सुंदरकांड का पाठ कितने दिन करना चाहिए - sundarakaand ka paath kitane din karana chaahie

सुंदरकांड का पाठ करने से पहले भक्त स्नान करके स्वच्‍छ वस्त्र धारण करें।  |  तस्वीर साभार: TOI Archives

नई दिल्ली:  किसी भी हफ्ते का तीसरा दिन मंगलवार होता है इस दिन महाबली हनुमान की पूजा का विधान है। बल, बुद्धि, विद्या के दाता हनुमान जी की पूजा से से व्यक्ति जीवन के हर संकट से मुक्ति पा लेता है। सभी देवों में हनुमान जी को ही इस धरती पर जीवित देवों में माना गया है जो कि पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस कलियुग में धरती पर विचरण करते हैं। मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करने की परंपरा है। यह भी कहा जाता है कि चालीस सप्ताह तक लगातार जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक सुंदरकांड का पाठ करता है तो उसके सारे मनोरथ पूर्ण होते है। उसके जीवन के हर कष्ट दूर हो जाते हैं।

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सुंदरकांड का पाठ क्यों?
हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए विधिवत और सही नियमो के साथ हनुमानजी के सुन्दरकाण्ड का पाठ आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए । इस पाठ को एक बार पूर्ण करने में 2 से 3 घंटे का समय लगता है। पाठ करते समय शांति से और पूर्ण ध्यान के साथ यह पाठन करे । पाठ मंगलवार और शनिवार को करना अधिक कृपा देने वाला है और फलदायक हैं ।अच्छी तरह सुन्दरकाण्ड पाठ विधि के नियमो से यह धार्मिक पाठ करे। जिनके पास पूरा पाठ करने का समय नहीं हो वह 11 चौपाइयों का पाठ भी रोजाना कर सकते हैं।

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सुंदरकांड पाठ की अनंत महिमा
शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है। किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियां हो, कोई काम नहीं बन पा रहा हो या फिर आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं।

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माना जाता है कि सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। सुंदरकांड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का है। यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला पाठ हैं। 

सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है। हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है।  बजरंगबली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गए हैं और इन्हीं उपायों में से एक उपाय सुंदरकांड का पाठ करना है। हनुमानजी को जल्द प्रसन्न करने के लिए सुंदरकांड का पाठ किया जाता है और इस पाठ को करने वाले व्यक्त‍ि के जीवन में खुशि‍यों का संचार होने लगता है।

1. सुंदरकाण्ड एकमात्र ऐसा अध्याय है, जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का काण्ड है। सुंदरकाण्ड का पाठ सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। किसी भी प्रकार की परेशानी या संकट हो, सुंदरकाण्ड के पाठ से यह संकट तुरंत ही दूर हो जाता है।

2. हनुमानजी के सुंदर काण्ड का पाठ सप्ताह में एक बार जरूर करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र, ज्योतिष के अनुसार भी विषम परिस्थितियों सुंदरकांड पाठ करने की सलाह दी जाती है। साप्ताहिक पाठ करने से गृहकलेश दूर होता है और परिवार में खुशियां बढ़ती हैं। 40 सप्ताह तक सुंदरकाण्ड का पाठ करने से जीवन में आता है खूबसूरत बदलाव।

3. विद्वान लोग मानते हैं कि वैसे तो सुंदरकांड का पाठ एक बार में ही करें तो ज्यादा अच्छा है परंतु यदि आप इसे एक बार में करने में सक्षम नहीं हैं तो रुक रुक कर एक ही समय करें। इसमें किसी भी प्रकार का अंतराल नहीं होना चाहिए।

4. सुंदरकांड का नियमित पाठ करने से कर्ज और रोग से छुटकारा मिलता है। हनुमानजी की भक्ति करने और नियमित सुंदरकाण्ड का पाठ करने से व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता से आगे बढ़ता है।

5. सुंदरकांड के पाठ की शुरुआत मंगलवार या शनिवार के दिन से ही करें। इसमें स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। हनुमानजी के साथ सीता-राम की मूर्तियों की पूजा करने के बाद पाठ की शुरुआत करें। हनुमानजी की पूजा फल-फूल, मिठाई और सिंदूर से करें। सुंदरकांड का पाठ शुरू करने से पहले गणेश वंदना जरूर कर लें।

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इसे सुनेंरोकेंहनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए विधिवत और सही नियमो के साथ हनुमानजी के सुन्दरकाण्ड का पाठ आस्था और विश्वास के साथ करना चाहिए । इस पाठ को एक बार पूर्ण करने में 2 से 3 घंटे का समय लगता है। पाठ करते समय शांति से और पूर्ण ध्यान के साथ यह पाठन करे । पाठ मंगलवार और शनिवार को करना अधिक कृपा देने वाला है और फलदायक हैं ।

