विषयसूची
उत्साह कविता में क्या संदेश निहित है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: कवि ने ‘उत्साह’ कविता में बादलों का आह्वान करते हुए क्रांति लाने के लिए कहा है। इस कविता में बादलों को क्रांतिदूत मानकर सोए, अलसाए और कर्तव्यविमुख लोगों को क्रांति लाने के लिए प्रेरित किया गया है। इस क्रांति या विप्लव के बिना समाज की जड़ता और कर्तव्यविमुखता में परिवर्तन लाना संभव नहीं है।
काव्यांश में निहित संदेश क्या है है?
इसे सुनेंरोकेंअपठित काव्यांश का उद्देश्य काव्य पंक्तियों का भाव और अर्थ समझना, कठिन शब्दों के अर्थ समझना, प्रतीकार्थ समझना, काव्य सौंदर्य समझना, भाषा-शैली समझना तथा काव्यांश में निहित संदेश। शिक्षा की समझ आदि से संबंधित विद्यार्थियों की योग्यता की जाँच-परख करना है।
अट नहीं रही तथा कववता में कवव का क्या संदेि है?
इसे सुनेंरोकेंExplanation:इस कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि जिस प्रकार बसंत ऋतु के आगमन से सारी सृष्टि खिलकर मनमोहक बन जाती है उसी प्रकार हमें भी अपने श्रेष्ठ कार्यों से समाज, राष्ट्र व विश्व कि आभामय बनाना चाहिए। ऐसे कार्य करने चाहिए कि सभी हमारा यशगान करें।
उत्साह कविता का मूल स्वर क्या है *?
इसे सुनेंरोकेंyour answer: उत्साह’ कविता कवि का आह्वान गीत है, जिसके स्वर में ओज है, क्रांति है। यही कारण है कवि ने बादल से फुहार, रिमझिम बसरने के स्थान पर गरजने के लिए कहता है।
कवि किस पर क्या पड़ता है जो पानी भर भर आता है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: कवी अपने भीतर अपने प्रिय के लिए समाए हुए स्नेह रूपी जल को उड़ेलता है, जो पुनः भर-भर आता है।
कविता में पर पर कर देते हो का क्या आशय है?
इसे सुनेंरोकें’उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो’ से ज्ञात होता है कि फागुन में चारों ओर इस तरह सौंदर्य फैल जाता है कि वातावरण मनोरम बन जाता है। रंग-बिरंगे फूलों के खुशबू से हवा में मादकता घुल जाती है। ऐसे में लोगों का मन कल्पनाओं में खोकर उड़ान भरने लगता है।
आत्मत्राण कविता में कवि ने क्या प्रेरणा दी है?
इसे सुनेंरोकें’आत्मत्राण’ कविता में कवि प्रभु से दुख दूर करने की प्रार्थना नहीं करता है बल्कि वह स्वयं अपने साहस और आत्मबल से दुखों को सहना चाहता है तथा उनसे पार पाना चाहता है। वह दुखों से मुक्ति नहीं, बल्कि उसे सहने और उबरने की आत्मशक्ति चाहता है।
प्रेरणा काव्य में क्या संदेश दिया गया है?
इसे सुनेंरोकेंमनुष्य को ऐसे कर्म करना चाहिए कि वह अपने सत्कार्यों से ‘सुमृत्यु’ प्राप्त करे और दूसरों के प्रेरणा स्रोत बन जाए। इसके अलावा कवि ने अभिमान न करने और मिल-जुलकर रहने का भी संदेश दिया है।
अट नहीं रही है शीर्षक का क्या भाव है?
इसे सुनेंरोकेंअट नहीं रही है का भावार्थ (सार)- अट नहीं रही है कविता में कवि कहता है कि फागुन के महीने की कांति कहीं भी समा नहीं रही है। फागुन में प्राकृतिक उपमानों का सौंदर्य इतना अनुपम और मनोहारी हो गया है कि वह पूरी तरह से शरीर के अन्दर नहीं समा पा रहा है।
कवि के अनुसार घर घर में क्या भर जाता है?
