Tulnatmak Lagat Sidhhant
Pradeep Chawla on 12-05-2019
तुलनात्मक लागत का सिद्धांत विभिन्न देशों में समान वस्तुओं की उत्पादन लागत में अंतर पर आधारित है। श्रम के भौगोलिक विभाजन और उत्पादन में विशेषज्ञता के कारण उत्पादन लागत देशों में भिन्न होती है। जलवायु, प्राकृतिक संसाधनों, भौगोलिक स्थिति और श्रम की दक्षता में मतभेदों के कारण, एक देश दूसरे की तुलना में कम लागत पर एक वस्तु का उत्पादन कर सकता है।
इस तरह, प्रत्येक देश उस वस्तु के उत्पादन में माहिर है जिसमें उत्पादन की तुलनात्मक लागत कम से कम है। इसलिए, जब कोई देश किसी अन्य देश के साथ व्यापार करने में प्रवेश करता है, तो वह उन वस्तुओं को निर्यात करेगा जिसमें इसकी तुलनात्मक उत्पादन लागत कम है, और उन वस्तुओं को आयात करेगा जिसमें इसकी तुलनात्मक उत्पादन लागत अधिक है।
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रिकार्डो के अनुसार, यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार का आधार है। यह इस प्रकार है कि प्रत्येक देश उन वस्तुओं के उत्पादन में विशेषज्ञ होगा जिसमें इसका तुलनात्मक लाभ या कम से कम तुलनात्मक नुकसान होता है। इस प्रकार एक देश उन वस्तुओं को निर्यात करेगा जिसमें तुलनात्मक लाभ सबसे बड़ा है, और उन वस्तुओं को आयात करें जिनमें इसकी तुलनात्मक हानि कम से कम है।
सम्बन्धित प्रश्न
Comments Anand nauroji on 26-07-2021
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के तुलनात्मक लागत सिद्धांत का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए
् on 22-07-2021
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के तुलनात्मक लागत सिद्धांत का आलोचना मूल्यांकन कीजिए
Shibahi on 20-07-2021
Antarrashtriya Vyapar ke tulnatmak lagat Siddhant ki aroch Mata mulyankan kijiye
Pooja on 16-07-2021
Professor recording ke tulnatmak galat Siddhant
Sawal puchna hai on 15-07-2021
Professor Ricardo ke tulnatmak galat Siddhant ki Vyakhya
Shalini Tiwari on 13-07-2021
Professor recording kitne nath mein galat Siddhant ki vyakhya kijiye Anamika question BA 2nd year
Mohan dhanak on 13-07-2021
प्रोफेसर रिकर्डो के तुलनात्मक लागत सिदांट की व्याख्या कीजिए
Amit Gautam on 01-06-2021
Tulnatamak lagat siddhant
Ravina sallam on 27-01-2021
Tulnatmaklagat sidant ki aalochnatmak sidant
Yogesh verma on 15-01-2021
Tulanntamak lagat sidhant pro. Rekardo ki aalochna
Vivek kumar on 07-01-2021
Rikdo Ka sidhant
Sakil on 19-12-2020
Bharat me dolphin ya gariyal kon sa jiv paya jata h
Naaz on 21-11-2020
तुलनात्मक लागत सिद्धांत की आलोचना की विवेचना कीजिए
Rajni Kumari on 17-10-2020
Antarrastiye viyapar ke tulatamak lagat shidhant ka alochana moliyakan kigye
Deepak Kumar Yadav on 12-09-2020
Antarrashtriya Vyapar ke tulnatmak lagat Siddhant ki alochnatmak Vyakhya Karen
Govind on 08-09-2020
ब्याज
Sanjay on 05-09-2020
Rikardo ke lagan siddant ki alochana byakya kijiye
Sanjay on 05-09-2020
Bhartiy arthabybasta ki adharbhut bhisesta
JAGANNATH MAHTO on 02-09-2020
अंतरास्ट्रीय ब्यापार के तुलनात्मक लागत सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया?
