प्रश्न 72. दल व्यवस्था क्या है ? उसका महत्त्व बतलाइए।
उत्तर- संसदीय लोकतन्त्र के लिए विभिन्न राजनीतिक दल आवश्यक हैं। राजनीतिक दल नागरिकों के संगठित समूह हैं, जो एक-सी विचारधारा रखते हैं। ये अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। राजनीतिक दल एक शक्ति के रूप में कार्य करते हैं और सदैव शक्ति प्राप्त करने और उसे बचाये रखने का प्रयास करते हैं।
किसी देश में राजनीतिक दलों की संख्या के आधार पर दल व्यवस्था को तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है-
(अ) एकल दल (एक दलीय) प्रणाली- यदि किसी देश में एक ही राजनीतिक दल होता है तो वह एकल दल प्रणाली कहलाती है; जैसे-जनवादी चीन में एकल दल प्रणाली है।
(ब) द्विदलीय प्रणाली- यदि किसी देश में दो प्रधान दल होते हैं और सत्ता इन्हीं दो दलों के बीच आती जाती रहती है, यह प्रणाली द्विदलीय प्रणाली कहलाती है; जैसे-संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन की शासन व्यवस्था में द्विदलीय प्रणाली प्रचलित है।
(स) बहुदलीय प्रणाली- यदि किसी देश में अनेक राजनीतिक दल होते हैं तब उस प्रणाली को बहुदलीय प्रणाली कहा जाता है; जैसे-भारत में अनेक राजनीतिक दल हैं। अतः हमारे देश में बहुदलीय राजनीतिक प्रणाली है।
निर्वाचन में किसी एक दल का बहुमत आना आवश्यक नहीं है और जब ऐसा होता है तो देश में या प्रान्त में साझा सरकार बनाई जाती है। साझा सरकार में 2 या 2 से अधिक दल शामिल होते हैं।
दलीय व्यवस्था का महत्त्व-
दलीय व्यवस्था प्रजातान्त्रिक शासन को सम्भव बनाती है। आधुनिक युग में शासन कार्य राजनीतिक दलों के सहयोग से होता है। यह शासन को नीति बनाने में सहयोग करते हैं साथ ही इनके सहयोग से नीतियों में बदलाव आसान होता है। दल व्यवस्था के प्रभाव से सरकार जनोन्मुखी होती है व लोकहित के कार्य करती है। राजनीतिक दल शासन की निरंकुशता पर रोक लगाते हैं। इन दलों से जनता की आशाएँ और अपेक्षाएँ सरकार तक पहुँचती हैं। ये जनता को राजनीतिक प्रशिक्षण देते हैं। इनके माध्यम से सभी को शासन में भाग लेने का अवसर मिलता है। राजनीतिक दल नागरिक स्वतन्त्रताओं के रक्षक होते हैं। इनके द्वारा राष्ट्र की एकता स्थापित होती है।