वृष राशि का शुभ दिन कौन सा है? - vrsh raashi ka shubh din kaun sa hai?

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वृषभ राशि के जातकों के लिए साल का आखिरी महीना मिलाजुला रहने वाला है। इस महीने आपको अपने धन, सेहत और समय का खूब प्रबंधन करके चलना होगा। माह की शुरुआत में आपको मौसमी बीमारी या फिर किसी पुरानी बीमारी के उभरने से शारीरिक-मानसिक कष्ट मिल सकता है। सेहत अच्छी नहीं रहने पर आपके कामकाज भी प्रभावित हो सकते हैं। जीवन में अचानक से आने वाली परेशानियों के कारण भी आपका मन खिन्न रहेगा। इस दौरान अपने खान-पान का विशेष ख्याल रखें और नशे से दूर रहें। यदि आप व्यवसाय से जुड़े हैं तो आपको इस दौरान किसी योजना या कारोबार में धन निवेश करने से पहले अपने शुभचिंतकों की सलाह जरूर लेनी चाहिए। नौकरीपेशा लोगों को भी अपने कार्यक्षेत्र में अपना काम किसी दूसरे के भरोसे छोड़ने की बजाय स्वयं बेहतर तरीके से करने का प्रयास करना चाहिए। माह के मध्य में आपको किसी भी कार्य में जल्दबाजी करने से बचना चाहिए अन्यथा आपके बने बनाए काम बिगड़ सकते हैं। इस दौरान वाहन खूब सावधानीपूर्वक चलाएं अन्यथा चोट-चपेट लगने की आशंका है। हालांकि यह समय परीक्षा-प्रतियोगिता की तैयारी में जुटे लोगों के लिए शुभ साबित होगा। उन्हें इस दौरान कोई बड़ी सफलता मिल सकती है। कुल मिलाकर माह के पूर्वार्ध के मुकाबले उत्तरार्ध आपके लिए कुछ राहत भरा रहने वाला है। प्रेम संबंध की दृष्टि से इस माह आपको बेहद सावधान के साथ कदम आगे बढ़ाने की जरूरत रहेगी। यदि आप किसी के सामने प्रपोज करने की सोच रहे हैं तो आपको अनुकूल समय आने का इंतजार करना होगा। वहीं पहले से प्रेम संबंध में चल रहे लोगों को अपने लव पार्टनर की भावनाओं की अनदेखी करने से बचना होगा, अन्यथा बने बनाए संबंध टूट सकते हैं। वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए छोटी-मोटी बातों को इग्नोर करना बेहतर रहेगा।

उपाय: प्रतिदिन भगवान श्री लक्ष्मीनारायण की पूजा और नारायण कवच का पाठ करें।

वृषभ

मेष • वृषभ • मिथुन • कर्क • सिंह • कन्या • तुला
वृश्चिक • धनु • मकर • कुम्भ • मीन
राशि चिह्नअवधि (ट्रॉपिकल, पश्चिमी)नक्षत्रराशि तत्त्वराशि गुणस्वामीडेट्रिमेण्टएग्ज़ाल्टेशनफ़ॉल

सांड
20 अप्रैल – 21 मई (2022, यूटीसी)
वृषभ तारामंडल
पृथ्वी
फ़िक्स्ड
शुक्र
मंगल देवता
चंद्रमा
कोई ग्रह नहीं
खगोलशास्त्र प्रवेशद्वार खगोलशास्त्र परियोजना

उदेश सिंह

वॄष (Taurus)[संपादित करें]

राशि चक्र की यह दूसरी राशि है, इस राशि का चिन्ह ’बैल’ है, बैल स्वभाव से ही अधिक पारिश्रमी और बहुत अधिक वीर्यवान होता है, साधारणत: वह शांत रहता है, किन्तु क्रोध आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है। यह स्वभाव वृष राशि के जातक में भी पाया जाता है, वॄष राशि का विस्तार राशि चक्र के 30 अंश से 60 अंश के बीच पाया जाता है, इसका स्वामी शुक्र ग्रह है। इसके तीन देष्काणों में उनके स्वामी ’शुक्र-शुक्र”, शुक्र-बुध’, और शुक्र-शनि, हैं। इसके अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण,रोहिणी के चारों चरण, और मृगसिरा के प्रथम दो चरण आते हैं। इन चरणों के स्वामी कॄत्तिका के द्वितीय चरण के स्वामी सूर्य-शनि, तॄतीय चरण के स्वामी चन्द्रमा-शनि, चतुर्थ चरण के स्वामी सूर्य-गुरु, हैं।रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी चन्द्रमा-मंगल, दूसरे चरण के स्वामी चन्द्रमा-शुक्र, तीसरे चरण के स्वामी चन्द्रमा-बुध, चौथे चरण के स्वामी चन्द्रमा-चन्द्रमा, है।मृगसिरा नक्षत्र के पहले चरण के मालिक मंगल-सूर्य, और दूसरे चरण के मालिक मंगल-बुध है।

नक्षत्र चरण फ़ल[संपादित करें]

