जानिए हिमाचल की स्थानीय भाषाएं व प्रमुख बोलियां तथा पहाड़ी भाषा के अस्तित्व को क्यूं है खतरा?
हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या 68 लाख से ज्यादा है।
हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा का सम्मान प्राप्त है तथा अंग्रेजी भाषा को अतिरिक्त आधिकारिक भाषा के रूप में जाना जाता है। अंग्रेज भाषाविद्वान G.A Grierson ने हिमाचली भाषाओं का पश्चिमी पहाड़ी भाषाओं के रूप में सर्वेक्षण किया पहाड़ी भाषा का अपभ्रश शौरसैनी है। पहाड़ी भाषा की लिपि टांकरी है। हिमाचल में 88.77% लोग( हिंदी पहाड़ी) बोलते हैं और 5.83% लोग पंजाबी बोलते हैं। पहाड़ी भाषा बोलने वालों की संख्या कम होती जा रही है तथा हम इस पर चर्चा करेंगे पर आइए पहले जानते है कि हर जिले में कौन सी तरह की पहाड़ी बोली जाती है।
चंबा
चंबा जिले में चंम्बयाली बोली जाती है। चंबा जिले में स्थानीय बोलियां भी बोली जाती हैं जिनमें भटियाली , चुराही, पंगवाली और भरमौरी है।
बिलासपुर
बिलासपुर जिले में मुख्य भाषा कहलूरी बोली जाती है। कहलूरी को बिलासपुरी भाषा भी कहा जाता है।
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सिरमौर
सिरमौर जिले में सिरमौरी बोली जाती हैं। यहां की प्रमुख स्थानीय बोलियां बिशवाई और धारटी है।
मंडी
मंडी जिले में मण्डयाली, सरघाटी,सुकेती और बालडी बोली जाती है। यह बोलियां सुंदरनगर मंडी बल्ह और सरकाघाट के क्षेत्रों में बोली जाती है।
कांगड़ा
कांगड़ा जिले में कांगड़ी बोली जाती हैं। यहां की स्थानीय बोलियां पालमपुर और शिवालिक बोलियां हैं।
कुल्लू
कुल्लू की स्थानीय भाषा सीराजी और सैजी है। कुल्लू जिले में कुल्लवी बोली जाती हैं।
ऊना और हमीरपुर इन जिलो मे कांगड़ी भाषा बोली जाती है।
Sujanpur Townकिन्नौर
किन्नौर जिले मे किन्नौरी बोली जाती है।इसकी प्रमुख बोलियां छितकुली, होमस्कंद, शुम्को और सुनामी है।
सोलन
सोलन मे महासुवी उपभाषा बोली जाती है। यहां की स्थानीय बोलियां भगाटी, हांडूरी और क्योंथली है।
लाहौल–स्पीति
लाहौल मे लाहौली बोली जाती है। गेहरी, गारा , चागसा रंगलोई, मनचाटी यहां की प्रमुख बोलियां है। स्पीति मे तिब्बती बोली जाती है।
आज के समय में कम लोग ही पहाड़ी भाषा का प्रयोग करते हैं। एक धारणा यह भी बन गई है कि पहाड़ी भाषा बोलने वाले पिछड़े हुए हैं। दूसरी बात यह है कि हिमाचल में पहाड़ी को बढ़ावा देने के माध्यम सिमित है। अब जाकर “सांझ” नामक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की फिल्म बनाई गई है। हिंदी तथा अंग्रेजी भाषा का प्रयोग आमतोर हर जगह पर होता है। पहाड़ी भाषा को लुप्त होने से बचाने के लिए हमें खुद ही प्रयास करने होंगे।
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1 भाषा को बनने में कम से कम 1000 साल लगते हैं।
हमारे पूर्वजों की इस धरोहर को हमें ऐसे गंवानी नहीं चाहिएं। हमारा आपसे निवेदन है कि अपने घर में पहाड़ी भाषा का प्रयोग करें तथा बच्चों को सिखाया भी करें। हिमाचल प्रदेश को पहाड़ी राज्य कहा जाता है तो अगर पहाड़ी भाषा ही लुप्त हो गई तब हम अपनी पहचान और संस्कृति खो देंगे।
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शिमला में कौन सी बोली बोली जाती है?
शिमला Shimla | |
• महानगर | 1,71,640 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी, पहाड़ी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |