10 साल का बच्चा कौन सी क्लास में होना चाहिए - 10 saal ka bachcha kaun see klaas mein hona chaahie

Written By : विजय शंकर | Edited By : Nihar Saxena | Updated on: 31 Mar 2022, 09:10:04 AM

छात्रों में एकरूपता लाने के लिए शिक्षा मंत्रालय का बड़ा कदम. (Photo Credit: न्यूज नेशन)

highlights

  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत की गई सिफारिश को माना गया
  • फिलहाल 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में लागू है यह व्यवस्था
  • सबसे पहले केंद्रीय विद्यालयों में लागू की गई थी यह उम्र सीमा

नई दिल्ली:  

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत देश भर के स्कूलों में फर्स्ट क्लास में एडमिशन (Admission) की उम्र में समानता लाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है. इसके तहत अब देश भर के स्कूलों (Schools) में पहली कक्षा में प्रवेश करने के लिए बच्चे का कम से कम छह साल का होना जरूरी हो जाएगा. गौरतलब है कि केंद्रीय स्कूलों में फर्स्ट क्लास में एडमिशन की न्यूनतम उम्र पहले से ही छह साल रखी गई है. अब इसे राज्य स्तर पर लागू किया जा रहा है. इस बाबत केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं. इनके साथ कहा गया है कि आने वाले दो-तीन साल में कक्षा एक में प्रवेश के लिए न्यूनतम उम्र की व्यवस्था को अमल में ले आया जाए.

अभी इतने राज्यों और यूटी में लागू है यह उम्र 
प्राप्त जानकारी के मुताबिक शिक्षा मंत्रालय ने यह कदम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में की गई सिफारिश के बाद उठाया है. इसके तहत स्कूली शिक्षा के ढांचे को पूरी तरह से बदल दिया गया है. इसमें पहली कक्षा में दाखिले की उम्र छह साल तय की गई है. यह अलग बात है कि अभी भी बिहार, उत्तर प्रदेश सहित करीब 22 ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं, जहां फर्स्ट क्लास में एडमिशन की कम से कम उम्र छह साल है. दूसरी ओर गुजरात, दिल्ली और केरल जैसे करीब 14 ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भी हैं, जहां पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र पांच साल या साढ़े पांच साल है.

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अब इस व्यवस्था को देश भर में लागू करने की तैयारी
शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि पहली कक्षा में दाखिले की उम्र में समानता नहीं होने से इसका खामियाजा छात्रों को एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट होने या प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने पर उठाना पड़ता है. इसके अलावा सभी राज्यों में पहली कक्षा में दाखिले की अलग-अलग उम्र होने से आयुवर्ग के आधार पर नामांकन के जुटाए जाने वाले ब्योरे में भी गलती रहती है. इससे राज्यों और राष्ट्रीय स्तर पर शुद्ध नामांकन अनुपात पर परोक्ष प्रभाव पड़ता है. फिलहाल बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, तमिलनाडु, सिक्किम, मिजोरम, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, ओडिशा, नगालैंड, चंडीगढ़, लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली में पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र 6 साल ही है. 

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First Published : 31 Mar 2022, 09:08:43 AM

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जैसे-जैसे बच्चे बड़े हो रहे होते है पेरेंट्स को उन्हें प्ले स्कूल या प्री-स्कूल भेजने के बारे में सोचते है। वह उनके बेहतर भविष्य के लिए हर जरूरी निर्णय को लेकर काफी सजग रहते हैं ताकि उनके बच्चे का भविष्य अच्छा बनें और उन्हें स्कूल जाने में कोई परेशानी न हो। दरअसल ज्यादातर पेरेंट्स बच्चों को प्ले स्कूल इसलिए भेजते हैं ताकि उनका बच्चा अन्य बच्चों के साथ घुलना-मिलना सीखें। बच्चों के भावनात्मक, सामाजिक, शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उन्हें प्ले स्कूल में भेजना चाहिए। वह इससे चीजें आसानी से सीखते हैं। बच्चे को हम प्ले स्कूल में तब भेजते हैं, जब वह चलना, बात करना, दूसरों से संबंध बनाना और अन्य जरूरी बातें सीखते हैं। बच्चे के मस्तिष्क का 90 प्रतिशत विकास 5 वर्ष की आयु तक हो जाता है। ऐसे में अन्य बच्चों के साथ उनका विकास तेजी से होता है। साथ ही वह सीखने को लेकर भी उत्सुक रहते हैं और आगे भी स्कूल जाने में उनका मन लगा रहता है और पढ़ाई में भी वह बेहतर कर पाते हैं। इसलिए आपको बच्चे को प्ले स्कूल भेजने के फायदे और इसके लिए क्या आपका बच्चा तैयार है या नहीं, इन बातों को भी समझ लेना चाहिए। 

