आदमी का सामान कैसे निकाला जाता है - aadamee ka saamaan kaise nikaala jaata hai

दुनिया भर में वैसी महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है जो स्पर्म ख़रीद कर मां बन रही हैं. ऐसी महिलाएं शादी नहीं कर रही हैं और आईवीएफ़ का सहारा लेकर बिना यौन संबंध बनाए मां बन रही हैं.

पॉली केर भी उन्हीं महिलाओं में से हैं जो किसी और के स्पर्म से मां बनी हैं.

ऑक्सफ़ोर्ड की 39 साल की पॉली ने एक गुमनाम स्पर्म डोनर के स्पर्म से पिछले साल गर्भ धारण किया था और इस साल की शुरुआत में उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया.

इस प्रक्रिया में स्पर्म को एक प्रयोगशाला में गर्भाधान कराया जाता है. आईवीएफ़ को वैसे कपल भी आजमाते हैं जो किन्हीं वजहों से मां या पिता बनने में समर्थ नहीं होते हैं.

पॉली ने कहा, ''मैं बिल्कुल तैयार थी और जानती थी कि अगर मैं मां बनना चाहती हूं तो आईवीएफ़ को ही अपनाना होगा. जब मैं 36 या 37 साल की थी तो इसके बारे में गंभीरता से सोचना शुरू किया. मैं कभी रिलेशनशिप में नहीं रही. ऐसे में अगर मैं आईवीएफ को नहीं अपनाती तो मां कभी नहीं बन पाती.''

उन्होंने कहा, ''मैं हैरान थी कि मेरे परिवार वालों ने इसे बड़ी सहजता से स्वीकार किया.'' ब्रिटेन में सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़ सिंगल वुमन बनने का चलन बढ़ा है. 2014 से तो ब्रिटेन में इसमें 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

ऑक्सफ़ोर्ड फ़र्टिलिटी के मेडिकल निदेशक का कहना है कि उन्होंने 20 से ज़्यादा सिंगल महिलाओं का इलाज किया है. उनका कहना है कि जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ेगी वैसे-वैस सिंगल वुमन का चलन भी बढ़ेगा.

ऑक्सफ़ोर्ड फ़र्टिलिटी का कहना कि लोग अब बच्चे को बिल्कुल अकेले जन्म देना चाहते हैं. लोग या तो स्पर्म ख़रीद ले रहे हैं या फिर अंडाणु ख़रीद ले रहे हैं. भारत में ये ट्रेंड हाल के दिनों में देखने को मिला है. पिछले साल ही फ़िल्मकार करण जौहर और तुषार कपूर ने ऐसा किया था.

हालांकि आईवीएफ़ महंगा पड़ता है. ब्रिटेन में लगभग सात लाख रुपए तक खर्च हो जाते हैं. आईवीएफ़ सफल रहेगा या नहीं यह महिलाओं के अंडाणु पर निर्भर करता है और साथ ही स्पर्म की गुणवत्ता पर. ऑक्सफ़ोर्ड फ़र्टिलिटी में आईवीएफ़ की कामयाबी दर 30 से 50 फ़ीसदी के बीच है.

भारत में भी स्पर्म और अंडाणु बेचने का चलन बढ़ा है. इसकी कई वजह बताई जा रही है. एक तो यह कि जो ज़्यादा उम्र में शादी कर रहे हैं उनके लिए मां या बाप बनने में काफ़ी दिक़्क़तें होती हैं. ऐसे में आईवीएफ़ एकमात्र सहारा होता है. स्पर्म की तरह अंडाणु डोनेट करना आसान नहीं होता है. यह काफ़ी जटिल प्रक्रिया है और इसमें 15 दिन लगते हैं.

भारत में नियम के मुताबिक उन महिलाओं से अंडे लिए जाते हैं जो मां बन चुकी हैं ताकि उन्हें फिर से मां बनने में कोई दिक्क़त नहीं हो. अंडे को महिला के शरीर से इंजेक्शन के ज़रिए बाहर निकाला जाता है. इन अंडों से जिस पुरुष को बच्चा पैदा करना है उसके स्पर्म से मिलाया जाता है.

स्पर्म और अंडे को मिलाकर बेबी (एंब्रियो) बनाया जाता है. एंब्रियो को उस महिला के गर्भ में डालने के लिए कोई सर्जरी नहीं करनी पड़ती है.

बस एक लाइन बनाकर महिला के शरीर में डाल दिया जाता है. 15 दिनों के भीतर पता चल जाता है कि गर्भ ठहर गया है. सरोगेट और डोनर को लेकर गोपनीयता का कॉन्ट्रैक्ट होता है.

