वेतन आयोग कब से लागू हुआ? - vetan aayog kab se laagoo hua?

सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. सरकार जनवरी 2016 से सातवां वेतन आयोग लागू करने जा रही है. आयोग को केंद्र सरकार के करीब 48 लाख कर्मचारियों तथा 55 लाख पेंशनभोगियों के नए वेतनमान, भत्तों और पेंशन की समीक्षा पर अपनी रिपोर्ट दिसंबर 2015 तक देनी है.

सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद केंद्र सरकार के 48 लाख कर्मचारियों को और 55 लाख पेंशनभोगियों को इसका लाभ मिलेगा. जस्टिस ऐ.के. माथुर की अध्यक्षता वाले 7वें वेतन आयोग का गठन फरवरी 2014 में उत्तर प्रदेश सरकार ने किया था.

वाटल ने कहा कि हालांकि सिफारिशों को 1 जनवरी 2016 से क्रियान्वित किया जाना है लेकिन चालू वित्त वर्ष में सरकारी खजाने पर बहुत ज्यादा बोझ नहीं पड़ेगा, हालांकि इसका अगले वित्त वर्ष पर जरूर प्रभाव पड़ेगा.

ऐसी उम्मीद की जा रही है कि आयोग सरकार से यह सिफारिश भी कर सकता है कि अधिकतम सेवाकाल 33 वर्ष तक का कर दी जाए. ऐसा करने से कई लोग 60 वर्ष से पहले रिटायर हो जाएंगे.

गौरतलब है कि छठे वेतन आयोग में न्यूनतम मूल वेतन को 3050 से बढ़ाकर 7730 किया गया था और सातवें वेतन आयोग में इसे बढ़ाकर 15 हजार किये जाने की उम्मीद है.

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सातवें वेतन आयोग का गठन केन्द्र सरकार ने अपने द्वारा बनाई गई एक सरकारी बॉडी की सिफारिशों के बाद किया था। इसका गठन 1 जनवरी 2016 को किया गया था। अशोक कुमार माथुर सातवें वेतन आयोग के चेयरमैन थे। सातवें वेतन आयोग ने कर्मचारियों के वेतन की समीक्षा की साथ ही पेंशन पर भी फोकस किया गया। इसके अलावा अलग-अलग विभागों में कर्मचारियों की जरूरतों पर भी ध्यान दिया गया कि कहां किस जगह पर किसी कर्मचारी को किसी खास चीज की जरूरत है।

सातवें वेतन आयोग के तहत केन्द्र सरकार के सभी कर्मचारी और सिविल फोर्सेस में काम करने वाले कर्मचारियों के अलावा वो लोग भी शामिल थे जो केन्द्र सरकार के फंड से सैलरी प्राप्त करते हैं। पब्लिक सैक्टर और ग्रामीण डाक सेवक सातवें वेतन आयोग की समीक्षा में शामिल नहीं थे। सातवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम सैलरी को 7 हजार से बढ़ाकर 18 हजार रुपए कर दिया गया। जिससे डियरनेस अलाउंस भी 90 फीसदी तक बढ़ गया।

नई दिल्ली: केंद्रीय कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करने के लिए हर दस साल में एक पे कमीशन (pay commission) का गठन करती है। इसकी सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी तय की जाती है। अब तक सात बार पे कमीशन बनाया जा चुका है। देश में पहला पे कमीशन जनवरी 1946 में बना था और सातवां पे कमीशन 28 फरवरी, 2014 को गठित हुआ था। अब देश में आठवां पे कमीशन बनाया जाना है जिसका केंद्रीय कर्मचारियों को बेसब्री से इंतजार है। लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि फिलहाल उसके पास आठवां पे कमीशन बनाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

वित्त राज्य मंत्री पकंज चौधरी ने सोमवार को संसद में कहा कि फिलहाल 8वें वेतन आयोग पर कोई विचार नहीं है। ऐसा कोई भी मामला विचाराधीन नहीं है। वह लोकसभा में एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार के पास केंद्रीय कर्मचारियों के लिए आठवें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) का प्रस्ताव विचाराधीन है ताकि इसे एक जनवरी, 2026 से लागू किया जा सके। हालांकि चौधरी ने इस दावे का खंडन किया कि आठवां केंद्रीय वेतन आयोग नहीं बनेगा।

