तंबाकू सेहत के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है, यह सभी जानते हैं। इसे खाने से न केवल कैंसर बल्कि अन्य कई गंभीर बीमारियां आपके शरीर के अंगों को क्षतिग्रस्त कर आपको मौत के घाट उतार सकती हैं। अगर आप या आपके परिवार में कोई भी सदस्य तंबाकू का सेवन करता है, तो इस आदत को छुड़ाना बेहद जरूरी है। जानिए इसके लिए घरेलू कारगर उपाय - > गर्मी में पसीने और दुर्गंध से परेशान? जानिए 10 घरेलू उपाय
1 बारीक सौंफ के साथ मिश्री के दाने मिलाकर धीरे-धीरे चूसें, नरम हो जाने पर चबाकर खा जाएं। लगातार ऐसा करने से कुछ समय बाद आप तंबाकू की लत छोड़ पाएंगे।
2 अजवाइन साफ कर नींबू के रस व काले नमक में दो दिन तक भींगने दें। इसे छांव में सुखाकर रख लें। इसे मुंह में रखकर चूसते रहें।
अगर तंबाकू को चबाकर सेवन कर रहें हैं तो मुंह और गले का कैंसर होता है. लेकिन अगर तंबाकू को सिगरेट, हुक्का या बीड़ी के जरिए लेते हैं तो फेफड़ों का कैंसर, हार्ट की समस्या और गैंगरीन जैसी गंभीर बीमारी हो जाती है
मुंह के कैंसर के बढ़ रहे मरीज
अकसर लोगों को लगता है कि तंबाकू (Tobacco) खाने से सिर्फ मुंह का कैंसर (Mouth cancer) होता है, लेकिन ऐसा नहीं है. तंबाकू का किसी भी प्रकार सेवन करना हार्ट (Heart), फेफड़ों और गैंगरीन (Gangrene) जैसी गंभीर बीमारी का कारण भी बन सकता है. अस्पतालों में ऐसे कई मरीज आते हैं. जिन्हें तंबाकू के कारण हार्ट की बीमारी और फेफड़ों का कैंसर हुआ है. हर साल इस प्रकार के मामले बढ़ते जा रहे हैं.
राजीव गांधी अस्पताल के कैंसर रोग विभाग के डॉक्टर विनीत कुमार ने बताया कि सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि सिगरेट, बीड़ी, गुटखा और हुक्का भी तंबाकू का ही एक प्रकार है. इन सब चीजों के सेवन के अलग -अलग नुकसान है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि तंबाकू का सेवन किस तरह से किया जा रहा है. अगर तंबाकू को चबाकर सेवन कर रहें हैं (गुटखा या पान मसाला) तो मुंह और गले का कैंसर होता है. लेकिन अगर तंबाकू को सिगरेट, हुक्का या बीड़ी के जरिए लेते हैं तो फेफड़ों का कैंसर, हार्ट की समस्या और गैंगरीन जैसी गंभीर बीमारी हो जाती है. अधिकतर मामलों में जब मरीज अस्पताल तक पहुंचता है तो वह चौथी या पांचवी स्टेज में होता है. ऐसें में उसके बचने की संभावना काफी कम रहती है.
स्मोकिंग से हुआ उंगलियों में गैंगरीन
नई दिल्ली स्थित एम्स की डॉक्टर उमा कुमार ने बताया कि अस्पताल में ऐसे कई मरीज आए जो ज्यादा स्मोकिंग (Smoking) करते थे और इससे उन्हें उंगलियों में गैंगरीन हो गया है. डॉ. ने बताया कि युवाओं में हुक्का का काफी क्रेज है. लेकिन वह इसके दुष्प्रभाव से अंजान है. हुक्का पीने से फेफड़ों का कैंसर, अस्थमा की समस्या और सांस से जुड़ी अन्य कई परेशानियां भी हो सकती है. इसके लक्षण को शुरुआत में ही पहचाना जा सकता है. अगर किसी को मुंह में छाले या लाल टक्कते हो रहे हैं तो यह मुंह के कैंसर की शुरुआत हो सकती है.वहीं, लगातार खांसी आना, सांस फूलने की परेशानी हो रही है तो यह फेफड़ों के कैंसर के लक्षण हैं. यह सभी बीमारी तंबाकू का सेवन करने से होती है.
