लू से बचने के लिए जितना हो सके तरल पदार्थ का सेवन करें.
लू तब लगती है, जब हवा में इतनी गर्मी आ जाती है कि व्यक्ति का बॉडी टेम्परेचर बढ़ जाता है. लू से बचने के लिए जरूरी है खूब तरल पदार्थों का सेवन करना. एक्सपर्ट से जानें, लू लगने पर कैसे नजर आते हैं लक्षण और बचाव के उपाय.
- News18Hindi
- Last Updated : April 19, 2022, 14:25 IST
गर्मी के मौसम में अक्सर लोग लू लगने से परेशान रहते हैं. यह एक कॉमन समस्या है, लेकिन समय पर इलाज भी जरूरी है. गर्मी में शुष्क और बेहद गर्म हवा चलने को लू (Loo) कहा जाता है. अप्रैल से लेकर जून के महीने में यह समस्या अधिक होती है, क्योंकि इन तीन महीनों में ही पारा बहुत हाई होता है और बेहद गर्म और ड्राई हवाएं बहती हैं. पारस हॉस्पिटल (गुरुग्राम) के सीनियर कंसल्टेंट-इंटरनल मेडिसिन डॉ. संजय गुप्ता कहते हैं कि लू तब लगती है, जब तापमान बहुत अधिक होता है. जब कोई व्यक्ति गर्म हवा और धूप में देर तक रहता है, उसका चेहरा और सिर देर तक धूप और गर्म हवा के संपर्क में आता है, तो लू (Heat wave) लग जाती है. इससे व्यक्ति के शरीर का तापमान भी बहुत अधिक बढ़ जाता है.
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लू और हीट स्ट्रोक में अंतर
डॉ. संयज गुप्ता कहते हैं कि लू और हीट स्ट्रोक में फर्क होता है. हीट स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है,
जिसमें एक मरीज लगातार अधिक हीट या गर्मी में रहने से बेहोश या बेसुध हो जाता है. लू तब लगती है, जब हवा में इतनी गर्मी आ जाती है कि व्यक्ति का बॉडी टेम्परेचर बढ़ जाता है, लेकिन इसमें हीट स्ट्रोक की तरह मरीज को बेहोशी या चक्कर आने जैसी समस्या नहीं होती है. लू लगने में शरीर का तापमान कम से कम 102 डिग्री से ऊपर हो जाता है.
लू लगने के लक्षण क्या होते हैं
यदि किसी व्यक्ति को लू लग गई है, तो वह डिहाइड्रेशन का शिकार हो सकता है, उसके शरीर में पानी की कमी हो जाएगी. शरीर का तापमान
लगभग 101 या 102 डिग्री से ऊपर होगा और उसे बार-बार प्यास लगेगी. युवाओं की तुलना में बच्चों और बुजुर्गों को लू लगने की संभावना बहुत अधिक होती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि इनके हीट का रेगुलेटरी मेकैनिज्म जल्द ही डिसअरेंज में चला जाता है. ऐसे में बुजुर्ग या बच्चे बहुत देर तक गर्मी में रहेंगे, तो लू लगने या हीट स्ट्रोक होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है.
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लू से बचाव के उपाय
डॉ. संजय कहते हैं, जब भी आप घर से बाहर जाएं खुद को हाइड्रेटेड रखें. अपने साथ पानी का बोतल और छाता जरूर लेकर चलें. बहुत देर तक बाहर धूप और गर्म हवा में घूमने से बचें. जितनी देर आप गर्म हवा में खुद को एक्सपोज रखेंगे, लू लगने की
संभावना उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती है. शरीर के संपर्क में गर्म हवा जितनी अधिक आएगी, उतनी ही जल्दी आप लू के शिकार होंगे.
डॉ. आगे बताते हैं कि कार में जो लोग बाहर जाते हैं, उन्हें लू जल्दी नहीं लगती है. बाइक, साइकिल पर चलने वाले, ठेले पर सामान बेचने वाले, मजदूरी करने वालों को लू सबसे अधिक लगती है. ऐसे में संभव हो तो इन्हें सुबह के समय अपना काम करना चाहिए. साढ़े ग्यारह बजे से लेकर शाम 4 बजे के बीच धूप में ज्यादा देर ना रहें. मजबूरी है रहना, तो अपने ठेले के ऊपर या जहां भी बाहर काम कर रहे हैं, वहां छाता या कवर लगा लें.
खुद को हाइड्रेट रखने के लिए ठंडी शिकंजी, ओआरएस, पानी, नारियल पानी जैसे तरल पदार्थ का सेवन जरूर करें. ताजे फल जैसे तरबूज, खरबूजा, खीरा, पपीता, संतरा, नारियल पानी का सेवन करें. दोपहर के समय धूप और गर्म हवा तेज होती है, इस समय बेफिजूल घर से बाहर जाने से बचें. जो लोग कार से चलते हैं, वो पार्क की गई गाड़ी का शीशा थोड़ा सा खोलकर रखें. प्रॉपर वेंटिलेशन होने के बाद ही कार में ऐसी ऑन करें, क्योंकि बंद कार में गर्मी, तपिश बहुत होती है. अचानक कार में बैठते ही ऐसी ऑन करने से भी हीट स्ट्रोक, लू लग सकती है.
