Blood Donor Day: गोल्डन ब्लड ग्रुप को दूसरे किसी भी ग्रुप के साथ मैच किया जा सकता है.
खास बातें
- गोल्डन ब्लड ग्रुप का नाम है, आरएच नल (Rh Null Blood Group).
- इस ग्रुप वाले खून को दूसरे किसी भी ग्रुप के साथ मैच किया जा सकता है.
- जिसका Rh फैक्टर null (Rh-null) होता है.
World Blood Donor Day 2022: आमतौर पर हम जानते हैं कि इंसानों के शरीर में A, B, AB, 0 पॉजिटिव और नेगेटिव जैसे ब्लड ग्रुप्स होते हैं, लेकिन इन सब से अलग एक ऐसा ब्लड ग्रुप भी है, जिसके बारे में बहुत ज्यादा लोग नहीं जानते और ये बहुत रेयर है, इसी वजह से इसे 'गोल्डन ब्लड' कहा जाता है. इस ब्लड ग्रुप का नाम है, आरएच नल (Rh Null Blood Group). खास बात तो ये हैं कि इस ग्रुप वाले खून को दूसरे किसी भी ग्रुप के साथ मैच किया जा सकता है. यह ब्लड ग्रुप सिर्फ उस इंसान के शरीर में मिलता है जिसका Rh फैक्टर null (Rh-null) होता है.
क्या होता है Rh Factor | What Is The Rh Factor? Why Is It Important?
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Rh Null यानी गोल्डन ब्लड ग्रुप में रेड ब्लड सेल्स (RBC) पर कोई आरएच एंटीजन (प्रोटीन) नहीं मिलता है. अगर यह प्रोटीन आरबीसी में मौजूद है तो ब्लड Rh+ Positive कहलाता है, हालांकि इस ब्लड ग्रुप के लोगों में Rh फैक्टर Null होता है.
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जानिए क्यों कहा जाता है गोल्डन ब्लड | What is golden type blood?
यह एक बेहद दुर्लभ ब्लड ग्रुप है. अमेरिका, कोलंबिया, ब्राजील और जापान में इस ब्लड ग्रुप के लोग हैं. कहा जाता है कि दुनिया में इस ब्लड ग्रुप के महज नौ ही लोग हैं, जो ब्लड डोनेट करते हैं, इसलिए इस ब्लड ग्रुप को 'गोल्डन ब्लड' कहा जाता है. विश्वभर में यह सबसे महंगा ब्लड ग्रुप है. एक खास बात ये भी है कि इस ग्रुप का खून किसी को भी चढ़ाया जा सकता है, लेकिन अगर किसी परिस्थिति में इस ग्रुप वाले लोगों को खून की जरूरत पड़ती है तो परेशानी होती है.
मुश्किल है डोनर मिलना | How rare is the golden blood type?
बताया जाता है कि विश्व में यह ब्लड ग्रुप सिर्फ 43 लोगों में पाया गया है, वहीं महज 9 लोग एक्टिव डोनर्स हैं. यही कारण है कि इस ग्रुप का डोनर मिलना मुश्किल है. इस ब्लड ग्रुप को इंटरनेशनल लेवल पर ट्रांसपोर्ट करना भी मुश्किल है. इस वजह से एक्टिव डोनर्स से मिलने वाले ब्लड को जमा करके रखा जाता है.
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गोल्डन ब्लड है दुनिया का सबसे रेयर ब्लड ग्रुप, किसी को भी चढ़ाया जा सकता है ये खून
एक ब्लड ग्रूप ऐसा भी है जिसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। इसे काफी कम लोगों के शरीर में पाया जाता है इसलिए इसे गोल्डने ब्लड भी कहा जाता है। क्या होता है गोल्डन ब्लड जानेंगे इस बारे में।
ह्यूमन बॉडी के सही तरह से फंक्शन के लिए ब्लड की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। सामान्यतः ए, बी, एबी, O+ और निगेटिव जैसे ब्लड ग्रूप्स के बारे में ही अभी तक लोगों ने सुना होगा, लेकिन एक ऐसा ब्लड ग्रूप भी है जिसके बारे में कम लोग जानते हैं क्योंकि ये काफी कम लोगों में पाया जाता है। जिस वजह से इसे गोल्डन ब्लड का नाम दिया गया है।
क्या होता है ये गोल्डन ब्लड?
इस ब्लड ग्रुप का असली नाम है आरएच नल। रेयरेस्ट होने की वजह से रिसर्च कर रहे साइंटिस्ट ने इसे गोल्डन ब्लड नाम दिया है।
यह खून बहुत ही उपयोगी होता है क्योंकि आवश्यकता पड़ने पर यह किसी भी ब्लड ग्रुप के काम आ सकता है।
यह उन्हीं लोगों के शरीर में पाया जाता है जिनका आरएच फैक्टर शून्य होता है यानी आरएच नल।
आखिर क्या होता है आरएच फैक्टर?
आरएच फैक्टर लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर पाया जाने वाला एक खास तरह का प्रोटीन है।
अगर यह प्रोटीन आरबीसी (रेड ब्लड कॉर्पसल्स) में मौजूद है तो ब्लड आरएच पॉजिटिव हो जाता है।
वहीं अगर ये प्रोटीन मौजूद नहीं तो ब्लड आरएच निगेटिव हो जाता है। इस प्रोटीन को आरएच एंटीजन भी कहते हैं।
लेकिन, गोल्डन ब्लड वाले लोगों में आरएच फैक्टर न ही पॉजिटिव होता है और न ही निगेटिव, वो आरएच नल होता है।
यूनिवर्सल डोनर होते हैं
बिगथिंक की एक रिसर्च के अनुसार साल 2018 तक यह खास ब्लड सिर्फ 43 लोगों में मौजूद था।
जिसमें ब्राजील, कोलंबिया, जापान, आयरलैंड और यूएस के लोग शामिल हैं।
जहां ये यूनिवर्सल डोनर होते हैं वहीं इनको केवल इनके ग्रुप का ही ब्लड चढ़ाया जा सकता है।
एंटीजन रहित खून
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस ब्लड ग्रुप में किसी भी तरह का एंटीजन नहीं पाया जाता है।
यूएस रेयर डिसीज इन्फॉर्मेशन सेंटर के अनुसार, गोल्डन ब्लड ग्रुप एंटीजन से रहित होता है इसलिए जिन लोगों के शरीर में यह खून होता है, उन्हें एनीमिया की शिकायत हो सकती है।
यह वजह है कि ऐसे लोगों की जानकारी होते ही डॉक्टर उन्हें डाइट पर खास देने और आयरन वाली चीज़ों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करने की सलाह देते हैं।
Pic credit- pixabay
Edited By: Priyanka Singh