महिलाओं को भी होती है कई समस्याएं
डॉ. ने बताया कि जो महिलाएं तंबाकू का सेवन करती है उन्हें सर्वीकल कैंसर, प्रीमेच्योर मेनोपौज की बीमारी हो सकती है. कई मामलों में टाईप-2 डायबिटीज (Type-2 Diabetes) और आंतों से जुड़ी परेशानी भी हो जाती है.
इस प्रकार कम करें तंबाकू का सेवन
कोशिश करें कि धीरे-धीरे तंबाकू का सेवन कम कर दें
अगर आपका कोई साथी तंबाकू खाने के लिए कह रहा है तो उसको भी इसे छोड़ने के लिए प्रेरित करें.
यदि तंबाकू की तलब लगे तो मुंह में कुछ अन्य चीज़ चबाने के लिए डाल लें जैसे च्विंग गम, टॉफ़ी
तंबाकू छोड़ने के लिए निकोटिन थैरैपी का सहारा ले सकते हैं
अगर बहुत कोशिश के बाद भी इसको नहीं छोड़ पा रहे हैं तो मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह लें
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पुष्पित निकोटियाना टैबैकम | |
जगत: | पादप |
अश्रेणीत: | एन्जियोस्पर्म |
अश्रेणीत: | द्विबीजपत्री |
अश्रेणीत: | ऐस्टरिड्स |
गण: | सोलेनेल्स |
कुल: | सोलेनेसी |
वंश: | निकोटियाना L. |
बहुत सी |
तम्बाकू एक प्रकार के निकोटियाना प्रजाति के पेड़ के पत्तों को सुखा कर नशा करने की वस्तु बनाई जाती है। दरअसल तम्बाकू एक मीठा जहर है, तंबाकू निकोटिया टैबेकम पौधे से प्राप्त किया जाता है। यह एक धीमा जहर की तरह धीरे -धीरे आदमी की जान ले लेता है। सरकार को भी शायद यह पता नहीं कि तम्बाकू से वह जितना राजस्व प्राप्त करती है, उससे ज्यादा तम्बाकू से उत्पन्न रोगों के इलाज पर खर्च किया जाता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि तम्बाकू के सेवन से जीवन शक्ति का ह्रास भी होता है। व्यक्ति को पता चल भी जाता है कि तम्बाकू का सेवन करना हानिकारक है किंतु बाद में लाख छुड़ाने पर भी यह लत नहीं छूटता है और धीरे-धीरे तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति का जीवन शक्ति भी कम होता जाता है और वह अपने आपको एक तरह से विनाश के हवाले कर देता है। तंबाकू खाने से मुंह के कैंसर की बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले तम्बाकू के प्रकार[संपादित करें]
यह सर्वविदित है कि पूरे संसार में तम्बाकू का दुरूपयोग सिगरेट के रूप में किया जाता है। भारत में इसका उपयोग अन्य रूप में भी किया जाता है। जैसे बीड़ी, हुक्का, गुल, गुड़ाकु, जर्दा, किमाम, खैनी, गुटखा आदि के रूप में। तम्बाकू का प्रयोग किसी भी रूप में किया जाए, इससे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता ही है।
भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले तम्बाकू कई प्रकार के होते है:-
धुंआरहित तम्बाकू- तम्बाकू वाला पान
- पान मसाला
- तम्बाकू, सुपारी और बुझे हुए चूने का मिश्रण
- मैनपुरी तम्बाकू
- मावा
- तम्बाकू और बुझा हुआ चूना (खैनी)
- चबाने योग्य तम्बाकू
- सनस
- मिश्री
- गुल
- बज्जर
- गुढ़ाकू
- क्रीमदार तम्बाकू पाउडर
- तम्बाकू युक्त पानी
- बीड़ी
- सिगरेट
- सिगार
- चैरट (एक प्रकार का सिगार)
- चुट्टा
- चुट्टे को उल्टा पीना
- धुमटी
- धुमटी को उल्टा पीना
- पाइप
- हुकली
- चिलम
- हुक़्क़ा
तम्बाकू के दुष्प्रभाव[संपादित करें]
