हाइलाइट्स
आज मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है. सुबह 06:56 बजे से अमावस्या तिथि लग रही है. पितृदोष से मुक्ति के लिए अमावस्या के दिन उपाय किए जाते हैं. आज बुधवार के दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करनी चाहिए.आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang): आज 23 नवंबर दिन बुधवार है. आज मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है. सुबह 06:56 बजे से अमावस्या तिथि लग रही है. मार्गशीर्ष अमावस्या आज है.
आज के दिन स्नान करने और दान देने की परंपरा है. अमावस्या के दिन आप पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि कर सकते हैं ताकि उनकी आत्माएं तृप्त होकर आशीर्वाद दें. पितृदोष से मुक्ति के लिए भी अमावस्या के दिन उपाय किए जाते हैं. उन लोगों को पितृ दोष लगता है, जो सही से अपने पितरों का श्राद्ध नहीं किए होते हैं और न ही उन्हें पितृपक्ष में तृप्त करते हैं. ऐसे लोगों को कार्य में असफलताएं मिलती हैं, आर्थिक संकट से परेशान रहते हैं, परिवार में कलह होता है, संतान का सुख प्राप्त नहीं होता
है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब पितर नाराज होते हैं तो वे अपने वंश को श्राप देते हैं. वही पितृ दोष का कारण होता है. इससे बचने के लिए पितरों को तृप्त किया जाता है.
आज बुधवार के दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. उनको लाल फूल, अक्षत्, सिंदूर, पान का पत्ता, सुपारी, दूर्वा, मोदक, धूप, दीप आदि अर्पित करके विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए. गणेश चालीसा और गणेश जी की आरती करने से गणपति बप्पा प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकमानएं पूरी करते हैं. उनकी कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शुभता आती है.
बुधवार को बुध दोष से मुक्ति के भी उपाय किए जाते हैं. ऐसे में आप आज हरे वस्त्र, हरी सब्जियां, हरे फल, हरी मूंग आदि का दान किसी गरीब ब्राह्मण के कर सकते हैं. ऐसा करने से बुध ग्रहण मजबूत होता है. जिसके फलस्वरूप बिजनेस और करियर में तरक्की होती है. बुद्धि तेज होती हे और निर्णय क्षमता बेहतर होती है. आइए पंचांग से जानें आज का शुभ और अशुभ मुहूर्त और जानें कैसी होगी आज ग्रहों की स्थिति.
23 नवंबर 2022 का पंचांग
आज की तिथि –
मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष चतुर्दशी
आज का करण – शकुनी
आज का नक्षत्र – विशाखा
आज का योग – शोभन
आज का पक्ष – कृष्ण
आज का वार – बुधवार
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय – 06:57:00 AM
सूर्यास्त – 05:53:00 PM
चन्द्रोदय – चन्द्रोदय नहीं
चन्द्रास्त – 16:52:59
चन्द्र राशि– तुला
हिन्दू मास एवं वर्ष
शक सम्वत – 1944 शुभकृत
विक्रम सम्वत – 2079
काली सम्वत – 5123
दिन काल – 10:35:13
मास
अमांत – कार्तिक
मास पूर्णिमांत – मार्गशीर्ष
शुभ समय – कोई नहीं
अशुभ समय (अशुभ मुहूर्त)
दुष्टमुहूर्त– 11:46:06 से 12:28:27 तक
कुलिक– 11:46:06 से 12:28:27 तक
कंटक– 16:00:12 से 16:42:33 तक
राहु काल– 12:25 से 13:47 तक
कालवेला/अर्द्धयाम– 07:32:00 से 08:14:21 तक
यमघण्ट– 08:56:42 से 09:39:03 तक
यमगण्ड–
08:09:04 से 09:28:28 तक
गुलिक काल– 13:47 से 15:09 तक
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Tags: Astrology, Dharma Aastha
FIRST PUBLISHED : November 23, 2022, 06:00 IST
Paush Amavasya 2022: साल 2022 खत्म होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल की आखिरी अमावस्या पौष माह में आएगी. पितरों को समर्पित सभी दिनों में पौष महीने की अमावस्या का खास महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष माह पितरों को मुक्ति दिलाने वाला महीना माना गया है. इसे छोटा पितृपक्ष भी कहते हैं. खासकर पौष माह की अमावस्या पर पूर्वजों के निमित्त पिंडदान, श्राद्ध कर्म करने से उन्हें बैंकुंठ लोक प्राप्त होता है. पितर तृप्त होकर अपने वंशजों को सुख, धन, सौभाग्य का वरदान प्रदान करते हैं. आइए जानते हैं पौष माह की अमावस्या की डेट और महत्व.
पौष अमावस्या 2022 डेट (Paush Amavasya 2022 Date)
पौष माह के कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन अमावस्या कहलाता है. इस साल पौष अमावस्या 23 दिसंबर 2022, शुक्रवार को है. पितृदोष और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए पौष अमावस्या को शुभ तिथि माना गया है.
पौष अमावस्या 2022 तिथि (Paush Amavasya 2022 Tithi)
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हिंदू पंचांग के अनुसार पौष अमावस्या तिथि 22 दिसंबर 2022 को शाम 07 बजकर 13 मिनट पर शुरू हो रही है. अगले दिन यानी कि 23 दिसंबर 2022 को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर खत्म होगी.
पौष अमावस्या महत्व (Paush Amavasya Significance)
पौष महीना सूर्य की उपासना और पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने के लिए महत्वपूर्ण माना गया है. शास्त्रों के अनुसार वैसे तो सालभर जितना संभव हो सके पितरों के नाम से दान-पुण्य करना चाहिए लेकिन मान्यता है कि जो पौष अमावस्या के दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए उपवास और और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा देते हैं उनका भाग्योदय होता है.
पौष अमावस्या पर करें ये काम
- अमावस्या पर जरूरतमंद या बेसहारा लोगों को यथाशक्ति भोजन कराएं. कहते हैं ये सीधा पितरों तक पहुंचता है. ऐसा करने पर पितृदोष शांत होता है.
- कालसर्प दोष मुक्ति पाने के लिए पौष अमावस्या पर पवित्र नदी के जल से स्नान करें. ब्रह्म मुहूर्त में शिव के समक्ष घी का दीपक लगाकर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. इससे पितृदोष के प्रभाव भी कम होते हैं. जीवन में खुशहाली आती है.
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