आनंद के मराठी अध्यापक का क्या नाम था? - aanand ke maraathee adhyaapak ka kya naam tha?

                                          जूझ 

जूझ पाठ के लेखक का क्या नाम है?

मनोहर श्याम जोशी

आनंद यादव

एन फ्रैंक

जूझ पाठ के अनुसार लेखक के घर कोल्हू कब शुरू होता था ?

साल की शुरुआत में

होली पर

दिवाली के बाद

नवरात्रि में

गाँव के अन्य किसान ईख को ज्यादा दिन खेतों में क्यों रहने देना चाहते थे?

गुड़ ज्यादा निकलता है |

गुड़ का दाम बढ़ जाता है

गुड़ का भाव बढ़ जाता ।

सारे गाँव भर में लेखक के घर सबसे पहले कोल्हू क्यों चलता था ?

उसके दादा को हर काम में जल्दी रहती थी |

दादा कोल्हू पेरने के बाद कुछ दिनों के लिए शहर चला जाता था |

उनका गुड बहुत अच्छा नहीं था | अतः बाजार में ज्यादा  गुड़ आ  जाने पर उसके गुड़  को कोई नहीं पूछता |

पाठ के मुख्य नायक का मन किस बात के लिए तड़पता था?

दीवाली पर पटाखा खरीदने के लिए

दत्ता जी राव के घर जाने के के लिए

पाठशाला जाने के लिए

जूझ पाठ में लेखक पढ़ाई क्यों करना चाहता था ?

ताकि वह व्यापार कर सके

ताकि वह वैज्ञानिक बन जाए

ताकि पढ़ लिख कर उसे नौकरी मिल जाए और चार पैसे हाथ में रहेंगे

आनंद के पढ़ने की इच्छा को कौन समझता था?

माँ

दादा

दत्ता जी राव

लेखक अपनी माँ को किसके पास चलने के लिए आग्रह करता है जो उसके दादा को पढ़ाई-लिखाई के महत्व को समझा सकें 

अध्यापक सौंदलगेकर

बाल राव

दत्ता जी राव

वसंत पाटिल

आनंदा और उसकी माँ  ने दत्ता जी राव के पास जाने की क्यों सोची?

ताकि दत्ता जी राव उनका लगान माफ कर दें

ताकि दत्ता जी राव उनकी कुछ आर्थिक सहायता कर सकें

ताकि दत्ता जी लेखक को पाठशाला भेजने के लिए दादा को समझा कर राजी कर सकें

आनंदा और उसकी माँ ने राव जी को किस बात के लिए सचेत कर दिया था ?

उन दोनों के उनके पास आने की बात दादा को ना बताएं

दादा को खेतों में काम करने के लिए विवश करें

दादा का बाहर घूमना बंद कर दिया जाए

आनंदा को खेतों में काम ना करने दिया जाए

"आने दे अब उसे, मैं उसे सुनाता हूँ  कि नहीं अच्छी तरह देख ।" यह कथन किसने व किससे कहा ?

दत्ता राव ने लेखक के पिता से

दत्ता राव ने लेखक की माता से

लेखक के पिता ने लेखक से

दादा के लिए कहाँ का बुलावा सम्मान की बात थी?

मराठी अध्यापक का

देसाई (दत्ता जी राव )के बाड़े का

मंत्री गणित अध्यापक का

आनंदा  ने दत्ता जी राव को यह क्यों कहा कि वह उसके आने की बात दादा को न बताए?

उसे डर था कि पिता यह जानते ही दत्ता जी राव से बहाना बना लेंगे ।

उसे डर था कि अगर दादा को सच्चाई पता लगी तो उसकी और माँ की खैर नहीं ।

दादा ने दत्ता जी राव के सामने आनंद को विद्यालय से निकालने का क्या कारण बताया?

आनंद चौथी कक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया था।

आनंद को चोरी करने,सिनेमा देखने और खेती के काम से जी चुराने की आदत पड़ गई है।

आनंद को पढ़ाने के लिए पैसे नहीं हैं।

‘जूझ’ कहानी में लेखक के पिता ने उसे विद्यालय भेजने के लिए क्या शर्त रखी ?