तम्बाकू को जब गुल, गुड़ाकु,पान मसाला या खैनी, के रूप में प्रयोग करते है तो इसके कारण मुंह मे अनेक रोग उत्पन्न हो सकते है। सफेद दाग, मुँह का नहीं खुल पाना, तथा कैंसर रोग भी हो सकता है। बीड़ी-सिगरेट के पीने से शरीर में व्यापक प्रभाव पड़ता है। इसके कारण हृदय के धमनियों में रक्त प्रवाह कम हो सकता है। हृदय रोग जैसे मायोकोर्डियल इनफेक्शन तथा अनजाइना हो सकता है। रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) बढ़ सकता है। साँस की बीमारी जैसे ब्रोंकाइटीस, दमा, तथा फेफड़ो का कैंसर हो सकता है। इसके अतिरिक्त इसका प्रभाव शरीर के स्नायुतंत्र में पड़ता है। इसकी और बहुत सी हानियाँ हैं।
किशोरावस्था में उत्सुकता वश या मित्रों के साथ इन पदार्थो का सेवन शुरू होता है फिर इसके नशा का आनन्द आने लगता है। इसकी मात्रा बढ़ाई जाती है। जो लोग बार-बार लोग इसका सेवन करते है, उनका शरीर इस मादक पदार्थ का आदी हो जाता है और फिर वह उसको छोड़ नहीं पाते। छोड़ने से कई प्रकार के लक्षण जैसे- बेचैनी, घबराहट होने लगती है। इस कारण लोग इसके आदी हो जाते है, उसी प्रकार जैसे लोग शराब या अन्य पदार्थों के आदी हो जाते है और जब कोई किसी पदार्थ का आदि हो जाए तो उसका नियमित सेवन उसकी बाध्यता हो जाती है। [1]
सिगरेट बीड़ी छोड़ने के उपाय[संपादित करें]
सिगरेट पीने वाले सिगरेट द्वारा न केवल स्वयं को शारीरिक हानि पहुँचा रहे है बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से (पैसिव स्मोंकिंग द्वारा) परिवार तथा बच्चों में भी तम्बाकू का विष पहुँचा रहे हैं। यह सब जानते हुए भी वह इनका सेवन बन्द नही कर पाते। जब भी वह इसका सेवन बंद करते है, तो उन्हें इतनी बेचैनी होती है कि वे उनका फिर से सेवन शुरू कर देते है।
इसके लिए आवश्यकता है कि व्यक्ति खुद को तैयार करे कि वह एक निश्चित दिन से धुम्रपान करना बंद कर देगा। इसकी घोषणा पूरे परिवार में कर दे। निश्चित दिन के पहले घर से सिगरेट पाउच, एशट्रे, आदि धुम्रपान वस्तुओं को फेंक दे। निश्चित दिन में धुम्रपान करना बंद कर दे। यदि धुम्रपान करने की इच्छा हो तो अपने को सांतवना दे। अधिक से अधिक पानी पीएँ। ऐसा करके आप धुम्रपान करना छोड़ सकते हैं। यह बहुत कुछ आपके इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है।
खैनी, जर्दा खाना या गुल, गुड़ाकू का अधिक प्रयोग किसी भी तरह धुम्रपान के उपयोग से अलग नही है। यदि कोई इन पदार्थो को छोड़ना चाहे तो उसे भी स्वयं को तैयार कर इच्छाशक्ति द्वारा इन पदार्थों के आदतों से मुक्ति पा सकते हैं।
जब कोई व्यक्ति चाह कर भी तम्बाकू तथा उससे संबंधित मादक पदार्थ बंद नही कर पाये और यदि वह इस विषय में बहुत गंभीर है तो इसके लिए सी. आई. पी. आदि कई संस्थानों में नशाबंदी के लिए विशेष सुविधा है। इसमें मनोवैज्ञानिक रूप से रोगियों को तैयार किया जाता है तथा उचित औषधियों तथा व्यवहार चिकित्सा द्वारा इसका इलाज किया जाता है।
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ उजाले की ओर Archived 2014-10-06 at the Wayback Machine (केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान]], राँची)
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- व्यसन
- राजेसुल्तानपुर का तम्बाकु उत्पादन
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- तम्बाकू प्रयोग के विरुद्ध जनजागरण की साइट
- मौत के सौदागर: हम, आप और सरकार