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FIRST PUBLISHED : April 19, 2022, 14:25 IST
लू लगना, आतप ज्वर, ऊष्मा-मूर्छा (हीट स्ट्रोक या सन स्ट्रोक) शरीर की वह रुग्ण अवस्था है जिसमें गरमी के कारण शरीर का तापमान 40.0 डिग्री सेल्सियस (104.0 डिग्री फारेनहाइट) के पास पहुँच जाता है और मन में उलझन की स्थ्ति रहती है। इसके अन्य लक्षण ये हैं- लाल, शुष्क त्वचा, सिरदर्द, चक्कर आना आदि। यह स्थिति एकाएक आ सकती है या धीरे-धीरे। इस समस्या की जटिल अवस्था होने पर वृक्क तक काम करना बन्द कर सकता है।
गर्मी और गर्म हवाएं शरीर में अक्सर ऐसा असर डालती हैं, जिस वजह से जानलेवा स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लू लगना भी इन्हीं स्थितियों में से एक है। धूप, गर्मी और गर्म हवा से शरीर को बचाकर ही हम इस स्थिति से बच सकते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि साल-दर-साल लू लगने से मरने वालों के आंकड़े में इजाफा होता ही जा रहा है। इसलिए, खुद को लू से बचाने के लिए लू लगना क्या होता है और इससे संबंधित अन्य सभी जानकारियों के बारे में पता होनी जरूरी है, क्योंकि, इलाज से बेहतर हमेशा बचाव होता है।
यहां बता दें कि लू लगना वो स्थिति है, जो शरीर में गर्मी और बढ़ते तापमान की वजह से उत्पन्न होती है। इस दौरान हमारे शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है। बाहरी तापमान और गर्म हवा की वजह से शरीर ठंडा नहीं हो पाता और शरीर का तापमान 106 डिग्री फेरनहाइट या इससे भी ज्यादा हो जाता है। लू लगने पर अगर तुरंत उपचार न मिले, तो मृत्यु या स्थायी विकलांगता भी हो सकती है।[1]
कारण[संपादित करें]
तापमान के बढ़ने की वजह और गर्म हवाओं की वजह से तो लू लगती ही है, लेकिन इसके कई अन्य कारण भी होते हैं, जैसे चिलचिलाती धूप में निकलना (खासकर 11am से 3pm), शरीर में पानी की कमी, एयरफ्लो का अभाव यानी गर्म व ऐसी जगहों पर काम करना जहां हवा कम हो और भीषण आग के निकट रहना आदि।[2]
संकेत और लक्षण[संपादित करें]
हमारे शरीर में किसी भी तरह की समस्या या परेशानी उत्पन्न होने पर तुरंत हमारी बॉडी संकेत देने लगती है। लू लगने पर शरीर कई तरह के लक्षण दिखाने लगता है, जैसे - बुखार, त्वचा का लाल पड़ना, रूखा होना, गर्म होना, नम होना, नाड़ी का तेज चलना, चक्कर आना, सिरदर्द होना, जी-मिचलाना, घबराहट होना, अधिक पसीना आना और बेहोश होना आदि।
उपचार[संपादित करें]
लू लगने का उपचार इस पर निर्भर करता है कि आपकी स्थिति कैसी है। अगर आपको पानी की कमी की वजह से लू लगी है, तो आपको हाइड्रेट किया जाएगा। इसके अलावा, लू लगने वाले मरीज को आवश्यकतानुसार ड्रिप लगाई जाती है, ऑक्सीजन थेरेपी और थेरेपेटिक कूलिंग दी जाती है। मरीज के शरीर के तापमान को कम करने के लिए बर्फ वाले पानी का पैक और ठंडे पेय पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है। ठंडे पानी की भाप का भी इस्तेमाल किया जाता है।
बचाव[संपादित करें]
लू लगने से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। आप लू से बचने के घरेलू उपाय[3] भी कर सकते हैं, जैसे छाछ, चावल का पानी, नींबू या आम का रस, दाल का सूप का सेवन। इसके अलावा आप हल्के, ढीले और पूरी आस्तिन के कपड़े पहने, सिर को हमेशा टोपी या कपड़े से ढककर रखें, गर्म कमरों में बैठने से बचें और हवादार, छायादार या एयर कंडिशन कमरे में ही रहें। शरीर के बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने के लिए ठंडे पानी से स्नान करें। इस दौरान शराब और कार्बोनेटेड पेय और सूरज की किरणों से बचें।
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ "लू लगना". मूल से 19 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अक्तूबर 2019.
- ↑ "लू लगने के कारण". मूल से 20 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अक्तूबर 2019.
- ↑ "लू लगने का उपचार". मूल से 20 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अक्तूबर 2019.
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- लू लगना (उष्माघात)
- लू लगना : इन बातों का रखें ध्यान
- लू लगना क्या है? लक्षण, कारण और उपचार
- लू लगना क्या है और यह क्यों खतरनाक है?