उत्प्रेक्षा अलंकार का उदाहरण कौन सा है? - utpreksha alankaar ka udaaharan kaun sa hai?

विषय-सूचि

  • उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा :
  • उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण :
  • उत्प्रेक्षा अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण:

इस लेख में हमनें अलंकार के भेद उत्प्रेक्षा अलंकार के बारे में चर्चा की है।

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उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा :

जब समानता होने के कारण उपमेय में उपमान के होने कि कल्पना की जाए या संभावना हो तब वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। यदि पंक्ति में -मनु, जनु, जनहु, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि आता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। जैसे :

उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण :

  • ले चला साथ मैं तुझे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कनक का अर्थ धतुरा है। कवि कहता है कि वह धतूरे को ऐसे ले चला मानो कोई भिक्षु सोना ले जा रहा हो।

काव्यांश में ‘ज्यों’ शब्द का इस्तेमाल हो रहा है एवं कनक – उपमेय में स्वर्ण – उपमान के होने कि कल्पना हो रही है। अतएव यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  • सिर फट गया उसका वहीं। मानो अरुण रंग का घड़ा हो। 

दिए गए उदाहरण में सिर कि लाल रंग का घड़ा होने कि कल्पना की जा रही है। यहाँ सिर – उपमेय है एवं लाल रंग का घड़ा – उपमान है। उपमेय में उपमान के होने कि कल्पना कि जा रही है। अतएव यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  • नेत्र मानो कमल हैं। 

ऊपर दिए गए उदाहरण में ‘नेत्र’ – उपमेय की ‘कमल’ – उपमान होने कि कल्पना कि जा रही है। मानो शब्द का प्रय्प्ग कल्पना करने के लिए किया गया है। आएव यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  • सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात | मनहुँ नीलमनि सैल पर, आतप परयौ प्रभात ||

यहाँ इन पंक्तियों में श्रीकृष्ण के सुंदर श्याम शरीर में नीलमणि पर्वत की और शरीर पर शोभायमान पीताम्बर में प्रभात की धूप की मनोरम संभावना की गई है।

जैसा कि आप देख सकते हैं मनहूँ शब्द का प्रयोग संभावना दर्शाने के लिए किया गया है। अतः यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  • सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की मालबाहर सोहत मनु पिये, दावानल की ज्वाल।।

ऊपर दी गयी पंक्तियों में गूंज की माला’ – उपमेय में ‘दावानल की ज्वाल’ – उपमान की संभावना होने से उत्प्रेक्षा अलंकार है। दी गयी पंक्ति में मनु शब्द का प्रयोग संभावना दर्शाने के लिए किया गया है अतः यह उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  • बहुत काली सिल जरा-से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो।

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं बहुत काले पत्थर की ज़रा से लाल केसर से धुलने कि कल्पना कि गयी है। अतः यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  • उस वक्त मारे क्रोध के तनु कांपने उनका लगा। मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।

इस उदाहरण में अर्जुन के क्रोध से कांपते हुए शरीर(उपमेय) की कल्पना हवा के जोर से जागते सागर(उपमान) से कि गयी है। दिए गए उदाहरण में मानो शब्द का प्रयोग किया गया है अतः यह उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  • कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए| हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए|

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि पंक्तियों में उत्त्तरा के अश्रुपूर्ण नेत्रों (उपमेय) में ओस जल-कण युक्त पंकज (उपमान) की संभावना प्रकट की गयी है। वाक्य में मानो वाचक शब्द प्रयोग हुआ है अतएव यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  •  मानो माई घनघन अंतर दामिनी। घन दामिनी दामिनी घन अंतर, शोभित हरि-ब्रज भामिनी।। 

इन पंक्तियों में रासलीला का एक अलोकिक द्रश्य दिखाया गया है। गोरी गोपियाँ और श्यामवर्ण कृष्ण मंडलाकार नाचते हुए ऐसे लगते हैं मानो बादल और बिजली साथ साथ शोभायमान हों।

यहाँ गोपियों(उपमेय) में बिजली(उपमान) की एवं कृष्ण(उपमेय) में बादल(उपमान) की कल्पना की गयी है। उपर्युक्त पंक्तियों में मानो वाचक शब्द प्रयोग किया गया है।

  • नील परिधान बीच सुकुमारी खुल रहा था मृदुल अधखुला अंग , खिला हो ज्यों बिजली का फूल मेघवन बीच गुलाबी रंग। 