पिछले साल मोदी सरकार ने एक बिल पेश किया था जिसमें अब कोई सिंगल पेरेंट नहीं बन सकता है. अब सरोगेसी के ज़रिए वही पैरेंट बने सकते हैं जिन्होंने भारतीय क़ानून के मुताबिक शादी की है.

यह बिल अभी संसदीय समिति के पास है. इस बिल के ड्राफ्ट होने के बाद से ही सिंगल पैरेंट को लेकर आईवीएफ सेंटर सतर्क हो गए हैं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि यदि किसी को सिंगल पैरेंट बनना है तो वह बच्चों को गोद ले न कि इस सुविधा को शौक के रूप में इस्तेमाल किया जाए.

यदि आपको या आपके पार्टनर को गर्भधारण करने में दिक्कत हो रही है तो यह आपकी सिर्फ परेशान ही नहीं बल्कि गंभीर रूप से शोकग्रस्त कर देता है। इसमें कोई शक नहीं है कि आप गर्भधारण ना हो पाने के पीछे का कारण जानने की कोशिश करेंगे। 

(और पढ़ें - प्रेग्नेंट न हो पाने के कारण)

हालांकि गर्भधारण ना होने से जुड़ी समस्याएं सिर्फ महिलाओं में ही नहीं पुरुषों में भी मिल सकती है। प्रजनन क्षमता में कमी के आधे मामलों में प्रजनन क्षमता में कमी की समस्या पुरुषों में पाई जाती है। और क्योंकि पुरुषों में प्रजनन क्षमता में कमी अक्सर शुक्राणुओं की कमी के कारण होता है इसलिए डॉक्टर ऐसी स्थिति में अक्सर वीर्य की जांच करवाने का आदेश देते हैं।

देश के ख्यात सेक्सॉलजिस्ट (सेक्स एक्सपर्ट) डॉक्टर प्रकाश कोठारी का मत स्पष्ट है। डॉक्टर के मुताबिक, हस्तमैथुन के बाद कमजोरी महसूस होने की वजह से और सुनी-सुनाई बातों के आधार पर आदमी ने दिमाग में बैठा लिया है कि एक बूंद वीर्य बराबर 100 बूंद खून और एक बूंद खून बराबर आधा ग्लास जूस। जबकि कमजोरी आने की दो वजहें हैं। एक तो जब डिस्चार्ज यानी स्खलन होता है, तो शरीर के सारे स्नायु हरकत में आ जाते हैं। इसके बाद आपको जो थकान आती है, उसका आना कुदरती है और ऐसा कुछ देर के लिए ही होता है। लेकिन इसके बाद आपमें ताजगी आ जाती है।

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न तो आयुर्वेद में लिखा है, न ही कामसूत्र में

एलोपैथी के प्रशिक्षित डॉक्टर कोठारी आगे कहते हैं कि सच्चाई यह है कि ऐसा न तो आयुर्वेद में लिखा है, न ही कामसूत्र में। वीर्य और खून का कोई रिश्ता ही नहीं है। वीर्य 24 घंटे बनता है। आप नहीं निकालेंगे तो अपने आप निकल जाएगा। अगर आप भरे हुए ग्लास में पानी डालते जाएंगे तो क्या होगा? ओवरफ्लो हो जाएगा। अगर आप सहवास नहीं करेंगे, हस्तमैथुन नहीं करेंगे तो स्वप्नदोष के जरिए निकल जाएगा। वीर्य के निकलने से किसी तरह की कमजोरी नहीं आती।

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तो मानव जाति विलुप्त हो जाती

इस बारे में सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर संजय देशपांडे (एमबीबीएस और एमडी) कहते हैं, 'ऐसा हरगिज नहीं होता। यदि ऐसा होता, तो कोई भी पुरुष संभोग नहीं करता और मानव जाति विलुप्त हो जाती। हमारे शरीर की प्रत्येक गतिविधि के लिए रक्त की आवश्यकता होती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह वीर्य के रूप में खो जाएगा।'

​वीर्य कैसे बनता है?

डॉक्टर संजय देशपांडेके अनुसार, शुक्राणु (Sperm) और सेमिनल व प्रोस्टेटिक फ्लूइड के मिश्रण से वीर्य (Semen) का निर्माण होता है। शुक्राणु वृषण (अंडकोष) में बनते हैं और वीर्य व प्रोस्टेटिक फ्लूइड के साथ मिल जाते हैं। यह हर दिन हो रहा है और इस वजह से हस्तमैथुन, स्वप्नदोष या संभोग के दौरान वीर्य निकलता जाता है। इससे न तो स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और न ही यह प्रक्रिया वीर्य को पूरी तरह समाप्त करती है।