इसे सुनेंरोकेंप्रकृति के माध्यम से मानव-मन को चित्रित करना, मानवीकरण करना छायावाद की प्रमुख विशेषता है। घर-घर भर देते हो। हट नहीं रही है। इस प्रकार संपूर्ण कविता में फागुन की प्रसन्नता, ऋतु बसंत की प्रसन्नता मानव-मन के रूप में चित्रित हो रही है।
उत्साह कविता का भावार्थ
उत्साह कविता का सार
बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित ललित, काले घुँघराले,
बाल कल्पना। के-से पाले,
विद्युत छवि उर में, कवि, नवजीवन वाले
वज्र छिपा नूतन कविता
फिर भर दो-
बादल गरजो!
प्रसंग-यहाँ कवि निराला ने बादल को संबोधित किया है। बादल का आहवान करते हुए कवि ने कहा है की -
उत्साह का भावार्थ (सार)- उत्साह कविता में कवि कहता है की हे बादल! तुम गरजना करते हुए आओ। तुम उमड़-घुमड़ कर ऊँची आवाज करते हुए संपूर्ण आकाश को घेरते हुए छा जाओ। अरे बादल! तुम सुन्दर, सुन्दर और घुमावदार काले रंग वाले हो और तुम बच्चों की विचित्र कल्पनाओं की पतवारों तथा पालों के समान लगते हो। हे नवजीवन प्रदान करने वाले बादल रूपी कवि! तुम्हारे हृदय में बिजली की कांति और वज्र के समान कठोर गर्जना छिपी हुई है। तुम अपनी बिजली की चमक और भीषण गर्जना से जनमानस में एक नई चेतना का संचार कर दो। कवि बादल के गर्जने का आह्वान करता है।
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन!
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो-
बादल, गरजो!
प्रसंग- यहाँ कवि ने बादल को नयी कल्पना और नये अंकुर के लिए विनाश, विप्लव और क्रांति चेतना को संभव करने वाला बताया है। निराला जी का कहना है कि-
उत्साह का भावार्थ(सार)- उत्साह कविता में कवि कहता है की संसार के सभी लोग गर्मी के कारण व्याकुल और अनमने हो रहे थे। संसार के संपूर्ण मानव-समुदाय में बदलाव के परिणामस्वरूप व्याकुलता और अनमनी परिस्थितियों का वातावरण बना हुआ था। साहित्य के द्वारा ही समाज में चेतना का भाव आने का भरोसा बना है। हे कभी न समाप्त होने बादल! तुम्हारा अनजान दिशा से आगमन हुआ है। यह धरती गर्मी से तप रही है. तुम जल बरसाकर इसे शीतल कर दो. साहित्यकार अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को इस प्रकार प्रेरित करें कि संसार में विचारों के मतभेदों से होने वाली क्रांतियों का वातावरण शांत हो जाए। हे बादल! तुम घोर गर्जन करते हुए आकाश मण्डल में छा जाओ।
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अट नहीं रही है का भावार्थ,
अट नहीं रही है का सार
अट नहीं रही है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो
हट नहीं रही है।
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंध-पुष्प-माल,
पाट-पाट शोभा-श्री
पट नहीं रही है।
प्रसंग- अट नहीं रही है कविता में कवि ने फागुन की मादकता को प्रकट करते हुए फागुन की सर्वव्यापक सुंदरता का सजीव चित्रण किया है।
अट नहीं रही है का भावार्थ (सार)- अट नहीं रही है कविता में कवि कहता है कि फागुन के महीने की कांति कहीं भी समा नहीं रही है। फागुन में प्राकृतिक उपमानों का सौंदर्य इतना अनुपम और मनोहारी हो गया है कि वह पूरी तरह से शरीर के अन्दर नहीं समा पा रहा है। सर्वत्र सुंदर एवं हृदयग्राही नज़ारे बिखरे हुए हैं, वे सभी एक साथ मन में नहीं बसाए जा सकते हैं।