Amit Kumar mandal on 12-07-2020
Tulnatmak lagat ka Siddhant Kisne Diya
Sapna Sapna on 27-05-2020
अंतराष्ट्रीय व्यापार का तुलनात्मक लागत सिध्दांत किस ने दिया
PRIYANKA on 22-05-2020
Tulnatmak lagat siddhant
Komal on 24-03-2020
Tulnatmk lagat theory sea opportunity cost theory batter kasea ha
Komal rani on 24-03-2020
Tulnatamk lagat ka sidhat avsar lagt sidhat tulantamk sea unat kasea ha
Nikki on 21-01-2020
Tulnatmak lagat sidhant
Jagdish Balu mahale on 03-09-2019
डेव्हिड रिकॉडो चा खच लाभाचे सिध्दांत
jyoti on 07-07-2019
kitne Prakar ke Aam Hote Hain
jyoti jyoti on 07-07-2019
tulnatmak lagat kya hai
Vishal kumar on 12-05-2019
Hazari bag ka sense bada park
इस लेख में हम बताएंगे कि डेविड रिकार्डो का तुलनात्मक लागत सिद्धांत (Comparative Cost Theory of David Ricardo in Hindi) क्या है डेविड रिकार्डो के तुलनात्मक लागत सिद्धांत (David Ricardo Ka Tulnatmak Lagat Siddhant) की क्या मान्यताएं हैं और इसकी कौन-कौन सी आलोचनाएं की गई है।
तुलनात्मक लागत सिद्धांत की सर्वप्रथम व्याख्या डेविड रिकार्डों (David Ricardo) ने अपनी पुस्तक “Principles of Political Economy and “Taxation” में किया था। इस सिद्धांत को डेविड रिकार्डो का तुलनात्मक लागत लाभ सिद्धांत (Comparative Cost Advantage Theory of David Ricardo in Hindi) भी कहा जाता है। लागतों में तुलनात्मक अंतर से अभिप्राय यह है कि एक देश दोनों ही वस्तुओं का उत्पादन अन्य देश की तुलना में कम लागत पर कर सकता है, परन्तु उसे दोनों में से एक का उत्पादन करने में तुलनात्मक लाभ अधिक होगा, जबकि दूसरी वस्तु के उत्पादन से तुलनात्मक लाभ (Tulnatmak Labh) कम है।
डेविड रिकार्डो का तुलनात्मक लागत सिद्धांत की मान्यताएँ (Assumptions Of David Ricardo’s Comparative Cost Theory):
रिकार्डो का तुलनात्मक लागत सिद्धांत (Comparative Cost Theory of David Ricardo in Hindi) निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है:- केवल दो देश हैं और वे दो वस्तुओं का उत्पादन करते हैं।
- उत्पादन का एक भाग साधन श्रम है और उत्पादन लागत को श्रम की इकाइयों में मापा जाता है।
- श्रम की सब इकाइयाँ एक समान हैं।
- उत्पादन पर समान प्रतिफल का नियम लागू होता है।
- उत्पादन के साधन देश के अन्तर पूर्णतया गतिशील हैं परन्तु दो देशों के बीच पूर्णतया गतिहीन हैं।
- यातायात की कोई लागत नहीं है।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सभी सरकारी नियंत्रणों से मुक्त है।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में लगे सभी देशों में पूर्ण रोजगार है।
- वस्तु बाजार तथा साधन बाजार दोनों में पूर्ण प्रतियोगिता है।
रिकार्डों के अनुसार अंतरर्राष्ट्रीय व्यापार का मुख्य कारण लागतों का तुलनात्मक अंतर है। लागतों के तुलनात्मक लागत अंतर से अभिप्राय यह है कि एक देश दोनों ही वस्तुओं का उत्पादन अन्य देश की तुलना में कम लागत पर कर सकता है, परन्तु उसे दोनों में से एक का उत्पादन करने में तुलनात्मक लाभ अधिक है, जबकि दूसरी वस्तु के उत्पादन में तुलनात्मक लाभ कम है। दूसरा देश दोनों ही वस्तुओं का उत्पादन अधिक लागत पर करता है, परंतु उसको दोनों में से एक वस्तु का उत्पादन करने में तुलनात्मक हानि कम है जबकि दूसरी वस्तु का उत्पादन करने में तुलनात्मक हानि अधिक है।
यह भी पढ़ें: सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम (Law of Diminishing Marginal Utility)
तुलनात्मक लाभ (Comparative Advantage) से अभिप्राय उस लाभ से है जो एक देश अन्य देश की तुलना में एक वस्तु के उत्पादन में प्राप्त करता है जबकि अन्य वस्तुओं के रूप में उस वस्तु का उत्पादन अन्य देश की तुलना में कम लागत पर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए मान लीजिए दिल्ली में एक सबसे उत्तम वकील है जो एक बहुत अच्छा टाइपिस्ट भी है।