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते नीले कपडे में राजकुमारी का वर्णन किया गया है। कहा गया है की नीले परिधान में राजकुमारी ऐसी लग रही है जैसे की बिजली का फूल खिल गया हो गुलाबी रंग के बीच में। हम  हैं की इस वाक्य में ज्यों शब्द का भी प्रयोग किया गया है। हम जानते हैं की जब ज्यों जैसे शब्द प्रयोग किए जाते हैं तो फिर उस वाक्य में उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

अतः यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  • कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए हिमकणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए। 

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा  आप देख सकते हैं, जब उत्तरा आँसू आते हैं तो ऐसा कहा जाता है की जैसे कमल नए हो गए हों। जैसा की आपने देखा की नैनो में कमल के होने की कल्पना की गयी है। यहाँ मनो जानो जैसा शब्द का भी प्रयोग किया गया है। हम यह भी जानते हैं की जब भी किसी वाक्य मैं नु, जनु, जनहु, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है तो उस आक्या में उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

अतः यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  • जान पड़ता है नेत्र देख बड़े बड़े हीरो में गोल नीलम हैं जड़े। 

जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहां बड़े-बड़े नेत्र (उपमेय ) में  नीलम (उपमान) के होने की कल्पना की जा रही है। यहाँ कवि कह रहा है की तुम्हारी बड़ी बड़ी आँखें ऐसी लगती हैं जैसे की हीरों में नीलम जड़े हुए हैं।  जैसा की आपने देखा उपमेय मं उपमान के होने की कल्पना की जा रही है। इस वाक्य में जान पड़ता है का प्रयोग किया जा रहा है।

अतः यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।

  • पाहून ज्यों आये हों गाँव में शहर के; मेघ आये बड़े बन ठन के संवर के।

कवि ने यहाँ बादलों को शहर से आये दामाद के सामान या शहर से आये अतिथि के रूप में दिखाया है। जिस प्रकार, कोई दामाद बड़ा ही सज-धज कर एवं बन-ठन कर अपने ससुराल जाता है, ठीक उसी प्रकार, मेघ भी बड़े बन-ठन कर और सुंदर वेशभूषा धारण कर के आये हैं। इसके अलावा हम यह भी देख सकते हैं की तुलना करने के लिए कवि द्वारा ज्यों शब्द का प्रयोग भी किया गया है।

अतः यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकर के अंतर्गत आएगा।

उत्प्रेक्षा अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण:

  • मुख बाल रवि सम लाल होकर, ज्वाला-सा बोधित हुआ

उत्प्रेक्षा अलंकार से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

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  4. रूपक अलंकार
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उत्प्रेक्षा अलंकार का उदाहरण क्या है?

उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण। इस उदाहरण में कनक का अर्थ धतुरा है। कवि कहता है कि वह धतूरे को ऐसे ले चला मानो कोई भिक्षु सोना ले जा रहा हो। इसमें 'ज्यों' शब्द का इस्तेमाल हो रहा है एवं कनक–उपमेय में स्वर्ण–उपमान के होने कि कल्पना हो रही है।

उत्प्रेक्षा अलंकार की पहचान कैसे करें?

यदि पंक्ति में -मनु, मानो, मानहु, जनु, जानो, जनहु, निश्चय, ईव, ज्यों आदि आता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

उत्प्रेक्षा कौन सा अलंकार है?

'उत्प्रेक्षा' का अर्थ है- किसी वस्तु के सम्भावित रूप की उपेक्षा करना। उपमेय अर्थात् प्रस्तुत में उपमान अर्थात् अप्रस्तुत की सम्भावना को 'उत्प्रेक्षा अलंकार' कहते हैं। 'उत्प्रेक्षा अलंकार' में मानों, जानों, जनु, मनु, ज्यों इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता है। “सोहत ओढ़ पीत-पट, श्याम सलोने गात।।

उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग कहां और क्यों किया गया है उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए?

Solution. उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग गीतावली के दूसरे पद की इस पंक्ति में हुआ है- "तदपि दिनहिं दिन होत झाँवरे मनहुँ कमल हिमसारे।" इसमें राम वियोगी घोड़ों की मुरझाई दशा की संभावना ऐसे कमलों से की गई है, जो बर्फ की मार के कारण मुरझा रहे हैं। ऐसा करके तुलसीदास जी ने घोड़ों की दशा का सटीक वर्णन किया है।

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