अट नहीं रही है कविता में कवि निराला फागुन को संबोधित करते हुए कहते हैं कि हे फागुन! जहाँ कहीं भी साँसे ली जाती है वहीं से सुगंध आती है। फागुन ने ही सुगंध से परिपूर्ण आकाश में उड़ने के लिए सभी को पंख लगा दिए हैं। फागुन के महीने में सभी प्राणियों पर मस्ती का वातावरण छा जाता है और प्रसन्नता के कारण स्वयं को हल्का अनुभव करते हैं। चारों तरफ इतना अधिक सौंदर्य फैल गया है यदि मैं उससे अपनी आँखों को हटाना चाहता हूँ तो भी इतना विवश हूँ कि चाहते हुए भी मैं अपनी आँखें नहीं हटा पा रहा हूँ।
अट नहीं रही है कविता में कवि कहता है कि फागुन के महीने में चारों तरफ हरियाली छाई हुई है। पेड़ों की डालियाँ हरे और किसलयी लाल रंग की पत्तियों से आच्छादित हैं। कहीं पेड़-पौधों की छाती पर मंद-सुगंध से महकते फूलों की मालाएँ सुशोभित हो रही है। पेड़-पौधे खिले हुए सुगंधित फूलों से लद जाते हैं। प्रकृति का एक-एक अंग सौंदर्य से परिपूर्ण है और वह सुंदरता इतनी अधिक है कि उन जगहों पर समा नहीं रही है।
उत्साह के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर गरजने ' के लिए कहता है, क्यों?
उत्तर- कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने, के स्थान पर 'गरजने के लिए इसलिए कहता है क्योंकि कवि को बादल क्राति दूत के रूप में नजर आते हैं। समाज में क्रांति लाने के लिए विनम्रता की नहीं उग्रता की आवश्यकता होती है। बादल की उग्रता उसके गर्जन में छिपी होती है, जिससे लोग सजग हो जाते हैं।
प्रश्न 2 कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?
उत्तर- कवि ने कविता का शीर्षक उत्साह इसलिए रखा है, क्योंकि कवि बादलों के माध्यम से क्रांति और बदलाव लाना चाहता है। वह बादलों से गरजने के लिए कहता है। एक ओर बादलों के गर्जन में उत्साह समाया है तो दूसरी ओर लोगों में उत्साह का संचार करके क्रांति के लिए तैयार करना है।
प्रश्न 3. उत्साह कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
उत्तर- उत्साह कविता में बादल निम्नलिखित तीन अर्थों की ओर संकेत करते हैं
1-क्रांति के दूत और समाज में बदलाव लाने हेतु लोगों में उत्साह भरने वाले के रूप में।
2- लोगों के कष्ट और ताप हरकर शीतलता देने वाले के रूप में।
3- जल बरसाने वाली शक्ति विशेष के रूप में।
प्रश्न 4. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द है जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद हैं, छाँटकर लिखें।
उत्तर-'उत्साह' कविता में नाद सौंदर्य वाले शब्द निम्नलिखित हैं
1-घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
2-विद्युत छवि उर में, कवि, नवजीवन वाले
अट नहीं रही है के प्रश्न उत्तर
1- छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
उत्तर-छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की निम्नलिखित पक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है कहीं सांस लेते हो.
कहीं सांस लेते हो
घर घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो।
2- कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर- अट नहीं रही है कविता में फागुन के महीने में प्रकृति के सभी तत्वों पर एक विशेष प्रकार का सौंदर्य छा जाता है। जहाँ कहीं भी देखें वहाँ सुंदरता अनुपम रूप में सामने आती है। खेत-खलिहानों में, बाग-बगीचों में प्राकृतिक सौंदर्य अपने पूर्ण यौवन में नजर आता है और इस सौंदर्य को निर्बाध देखते रहने को मन करता है। इसी कारण कवि की आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है।
3- प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?