  • कॄत्तिका के दूसरे चरण और तीसरे चरण के मालिक सूर्य-शनि, जातक के जीवन में पिता पुत्र की कलह फ़ैलाने में सहायक होते है, जातक का मानस सरकारी कामों की तरफ़ ले जाने, और सरकारी ठेकेदारी का कार्य करवाने की योग्यता देते हैं, पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा जीविकोपार्जन का साधन होता है। जातक अधिक तर मंगल के बद हो जाने की दशा में शराब, काबाब और भूत के भोजन में अपनी रुचि को प्रदर्शित करता है।
  • कॄत्तिका के चौथे चरण के मालिक सूर्य और गुरु का प्रभाव जातक में ज्ञान के प्रति अहम भाव को पैदा करने वाला होता है, वह जब भी कोई बात करता है तो गर्व की बात करता है, सरकारी क्षेत्रों की शिक्षाये और उनके काम जातक को अपनी तरफ़ आकर्षित करते हैं, और किसी प्रकार से केतु का बल मिल जाता है तो जातक सरकार का मुख्य सचेतक बनने की योग्यता रखता है।
  • रोहिणी के प्रथम चरण का मालिक चन्द्रमा-मंगल है, दोनो का संयुक्त प्रभाव जातक के अन्दर मानसिक गर्मी को प्रदान करता है, कल कारखानों, अस्पताली कामों और जनता के झगडे सुलझाने का काम जातक कर सकता है, जातक की माता आपत्तियों से घिरी होती है, और पिता का लगाव अन्य स्त्रियों से बना रहता है।
  • रोहिणी के दूसरे चरण के मालिक चन्द्र-शुक्र जातक को अधिक सौन्दर्य बोधी और कला प्रिय बनादेता है। जातक कलाकारी के क्षेत्र में अपना नाम करता है, माता और पति का साथ या माता और पत्नी का साथ घरेलू वातावरण में सामजस्यता लाता है, जातक या जातिका अपने जीवन साथी के अधीन रहना पसंद करता है।
  • रोहिणी के तीसरे चरण के मालिक चन्द्र-बुध जातक को कन्या संतान अधिक देता है, और माता के साथ वैचारिक मतभेद का वातावरण बनाता है, जातक या जातिका के जीवन में व्यापारिक यात्रायें काफ़ी होती हैं, जातक अपने ही बनाये हुए उसूलों पर अपना जीवन चलाता है, अपनी ही क्रियायों से वह मकडी जैसा जाल बुनता रहता है और अपने ही बुने जाल में फ़ंस कर अपने को समाप्त भी कर लेता है।
  • रोहिणी के चौथे चरण के मालिक चन्द्र-चन्द्र है, जातक के अन्दर हमेशा उतार चढाव की स्थिति बनी रहती है, वह अपने ही मन का राजा होता है।
  • मॄगसिरा के पहले चरण के मालिक मंगल-सूर्य हैं, अधिक तर इस युति मैं पैदा होने वाले जातक अपने शरीर से दुबले पतले होने के वावजूद गुस्से की फ़ांस होते हैं, वे अपने को अपने घमंड के कारण हमेशा अन्दर ही अन्दर सुलगाते रहते हैं। उनके अन्दर आदेश देने की वॄति होने से सेना या पुलिस में अपने को निरंकुश बनाकर रखते है, इस तरह के जातक अगर राज्य में किसी भी विभाग में काम करते हैं तो सरकारी सम्पत्ति को किसी भी तरह से क्षति नहीं होने देते.
  • मॄगसिरा के दूसरे चरण के मालिक मंगल-बुध जातक के अन्दर कभी कठोर और कभी नर्म वाली स्थिति पैदा कर देते हैं, कभी तो जातक बहुत ही नरम दिखाई देता है, और कभी बहुत ही गर्म मिजाजी बन जाता है। जातक का मन कम्प्यूटर और इलेक्ट्रोनिक सामान को बनाने और इन्ही की इन्जीनियरिंग की तरफ़ सफ़लता भी देता है।

लगन[संपादित करें]

जब चन्द्रमा निरयण पद्धति से वॄष राशि में होता है तो जातक की वॄष राशि मानी जाती है, जन्म समय में जन्म लगन वॄष होने पर भी यही प्रभाव जातक पर होता है। इस राशि में पैदा होने वाले जातक शौकीन तबियत, सजावटी स्वभाव, जीवन साथी के साथ मिलकर कार्य करने की वॄत्ति, अपने को उच्च समाज से जुड कर चलने वाले, अपने नाम को दूर दूर तक फ़ैलाने वाले, हर किसी के लिये उदार स्वभाव, भोजन के शौकीन, बहुत ही शांत प्रकॄति, मगर जब क्रोध आजाये तो मरने मारने के लिये तैयार, बचपन में बहुत शैतान, जवानी में कठोर परिश्रमी, और बुढापे में अधिक चिंताओं से घिरे रहने वाले, जीवन साथी से वियोग के बाद दुखी रहने वाले, और अपने को एकांत में रखने वाले, पाये जाते हैं। इनके जीवन में उम्र की 45 वीं साल के बाद दुखों का बोझ लद जाता है, और अपने को आराम में नहीं रखपाते हैं। वॄष पॄथ्वी तत्व वाली राशि और भू मध्य रेखा से 20 अंश पर मानी गई है, वॄष, कन्या, मकर, का त्रिकोण, इनको शुक्र-बुध-शनि की पूरी योग्यता देता है, माया-व्यापार-कार्य, या धन-व्यापार-कार्य का समावेश होने के कारण इस राशि वाले धनी होते चले जाते है, मगर शनि की चालाकियों के कारण यह लोग जल्दी ही बदनाम भी हो जाते हैं। गाने बजाने और अपने कंठ का प्रयोग करने के कारण इनकी आवाज अधिकतर बुलन्द होती है। अपने सहायकों से अधिक दूरी इनको बर्दास्त नहीं होती है।