उसका एक मुन्शी टाइप जानता है, परन्तु उसे वकालत का ज्ञान बहुत कम है। बेशक वकील दोनों कार्यों में योग्य एवं निपुण है, परन्तु टाईप की तुलना में वकालत में अधिक समय लगाने से उसे तुलनात्मक लाभ अधिक होगा मुंशी दोनों कार्यों में ही उससे अयोग्य है, परन्तु टाइप करने में उसकी तुलनात्मक हानि कम है। वकील को स्वयं वकालत करने तथा मुंशी से टाइप करने में अपेक्षाकृत लाभ अधिक होगा।
संक्षेप में एक देश दो A तथा B वस्तुओं के उत्पादन से निरपेक्ष लागत लाभ अधिक पा सकता है। परन्तु वह देश B की तुलना में A के निपुणता प्राप्त करने में विचार सकता है, क्योंकि उसे A से B की तुलना में अधिक तुलनात्मक लागत मिल है। इसे निम्न तालिका द्वारा दिखाया जा सकता है।
- देश कपड़ा (मीटर) गेहूँ (किग्रा)
- भारत 0.60 मीटर 1.07 किग्रा
- नेपाल 2.00 मीटर 0.50 किग्रा
हम जानते हैं कि भारत में 1 किलाग्राम गेहूँ के उत्पादन की अवसर लागत कपड़े के उत्पादन के 0.60 मीटर के बराबर है। जबकि नेपाल में यह 2 मीटर कपड़े के बराबर है। तालिका का दूसरा कॉलम यह बताता है कि नेपाल में मीटर कपड़ा उत्पादन करने की अवसर लागत 1.07 किलोग्राम गेहूँ के बराबर है जबकि नेपाल में 0.50 किलोग्राम गेहूँ के बराबर है। अतः इस परिस्थिति में भारत को गेहूँ के उत्पादन में तथा नेपाल को कपड़े के उत्पादन करने से तुलनात्मक लागत लाभ प्राप्त होता है। इसे निम्न चित्र द्वारा दिखाया जा सकता है।
उपरोक्त चित्र में AB भारत की उत्पादन संभावना रेखा तथा AC नेपाल की उत्पादन संभावना रेखा है। इसका अर्थ है कि भारत को इकाई चावल प्राप्त करने के लिए 4 इकाई गेहूँ का त्याग करना पड़ता है। नेपाल 1 इकाई चावल का त्याग करके 2 इकाइयाँ गेहूँ प्राप्त कर सकता है। स्पष्ट है कि भारत को चावल के उत्पादन में तुलनात्मक लाभ अधिक है तथा नेपाल को गेहूँ के उत्पादन में तुलनात्मक हानि कम है।
भारत नेपाल की चावल की इकाई देकर गेहूँ की 1 इकाई से अधिक इकाई प्राप्त कर सकता है तथा नेपाल भारत को गेहूँ की 2 से कम इकाई देकर चावल की इकाई प्राप्त कर सकता है। दोनों देशों को होने वाला लाभ त्रिभुज ABC द्वारा दिखाया गया है। इस लाभ का वितरण दोनों देशों के बीच विद्यमान व्यापार की शर्तों के आधार पर होगा। व्यापार की शर्तों का निर्धारण प्रत्येक देश की वस्तु की अनुवर्ती भाग के आधार पर होगा।
डेविड रिकार्डो का तुलनात्मक लागत सिद्धांत की आलोचनाएँ (Exceptions of Comparative Cost Theory of David Ricardo – Ricardo Ka Tulnatmak Lagat Siddhant):
रिकार्डो द्वारा प्रतिपादित तुलनात्मक लागत सिद्धांत (Comparative Cost Theory of David Ricardo in Hindi) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है। सैम्युलसन के अनुसार, तुलनात्मक लाभ के सिद्धांत में सच्चाई के एक महत्वपूर्ण झलक दिखाई देती है। इस सिद्धांत के तर्कपूर्ण दृष्टि से युक्ति संगत होने पर भी इसके कई दोष हैं:
1. केवल आदर्शात्मक सिद्धांत- डेविड रिकार्डो का तुलनात्मक लागत सिद्धांत (David Ricardo Ka Tulanatmak Lagat Siddhant) केवल एक आदर्शात्मक सिद्धांत है। इससे यह ज्ञात होता है कि देश के साधनों का कुशलतम प्रयोग कैसे किया जा सकता है परन्तु यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की रचना अथवा निर्यातों एवं आयातों की व्याख्या करने में असमर्थ है तथा इनकी समस्याएँ कौन सी हैं इसको बतलाने में भी असमर्थ है। यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की एक वास्तविक विवेचना नहीं है।
2. श्रम के मूल्य सिद्धांत पर आधारित- डेविड रिकार्डो का तुलनात्मक लागत सिद्धांत (David Ricardo Ka Tulanatmak Lagat Siddhant) श्रम के लागत सिद्धांत पर आधारित है। इस सिद्धांत के अनुसार किसी वस्तु की लागत इसके निर्माण के लिए आवश्यक श्रम की मात्रा पर निर्भर करती है, परन्तु वास्तव में किसी वस्तु की लागत पर श्रम के अतिरिक्त अन्य साधनों जैसे भूमि पूँजी आदि की कीमत का प्रभाव पड़ता है। अतएव इस सिद्धांत के आलोचक श्रम लागत के स्थान पर मुद्रा लागत के रूप में इसकी विवेचना करना पसंद करते हैं।