पाठशाला जाने से पहले ग्यारह बजे तक खेत में काम करना होगा तथा पानी लगाना होगा।

अगर किसी दिन खेत में ज्यादा काम होगा तो उसे पाठशाला नहीं जाना होगा।

छुट्टी होने के बाद घर में बस्ता रखकर सीधे खेत पर आकर घंटा भर ढोर चराना होगा।

उपरोक्त सभी

‘जूझ’ कहानी में लेखक किसकी प्रेरणा से कवि बन गए?

गणित के अध्यापक मंत्री की प्रेरणा से

मराठी के अध्यापक सौंदलगेकर की प्रेरणा से

बसंत पाटिल की प्रेरणा से

आनंद के मराठी अध्यापक का क्या नाम था ?

रणनवारे

मंत्री

न वा  सौंदलगेकर

मराठी अध्यापक की किस बात से लेखक को लगा कि वह भी कविता कर सकता है ?

जब मास्टर ने अपने घर के दरवाजे पर छाई हुई मालती की बेल पर कविता लिखी|

जब मास्टर ने विद्यालय में एक प्रतियोगिता रखी |

जब गाँव में मास्टर जी ने लेखक की तारीफ की |

खेत में काम करते हुए अगर लेखक के पास कागज और पेंसिल न होते तो वह  क्या करता ?

वह लकड़ी के छोटे टुकड़े से भैंस की पीठ पर रेखा खींच कर लिखता या किसी शिला पर कंकड़ से

वह अपनी हथेली पर लिखता

वह उस दिन उदास हो जाता और कुछ न लिखता |

लेखक जब अपनी कविता दिखाने मास्टर के पास जाता तो वह उसे क्या समझाते ?

मास्टर भाषा,छंद,अलंकार,लय शुद्ध लेखन के बारे में लेखक को समझाते |

मास्टर उसे अगले दिन आने के लिए कह देते |

मास्टर उसे अपनी कविता सुनाकर कहते कि ऐसे कविता लिखो |

जूझ पाठ का शीर्षक उपयुक्त है क्योंकि 

पाठ में मुख्य नायक  (लेखक) के संघर्ष से जूझने की प्रवृत्ति के कारण  |

लेखक पढ़ता रहता था |

लेखक खेती के काम में संघर्ष करता था

जूझ कहानी से क्या शिक्षा मिलती है ?

खेतीबाड़ी में कोई भविष्य नहीं होता |

अच्छे कार्य के लिए झूठ बोलना गलत नहीं है |

सहपाठी तो हंसी मज़ाक करते हैं | उनसे दोस्ती बना कर रखनी चाहिए |

जीवन  में कितनी तकलीफें क्यों न आयें,हमें हमेशा जुझारू रहना चाहिए |

'जूझ'पाठ के अनुसार कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की धारणा में क्या बदलाव आया?

अकेलापन डरावना है।

 अकेलापन उपयोगी है ।

अकेलापन अनावश्यक है ।

अकेलापन सामान्य प्रक्रिया है।

'मंत्री' गणित के अध्यापक के बारे में कौन सी बातें असत्य है ?

वह  उधम करने वाले बच्चों की पिटाई कर देते थे |

वह पढ़ाई करने वाले लड़कों को  शाबाशी देते |

बच्चे 'मंत्री' गणित के अध्यापक के डर  से पढ़कर आते

मंत्री अध्यापक बच्चों को रोज दो कविताएं सुनाते थे |

लेखक किस बच्चे से प्रभावित होकर पढ़ाई के सभी काम करने लगा ?

वसंत सैनी

वसंत पटेल

वसंत  पाटील

वसंत दत्ता

मराठी अध्यापक के अध्यापन के विषय में क्या असत्य है ?

वे कविता  को सुरीले गले ,छंद की बढ़िया  चाल, रसिकता के साथ पढ़ाते थे |

वे अभिनय के साथ कविता का भाव ग्रहण कराते |

वे प्रसिद्ध कवियों के संस्मरण भी सुनाते |

कविता सुनाते समय अगर कोई बच्चा बोल दे तो उसकी पिटाई कर देते |

मराठी अध्यापक के अध्यापन से लेखक में क्या-क्या  नए परिवर्तन आए ?

वह खेत में अकेले काम करते हुए मास्टर के अभिनय,यति-गति,आरोह-अवरोह की नकल करते हुए खुले कंठ से कविता गाता |

लेखक को अब अकेले रहना अच्छा लग गया |

लेखक धीरे-धीरे मास्टर के बताए  राग से अलग भी कविताओं को गाने लगा |

उपर्युक्त सभी 

आनंद के कक्षाध्यापक का क्या नाम था?