उत्तर- फागुन के महीने में हर तरफ सौंदर्य और उल्लास दिखाई देता है। फागुन की सुंदरता सर्वव्यापक है। पेड़-पौधे लाल-लाल कॉपलों और हरे पत्तों से लदे हुए हैं फूलों की सुंगध से पूरा वातारण महक उठा है। प्रकृति की एक-एक जगह पर सौंदर्य भरा हुआ है।
प्रश्न 4, फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?
उत्तर- फागुन महीने में प्रकृति का सौंदर्य अपने चरम रुप में होता है, जो बाकी ऋतुओं से अलग होता है। ग्रीष्म ऋतु में पेड़-पौध मुरझाए से होते हैं। धरती पर एक व्याकुलता-सी व्याप्त रहती है। वर्षा ऋतु में फागुन जैसा सुहावना मौसम नहीं होता है। शिशिर-हेमंत में कड़ी सर्दी पड़ती है जिससे प्राणी अपने आवासों में दुबके नजर आते हैं। पेड़-पौधों की पत्तियाँ गिर जाने के कारण व सोंठ-से नजर आते हैं। इसके विपरीत वसंत ऋतु के फागुन महीने में सर्वत्र उल्लास छाया रहता है। मादक और उल्लासमय वातावरण में तन-मन प्रसन्न हो जाता है। वृक्ष नए पत्तों, कलियों, फूल और फलों से लद जाते हैं।
प्रश्न 5. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-निराला के काव्य शिल्प की विशेषताएँ
भाव सौंदर्य : निराला के काव्य का प्रकृति चित्रण अनूठा है। उन्होंने प्रकृति को माध्यम बनाकर मन के भावों को अभिव्यक्त किया है। इसके अलावा शोषण के विरुद्ध स्वर मुखरित हुआ है।
शिल्प सौंदर्य :निराला जी का काव्य शिल्प की दृष्टि से उच्चकोटि का है। उन्होंने कविता को छंदों के बंधन से मुक्त किया। उनकी भाषा में गेयता है। उन्होंने सामान्यतया संस्कृतनिष्ठ शब्दों का प्रयोग किया है फिर भी उन्होंने अन्य भाषा के शब्दों से परहेज नहीं किया है। उनके काव्य में मानवीकरण अलंकार बहुलता से मिलते हैं: जैसे-कहीं साँस लेते हो, घर-घर भर देते हो।
उत्साह और अट नहीं रही है की रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न- होली के आस-पास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर- होली फागुन के महीने में आती है और फागुन में वातावरण मस्ती भरा होता है। होली प्रकृति की सहचरी है। बसन्त में जब प्रकृति के अंग-अंग में यौवन फूट पड़ता है तो होली का त्योहार उसका शृंगार करने आता है। यह शीत काल की समाप्ति और ग्रीष्म काल के आरंभ का संधिकाल होता है। खेती पक कर तैयार होने लगती है। प्रकृति सरसों के फूलों की पीली साड़ी पहनकर किसी की बाट जोहती हुई प्रतीत होती है। पेड़- पौधे विभिन्न प्रकार के पत्तों और रंग-बिरंगे फूलों से लद जाते हैं। परिणाम स्वरूप हर तरफ हर्षोल्लास का वातावरण छा जाता
उत्साह अट नहीं रही है के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न- अट नहीं रही है कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
प्रश्न- उत्साह कविता का उद्देश्य स्पष्ट शब्दों में लिखिए
प्रश्न- बादल आने से पूर्व प्राणियों की मनोदशा का चित्रण कीजिए
प्रश्न- कवि युवा कवियों से क्या आवाहन कर रहा है?
प्रश्न- कवि ने क्रांति लाने के लिए किसका आवाहन किया है? और क्यों ?
प्रश्न- कवि ने नवजीवन शब्द का प्रयोग बादलों के लिए भी किया है। अपने विचार दीजिए।