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यह गलत धारणा है

वीर्य और खून के रिश्ते पर दिल्ली के सेक्सोलॉजिस्ट योगेश टंडन का भी मानना है कि यह गलत धारणा है। रक्त और वीर्य के बीच ऐसा कोई संबंध नहीं है। दोनों अलग तरह से बने हैं, दोनों तरल पदार्थ किसी भी प्रकार से बराबर नहीं हैं। इस सेक्स एक्सपर्ट की सलाह है कि अगर आपको अत्यधिक हस्तमैथुन की आदत है, तो आपको स्वस्थ आहार भी लेना शुरू करना होगा। यदि आप नियमित रूप से व्यायाम करते हैं और स्वस्थ आहार का पालन करते हैं तो बहुत ज्यादा समस्या नहीं होगी।

आयुर्वेद ने भी नकारा

खास बात यह है कि आयुर्वेद भी खून से वीर्य बनने की धारणा को पूरी तरह नकारता है। इसको लेकर वैद्य प्रदीप घोडके कहते हैं कि यह सरासर मूर्खतापूर्ण मान्यता है। खून और वीर्य के रिश्ते से जुड़ी किवदंतियां बन गई हैं। कारण है कि आयुर्वेद में संभोग को प्लेजर (मजे़) की चीज नहीं माना गया है। इस एक्ट को सिर्फ संतान उत्पत्ति के लिए जरूरी समझ गया है। इसमें कहा गया है कि गर्मियों के मौसम में 15 दिन बाद, ठंड में 2-3 दिन में और बरसात के दिनों में रोजाना संभोग करना चाहिए। शायद यही वजह है कि पुराने नीम-हकीमों ने पुरुषों को संभोग के प्रति मर्यादित करने के लिए वीर्य और खून से जुड़ी इन किवदंतियों को बना दिया है जो कि लोगों के मन में घर कर गई हैं।

हस्तमैथुन ज्यादा करने से कमजोरी नहीं होती

एलौपथी के साथ आयुर्वेद पर भी पकड़ रखने वाले डॉक्टर प्रकाश कोठारी का इस संबंध में कहना है कि कामसूत्र में भी वीर्य को पकड़ में रखने का कोई फायदा नहीं बताया गया है, बल्कि चरक ने नामर्दी के 4 कारणों में से एक कारण इंद्रियों का उपयोग नहीं करने को बताया है। मतलब, अनुपयोग से शिथिलता आ सकती है, उपयोग से नहीं। जिस तरह ज्यादा बोलने से जुबान कमजोर नहीं होती और नहीं बोलने से जुबान मजबूत नहीं होती, उसी तरह हस्तमैथुन ज्यादा करने से कमजोरी नहीं होती और नहीं करने से ताकत नहीं बढ़ती।

वीर्य को भी रोकना नामुमकिन

सेक्सपर्ट कहते हैं, न तो आयुर्वेद में लिखा है और न ही कामसूत्र में। कहीं नहीं लिखा है कि वीर्य बाहर न निकालें। आप पेशाब को कितनी देर तक रोककर रख सकते हैं? हद से हद एक दिन। इसी तरह वीर्य को भी रोकना नामुमकिन है।

तो आपकी जवानी बरकरार रहेगी

वीर्य निकलने के बाद कमजोरी महसूस होती है तो आपको यौन क्रिया के तुरंद बाद आराम करना चाहिए। मानव शरीर एक मशीन है। अगर कोई मशीन चलती है तो उस पर थोड़ा श्रम तो लगता ही है। तो उस श्रम को संतुलन में बनाए रखने के लिए अगर कुछ रसायन लिया जाए तो आपकी जवानी बरकरार रहेगी और जो कुछ भी श्रम हुआ है, उसकी भरपाई आसानी से हो जाएगी। इसके लिए एक ग्लास दूध, उसमें एक चम्मच गाय का घी और कुछ मिश्री का सेवन करें।

पुरुष का सीमन कैसे निकलता है?

वीर्य यानी सीमेन एक तरल पदार्थ है, जो शरीर की दो मुख्य ग्रंथियों के स्त्राव से बनता है। अंडकोषों में शुक्राणु बनते हैं, जो पुरुष ग्रंथियों के स्त्राव से मिलकर वीर्य की रचना करते हैं। वीर्य का निर्माण ब्लड से नहीं होता है। सुश्रुत में लिखा है कि जो भोजन हम सेवन करते हैं, उससे रस तैयार होता है।

स्पर्म कितने में बिकता है?

लोगों को स्पर्म के बदले में 38 हजार से लेकर 45 हजार रुपए तक की रकम मिल रही है। इसके अलावा वेबसाइट ने पितृत्व परीक्षण और शुक्राणु प्रजनन परीक्षण का ऑफर भी चलाया हुआ है।

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