सुंदरकांड का सुंदरकांड क्यों कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंसुंदर पर्वत पर ही सबसे प्रमुख घटना घटित होने के कारण इसका नाम सुंदरकाण्ड रखा गया। सुन्दर पर्वत पर ही अशोक वाटिका थी इसी अशोक वाटिका में ही हनुमानजी और सीताजी का मिलन हुआ था इसीलिए इस काण्ड का नाम सुन्दरकाण्ड रखा गया। कहते हैं कि यहां की घटनाओं में हनुमानजी ने एक विशेष शैली अपनाई थी।

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सुंदरकांड का पाठ कितने बजे करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंअगर आप भी सुंदरकांड का पाठ समूह में करवाना चाहते है. या समूह में करते हैं. तो शाम को 7 बजे के बाद समूह में सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए. सुंदरकांड का पाठ शनिवार, मंगलवार, पूर्णिमा या अमावस्या के दिन करना श्रेष्ठ माना जाता हैं.

प्रतिदिन सुंदरकांड पढ़ने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंसुंदरकांड का महत्व भगवान हनुमान जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं। ये बल, बुद्धि और कृपा प्रदान करने वाले माने जाते हैं। सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं। जो भी जातक प्रतिदिन सुंदरकांड का पाठ करता है उसकी एकाग्रता और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

सुन्दरकाण्ड का मतलब क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंसुन्दरकाण्ड रामचरित मानस के सात कांडों में से एक काण्ड है. इसमें हनुमान जी द्वारा सीता की खोज और राक्षसों के संहार का वर्णन किया गया है. इसमें दोहे और चौपाइयां विशेष छंद में लिखी गयी हैं.

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सुन्दरकाण्ड का अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसुंदरकांड Meaning in Hindi – सुंदरकांड का मतलब हिंदी में सुंदरकांड – संज्ञा पुलिंग [संस्कृत सुन्दरकाण्ड] 1. रामायण के पाँचवें कांड का नाम जो लंका के सुंदर पर्वत के नाम पर रखा गया है । 2. सूंदर सुडौल कांड या पर्व (को कहते हैं) ।

सुंदरकांड करने की विधि क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसुंदरकांड पाठ करने का सही तरीका -सुंदरकांड का पाठ शुरू करने से पहले स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। -सुंदरकांड का पाठ करने से पहले पूजा स्थल पर रखी हनुमानजी की मूर्ति की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। साथ ही सीता-राम की मूर्तियां भी हनुमान जी पास रखें। – हनुमानजी की पूजा फल-फूल, मिठाई और सिंदूर से करें।

सुंदरकांड कितने दिन का होता है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ आप 11, 21, 31, 41 दिन तक कर सकते हैं। सुंदरकांड का पाठ करने के लिए सबसे पहले हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें। ध्यान रहे कि हनुमान जी की प्रतिमा ऐसी होनी चाहिए, जिसमें प्रभु श्री राम, माता सीता व लक्ष्मण की तस्वीर हो।

रोज सुंदरकांड का पाठ कैसे करें?

जानें सुंदरकांड पाठ करने का सही तरीका -सुंदरकांड का पाठ शुरू करने से पहले स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. -सुंदरकांड का पाठ करने से पहले पूजा स्थल पर रखी हनुमानजी की मूर्ति की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए. साथ ही सीता-राम की मूर्तियां भी हनुमान जी पास जरूर रखें. -हनुमानजी की पूजा फल-फूल, मिठाई और सिंदूर से करें.

सुंदरकांड का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

सुंदरकाण्ड का पाठ सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। किसी भी प्रकार की परेशानी या संकट हो, सुंदरकाण्ड के पाठ से यह संकट तुरंत ही दूर हो जाता है। 2. हनुमानजी के सुंदर काण्ड का पाठ सप्ताह में एक बार जरूर करना चाहिए

सुंदरकांड पाठ करने का सही समय क्या है?

यदि आप अकेले सुंदरकांड का पाठ करना चाहते हैं तो प्रात:कालीन समय, ब्रह्म मुहूर्त में 4 से 6 बजे के बीच किया जाना चाहिए। यदि आप समूह के साथ सुंदरकांड का पाठ कर रहे हैं तो शाम को 7 बजे के बाद किया जा सकता है। सुंदरकांड का पाठ मंगलवार, शनिवार, पूर्णिमा और अमावस्या को करना श्रेष्ठ रहता है।

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