बच्चों को प्ले स्कूल भेजने के फायदे (Playschool Benefits for Kids)

1. भाषा और शब्दाबली में सुधार

प्ले स्कूल जाने से बच्चों की भाषा और शब्दाबली में सुधार आता है और शब्दावली का विकास होता है क्योंकि बच्चे घर पर जितना सीख पाते हैं और उससे अधिक प्ले स्कूल में बोलना और शब्दों को पहचनना सीखते हैं। इसके अलावा अन्य बच्चों के साथ वह सामंजस्य और शेयरिंग की आदत का विकास भी कर पाते हैं। इससे वह धीरे-धीरे खुद को एक्सप्रेस करना सीखते हैं। 

2. सीखने की क्षमता का विकास

छोटे बच्चों में सीखने और किसी चीज के बारे में जानने की जिज्ञासा बहुत ज्यादा होती है। वह आमतौर पर आसपास की चीजों को छूने, खेलने और देखने के लिए उत्सुक रहते हैं। कई बार पेरेंट्स बच्चे को घर पर उस तरह से समय नहीं दे पाते हैं ताकि वह उनकी हर जिज्ञासा और एक्टिविटी पर ध्यान दें लेकिन प्ले स्कूल में उन्हें तरह-तरह के खेल और एक्टिविटी को करने और चीजों से खेलने का मौका मिलता है। इससे बच्चे की सीखने की क्षमता विकसित होती है और वह किसी चीज को करने से पीछे नहीं भागता है। 

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3. मोटर कौशल का विकास

बच्चा प्ले स्कूल में कई तरह की गतिविधियों में भाग लेता है, जिससे उनके मस्तिष्क, हाथ और आंख के समन्वय में सुधार होता है। क्रेयॉन से रंगने से लेकर खेलने और स्लाइड पर चढ़ने तक और सीढ़ी पर चढ़ना-उतरना बहुत सामान्य लगने वाली गतिविधियों की मदद से भी आपके बच्चों में मोटर कौशल का विकास होता है। प्ले स्कूल में बूच्चे मस्ती और अन्य बच्चों के साथ यह तेजी से सीखते हैं। 

4. दोस्त बनाने में मदद मिलती है

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसके लिए दोस्ती करना और लोगों से संपर्क बनाना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में हमें बच्चों को छोटी उम्र से ही लोगों के साथ व्यवहार करना सीखाने की जरूरत है ताकि बड़े होकर उन्हें किसी तरह की व्यवहार संबंधित दिक्कतें न आएं। प्ले स्कूल में बच्चे कई अलग-अलग तरह के व्यवहार वाले बच्चों के साथ खेलते हैं और दोस्त बनाते हैं। इससे उनमें लोगों के साथ समन्वय बनाने की क्षमता का विकास होता है। 

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5. स्वतंत्र रहना सीखें

घर पर बच्चों को हम कई चीजों को छूनें से रोकते हैं और समय की कमी के कारण उन्हें कई तरह की एक्टिविटीज करने से रोकते हैं लेकिन प्ले स्कूल में वह अपने पसंद का खेल खेलने और गतिविधियों को चुनने के लिए स्वतंत्र रहते हैं। साथ ही वह खुद से खाना, हाथ साफ करना, अपनी चीजों को जगह पर रखना और गिरकर उठने की आदत सीखते हैं। 

बच्चे को प्ले स्कूल कब भेजना चाहिए

पेरेंट्स को अपने बच्चे को प्ले स्कूल तभी भेजना चाहिए, जब वह इसके लिए तैयार हो ताकि उन्हें वहां किसी तरह की कोई समस्या न हो और वह स्वतंत्र रूप से अपना काम कर सकें। इसके लिए आप बच्चे को ढाई साल से साढ़े तीन साल की उम्र में ही प्ले स्कूल भेजें ताकि वह अपने काम खुद से कर सकें और साथ ही वह किसी से अपनी बात कह सकें। जैसे वह अपने टीचर को भूख लगने और बाथरूम जाने के बारे में बता सकें। बहुत छोटे बच्चे को प्ले स्कूल न भेजें। इससे उनके विकास पर असर पड़ सकता है। 