मंत्री

सौंदलगेकर

बसंत

कक्षा में किस बच्चे को मॉनिटर बनाया गया था?

बसंत पाटिल

चाह्वान

आनंद

आनंद का विश्वास विद्यालय में पुनः क्यों बढ़ने लगा?

विद्यालय में पुरस्कार मिलने के कारण

मंत्री अध्यापक से वाह वाही मिलने के कारण

अध्यापकों के अपनेपन और वसंत पाटिल से दोस्ती के कारण

मास्टर सौंदलगेकर किन कवियों के साथ अपनी मुलाकात के संस्मरण सुनाते?

दिनकर, नरेंद्र कोहली, निराला जी के

बोरकर, तांबे,गिरीश और केशव कुमार के साथ

आनंदा  खेतों में काम करते हुए  मराठी अध्यापक की किस क्रिया की नकल करता ?

वह अध्यापक के चलने की नकल उतारता

वह अपने गांव के मित्रों से अध्यापक का मज़ाक बनाकर सुनाता

वह अध्यापक के कविता गाते समय प्रयोग किये हाव-भाव, यति-गति और आरोह-अवरोह के अनुसार ही खुद भी खुले कंठ से गाता ।

कविताओं को मास्टर के बताए राग से अलग भी गाया जा सकता है?ये आनंदा को कब अनुभव हुआ ?

कक्षा के दूसरे बच्चों को कविता सुनाते समय

खेत में ही काम करते समय मास्टर द्वारा गाये कविताओं को गाते -गाते

लेखक को यह क्यों लगने लगा कि जितना वह अकेले रहे उतना अच्छा?

अकेलेपन में वह थोड़ा आराम कर सकता था।

अकेले में वह अलग-अलग चालों से तेज़ आवाज़ में कविता गा सकता था।

'चाँद  रात पसरिते' कविता किस कवि की है?

अनंत काणेकर

दिनकर

केशव कुमार

आनंद ने 'चाँद रात पसरिते' कविता को सिनेमा के एक गीत की तर्ज़ पर गाया ।वह गाना किस छंद की तर्ज़ पर था?

केशव करणी जाति

मनोरम

सवैया

मास्टर जी ने आनंदा के नए  तर्ज़ पर गीत गाने से प्रभावित होकर क्या किया?

आनंद को कविता के राग बदलने पर समझाया कि यह गलत राग है।

छठी-सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों  के सामने उसे बुलाकर गवाया ।

आनंदा को कब यह लगने लगा कि कवि भी उसके जैसे ही हाड़ मांस के व्यक्ति हैं?

जब उसने मराठी अध्यापक को देखा ।

जब मराठी अध्यापक उसे कवियों के चरित्र और संस्मरण सुनाते और खुद मास्टर भी कवि थे ।

आनंद ने कविता लिखने की शुरआत में तुकबंदी के लिए किन विषयों को चुना?

अपने परिवार के लोग

फसलों, जंगली फूलों अपने आस पास के वातावरण पर

रोज़मर्रा की क्रियाओं पर

मास्टर सौंदलगेकर द्वारा आनंदा को कविता की बारीकियों को समझाने का उस पर क्या प्रभाव पड़ा?

कविता के प्रति असीम प्रेम बढ़ गया ।

विद्यालय के प्रति अपनत्व और बढ़ गया ।

खेतों में काम करना बंद कर दिया ।

'जूझ' कहानी के नायक द्वारा पढ़ाई के साथ-साथ खेती का काम करने का क्या प्रभाव पड़ा?

उसकी पढ़ाई के प्रति रुचि कम हो गई ।

उसका मन निराशा और खीझ से भर गया।

वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहा।

प्रतिकूल परिस्थितियों ने उसके दृढ़ निश्चय को तोड़ दिया

कविता पाठ करने के समय मराठी अध्यापक क्या करते थे?

कविता की लय भूल जाते थे।

कविता पाठ  के बीच-बीच में संस्मरण सुनाते थे।

कविता के सिद्धांतों पर चर्चा करते थे।

इस कहानी के माध्यम से किसके संघर्ष को अभिव्यक्ति प्रदान की गई है ?

