Lifestyle कोरोना काल में गिलोय की महत्ता बढ़ गई है। इसे इम्युनिटी बूस्टर कहा जाता है। लेकिन आयुष मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि अगर आप नकली गिलोय का सेवन कर रहे हैं तो इसके दुष्परिणाम घातक हो सकते हैं। आइए जानते हैं नकली व असली गिलोय की पहचान...
जमशेदपुर : ज्यादातर लोग गिलोय, गिलोय का काढ़ा व इससे बने दूसरे उत्पाद का सेवन करते हैं, लेकिन आयुष मंत्रालय ने आगाह किया है कि गिलोय के सेवन से पहले ये जरूर जान लें कि हम असली गिलोय ले रहे हैं या नकली।
नकली से सेहत का होता है नुकसान
आयुर्वेदाचार्य हरिओम गुलाटी का कहना है कि गिलोय या गुडची तो आपकी सेहत के लिए फायदेमंद है लेकिन इसके जैसे दिखने वाले दूसरे पौधों से बने प्रोडक्ट्स का सेवन हमारे लिए नुकसानदेह होगा। गुडुची के जैसे दिखने वाले टिनोस्पोरा क्रिस्पा जैसे पौधे का इस्तेमाल काफी नुकसान पहुंचाता है।
जानें किन बातों का रखना है ध्यान
गुडुची एक लोकप्रिय जड़ी बुटी है, जिसे गिलोय के नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग लंबे समय से चिकित्सा के लिए किया जा रहा है, लेकिन कई बार इसके धोखे में लोग किसी और चीज को सेवन करने लगते है और उन्हें इसका पता नहीं होता। ऐसे में जरुरी है कि गिलोय के जैसे दिखने वाले दूसरे पौधे या इससे बने उत्पाद की पहचान करें और इसके इस्तेमाल से बचें।
हाल ही में आयुष मंत्रालय ने भी कहा है कि टिनोस्पोरा की अलग-अलग कई प्रजातियां उपलब्ध है, लेकिन केवल टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया का उपयोग चिकित्सा विज्ञान में किया जाना चाहिए।
असली गिलोय की पहचान
असली गिलोय या गुडुची का रंग हरा होता है। इसके तने से दूध जैसा स्राव नहीं होता है। गिलाेय के पत्ते दिल के आकार के और नीचे की ओर घूमे हुए होते हैं। पंखुडि़यों की सख्या छह होती है। फलों का गुच्छा गोलाकार या गेंद के आकार का होता है और ये लाल रंग का होता है।
नकली गिलोय यानी टिनोस्पोरा क्रिस्पा का रंग धूसर होता है। इसके तने में दूध जैसा स्राव होता है और पत्ते दिल के आकार के होते हैं। ये नीचे की तरफ घूमे हुए नहीं होते। इसके फलों का आकार रग्बी की गेंद की तरह होता है और इसका रंग नारंगी होता है।
चिकित्सकों से सलाह
आयुष मंत्रालय का कहना है कि गुडुची एक सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है, लेकिन इस्तेमाल एक योग्य, पंजीकृत आयुष चिकित्सकसे परामर्श लेने के बाद ही करें।
Edited By: Jitendra Singh