बिल पेमेंट , अनावश्यक बिजली कट , बिजली विभाग की लापरवाही  से मुक्त हो जाता है।
  • सौर रोजगार: सौर ऊर्जा के द्वारा सौर पैनलों के विनिर्माण, निगरानी और रख-रखाव से लेकर शोध और डिजाइन, विकास, और नीति निर्माण जैसे कई क्षेत्रों में रोजगार निर्मित होते हैं।
  • सौर ऊर्जा- भू ऊर्जा मांग  और मूल्य अस्थिरता को दूर करती है जो कि जीवाश्म ईंधनों के बाजारों की विशेषता है।
  • परितंत्रों और जीवो की रक्षा -सौर ऊर्जा कच्चे माल के निरन्तर खनन पर निर्भर नहीं होती है, इसलिए इसके द्वारा वनों और परितंत्रों का विनाश नहीं होता है। परितंत्रों और जीवो के बचे रहने पर वहां के लोगों की आजीविका भी सुरक्षित रहती है।
  •  आशाजनक विकास: सौर ऊर्जा तकनीक में तेजी से सुधार हो रहा है, जो कभी खर्चीला, भारी और अप्रभावी था. अब वह सस्ता, अधिक पहुंचगम्य और अधिक प्रभावी होता जा रहा है।

सौर ऊर्जा की हानियां निम्नलिखित हैं

  •  आरंभिक निवेश- अभी भी काफी अधिक है। ग्रिड से बिजली खरीदने की तुलना में सौर ऊर्जा उत्पन्न करना एक उपभोक्ता के लिए अभी-भी महंगा बना हुआ है। किंतु यह शीघ्र ही परिवर्तित हो सकता है। 
  • यह रात में या बादल घिरे होने की स्थिति में  सौर ऊर्जा उपलब्ध नहीं होती है इसलिए हमें ऊर्जा के भंडारण
  • के प्रभावी तरीकों को खोजने की जरूरत है।
  • सोलर पैनलों की अप्रभाविता: सौर ऊर्जा को बिजली में बदलने की वर्तमान दक्षता बहुत कम है  किंतु इसमें तेजी से सुधार हो रहा है। 
  • सौर ऊर्जा का भंडारण: भंडारण तकनीक अभी तक अपनी संभावित क्षमता तक नहीं पहुंच पायी है। बनाये जा रहे हैं।
  • सौर पैनल काफी भारी होते हैं, यद्यपि वर्तमान में पतली फिल्म वाले सोलर मॉड्यूल  उपलब्ध  हैं किन्तु 
  • यह एक फैला हुआ स्रोत है ,जो कि एक बड़े क्षेत्र पर समान ऊर्जा को प्रभावी तरीके से एकत्र करना कठिन होता है।
  • हमें सौर ऊर्जा को बिजली जैसे एक उपयोगी रूप में बदलने के लिए विशेष उपकरणों की जरूरत है।  एक सौर प्रणाली डीसी करेंट प्रदान करती है जिसे हमें एसी करेंट में बदलना होगा ताकि हम अपने सामान्य उपकरणों को चला सकें।
  •  जहां सौर ऊर्जा अपने आप में प्रदूषण पैदा नहीं करती है, वहीं सौर उपकरणों, भंडारण बैटरियों सहित, का विनिर्माण और निस्तारण पर्यावरण अनुकूल नहीं होता है।

सौर ऊर्जा क्या है 

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में होने वाले सभी शोध कार्यों का लक्ष्य रूपांतरण और भंडारण के लागत प्रभाव और गैर-प्रदूषणकारी तरीकों को खोजना है।

 सौर अनुसंधान और विकास पर निवेश बढ़ता जा रहा है और इसके परिणाम स्पष्ट हैं। सौर ऊर्जा का मूल्य कई वर्षों से धीरे-धीरे नीचे गिर रहा है। जहां जीवाश्म ईंधन आवश्यक वस्तुएं हैं, वहीं सौर ऊर्जा तकनीक पर निर्भर करती है जो कि समय के साथ-साथ और भी प्रभावी बनायी जा सकती है।

 जैसे-जैसे पीवी सेल की कीमत कम होगी और बैटरियां अधिक प्रभावी बनायी जायेंगी, वैसे-वैसे सौर ऊर्जा परम्परागत ऊर्जा के साथ प्रतिस्पर्धा करने लगेगी।

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