सड़क पर दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण क्या है? - sadak par durghatanaon ka sabase bada kaaran kya hai?

मुझे नहीं पता कि ऐसा क्यों है (डीपीआर में खराबी) और इसके पीछे क्या कारण हैं। राज्य सरकारों को भी इसकी मंजूरी से पहले काफी सक्रियता दिखाने की जरूरत है।

नितिन गडकरी, केंद्रीय परिवहन मंत्री


नितिन गडकरी ने इसके साथ ही किसी बिजनेस को शुरू करने के पीछे नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट को लेकर आने वाली परेशानी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यदि आज आप मुंबई में एक होटल बनाना चाहते हैं, तो आपको 40-50 अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC)चाहिए। प्रधानमंत्री की ओर से इसको आसान बनाए जाने पर जोर दिया जा रहा है लेकिन यह मुद्दा राज्य सरकारों के अधीन आता है। केंद्र की भूमिका बहुत अधिक नहीं है।

उन्होंने कहा कि मैंने शहरी विकास विभाग को सुझाव दिया है कि आर्किटेक्ट को खुद परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिए शक्ति दें। यदि प्रोजेक्ट मानदंडों के अनुसार नहीं हैं, तो आर्किटेक्ट को इस पर और अधिक प्रयोग करने की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए।

सरकार की ओर से पिछले दिनों संसद में यह जानकारी दी गई कि देश में वर्ष 2017 से 2020 के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में 4.46 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में यह जानकारी दी थी। दी गई जानकारी के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में वर्ष 2017 में 1,47,913 लोगों की मौत हुई। इसी तरह वर्ष 2018 में 1,51,417, वर्ष 2019 में 1,51,113 और 2020 में 1,31,714 लोगों की मौत हुई।

सड़क पर यातायात नियमों को तोड़ना किसी भी तरह से सही नहीं है। लेकिन, नियमों को ताक पर रखकर अधिक रफ्तार में गाड़ी चलाना सबसे अधिक जानलेवा साबित हो रहा है

सड़क पर यातायात नियमों को तोड़ना किसी भी तरह से सही नहीं है। लेकिन, नियमों को ताक पर रखकर अधिक रफ्तार में गाड़ी चलाना सबसे अधिक जानलेवा साबित हो रहा है। वर्ष 2018 में सड़क दुर्घटनाओं में 64 प्रतिशत मौतें अधिक रफ्तार में गाड़ी चलाने के कारण हुई हैं।

वर्ष 2018 में सड़क दुर्घटनाओं पर आधारित सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल भारत में कुल 4.67 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें गाड़ियों की तेज रफ्तार 3.11 लाख हादसों का कारण बनकर उभरी है। तेज रफ्तार के कारण हुए सड़क हादसों में बीते वर्ष 97,588 लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी थी।

वर्ष 2018 में यातायात नियमों के उल्लंघन से सड़क दुर्घटनाओं में हुई मौतों के ये आंकड़े राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस विभाग से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा लोकसभा में बृहस्पतिवार को एक प्रश्न के उत्तर में इन आंकड़ों को पेश किया गया है।

गलत दिशा में गाड़ी चलाने के दौरान दुर्घटनाओं में 5.8 प्रतिशत मौतें होती हैं। वहीं, सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 2.8 प्रतिशत मौतें शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले लोगों की हुई हैं। ड्राइविंग करते समय मोबाइल फोन का उपयोग भी सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण बनकर उभर रहा है। पिछले वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में 2.4 प्रतिशत मौतों का कारण गाड़ी चलाते हुए मोबाइल फोन के उपयोग को माना गया है।

नई दिल्ली स्थित सीएसआईआर-सड़क अनुसंधान संस्थान में ट्रैफिक इंजीनियरिंग ऐंड सेफ्टी डिविजन के प्रमुख सुभाष चंद ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “निर्धारित सीमा से अधिक गाड़ियों की रफ्तार सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण हैं। हालांकि, गाड़ियों की अधिक रफ्तार के आंकड़े मूल रूप से पुलिस एफआईआर पर केंद्रित होते हैं, जिसे प्रायः प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के आधार पर दर्ज किया जाता है। इसलिए इन आंकड़ों को पूरी तरह सही नहीं कहा जा सकता।”