खेतिहर मजदूर के संघर्ष

आनंदा के जीवन का संघर्ष

गरीब माँ  का संघर्ष

अध्यापक का संघर्ष

'जूझ' कहानी में आनंदा के उच्च स्तरीय  कवि बनने तक का सफर किस बात का प्रमाण है ?

उसके परिश्रम एवं लगन  का

पिता की बात को महत्व ना देने का

झूठ बोल कर पढ़ाई करने का

केवल अपने मन की करने का

'जूझ' पाठ के अनुसार लेखक ने अपनी जन्मजात प्रतिभा का परिचय किस प्रकार दिया ?

नए-नए विषयों पर कविता लिख कर

पिता का विरोध करके

विद्यालय में प्रवेश लेकर

माता की आज्ञा का पालन करके

'जूझ' पाठ में आनंदा की कक्षा में शरारत किस कारण कम होने लगी ?

वसंत के आ जाने से

गणित के अध्यापक द्वारा शरारती लड़कों की पिटाई किए जाने से

मराठी अध्यापक सौंदलगेकरके आने से

विद्यार्थियों में जागरूकता पैदा होने से

मास्टर सौंदलगेकर ने किस पर कविता लिखी थी?

 आनंद की जुझारू प्रवृत्ति पर

 मालती लता की सुंदरता पर

 विद्यालय के अनुशासन पर 

आनंदा के पिता उसकी किस बात से नाराज होते थे?

 खेतों में काम करने की बात से 

पशुओं को चराने की बात से

 पढ़ाई करने की बात से

 आनंदा के पिता द्वारा स्वयं खेती ना करके अपने बेटे से खेती का काम करवाना उनके किस चरित्र की ओर संकेत करता है?

पिता अपने बेटे को परिश्रमी बनाना चाहता है ।

पिता के आलसी और कमजोर कामचोर रूप को दर्शाता है

पिता दूरदर्शी है ।

पिता के लिए पुत्र ही उसका सब कुछ है ।

आनंदा जब पहले दिन पाठशाला गया तो उसकी क्या प्रतिक्रिया हुई?

 वह क्रोधित हुआ

 उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा

 वह अत्यंत उदास था ।

उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं थी।

 आनंदा और उसकी माँ द्वारा झूठ का सहारा ना लिए जाने की स्थिति में क्या होता ?

आनंदा के जीवन में अकेलापन ठहर जाता ।

वह अपनी कविता लिखने के गुण को नहीं निकाल पाता ।

वह शिक्षित होने से वंचित रह जाता

 उपर्युक्त सभी

                       अन्य प्रश्न-

कविता के साथ खेलने से आनंद को कौन सी शक्ति प्राप्त हुई?

अकेलेपन में भी आनंद अनुभव करने की

गायक बनने की

'जूझ ' पाठ के अनुसार पढ़ाई लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया सही था क्योंकि

 क- लेखक खेती बाड़ी नहीं  करना चाहता था |

ख- दत्ता जी राव जानते थे कि खेती-बाड़ी में लाभ नहीं है |

ग-लेखक का पढ़ लिखकर सफल होना बहुत आवश्यक था |

घ-लेखक का पिता  नहीं चाहता था कि वह आगे की पढ़ाई करें 

लेखक के कक्षा अध्यापक का क्या नाम था?

11. खेत का कौन-सा काम समाप्त होने के बाद लेखक ने माँ से पढ़ाई की बात की?

लेखक के पिता का क्या नाम था?

Solution : लेखक के पिता शिवभक्त थे। वे अपने पुत्र में भगवान शिव के अलमस्त रूप की झांकी देखते थे। विशेष रूप से जब वह शिशु पूजा पर बैठता था और चौड़े माथे पर तिलक-त्रिपुंड लगवाता था तो लंबी लंबी जटाओं के बीच में वह बम भोला प्रतीत होता था। इसलिए उसके पिता उसे भोलानाथ कहकर पुकारते थे।

लेखक के कक्षा के मॉनिटर का नाम क्या था?

लेखक का दादा कोल्हू जल्दी क्यों चलाता था ?

लेखक आनंद यादव की मराठी भाषा कैसे सुधरने लगी?

फिर तो सारे दिन उस दिशा में मेरी कोशिश चलती । इन बातों से मैं सौंदलगेकर मास्टर के बहुत नज़दीक पहुँच गया और जाने-अनजाने मेरी मराठी भाषा सुधरने लगी । उसे लिखते समय बहुत सचेत रहने लगा।

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