स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषता क्या थी? - svatantrata ke samay bhaarateey arthavyavastha kee visheshata kya thee?

स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताए
Features Of Indian economy on the eve of independence

1) गतिहीन अर्थव्यवस्था ( Stagnant Economy

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारतीय अर्थव्यवस्था पूर्ण रुप
से एक गतिहिन अर्थव्यवस्था थी । गतिहीन अर्थव्यवस्था
उस अर्थव्यवस्था को कहते हैं। जिसमे आय मे बहुत कम
या कोई भी वृद्धि नहीं होती है

2) पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था Backward economy

स्वतंतता प्राप्ति के समय भारतीय अर्थव्यवस्था एक पिछड़ी
ही अर्थव्यवस्था थी पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था  जिसमें प्रति व्यक्ति आय बहुत कम होती है

3 औद्योगिक बिछड़ापन (Industrial Backwardness )

छोटे स्तर के उद्योग खत्म हो रहे थे
देश में औद्योगिक की कमी थी

4) अनियंत्रित निर्धनता ( rampant poverty )

जनसंख्या का बड़ा भाग बहुत टेंशन था लोग एक दिन में दो वक्त का भोजन भी प्राप्त नहीं कर पाते थे उनके पास निवास और वस्त्रों का अभाव था यह सब बेरोजगारी और अशिक्षा के कारण था

5) आधारिक संरचना का कम विकास ( poor infrastructure )

उस समय संरचनात्मक विकास बहुत ही कम था संचार परिवहन के साधन, बिजली/ ऊर्जा का उत्पादन शामिल है

6) आयात पर भारी निर्भरता ( heavy dependence on imports )

देश को मशीनरी और उत्पादन के अन्य उपकरणों के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता था

7) सीमित शहरीकरण ( limited urbanisation )

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत की अधिकांश जनसंख्या गांव में रहती थी सन 1948 में केवल 14% जनसंख्या शहरों में रहती थी जबकि 86% गांव में रहती थी

स्वतत्रता के समय कृषि क्षेत्र
Agricultural Sector on the Eve of Independence

1) अनिश्चितता की अधिक मात्रा- High Degree of uncertainty

कृषि मे अधिक मात्रा में अनिश्चिता पाई जाती थी क्योंकि इसकी वर्षा पर निर्भरता बहुत अधिक थी अच्छी वर्षा का अर्थ था अच्छा उत्पादन तथा कम वर्षा का अर्थ था बहुत कम उत्पादन

2) निर्वाह खेती का प्रभुत्व ( dominance of substance farming )

कृषि को अधिकतर निर्वाह के साधन के रूप में लिया जाता था निर्वाह खेती, खेती का वह रूप है जिसमें फसलों का उत्पादन परिवार की मूल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है

3) भूमि के स्वामी तथा उसे जोतने वाले किसानों के बीच खाई 

( Girls between owners of the soil and tillers of the soil )
ब्रिटिश शासन के दौरान कृषि की एक विशेषता यह भी थी कि ' भूमि के स्वामी ' तथा ' भूमि को जोतने वाले किसानों 'के बीच खाई थी भूमि के स्वामी फसल के हिस्सेदार तो थे किंतु उत्पादन की लागत में उनका कोई ऐसा नहीं होता था
भूमि पर खेती करने वाले किसानों को जो पारिश्रमिक प्राप्त होता था उसे वह केवल अपना निर्वाह कठिन  से ही कर पाते थे

स्वतंत्रता के समय औद्योगिक क्षेत्र

हस्तशिल्प का पतन
ब्रिटिश शासन से पहले, भारत का हस्तशिल्प उद्योग
अपनी गुणवत्ता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध था
ब्रिटिश शासन के कारण इस उद्योग का पतन हो गया
ऐसा ब्रिटिश सरकार के नीतियों के कारण हुआ
राज्य की विभेदमूलक प्रशुल्क नीति
इस नीति के अंतर्गत :-
बिना निर्यात शुल्क के भारत से कच्चे माल का निर्यात किया गया
बिना आयात शुल्क के ब्रिटिश औद्योगिक उत्पाद का भारत में आयात किया गया

हस्तशिल्प का पतन

ब्रिटिश शासन से पहले, भारत का हस्तशिल्प उद्योग
अपनी गुणवत्ता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध था
ब्रिटिश शासन के कारण इस उद्योग का पतन हो गया
ऐसा ब्रिटिश सरकार के नीतियों के कारण हुआ
राज्य की विभेदमूलक प्रशुल्क नीति
इस नीति के अंतर्गत :-
बिना निर्यात शुल्क के भारत से कच्चे माल का निर्यात किया गया
बिना आयात शुल्क के ब्रिटिश औद्योगिक उत्पाद का भारत में आयात किया गया
भारतीय हस्तशिल्प उत्पाद के निर्यात पर भारी शुल्क लगाए गए
ब्रिटिश वस्तुओं की मात्रा भारतीय बाजार में अधिक बढ़ गई, भारतीय हस्तशिल्प वस्तुओं की बिक्री कम होने लगी 
इसका परिणाम
भारत में हस्तशिल्प का पतन हो गया

1) राजदरबारों का लोप होना

ब्रिटिश शासन से पहले देश के अलग-अलग भागों में नवाबों, राजाओ, शहंशाहों का राज था वह भारतीय हस्तशिल्प को संरक्षण प्रदान करते थे जिसके कारण भारतीय हस्तशिल्प को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई।
ब्रिटिश शासन का आरंभ देसी राज दरबारों का अंत था फलस्वरुप हस्तशिल्प का पतन होने लगा

