आापकी पूरी बॉडी का कंट्रोल आपके दिमाग से होता है। आपका दिमाग में गड़बड़ी होने से बॉडी को सही मायने में निर्देशन नहीं मिलते हैं। दिमाग
की नसे कमजोर होने पर खतरा कम नहीं होता है। दिमाग की नसें कमजोर होने के कई सारे कारण है - जैसे चोट लगना, पोषक तत्वों की कमी
होना, नसों पर दबाव बढ़ना इत्यादि। आइए जानते हैं क्या प्रमुख लक्षण है जो दिमाग की नसों की कमजोरी की ओर इशारा करते हैं...
- शरीर
में झुनझुनी - शरीर में लगातार झुनझुनी होना दिमाग की नसों की कमजोरी के लक्षण हैं। जब दिमाग की नसों में ब्लड सही से नहींपहुंचता है इससे शरीर के अलग-अलग अंगों में झुनझुनी होती है।
- अचानक सिरदर्द - आप एकदम स्वस्थ रहते हैं लेकिन अचानक से दिमाग में सिरदर्द होने लगता है। वह दिमाग की कमजोरी के लक्षण है। जब
दिमाग में कमजोरी होती है तो कोशिकाओं को सही तरह से ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। जिससे दिमाग की नसों में खून जम जाने
की वजह सेभी सिरदर्द तेज होने लगता है।
- चलने में दिक्कत होना - दिमाग आपकी पूरी बॉडी को संचालित करता है। लेकिन जब दिमाग की नसों में कमजोरी होती है तो इसका असर
आपकी चलने में भी पड़ता है। कई बार पैरों में सूजन भी आ जाती है।
- स्ट्रोक - आज के वक्त में हर कोई इस बीमारी की चपेट में आ जाता है। जब दिमाग की कोशिकाएं हद से अधिक प्रभावित होती है तो वह
स्ट्रोक का शिकार हो जाते
हैं। स्ट्रोक के बाद शरीर में भिन्न-भिन्न लक्षण नजर आते हैं।
- तालमेल में कमी - जी हां, शरीर में तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल होता है। दरअसल, शरीर आपके पूरे दिमाग को डायरेक्ट करता है। दिमागऔर शरीर के अंगों में गड़बड़ी होने पर तालमेल बिगड़ जाता है। इसके लक्षण इस प्रकार नजर आते हैं- मांसपेशियों की कठोरता, पीठ दर्द,
झटके लगना। इन लक्षणों को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। समय रहते इसका इलाज जरूरी है।
उपरोक्त जानकारी शिक्षित करने के उद्देश्य से हैं।
By उस्मान | Published: December 5, 2020 09:37 AM2020-12-05T09:37:53+5:302020-12-05T09:43:46+5:30
बंद नसों को खोलने के घरेलू उपचार : घर में मौजूद चीजों से पाएं इस समस्या से छुटकारा
नसों की ब्लॉकेज का इलाज
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Highlightsखराब खान-पान और एक्सरसाइज की कमी इसका बड़ा लक्षणलाइफस्टाइल में सुधार कर पाया जा सकता है छुटकाराकिचन की कुछ चीजें इसके इलाज में सहायक
खराब खान-पान, बिगड़ती जीवनशैली और एक्सरसाइज की कमी के कारण शरीर की नसों का ब्लॉक होने एक आम समस्या बन गई है। शरीर में हजरों नसें होती हैं और किसी भी हिस्से की नस में ब्लॉकेज हो सकती है।
सर्दियों में इस समस्या का बढ़ने का अधिक खतरा होता है क्योंकि तापमान का सीधा असर शरीर की कार्यप्रणाली पर पड़ता है। जैसे-जैसे पारा गिरता है शरीर के अंगों की प्रक्रिया भी धीमी होने लगती है। नसों में सिकुड़न हो जाती है। इसके कारण दिमाग में रक्तप्रवाह मंद हो जाता है।
दिमाग की नसें ब्लॉक होने के लक्षण
अगर दिमाग के पीछे की नस ब्लॉक हुई है, तो आपको चक्कर, उलटी, बैलेंस बिगड़ना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। अगर आगे की नस ब्लॉक होती है तो लकवा, बोलने में परेशानी या देखने में दिक्कत जैसे लक्षण महसूस होंगे।
इसके अलावा आपको भ्रम की स्थित में होना, बोलने या समझने में मुश्किल, अस्पष्ट बोलना, एक या दोनों आंखों से साफ न दिखना, तेज सिर दर्द, जी मिचलाना या उल्टी होना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
नसों की ब्लॉकेज का इलाज का घरेलू उपाय
इसके लिए आपको एक ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम तेज पत्ता, 10 ग्राम खरबूजे के बीज, 10 ग्राम मिश्री, 10 ग्राम अखरोट और 10 ग्राम अलसी के बीज चाहिए।
इन सभी चीजों को मिक्स में डालकर एक दम स्मूद ब्लैंड कर लें। इसकी दस पुड़िया बना लें और रोजाना खाली पेट इस मिश्रण के एक पुड़िया को हल्के गुनगुने पानी के साथ लगातार दस दिनों तक लें।
ध्यान रखें कि दवा खाने के आधे घंटे तक किसी भी चीज का सेवन ना करें, चाय तो बिल्कुल ना पिएं। नाश्ता भी 2-3 घंटे तक ही पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन करने पर आप खुद फर्क महसूस करें।
दूध में लहसुन
शरीर की बंद नसों को खोलने का सबसे सस्ता व असरदार उपाय है. एक कप दूध में तीन लहसुन की कलियों को उबाल कर पीना। नियमित रूप से ऐसा करने से आपकी नसों की ब्लॉकेज दूर होती दिखाई देगी।
अनार का रस
नियमित रूप से अगर आप एक गिलास अनार जूस पियेंगे तो आपको शरीर में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने में मदद मिल सकती है। इससे किसी भी नस में ब्लॉकेज नहीं होगी।
बादाम का सेवन
अगर आपको भी नसों में ब्लॉकेज की समस्या है, तो आप हर दिन कम से कम 50 से 100 ग्राम तक बादाम खाएं। हालांकि जिन लोगों के शरीर में कुछ दिक्कतें हों, तो उन्हें बादाम का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही अखरोट और पेकन का सेवन भी नसों में ब्लॉकेज होने
से रोकता है।
विटामिन बी 12
विटामिन बी खासतौर पर विटामिन बी12 लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है और हड्डियों एवं नसों को स्वस्थ रखता है। इसकी कमी की वजह से भी नसों में दर्द हो सकता
है। अंडे, दूध और अन्य दूध से बने उत्पादों में पाया जाता है।
हल्दी
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नामक तत्व भी दर्द और रुमेटाइड आर्थराइटिस के इलाज में उपयोगी है। अध्ययनों में सामने आया है कि करक्यूमिन नसों में दर्द से राहत दिलाता है। चाय, सब्जी या दूध में हल्दी मिलाकर ले सकते हैं। इसमें एंटी-ऑक्सीडेटिव, एंटी-इंफ्लामेट्री और नसों को सुरक्षा प्रदान करने वाले गुण होते हैं।