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कब बढ़ेगा महंगाई भत्ता
यह पूछे जाने पर कि महंगाई के मद्देनजर कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने के लिए सरकार क्या कर रही है, वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि इसके लिए उन्हें महंगाई भत्ता (DA) दिया जाता है। ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स के आधार पर महंगाई की दर का गणना होती है और इसी आधार पर हर छह महीने में केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता संशोधित किया जाता है। इस बीच केंद्रीय कर्मचारियों को डीए का भी बेसब्री से इंतजार है। इस मामले में जल्दी ही सरकार फैसला ले सकती है।

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इससे पहले सोमवार को एक सवाल के जवाब में चौधरी ने कहा था कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के मुताबिक केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को दिए जाने वाले वेतन, भत्ते और पेंशन की समीक्षा के लिए एक और वेतन आयोग का गठन करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। लेकिन पे मैट्रिक्स की समीक्षा और संशोधन के लिए नई व्यवस्था पर काम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी व्यवस्था पर काम कर रही है जिससे कर्मचारियों की सैलरी उनकी परफॉर्मेंस (Performance linked increment) के आधार पर बढ़े। उन्होंने कहा Aykroyd फॉर्मूला के आधार पर सभी भत्तों और वेतन की समीक्षा की जा सकती है।

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भारत में अब तक 7 वेतन आयोगों का गठन किया गया है. भारत में पहले वेतन आयोग का गठन जनवरी, 1946 में श्रीनिवास वरादाचरियर की अध्यक्षता में स्थापित किया गया था. देश में वेतन आयोग का गठन हर 10 साल के अन्तराल पर सरकारी कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के लिए किया जाता है.

 भारत में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था जिन्हें 1 जनवरी, 2016 से लागू किया जा चुका है. ध्यान रहे कि 7वें वेतन आयोग को लागू किये जाने से सरकार को 1 लाख करोड़ से अधिक का वित्तीय बोझ सहन करना पड़ेगा l पहले वेतन आयोग में 9 सदस्य थे जबकि दूसरे में एक सैन्य सदस्य सहित छह सदस्य थे; तीसरे और चौथे कमीशन में 5 सदस्य थे लेकिन कोई सैन्य सदस्य नहीं थाl

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आइये अब एक-एक करके सभी वेतन आयोगों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं :

प्रथम वेतन आयोग (First Pay Commission):

1946 में गठित पहले वेतन आयोग (Pay Commission) में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी का मूल वेतन 30 रूपए और तृतीय श्रेणी के कर्मचारी का मूल वेतन 60 रूपए निर्धारित किया गया थाl

Image Source: Zee News 

इसके अलावा आयोग ने केन्द्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम मजदूरी 55 रूपए (30 रूपए मूल वेतन और 25 रूपए मंहगाई भत्ता) निर्धारित किया गया थाl पहले वेतन आयोग की सिफारिश को 1946 में ही लागू कर दिया गया थाl यह वेतन आयोग श्रीनिवास वरादाचरियर (Srinivasa Varadachariar) की अध्यक्षता में गठित किया गया था। इस आयोग का मुख्य काम सामान्य कर्मचारियों के वेतनमान की जांच और अन्य वेतन की अनुशंसा करना था। पहले वेतन आयोग ने न्यूनतम आय को 55 रुपये प्रति माह और अधिकत्तम आय को 2000 रुपये प्रति माह तय किया था l

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दूसरा वेतन आयोग (Second Pay Commission)