2) भारत में रेलवे का आगमन
भारत में रेलवे के आने से निम्न लागत वाली ब्रिटिश वस्तुओं के बाजार का आकार बढ़ने लगा तथा उच्च लागत वाली भारतीय वस्तुओं का बाजार सिकुड़ने लगा परिणामस्वरूप हस्तशिल्प का पतन हो गया

3) मशीनों द्वारा निर्मित वस्तुओं से प्रतियोगिता

मशीनों द्वारा निर्मित ब्रिटेन की वस्तुओं की उत्पादन लागत बहुत कम होती थी
भारत में बनी हस्तशिल्प की वस्तुएं उनकी प्रतियोगिता के सामने टिक न सकी
मशीनों द्वारा निर्मित वस्तुओं की गुणवत्ता भारतीय हस्तशिल्प वस्तुओं की तुलना में बहुत अधिक थी

ब्रिटिश शासन के दौरान जनांकिकीय रूपरेखा 

1) जन्म दर तथा मृत्यु दर

जन्म दर तथा मृत्यु दर दोनों ही बहुत ऊंचे थे लगभग 48 तथा 40 प्रति हजार थे
उच्च जन्म दर तथा उच्च मृत्यु दर की अवस्था देश में पाई जाने वाली व्यापक निर्धनता की अवस्था को बताती है

2) शिशु मृत्यु 

शिशु मृत्यु दर से अभिप्राय 1 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों की मृत्यु दर
यह भी बहुत ऊंची थी यह लगभग 218 प्रति हजार थी वर्तमान में यह 34000 है
उच्च शिशु मृत्यु दर अत्याधिक निर्धनता से संबंधित है और कम विकसित स्वास्थ्य सेवाओं की ओर इशारा करती है

3) जीवन प्रत्याशा

जीवन प्रत्याशा से अभिप्राय एक व्यक्ति की औसत जीवन अवधि
उस समय केवल 32 वर्ष होती थी
वर्तमान में यह बढ़कर 68 वर्ष हो गई है
निम्न जीवन प्रत्याशा स्वास्थ्य सुधार सुविधा के अभाव जागरूकता के अभाव को व्यक्त करती है

4) साक्षरता दर

साक्षरता दर से अभिप्राय वे लोग जो लिख तथा पढ़ सकते हैं
उस समय यह लगभग 16% थी यह भी सामाजिक तथा आर्थिक पिछड़ेपन की निशानी है स्त्री साक्षरता केवल 7% थी
यह समाज में पाए जाने वाले लिंग भेद का सूचक है

क्या भारत में ब्रिटिश शासन का कोई सकारात्मक प्रभाव भी था

निश्चित रूप से नहीं
विषय/ विवाद

1) रोजगार के नए अवसर

रेलवे तथा सड़कों के विस्तार ने आर्थिक तथा सामाजिक विकास के कई नए अवसर प्रदान किए 

2) अकाल पर नियंत्रण

यातायात के साधनों के विस्तार से सूखाग्रस्त, क्षेत्रों को शीघ्रता से खाद सामग्री पहुंचाई जाने लगी, अकाल नियंत्रित हो गए।

3) विनिमय की मौद्रिक प्रणाली

भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन यह हुआ कि वस्तु विनिमय प्रणाली का स्थान मुद्रा विनिमय प्रणाली ने ले लिया
इस कारण बड़े पैमाने के उत्पादन को सुविधाजनक बना दिया

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स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था की क्या विशेषता थी?

औपनिवेशिक शासन का मुख्य उद्देश्य इंग्लैंड में तेज़ी से विकसित हो रहे औद्योगिक आधार के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को केवल एक कच्चा माल प्रदायक तक ही सीमित रखना था। उस शासन की अधीनता के शोषक स्वरूप को समझे बिना स्वतंत्रता के बाद के पिछले छह दशकों में, भारत में हुए विकास का सही मूल्यांकन कर पाना संभव नहीं ।

भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषता कौन थी?

प्रस्तावना 2.1 महाभारत की चक्रव्यूह गाथा में जिक्र है- प्रवेश की योग्यता किंतु उससे बाहर निकलने की योग्यता न होने का, जिसके गंभीर परिणाम हुए। यह 21वीं शती में भारतीय अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली के लिए उपयुक्त दृष्टांत हो सकता है, जो आर्थिक नीति निर्माण के कई दशकों की विरासत है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादी विशेषताएं कितनी है?

जो विकास के क्षेत्र में चलायमान हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र में वृद्धि औद्योगिक विकास, बैकिंग सुविधाओं का विकास प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, बचत एवं पूँजी-निर्माण में वृद्धि व नवीन उद्योगों की स्थापना, आदि नवीन विशेषताएँ है।

स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

परिणामस्वरूप भारत कच्चे उत्पाद जैसे रेशम, कपास, ऊन, चीनी, नील और पटसन आदि का नियार्तक होकर रह गया। साथ ही यह सूती, रेशमी, ऊनी वस्त्रों जैसी अंतिम उपभोक्ता वस्तुओं और इंग्लैंड के कारखानों में बनी हल्की मशीनों आदि का आयातक भी हो गया।

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