जेवन्स (Jevons) ने सबसे पहले कुल उपयोगिता (TU) तथा सीमांत उपयोगिता (MU) के संबंध और अंतर के महत्व की व्याख्या की थी।
कुल उपयोगिता तथा सीमांत उपयोगिता के बीच मुख्यत: तीन संबंध हैं :
1- जब कुल उपयोगिता (TU) घटती हुई दर से बढ़ रही होती है तो सीमांत उपयोगिता (MU) घट रही होती है लेकिन धनात्मक होती है।
2- जब कुल उपयोगिता (TU) अधिकतम होती है तो सीमांत उपयोगिता (MU) शून्य होती है।
3- जब कुल उपयोगिता (TU) घटने लगती है तो सीमांत उपयोगिता (MU) ऋणात्मक हो जाती है।
उपयोगिता की इन धारणाओं के संबंध को निम्नलिखित तालिका तथा चित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
तालिका :
उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि वस्तु की चौथी इकाई तक कुल उपयोगिता बढ़ती है, परंतु सीमांत उपयोगिता घटती जाती है। यह स्थिति पांचवीं इकाई पर जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है, तो सीमांत उपयोगिता शून्य होती है यही उपभोक्ता के लिए संतुष्टि का बिंदु होती है। इसके बाद के उपभोग अर्थात छठी स्थिति में जब कुल उपयोगिता घट रही होती है, तो सीमांत उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती है। यह उपभोक्ता की अनुपयोगिता की स्थिति है।
ग्राफ चित्र :
उपरोक्त चित्र में OM वस्तु की इकाइयों का उपभोग होने पर सीमांत उपयोगिता शून्य हो जाती है। ऐसी स्थिति में कुल उपयोगिता A बिंदु पर अधिकतम होती है। इसकेेेे बाद उपभोग बढ़ने पर MU ऋणात्मक हो जाती है और उपभोक्ता को अनूपयोगिता प्राप्त होने लगती है। इसी प्रवृत्ति के आधार पर सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम का प्रतिपादन हुआ।
ह्रासमान सीमांत उपयोगिता का नियम:
ह्रासमान सीमांत उपयोगिता का नियम बतलाता है कि अन्य बातें समान रहने पर, जब किसी वस्तु की अधिक इकाइयों का निरंतर उपभोग किया जाता है तब प्रत्येक अगली इकाई से मिलने वाली अतिरिक्त सीमांत उपयोगिता (MU) अवश्य घटती है और शून्य या ऋणात्मक भी हो सकती है।
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