3. परिवहन लागतों की अवहेलना- डेविड रिकार्डो का तुलनात्मक लागत सिद्धांत (Comparative Cost Theory of David Ricardo in Hindi) का प्रमुख दोष यह है कि इसमें परिवहन लागतों पर विचार नहीं किया गया है। कुछ वस्तुओं की परिवहन लागत उत्पादन लागतों से भी अधिक होती है। इसलिए वस्तुओं का आयात अथवा निर्यात करते समय उत्पाद, लागत तथा यातायात लागत दोनों को मिलाकर कुल लागतों पर विचार किया जाना चाहिए यातायात लागतें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को काफी प्रभावित करती हैं, इसलिए इन लागतों की अवहेलना नहीं की जा सकती।
4. स्थिर लागतों के नियम पर आधारित- David Ricardo Ke Tulanatmak Lagat Siddhant की यह मान्यता है कि उत्पादन में कमी या वृद्धि करने पर प्रति इकाई उत्पादन लागत समान रहती है, अवास्तविक ही नहीं बल्कि अवैज्ञानिक भी है। सामान्यतया यह देखा गया है कि उत्पादन पर बढ़ती लागत का नियम या घटती लागत का नियम लागू होता है। स्थिर लागत के नियम के लागू होने की संभावना कभी-कभी और वह भी थोड़े समय के लिए होती है।
5. पूर्ण विशिष्टीकरण की असंभावना- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भाग लेने वाले देशों का कुछ वस्तुओं में पूर्ण रूप से विशिष्टीकरण प्राप्त करना संभव नहीं है। मान लीजिए भारत और नेपाल व्यापार करते हैं। भारत सूती कपड़े के उत्पादन में तथा नेपाल ऊनी कपड़े के उत्पादन में विशिष्टता प्राप्त करता है। नेपाल एक बहुत छोटा सा देश होने के कारण भारत के ऊनी कपड़ों की माँग को पूरा नहीं कर सकता और न ही नेपाल में भारत से निर्यात हो सकने वाले कुल सूती कपड़े की माँग हो सकती है। अतएव इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तभी संभव है, यदि दो समान मूल्य वाली वस्तुओं का दो सान आकार वाले देशों में व्यापार हो।
6. स्वतंत्र व्यापार पर आधारित- परम्परावादी अर्थशास्त्री यह मानकर चलते थे कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सब प्रकार के प्रतिबन्धों से स्वतंत्र है, परन्तु आधुनिक युग में स्थिति इससे सर्वथा भिन्न है। आज के युग में कोई भी देश दूसरे दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता और अनिश्चिततओं से बचना चाहता है। इसके अतिरिक्त बहुत सी अन्य परिस्थितियों जैसे अपूर्ण प्रतियोगिता, व्यापार प्रतिबन्ध, राज्य व्यापार, आयात-निर्यात कर तथा आर्थिक नियोजन के कारण स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की संभावना कम है।
7. स्थिर दशाएँ- David Ricardo Ke Tulanatmak Lagat Siddhant में यह मान्यता भी निहित है कि दो देशों में लोगों की रुचियों तथा उत्पादन क्रियाओं में परिवर्तन नहीं आता। इसके अतिरिक्त भूमि, पूँजी तथा श्रम की पूर्ति स्थिर है। परन्तु वास्तव में संसार में इस प्रकार के परिवर्तन समय-समय पर होते रहते हैं। इसलिए यह मान्यता निराधार है।
8. एक पक्षीय- रिकार्डो का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का सिद्धांत एक पक्षीय है। David Ricardo Ka Tulanatmak Lagat Siddhant व्यापार के पूर्ति पक्ष को ध्यान में रखता है परन्तु मांग पक्ष की अवहेलना करता है। इस सिद्धांत से यह तो ज्ञात होता है कि एक देश कौन सी वस्तुओं का आयात या निर्यात करता है परन्तु यह ज्ञात नहीं होता कि व्यापार की शर्तों तथा विनिमय की दर कैसे निर्धारित होती है।
उम्मीद है आपको उम्मीद है आपको डेविड रिकार्डो का तुलनात्मक लागत सिद्धांत (Comparative Cost Theory of David Ricardo in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। Economics Notes in Hindi, Daily Current Affairs, Latest Government Recruitments एवं Economic World की खबरों के लिए The Economist Hindi के साथ जुड़े रहें। हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वॉइन करें और फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर फॉलो जरूर करें।