प्रकॄति और स्वभाव[संपादित करें]

वृष राशि - श्वेत वर्ण, शुक्रग्रह स्वामी, लंबा कद, चतुप्पाद (चार पैर), रात्रिबली, दक्षिण दिशा का स्वामी, ग्रामवासी, वैश्य जाति, भूमिचारी, रजोगुणी और पृष्ठोदयी।[1] वृष राशि वाले जातक शांति पूर्वक रहना पसंद करते हैं, उनको जीवन में परिवर्तन से चिढ सी होती है, इस राशि के जातक अपने को बार बार अलग माहौल में रहना अच्छा नहीं लगता है। इस प्रकार के लोग सामाजिक होते हैं और अपने से उच्च लोगों को आदर की नजर से देखते है। जो भी इनको प्रिय होते हैं उनको यह आदर खूब ही देते हैं, और सत्कार करने में हमेशा आगे ही रहते है। सुखी और विलासी जीवन जीना पसंद करते हैं।

आर्थिक गतिविधियां[संपादित करें]

इस राशि के जातको में धन कमाने की प्रवॄति और धन को जमा करने की बहुत इच्छा होती है, धन की राशि होने के कारण अक्सर ऐसे जातक खुद को ही धन के प्रयुक्त करते हैं, बुध की प्रबलता होने के कारण जमा योजनाओं में उनको विश्वास होता है, इस राशि के लोग लेखाकारी, अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, कलाकार, सजावट कर्ता, सौन्दर्य प्रसाधन का कार्य करने वाले, प्रसाधन सामग्री के निर्माण कर्ता, आभूषण निर्माण कर्ता, और आभूषण का व्यवसाय करने वाले, विलासी जीवन के साधनो को बनाकर या व्यापार करने के बाद कमाने वाले, खाद्य सामग्री के निर्माण कर्ता, आदि काम मिलते हैं। नौकरी में सरकारी कर्मचारी, सेना या नौसेना में उच्च पद, और चेहरे आदि तथा चेहरा सम्भालने वाले भी होते हैं। धन से धन कमाने के मामले में बहुत ही भाग्यवान माने जाते हैं।

स्वास्थ्य और रोग[संपादित करें]

वृष राशि वालो के लिये अपने ही अन्दर डूबे रहने की और आलस की आदत के अलावा और कोई बडी बीमारी नहीं होती है, इनमे शारीरिक अक्षमता की आदत नहीं होती है, इनके अन्दर टांसिल, डिप्थीरिया, पायरिया, जैसे मुँह और गले के रोग होते हैं, जब तक इनके दांत ठीक होते है, यह लोग आराम से जीवन को निकालते हैं, और दांत खराब होते ही इनका जीवन समाप्ति की ओर जाने लगता है। बुढापे में जलोदर और लकवा वाले रोग भी पीछे पड जाते है।

सारावली भदावरी ज्योतिष

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वृषभ राशि वालों के लिए कौन सा दिन शुभ होता है?

वृषभ राशि का 'शुक्र' ग्रह से निकट का संबंध है। इस कारण इस राशि के जातकों के लिए भाग्यशाली दिन शुक्रवार होता है। इसके अलावा वृषभ राशि के लिए बुधवार एवं शनिवार के दिन भी शुभ होते हैं।

वृष राशि वालों की किस्मत कब खुलेगी?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वृषभ राशि के जातकों का भाग्योदय उनके जीवन के 33वें वर्ष में, 44वें वर्ष, और 61वें वर्ष में होता है. इन वर्षों के दौरान इनकी किस्मत खुल जाती है.

वृषभ राशि का लकी नंबर क्या है?

वृषभ राशि के जातकों के लिए 6 का अंक भाग्यशाली होता है। अतः 6 अंक की श्रृंखला 6, 15, 24, 33, 42, 51... शुभ होती है। इनके लिए 4, 5, 8 अंक शुभ, 3 अंक सम एवं 1, 2 अंक अशुभ फलदायी हैं।

वृषभ राशि का दुश्मन कौन है?

सिंह, कुंभ राशि वालों के साथ वृषभ का संबंध शुभ नहीं रहता है। मेष, मिथुन, तुला तथा धनु के साथ वृषभ का संबंध उदासीन-सा रहता है।

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