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क्या आपका बच्चा प्री-स्कूल जाने के लिए तैयार

1. रूटीन

इसके लिए आपको देखने की जरूरत है कि क्या आपका बच्चा इतना बड़ा है कि वह एक रूटीन को फॉलो कर सके। जैसे पढ़ाई, खेलने और लंच जैसी चीजों को लेकर उनका एक रूटीन होना चाहिए। अगर आपका बच्चे को एक रूटीन फॉलो करने में परेशानी आती है, तो प्ले स्कूल भेजने से पहले उन्हें घर पर ही एक रूटीन का पालन करना सीखाएं ताकि उनके लिए प्ले स्कूल की दिनचर्या को अपनाना आसान हो। 

2. संचार कौशल 

प्ले स्कूल भेजने से पहले आपको यह बात सुनिश्चित करनी चाहिए कि आपका बच्चा अपनी बातों को समझा पाता है या नहीं क्योंकि वहां आप उनकी बातों को समझने के लिए नहीं होगें। ऐसे में भूख लगने पर या बाथरूम के लिए उन्हें स्वयं ही कहना होगा, तो क्या वह किसी से आपकी अनुपस्थिति में सहजता से बात कर पाते हैं। 

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3. क्या पेरेंट्स से दूर रह पाता 

कई बच्चे पेरेंट्स को न देखने पर रोने लगते हैं और फिर उन्हें शांत करना बेहद मुश्किल हो जाता है। अगर आपके बच्चे के साथ भी ये चीजें हैं, तो आपको ये समझना चाहिए कि आपका बच्चा अभी प्ले स्कूल के लिए तैयार हैं और वह अकेले में रहने के लिए तैयार नहीं है इसलिए उन्हें धीरे-धीरे खुद से अलग खेलने और समय बिताने की आदत डलवाएं। 

4. अपना काम स्वयं कर सकते हैं

कई बार प्ले स्कूल में भी बच्चे को अपना काम करने में परेशानी होती है और वह स्वतंत्र रूप से खेलने और कूदने में सक्षम नहीं होते हैं। ऐसे में वह अपना मन प्ले स्कूल में अन्य बच्चों के साथ नहीं लगा पाते हैं और रोने लगते हैं। इसलिए आपको बच्चों को प्ले स्कूल भेजने से पहले बाथरूम करना, टॉयलेट जाना और कपड़े पहनना सीखना चाहिए। साथ ही उन्हें घर पर खुद से खेलने के लिए छोड़ दें ताकि वह स्वतंत्र रूप से अपनी मनपसंद खेल या चीजों का चुनाव कर सकें।

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फर्स्ट क्लास में कितने साल का बच्चा होना चाहिए?

अभी इतने राज्यों और यूटी में लागू है यह उम्र प्राप्त जानकारी के मुताबिक शिक्षा मंत्रालय ने यह कदम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में की गई सिफारिश के बाद उठाया है. इसके तहत स्कूली शिक्षा के ढांचे को पूरी तरह से बदल दिया गया है. इसमें पहली कक्षा में दाखिले की उम्र छह साल तय की गई है.

15 साल के बच्चे कौन सी क्लास में होते हैं?

इस एट्रिब्यूट का इस्तेमाल करने पर, आपका विज्ञापन उन नतीजों में दिख सकता है जो उम्र के मुताबिक फ़िल्टर किए जाते हैं. ... फ़ॉर्मैट.

उच्च शिक्षा में प्रवेश की न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए?

प्रस्ताव में लिखा गया है कि कक्षा 10 के छात्रों की न्यूनतम आयु 14 वर्ष और अधिकतम आयु 18 वर्ष होनी अति आवश्यक है। यानि 18 वर्ष से अधिक की आयु वाले छात्र हाईस्कूल की परीक्षा नहीं दे पाएंगे।

बच्चा स्कूल नहीं जाता है क्या करें?

अधिकतर बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं क्योंकि उन्हें घर पर हर तरह की फ्रीडम होती है। वह घर पर रह कर वह सब कुछ करते हैं जिनमें उन्हें मजा आता है और इसी कारण उनका स्कूल जाने का मन नहीं करता है। अगर आप अपने बच्चे के साथ घर पर रहते हैं तो उसे अधिक अटेंशन और सिम्पथी न दिखाएं।

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