रत्नकोश'
ज्योतिष विज्ञानं के कुछ रहस्य ऐसे है जिनसे मानव जीवन का कल्याण सुनिश्चित है, उन्ही में से एक है पारामणि अष्ट-धातु अंगूठी, ये न सिर्फ भाग्य जागृत करती है बल्कि कई प्रकार की बाधाओं के निवारण में भी सहायक है.पारामणि अष्टधातु अंगूठी
नाम के अनुसार पारामणि अष्ट-धातु अंगूठी आँठ प्रमुख धातुओ के मिश्रण
से बनती है जिसका उपयोग प्राचीन काल से प्रमुख शक्तिपुंज होने के कारण जैन एवं हिंदू मूर्तियों एवं ज्योतिष यंत्रों को बनाने मे किया जाता रहा है ये पवित्रतम बहुमुल्य धातु अंगूठी के रूप मे पहनने पर भाग्योदय, कार्य सिद्धि और धन प्राप्ति के प्रबल मार्ग खोलती है। इसके अलावा कई प्रकार की बाधाओ
जैसे के शत्रु बाधा, धन बाधा, कार्य बाधा आदि को रोकने में उपयोगि है।
अगर आप के कार्यो में लगातार बाधाएं आती है,कोई काम ठीक से नहीं बनते, चलते कार्यो में अकारण रूकावटो से जूझते है, क्षमता होने पर भी कार्यो को पूर्ण नहीं कर पाते, आर्थिक तंगी एवं तनाव से घिरे रहते है तो ये ग्रहों का दोष होता है, इस स्थिति में ये अंगूठी संजीवनी का कार्य करती है.
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| पारामणि अंगूठी पहनने के लाभ |
– अष्टधातु मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालती है। अष्टधातु पहनने से व्यक्ति में तीव्र एवं सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है जिसके परिणाम स्वरुप तरक्की और आर्थिक संपन्न्ता के मार्ग खुलते हैं ।
– व्यापार के विकास और भाग्य जगाने के लिए शुभ मुहूर्त में अष्टधातु की अंगूठी धारण करें।
– अष्ट-धातु कई प्रकार की बाधाओ जैसे की शत्रु बाधा, धन बाधा, कार्य बाधा आदि को रोकने में बहुउपयोगि है।
– पारामणि अष्ट-धातु अंगूठी पहन कर नौ ग्रहों से होने वाली पीड़ा को शांत कर सकते हैं जिससे आप की तरक्की एवं आर्थिक सम्पन्नता के मार्ग खुलते है ।
– पूर्णतः हानी रहित किसी भी राशी का व्यक्ति स्त्री/पुरुष इसे पहन सकता है, इसके पहनने के केवल लाभ ही देखे गए है।
– अगर कोई रत्न पहना हुआ है तो उसकी प्रभावशीलता में वृद्धि होगी और अगर नहीं पहना है तो ये किसी भी रत्न की जरुरत नहीं पड़ने देती।
– रेकी चार्ज अंगूठी व्यक्ति के आस पास सुरक्षा कवच का निर्माण करती है, जिससे कोई भी कष्ट आप को छु नहीं पाते एवं आती कठिनाईयों से सुरक्षा होती है ।
– अष्टधातु का मनुष्य के स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध है। यह हृदय को बल देती है एवं मनुष्य की अनेक प्रकार की बीमारियों का निवारण कर दीर्घायु बनती है।
-जोड़ो के दर्द एवं उच्च रक्तचाप में अत्यंत राहतकारी होता है परमणि अष्ट धातु अंगूठी पहनना।
– अष्टधातु की अंगूठी धारण करने पर यह मानसिक तनाव को दूर कर मन में शांति लाती है।
– यह वात, पित्त, कफ का इस प्रकार सामंजस्य करती है कि बीमारियां कम होती हैं एवं स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
अष्टधातु की क्षमता, उपयोगिता एवं ज्योतिष लाभ के प्रमाण सुश्रुत संहिता, भविष्य पुराण आदि प्राचीनतम ग्रंथो सहित विकिपीडिया एवं न्यूज़ साईटस पर भी लेखो के माध्यम से उपलब्ध है।धातु शुद्धता की रिपोर्ट एवं 6 माह की बाय बैक वारंटी का कार्ड हर अंगूठी के साथ.“15000 से भी अधिक लोगो का सफल अनुभव”
जानिए पारामणि अष्ट-धातु अंगूठी के बारे में।
रेकी चार्ज अंगूठी क्या है?
रेकी एक ज्योतिष विज्ञान की पद्धति है जिसे द्वारा उर्जाओ को संयोजित किया जाता है। जिसके मध्यम से अंगूठी का बल बढ़ जाता है और प्रभावशील हो जाती है ।
अष्टधातु अंगूठी पहनने का सही तरीका क्या है ?
प्राप्त करने के बाद इसे पवित्र नदी के जल(गंगा जल हो तो अति उत्तम) से स्नान करवा कर राशि अनुसार मुहूर्त मे दाहिने हाथ या बाये हाथ की तर्जनी या मध्यमा मे पहन सकते है। अगर आप का बुध कमजोर है तो ईसे अनामिका मे धारण करने से बहुत लाभ होता है।
अष्ट धातु कौन व्यक्ति पहन सकता है?
अष्ट-धातु विशिष्ट फलदायी एवं नव ग्रहो को बल देने वाली धातु है साथ ही राहु के कष्ट्दायि कुप्रभावो को ख़त्म करती है, जीसे किसी भी राशि,धर्म ,लिंग का व्यक्ति पहन लाभ प्राप्त कर सकता है । अगर व्यापर या पेशे मे कठिनायि, कार्यो मे रुकावट या मानसिक तनाव हमेशा बना रहता है तो अपनी नाम राशि के अनुसार सही समय और तरीके से पहन इसके सकरात्मक परिणाम देख सकते है।
शुद्ध अष्ट धातु की क्या पहचान है?
शुद्ध अष्ट धातु की पहचान लैब टेस्ट द्वारा आसानी से हो जाती है, इसके अलावा रत्नकोष अष्ट धातु की अंगूठी के साथ 6 माह की बाय बैक वारंटी प्राप्त होती है।
क्या होती है अष्टधातु ?
अपने नाम के अर्थ के अनुसार यानि की आठ धातुओं से मिलकर बनी धातु को अष्टधातु कहा जाता है। अष्टधातु जिन आठ धातुओं से मिलकर बनती है, वे हैं- सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, पारा, रांगा, लोहा (गंगा की नाँव की कील)।
अष्टधातु को सबसे शुद्ध धातु क्यों माना गया है ?
ज्योतिष शास्त्र में अष्टधातु का बड़ा महत्व है। कई पाप ग्रहों का दुष्प्रभाव और पीड़ा दूर करने के लिए अष्टधातु की अंगूठी को पहना जाता है । भगवान की कई मूर्तियां भी अष्टधातु की बनाई जाती है। इसका कारण है इसकी शुद्धता। अष्टधातु का अर्थ है आठ धातुओं का मिश्रण। इनमें आठ धातुएं सोना, चांदी, तांबा, सीसा, जस्ता, टिन, लोहा, तथा पारा शामिल किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर धातु में ऊर्जा होती है। धातु अगर सही समय में और ग्रहों की सही स्थिति को देखकर धारण की जाए तो उसका सकारात्मक प्रभाव पहनने वाले को मिलता है। इसी सिद्धांत के आधार पर विभिन्न् ग्रहों की पीड़ा दूर करने के लिए उनके संबंधित रत्नों को भी अष्टधातु में पहनने का विधान है।