दूसरे वेतन आयोग का गठन अगस्त 1957 में आजादी के 10 साल बाद स्थापित हुआ था और इसने दो साल के बाद अपनी रिपोर्ट दे दी। दूसरे वेतन आयोग की सिफारिशों का सरकार पर ₹ 39.6 करोड़ का वित्तीय प्रभाव पड़ा था। इस वेतन आयोग के अध्यक्ष जगन्नाथ दास थे। दूसरे वेतन आयोग ने इस बात को सुनिश्चित किया कि किस आधार पर कर्मचारियों का वेतन निर्धारण किया जाना चाहिये l इसने अपनी अनुशंसा में कहा कि वेतन संरचना और सरकारी कर्मचारियों की कामकाजी परिस्थितियां एक तरह से तैयार की जानी चाहिए ताकि कम से कम योग्यता वाले लोगों की भर्ती के द्वारा सिस्टम के कुशल कार्य को सुनिश्चित किया जा सके।

तीसरा वेतन आयोग (Third Pay Commission)

तीसरे वेतन आयोग का गठन अप्रैल 1970 में हुआ था जिसने अपनी रिपोर्ट 1973 में पेश कर दी थी l इसके अध्यक्ष रघुबीर दयाल थे। इस कमीशन की सिफारिसों के आधार पर सरकार पर 144 करोड़ रुपये का खर्चा आया था l इस कमीशन ने वेतन ढांचे को ठीक करने के लिए तीन बहुत ही जरूरी पॉइंट्स अपनी सिफरिसोँ में जोड़े थे: सबका समावेश, सामान आय और आय की पर्याप्तताl  इस वेतन आयोग ने न्यूनतम निर्वाह के विचार को छोड़ दिया था (जो कि कर्मचारियों को न्यूनतम भरण पोषण करने लायक वेतन की बात पर आधारित था), जो कि पहले वेतन आयोग ने शुरू किया था l इस कमीशन ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि सैलरी इतनी पर्याप्त और आकर्षक जरूर हो कि लोगों को काम करने के लिए प्रेरित करती रहे l

चौथा वेतन आयोग (Fourth Pay Commission)

चौथे वेतन आयोग की स्थापना जून 1983 में की गई थी जिसे जिसने 4 साल बाद अपनी रिपोर्ट 18.3.1987 को सौंप दी थी l इस वेतन आयोग के अध्यक्ष पी एन सिंघल थेl इसकी सिफारिसों के अनुपालन पर सरकार के ऊपर कुल 1282 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ आया था l इस कमीशन की सिफारिसों के आधार पर देश में पहली बार सशस्त्र बलों के अधिकारियों के लिए 'रैंक वेतन' की अवधारणा को लागू किया गया था l हालांकि बाद में इसे ('रैंक वेतन') सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध घोषित कर दिया गया था l

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पांचवां वेतन आयोग (Fifth Pay Commission)

पांचवे वेतन आयोग के गठन की अधिसूचना 9 अप्रैल, 1994 को जारी की गई थी, लेकिन इसने काम करना 2 मई 1994 को शुरू किया था lइस वेतन आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एस रत्नवेल पांडियन और सदस्य सुरेश तेंदुलकर ( प्रोफेसर दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स) और एम.के. काव (IAS) थे l इसकी सिफारिशें लागू करने पर सरकार के ऊपर 17,000 करोड़ रुपये का खर्च आया था l इसने कर्मचारियों की सैलरी में 31% बढ़ोत्तरी की बात कही थी l 1996-97 में केंद्र सरकार की कर्मचारियों के वेतन पर कुल 218.85 अरब रुपये खर्च करती थी जो कि पांचवे वेतन आयोग की सिफारिसों के लागू होने के बाद 99% बढ़कर ₹ 43,568 करोड़ हो गया था l

इसकी सिफारिशों में से एक यह थी कि सरकार कर्मचारियों की संख्या लगभग 30% तक घटा दे; और खली पड़े करीब 3,50,000 रिक्त पदों पर भर्ती ना करे l हालांकि इसकी इन सिफारिशों में से किसी को भी लागू नहीं किया गया था l इस आयोग की सिफारिसों की निंदा विश्व बैंक ने भी की थी l

छठा वेतन आयोग (Sixth Pay Commission)

मंत्रिमंडल ने जुलाई 2006 में, न्यायमूर्ति बी एन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में छठे वेतन आयोग की स्थापना को मंजूरी दे दी थीl  आयोग को 18 महीने की समय सीमा के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी थी l छठे वेतन आयोग की सिफारिसों के आधार पर करीब 55 लाख सरकारी कर्मचारियों की सैलरी पर कुल 20,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार सरकार के ऊपर आया था l छठा वेतन आयोग मुख्य रूप से विभिन्न वेतनमानों के संबंध में अस्पष्टता को दूर करने और मुख्य रूप से वेतनमानों की संख्या को कम करने और वेतन बैंड (pay bands) के विचार को लाने पर केंद्रित था। इसने समूह-डी के कैडर को हटाने की सिफारिश भी की थी l सभी वेतन आयोगों में बढ़ी हुई सैलरी में प्रतिशत बृद्धि इस प्रकार है:

Image Source: Govt. Employees India

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इस आयोग के गठित होने से पहले भारत में क्लास 1 अधिकारियों का वेतन भी बहुत कम था जैसे 25 साल के काम का अनुभव रखने वाले आईएएस अधिकारी को भी सिर्फ 55,000 रूपये प्रति महीने मिलते थे l

सातवाँ वेतन आयोग (Seventh Pay Commission)

25 सितंबर, 2013 को तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 7 वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। इस आयोग का अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए.के. माथुर को बनाया गया था l 29 जून 2016 को, सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था जिन्हें 1 जनवरी, 2016 से लागू किया जा चुका है। इस कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर लगभग 1 करोड़ सरकारी कर्मचारियों (50 लाख) और पेंशनधारियों (58 लाख) के लिए वेतन, भत्ते और पेंशन में 23.55 प्रतिशत समग्र वृद्धि हो गयी है l इस आयोग की सिफारिशों के लागू होने के कारण सरकार पर 1.02 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.7% अतिरिक्त बोझ बढ़ने का अनुमान है।

(ए.के. माथुर वित्त मंत्री को रिपोर्ट सौंपते हुए)

Image Source:The Hindu

आयोग ने न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये प्रति माह तय करने की सिफारिश की है जबकि वर्तमान में यह 7,000 रुपये है। सर्वोच्च वेतन की अधिकतम सीमा 2,25,000 रुपये प्रति महीना और कैबिनेट सचिव और अन्य के लिए वेतन 2,50,000 रुपये प्रति माह के रूप में निर्धारित किया गया है जो कि छठवें आयोग के समय में 90,000 रुपये प्रति माह था l

Image Source: Govt. Employees India  

पहले वेतन आयोग के लागू होने पर कर्मचारियों की शुरूआती सैलरी 35 रुपये थी जो कि दूसरे आयोग के लागू होने पर 80 रुपये, तीसरे आयोग के बाद 185 रुपये और सातवें आयोग के बाद 18000 हो गयी है l इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि सरकार अपने कर्मचरियों को बढती महंगाई और जिम्मेदारियों से निपटने के लिए हर 10 साल पर एक वेतन आयोग का गठन कर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाती  है l

वेतन आयोग कब लागू किया गया था?

पहला पे कमीशन जनवरी 1946 में बना था और सातवां पे कमीशन 28 फरवरी, 2014 को गठित हुआ था, जिसे 2016 में मंजूरी मिली. दरअसल, हर 10 साल पर वेतन आयोग का गठन होता है. 8वें वेतन आयोग को 2026 में आना प्रस्तावित है.

वेतन आयोग का गठन क्यों किया गया?

बसवराज बोम्मई ने मार्च में घोषणा की थी कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन की समीक्षा के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा। वेतन आयोग करीब छह लाख कर्मचारियों के वेतन की विभिन्न संभावनाओं पर गौर करेगा।

उत्तर प्रदेश में सातवां वेतन आयोग कब लागू हुआ?

7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशें 2016 में लागू की गई थीं. उस बात को अब 5 साल बीत चुके हैं. अब चर्चा है कि केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी तय करने के लिए 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) का गठन हो सकता है.

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