हेलो दोस्तों प्रश्न दिया गया है वैद्युत द्विध्रुव का एस आई मात्रक क्या है ठीक है तो मैं वैद्युत द्विध्रुव के लिए ऐसा ही मात्र कमान बताना है क्या होता है वैद्युत द्विध्रुव समझते हैं कि क्या होता है कि जब दो बराबर परंतु विपरीत प्रकृति द्वारा शव को अल्प दूरी पर रखा जाता है अगर समझे तो क्या बताएं यहां से दो बराबर मतलब की एक आवेश क्यों हमारा ठीक एक आवाज आवेश क्यों यह मराठी के दोनों को अलग दूरी पर जाता है दोनों की जो दूरी है वह ने मालिक तू हाल है ठीक है और परंतु विपरीत प्रकृति के मतलब एक ही है - का तू आवे से एक हमारा प्लस का क्यों आवे से ठीक है तो दे दो सामान आवेश तथा विपरीत प्रकृति आवेशों को एक दूसरे से अलग दूरी पर रखा जाता है तो क्या होता है किसी एक आवेश का गुणनफल किसी एक आवेश तथा अल्प दूरी का गुणनफल पुणे टू हेल का गुणनफल जो होता है वह वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण कहलाता है जिसे हम पी से लिखते हैं ठीक है यहां पर अगर वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण को समझें तुम्हारा यह होता है कि मिंटू 2l बराबर हमारा होता है टोपी बराबर होता है बारा पीके यह मारा जाता है वह दूध
अगर इसके मात्रक की बात करें तो यहां से इसका मात्रक में निकाल सकते हैं क्यों हमारा क्या आदेश है तो इसका मात्रक हमारा क्या होता गुलाम अलमारी लंबाई है तो मीटअप यहां से इसका मात्रक आ जाएगा वह आ जाएगा कूलाम मीटर इसका जो मात्रक होता है वह मारा गुलाम मीटर होता है और इसकी आंखें बीमा भी हम लिख सकते इसकी बीमा जो कि वह एलटी योगी हमारी क्या होगी इसकी विमा हो जाएगी और यह मारा क्या आ गया इसका मात्रक आ गया तो पर्सनल से मात्र कमाल पूछा गया था तो माताजी उसका होगा वह मेरा क्या होगा खुला मीटर यूनो का इसका मात्रक हो जाएगा धन्यवाद
हेलो दोस्तों हमारा प्रश्न है वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण का एस आई मात्रक खाली स्थान है यानी कि जो हमसे पूछा जा रहा है कि बैटरी तू आघूर्ण का एस आई मात्रक क्या होता है यह हमें पता करना है ठीक है भाई इस प्रश्न को हल करते हैं तो सबसे पहले जान लेते हैं कि पति तीतरों क्या होता है ठीक है दोस्तों बैटरी दे तू माने क्या होता है जिसमें दो बराबर परंतु विपरीत प्रकार के बिंदु आवेश एक दूसरे से बहुत अल्प दूरी पर स्थित होते हैं ठीक है अगर मान लें कि 2 बिंदु आवेश A1 प्लस क्यों है ठीक है यह यह यह प्लस क्यों है और एक जो है मालिया माइनस क्यू है ठीक है और यह एक दूसरे से बहुत अल्प दूरी मान लिया कि अल दूरी पर है ठीक है तो इस प्रकार का जो निकाह होता है उसको क्या बोलते हैं बैटरी दे दूं इसमें जो है दोनों पर आवेश सेम है लेकिन जो है उनके अनेक धन आवेश और एक ऋण आवेश से ठीक है तो इस प्रकार के निकाय कौन क्या कहते हैं ठीक है अब दोस्तों दुआ गुणों में जानना है ठीक है और क्या होता है
वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण को हम पीछे दर्शाते हैं तो तीव्र और क्या होता है दोस्तों क्यों गुड़हल यानी जो है इसमें से एक आवेश का परिमाप तथा जिधर की लंबाई कितनी थी दुआ गुण होता है या नहीं बताओ क्या होता है क्योंकि उन्हें अब यहां से अगर इसका मात्रक निकाले ठीक है तो क्यों यानी आवेश का माता क्या होता है आवेश का मात्रक होता है गुलाम ठीक है इसका मात्रक हो जाएगा गुलाम ठीक और लंबाई का मात्रक क्या होता है मीटर ठीक है खुला मीटर इस प्रकार जो है हमने देख लिया कि यह बर्थडे जीतू आघूर्ण पी का माता क्या है गुलाम मीटर ठीक है तो मैं दे देता आघूर्ण का माता क्या हो गया गुलाम मीटर ठीक है इसका एक खाली स्थान में क्या हो जाएगा गुलाम मीटर ठीक है बाय थे तो तू आघूर्ण का एस आई माता क्या है गुलाम ठीक है मीटर है ठीक है हमारा उत्तर है थैंक यू दोस्तों
