सब्सक्राइब करे youtube चैनल Electromagnetic induction in hindi विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की परिभाषा क्या है (फैराडे तथा हेनरी के प्रयोग ) : हम अध्ययन कर चुके है की विद्युत धारा या गतिमान आवेश के कारण चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है इसे देखते हुए
फैराडे तथा हेनरी ने सोचा की फिर तो चुंबकीय क्षेत्र के कारण विद्युत धारा भी उत्पन्न होनी चाहिए। इसलिए फैराडे तथा हेनरी ने धारामापी , कुण्डली तथा चुम्बक पर प्रयोग किये लेकिन धारामापी में कोई विक्षेप उत्पन्न नही हुआ अर्थात कोई धारा प्रवाहित होती हुई नही दिखी। जिससे ये गुस्से में आ गए और चुम्बक को फेंक दिया , संयोगवस चुम्बक कुण्डली में जा गिरा
और उन्होंने देखा की धारामापी में विक्षेप उत्पन्न हो गया।
इसे देखकर उनको यकीन हो गया की उनका प्रयोग कामयाब हुआ क्यूंकि वो इसी के लिए तो यह प्रयोग कर रहे थे की चुम्बकीय क्षेत्र के कारण भी विद्युत धारा उत्पन्न हो सकती है।
इसके बाद इन्होने इस पर अनेक प्रयोग किये
फैराडे तथा हेनरी के प्रयोग
1. जब दण्ड चुम्बक (कुण्डली) के पास जब चुम्बक का उत्तरी ध्रुव पास लाया जाता है तो धारामापी में विक्षेप उत्पन्न हो जाता है अत: हम कह सकते है की चुम्बक की गति से विद्युत धारा उत्पन्न हो जाती है। इस स्थिति में चुम्बक का उत्तरी ध्रुव , कुण्डली के पास वाला सिरा उत्तरी ध्रुव की भांति व्यवहार करता है।
इसी प्रकार जब चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाते है तो भी धारामापी में विक्षेप उत्पन्न हो जाता है अर्थात दूर गति कराने से भी विद्युत धारा उत्पन्न हो जाती है लेकिन इस बार विक्षेप की दिशा विपरीत हो जाती है। इस स्थिति में चुम्बक के उत्तरी ध्रुव के पास वाला सिरा कुण्डली के दक्षिणी ध्रुव की तरह कार्य करता है।
2. यदि चुम्बक की गति बंद कर दे अर्थात चुम्बक को स्थिर रखने पर धारामापी में विक्षेप बंद हो जाता है इससे
स्पष्ट है की कुण्डली में धारा तब तक प्रवाहित होती रहती है जब तक की कुण्डली तथा चुम्बक के मध्य सापेक्ष गति होती है .
3. यदि चुम्बक के दक्षिण ध्रुव को कुण्डली के पास लेकर जाए तो भी धारामापी में विक्षेप उत्पन्न होता है तथा दूर ले जाने पर भी विक्षेप उत्पन्न होता है लेकिन इस स्थिति में धारा की दिशा विपरीत हो जाती है .
4. यदि अब चुम्बक को स्थिर रखकर कुण्डली को गति करवाए तो भी धारा प्रवाह के कारण धारामापी में विक्षेप उत्पन्न होता है इसका मान उतना ही ही होता है जितनी गति से चुम्बक को गति करवाने
पर उत्पन्न हो रहा था .
5. कुण्डली पर फेरो की संख्या बढ़ाने पर धारा का मान बढ़ जाता है।
6. कुण्डली तथा चुम्बक दोनों को सापेक्ष गति करवाने पर भी धारा प्रवाहित होती है अर्थात विक्षेप उत्पन्न होता है।
अत: स्पष्ट है की कुण्डली में विद्युत धारा दोनों के बीच आपेक्षिक गति के कारण उत्पन्न होती है।
जब आपेक्षिक गति होती है तो कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है तथा इस प्रेरित विद्युत वाहक बल के
कारण कुण्डली में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है इसलिए इस घटना को विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहते है।
विषय सूची
- विद्युत चुंबकीय प्रेरण
- विद्युत चुंबकीय प्रेरण की राशियां
- Physics class 12 chapter 6 notes in Hindi
विद्युत चुंबकीय प्रेरण
चुंबकीय फ्लक्स परिवर्तन के कारण विद्युत वाहक बल के प्रेरित होने की घटना को विद्युत चुंबकीय प्रेरण (electromagnetic induction in Hindi) कहते हैं।
विद्युत चुंबकीय प्रेरण की घटना में जो धारा प्रवाहित होती है। उस धारा को प्रेरित धारा कहते हैं। एवं इस घटना में जो विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है। उसे प्रेरित
विद्युत वाहक बल कहते हैं।
Note –
1. स्वप्रेरण का उदाहरण चोक कुंडली होता है। एवं अन्योन्य प्रेरण का उदाहरण ट्रांसफार्मर होता है।
2. विद्युत धारा हमेशा बंद परिपथ में ही प्रवाहित होती है। खुले परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है।
पढ़ें… चुंबकत्व एवं द्रव्य के नोट्स | Physics class 12 chapter 5 notes in Hindi
प्रस्तुत अध्याय के अंतर्गत विद्युत चुंबकीय प्रेरण पाठ को कई भागों में विभाजित किया गया है ताकि इस पाठ को पूरा समझने में आसानी हो। इन सभी भागों का सीधा लिंक नीचे दिया गया है वहां जाकर आप छात्र अपने पसंद के भाग को पढ़ सकते हैं।
विद्युत चुंबकीय प्रेरण की राशियां
राशि | प्रतीक | मात्रक | विमीय सूत्र |
चुंबकीय क्षेत्र | B | बेवर/मीटर2 या टेस्ला | [MT-2A-1] |
चुंबकीय फ्लक्स | ΦB | बेवर | [ML2T-2A-1] |
चुंबकीय फ्लक्स घनत्व | \small \overrightarrow{B} | बेवर/मीटर2 या टेस्ला | [MT-2A-1] |
स्व प्रेरकत्व | L | हेनरी | [ML2T-2A-2] |
अन्योन्य प्रेरकत्व | M | हेनरी | [ML2T-2A-2] |
Physics class 12 chapter 6 notes in Hindi
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