उन्होंने कहा कि “गाड़ियों की रफ्तार की निगरानी के लिए राष्ट्रीय एवं राज्यों के राजमार्गों पर कैमरे लगाया जाना उपयोगी हो सकता है। ऐसा करने से गाड़ियों की रफ्तार के साथ-साथ यातायात नियमों को तोड़ने वाले लोगों पर नजर रखी जा सकेगी। दिल्ली, लखनऊ और चेन्नई जैसे शहरों में इस तरह की पहल की जा चुकी है, जिसके सकारात्मक परिणाण देखने को मिले हैं।कुछ समय बादगाजियाबाद में भी सड़कों पर यातायात नियम तोड़ने वालों की निगरानी कैमरोंके जरिये शुरू हो जाएगी।”

करीब 78 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं के लिए आमतौर पर ड्राइवर की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया जाता है। यातायात नियमों के उल्लंघन में सड़क पर चलते हुए लेन तोड़ना, गलत दिशा में गाड़ी चलाना, शराब पीकर या ड्रग्स का सेवन करके ड्राइविंग, मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए गाड़ी चलाना, रेड लाइट नजअंदाज करना और दूसरे मामले शामिल हैं।

सड़क दुर्घटनाओं के लिए कई अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं। इनमें साइकिल सवारों, पैदल यात्रियों और दूसरे वाहन चालकों की गलती (7.1 प्रतिशत), सार्वजनिक निकायों की लापरवाही (2.8 प्रतिशत), गाड़ियों की बनावट संबंधी खामियां (2.3 प्रतिशत) और खराब मौसम (1.7 प्रतिशत) शामिल हैं।

सड़क दुर्घटनाओं में जख्मी होने के मामले वर्ष 2018 में भारत में होने वाली मौतों का आठवां सबसे बड़ा कारक बनकर उभरे हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर दिन होने वाले औसतन 1,280 सड़क हादसों में करीब 415 लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ती है। वर्ष 2018 में 1.5 लाख से अधिक लोगों को सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गवांनी पड़ी थी। यह संख्या वर्ष 2017 के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में हुई करीब 1.48 लाख मौतों की तुलना में 2.4 प्रतिशत अधिक है।

राज्यों के स्तर देखें तो सबसे अधिक 13.7 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं तमिलनाडु में होती हैं। मध्य प्रदेश मे 11 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 9.1 प्रतिशत सड़क हादसे होते हैं। हालांकि, सड़क हादसों में सर्वाधिक 22 हजार से अधिक मौतें उत्तर प्रदेश में होती हैं। इसके बाद महाराष्ट्र में 13,261 और तमिलनाडु में 12,216 मौतों के लिए सड़क दुर्घटनाओं को जिम्मेदार पाया गया है।

हेलमेट न पहनना या फिर सीट बेल्ट न लगाना दुर्घटनाओं का कारण भले ही न हो, पर गंभीर चोटों से बचाव में इनकी भूमिका अहम होती है। पिछले साल सड़क दुर्घटनाओं में हुई कुल मौतों में करीब 28.8 प्रतिशत मौतें हेलमेट न पहनने के कारण हुई हैं। जबकि, सड़क हादसों में होने वाली 16.1 प्रतिशत मौतों के लिए सीट बेल्ट न लगाने को जिम्मेदार पाया गया है।(इंडिया साइंस वायर)

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सड़क दुर्घटनाओं का मूल कारण क्या है?

अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं लापरवाही के कारण होती हैं। यह लापरवाही दुर्घटना के शिकार वाहन चालक या आसपास से गुजर रहे वाहनों के चालकों में से किसी की भी हो सकती है। हादसे सड़कों की खराब डिजाइन और यातायात नियमों की अनदेखी के कारण भी होते हैं।

दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण क्या है?

Solution : सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं <br>(i) लोगों का सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक न होना। <br>(ii) वाहन चालकों का सडक पर लगे यातायात के चिह्नों पर ध्यान न देना। <br>(iii) पैदल चलने वालों द्वारा भूमिगत तथा पैदल पारपथ का उपयोग न करना।

सड़क दुर्घटनाओं का जिम्मेदार कौन है?

सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का एक बड़ा हिस्सा पैदल चलने वाले लोगों का है। छत्रपति ऐसे लोग हैं जिनकी पैदल चलने के कारण सड़क दुर्घटना में मौत हुई। जबकि 37 फीसद दुपहिया वाहन तथा 16 फीसद चार पहिया वाहन से चलने वाले यात्री की मौत का कारण सड़क दुर्घटना है।

भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण प्रतिवर्ष लगभग कितने लोगों की मृत्यु होती है?

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2020 में, COVID-19 लॉकडाउन के वर्ष, देश में 3.54 लाख सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 1.33 लाख लोगों की मौत हुई, जबकि अन्य 3.35 लाख घायल हुए थे। वहीं 2019 में, 4.37 लाख सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 1.54 लाख लोग मारे गए, जबकि अन्य 4.39 लाख घायल हुए।

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