वैद्युत द्विध्रुव (इलेक्ट्रिक डाइपोल) वह निकाय (सिस्टम) है जिसमे दो बराबर परन्तु विपरीत प्रकार के बिन्दु आवेश एक-दूसरे से अल्प दूरी पर स्थित होते हैं। किसी एक आवेश तथा दोनो आवेशों के बीच की दूरी के गुणनफल को वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण (electric dipole moment) p कहते हैं। वास्तव में वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण उस निकाय में हुए आवेशों के ध्रुवीकरण को मापता है और अन्तर्राष्ट्रीय इकाई प्रणाली में इसकी इकाई कूलम्ब-मीटर है।[1][2]
प्रकृति मे विभिन्न स्थितियों मे वैद्युत द्विध्रुव प्रकट होता है। दोनो आवेशो को मिलाने वाली रेखा को द्विध्रुव की अक्ष कहते हैं। यदि वैद्युत द्विध्रुव के दोनो आवेश -q तथा +q कूलॉम हों तथा उनके बीच की दूरी 2l मीटर हो तब वैद्युत द्विध्रुव का आघूर्ण ( p = q.2l) होता है। वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण एक सदिश है जिसकी दिशा प्रायः ऋणात्मक आवेश से धनात्मक आवेश की तरफ लिया जाता है।
सरल परिभाषा[संपादित करें]
यदि दो बराबर के बिन्दु आवेश (चार्ज) हों - एक ऋणात्मक और दूसरा धनात्मक - जिन्हें +q और −q लिखा जाये और उन दोनों के बीच का (ऋणात्मक से धनात्मक दिशा में जाता हुआ) विस्थापन सदिश (डिसप्लेसमेंट वेक्टर) d हो, तो अगर विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण को p द्वारा दिखाया जाये तो वह इस प्रकार होगा:
इसमें p की दिशा भी ऋणात्मक से धनात्मक की ओर होगी।
यदि बहुत से बिन्दु आवेश हों तो उनका विद्युत द्विध्रुवाघूर्ण निम्नलिखित तरीके से परिभाषित किया जाता है-
जहाँ , आवेश का स्थिति सदिश है।
विद्युत क्षेत्र E में रखे द्विध्रुव पर लगने वाला बलाघूर्ण.कुछ अणुओं के विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण[संपादित करें]
जल (H2O) के अणु का विद्युत द्विध्रुवाघूर्ण
−δ: ऋणात्मक आवेश
+δ: धनात्मक आवेश
p: द्विध्रुव आघूर्ण
CO[4] | 0,11 | 0,367 |
HF[4] | 1,826178 | 6,0915 |
HCl[4] | 1,109 | 3,700 |
HBr[4] | 0,827 | 2,759 |
HI[4] | 0,448 | 1,495 |
NH3[4] | 1,471 | 4,907 |
PF3[5] | 1,025 | 3,419 |
H2O[6] | 1,84 | 6,152 |
H2S[4] | 0,97 | 3,236 |
CH2O[7] | 2,34 | 7,806 |
NaCl[8] | 8,5 | 28,356 |
KF[6] | 7,33 | 28,690 |
KCl[6] | 10,48 | 34,261 |
KBr[6] | 10,41 | 34,728 |
KI[6] | 11,05 | 30,825 |
CsCl[4] | 10,387 | 34,647 |
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ Raymond A. Serway, John W. Jewett, Jr. (2009). Physics for Scientists and Engineers, Volume 2 (8th ed.). Cengage Learning. p. 756. ISBN 1439048398.
- ↑ Christopher J. Cramer (2004). Essentials of computational chemistry (2 ed.). Wiley. p. 307. ISBN 0-470-09182-7.
- ↑ Bei einer Temperatur von 20 °C und einem Druck von 101,325 kPa.
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ David R. Lide: CRC Handbook of Chemistry and Physics. 87. Auflage. B&T, ISBN 0-8493-0487-3.
- ↑ David Frank Eggers: Physical chemistry. Wiley, ISBN 978-0-471-23395-4, p. 572 (साँचा:Google Buch).
- ↑ अ आ इ ई उ BI Bleaney, Betty Isabelle Bleaney, Brebis Bleaney: Electricity and Magnetism, Volume 2 Third Edition. OUP Oxford, ISBN 978-0-19-964543-5, p. 303 (साँचा:Google Buch).
- ↑ Jean-Marie André, Joseph Delhalle, Jean Luc Brédas: Quantum Chemistry Aided Design of Organic Polymers An Introduction to the Quantum Chemistry of Polymers and Its Applications. World Scientific, ISBN 978-981-02-0004-6, p. 89 (साँचा:Google Buch).
- ↑ Jacob N. Israelachvili: Intermolecular and Surface Forces Revised Third Edition. Academic Press, ISBN 978-0-12-391927-4, p. 72 (साँचा:Google Buch).
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- विद्युत आवेश
- आघूर्ण
- चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण