यूपी की धारा 143 ज़मीनदारी उन्मूलन विज्ञापन भूमि सुधार अधिनियम, जो क्षेत्र के सहायक कलेक्टर/एसडीएम को कृषि से आवासीय में भूमि की प्रकृति को बदलने के लिए अधिकृत करता है, भूमि की प्रकृति में इस बदलाव को सूओ मोटो माना जाता है, या पार्टी के अनुरोध पर, जहां भूमि का एक सर्वेक्षण लेखपाल (जमीनी स्तर पर राजस्व अधिकारी) द्वारा आयोजित किया जाता है, और फिर वह अपनी रिपोर्ट भेजता है तहसीलदार के समर्थन के साथ संबंधित एसडीएम को यदि एसडीएम रिपोर्ट से संतुष्ट है, तो वह बदले में, भूमि उपयोग को परिवर्तित करने, धारा 143 के तहत एक घोषणा पास करता है
अभी तक 90 दिनों में लेना होता था फैसला
राजस्व संहिता 2006 (Rajshwa Sanhita) के नियमों को अगर देखें तो लैंड यूज चेंज कराने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्र पर एसडीएम कोर्ट को 90 दिनों में अपना फैसला देना होता है। अधिकतम 90 दिनों में एसडीएम को फैसला देना होता है कि ऐसा किया जा सकेगा या नहीं। अगर 90 दिन में एसडीएम फैसला नहीं लेते हैं तो उन्हें इसका कारण बताना पड़ता है। अब सरकार इसी नियम में बदलाव करने जा रही है।
एसडीएम पर भी हो सकेगी कार्रवाई
नया नियम लागू होने के बाद अब केवल 45 दिनों में ही एसडीएम (SDM) को यह फैसला लेना होगा कि लैंड यूज चेंज (Land Use Change Rules) करना है या नहीं। यानी पहले के मुकाबले ऐसे मामलों को आधे समय में निपटाना होगा। एसडीएम ऐसे मामलों को अब ज्यादा लटका नहीं सकेंगे, क्योंकि नये नियमों के तहत उनपर कार्रवाई का भी प्रावधान सरकार करने जा रही है। इसे 143 की कार्यवाही कहते रहे हैं। इसके लिए सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में राजस्व विभाग के अफसरों की बैठक में कई फैसले लिये गए। लैंड यूज चेंज करने के अलावा बैठक में चकबन्दी (Chakbandi) और सरकारी जमीन पर पट्टा दिये जाने के नियमों में भी बड़े बदलाव करने पर कई फैसले हुए हैं।
69000 शिक्षक भर्ती में शुरू हुआ बड़ा खेल, इस बार प्राइमरी टीचर बनना नहीं होगा इतना आसान
एक्सचेंज होगी सरकारी जमीन
सरकार अब ग्राम समाज (Gram Samaj) की जमीन के एक्सचेंज के नये नियम भी बनाने वाली है। जैसे अगर किसी उद्योग के लिए तय जमीन के बीच में अगर कोई ग्राम समाज की जमीन आएगी तो सरकार उतनी जमीन उसी ग्राम सभा में कहीं और ले लेगी और वो जमीन उद्योग के लिए छोड़ देगी। इससे औद्यौगिक विकास में की एक बड़ी समस्या खत्म हो जाएगी। इसके अलावा अगर उद्योग के लिए सरकार की तरफ से तय सीलिंग से ज्यादा जमीन कोई खरीद लेता है, तो उसे भी रेग्यूलर कर दिया जाएगा। नये नियमों के तहत जमीन ट्रांसजेंडर को भी ट्रांसफर हो सकेगी। नये नियमों के बन जाने के बाद सरकारी जमीन पर पट्टा दिये जाने में सबसे पहली प्राथमिकता दिव्यांगों और महिलाओं को दी जाएगी। जानकारी के मुताबिक इन सभी फैसलों पर सहमति बन चुकी है और अब सिर्फ इसे कानूनी जामा पहनाना बाकी है।
हिंदी न्यूज़ उत्तर प्रदेशकृषि कानूनों पर रार के बीच यूपी में कृषि भूमि को लेकर नियमों में अहम बदलाव
कृषि कानूनों पर रार के बीच यूपी में कृषि भूमि को लेकर नियमों में अहम बदलाव
देश में कृषि कानूनों को लेकर मची रार के बीच यूपी सरकार ने कृषि भूमि को लेकर दो अहम बदलाव किये हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कृषि से गैर कृषि जमीन भू-उपयोग कराने के...
Yogesh Yadavप्रमुख संवाददाता,लखनऊWed, 23 Dec 2020 11:09 PM
देश में कृषि कानूनों को लेकर मची रार के बीच यूपी सरकार ने कृषि भूमि को लेकर दो अहम बदलाव किये हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कृषि से गैर कृषि जमीन भू-उपयोग कराने के लिए चहारदिवारी की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा-80 की उपधारा (2) में कृषि जमीन को गैर कृषि घोषित करने के लिए चहारदिवारी की अनिवार्यता रखी गई थी।
इसके आधार पर साढ़े 12 एकड़ से अधिक जमीन लेने वालों को कृषि की जमीन पर उद्योग लगाने या फिर अन्य व्यवसायिक गतिविधियों के लिए उसका भू-उपयोग परिवर्तन कराने से पहले उस पर चहारदिवारी का निर्माण कराना जरूरी होता था। इसके बाद ही उसका भू-उपयोग बदला जाता था। निवेशकों को इससे असुविधा हो रही थी। राज्य सरकार ने इस अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। इसके साथ यह शर्त जोड़ दिया गया है कि कृषि जमीन का जिस उपयोग के लिए भू-उपयोग बदला जाएगा वह काम पांच साल के अंदर निवेशक को शुरू करना होगा। राजस्व संहिता संशोधन आदेश जारी होने के बाद उद्यमियों को यह सुविधा मिलने लगेगी।
वहीं, सरकार ने विकास कार्यों के लिए ग्राम समाज की जमीन देने की प्रक्रिया को और आसान कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को इसके लिए उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (तृतीय संशोधन) नियमावली 2020 को मंजूरी दे दी है।
पहले विकास कार्यों के लिए ग्राम समाज की जमीन लेने से पहले ग्राम सभा की भूमि प्रबंधन समिति से अनुमति लेना जरूरी होता था। इस अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। विकास के लिए अब एसडीएम की संस्तुति पर डीएम के माध्यम से प्रस्ताव भेजा जाएगा और इसके आधार पर जमीन मिल जाएगी।