सामान्य परिचय
छत्तीसगढ़ राज्य के हृदय स्थल पर शिवनाथ नदी के पूर्व में स्थित है दुर्ग जिला। जो 20° 51′ उत्तर अक्षांश से 21° 32′ उत्तर अक्षांश तक तथा 81° 8′ पूर्व देशांतर से 81° 37′ पूर्व देशांतर तक फैला हुआ है। इसका कुल क्षेत्रफल 271862 हेक्टेयर है। जिले के बीचो बीच से राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक – 06 (मुम्बई – नागपुर – कोलकाता राजमार्ग) गुजरता है। रेल्वे की दक्षिण-पूर्व रेल सेवा यहां उपलब्ध है। दुर्ग जिले का निकटस्थ हवाई अड्डा रायपुर एयरपोर्ट है जो यहां से लगभग 60 किलो मीटर दूर स्थित है। जिला ऊपरी शिवनाथ – महानदी घाटी के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है। जिले का अधिकतम हिस्सा छत्तीसगढ़ का मैदानी हिस्सा है। दुर्ग जिला छत्तीसगढ़ में औद्योगिक विकास का अग्रदूत है। जहां भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना के साथ न सिर्फ जिले बल्कि संपूर्ण प्रदेश का चौतरफा औद्योगिक विकास हुआ है। इसके साथ ही दुर्ग जिला सांस्कृतिक विविधता, सामाजिक सामंजस्य, संसाधनों के अर्थपूर्ण उपयोग एवं विभिन्न जातियों एवं धर्मो के लोगों के बीच आपसी सौहार्द्र के लिये भी जाना जाता है। दुर्ग जिला छत्तीसगढ़ राज्य का गौरव है। पुरातनकाल से अब तक दुर्ग जिले का इतिहास और वर्तमान अपने आप में प्राचीन मूल्यों और आधुनिकता का अद्भुत समन्वय है। यहां एक ओर तो सांस्कृतिक मूल्य गहराई से जुड़े हुए हैं तो वही निरंतर पल्लवित होती उद्यमिता इसे एक औद्योगिक जिले के रूप में स्थापित करती है।
- दुर्ग जिले का वर्तमान स्वरूप 1 जनवरी सन् 2012 से है।
- जिले का कुल क्षेत्रफल 271862 हेक्टेयर हैैै।
- जनगणना 2011 के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या 17,21,948 है। जिसमें ग्रामीण जनसंख्या 6,17,248 (35.84%) एवं शहरी जनसंख्या 11,04,700 (64.16%) है।
- दुर्ग जिले की सीमाएं पड़ोसी जिलों राजनांदगांव, रायपुर, बेमेतरा, बालोद, धमतरी को स्पर्श करती हैं।
- जिले की अधिकांश सीमाएं खारून और शिवनाथ नदी से बनी हुई है।
नदियां
जिले की सामान्य ढलान उत्तर-पूर्व की ओर है और इसी दिशा में जिले प्रमुख नदियां प्रवाहित होती है।
शिवनाथ
शिवनाथ जिले की सबसे महत्वपूर्ण नदी है। और यह महानदी नदी की सहायक नदी है। यह राजनांदगांव जिले में 625 मीटर ऊचीं पानाबरस की पहाडि़यों से निकलती है और दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है। यह अधिकतर जिले के मध्य में बहते हुये जिले को दो भागों में बांटती है। इसका तल बलुआ और चट्टान रहित है। यह उत्तर पुर्व की ओर खुज्जी, राजनांदगांव, दुर्ग, धमधा और नांदघाट से होते हुए बिलासपुर जिले के शिवरीनारायण के पास महानदी से मिल जाती है। शिवनाथ नदी की अनेक सहायक नदियां हैं जैसे- खारून, तान्दुला, खरखरा, हाफ, संकरी, आमनेर, सोनबरसा, सुरही, जुझरा, घुघरी, गब्दा, करूना, लोरी आदि। शिवनाथ नदी जिले में लगभग 250 कि.मी. की दूरी तय करती है।
खारुन
खारून नदी जिला बालोद कें पेटेचुवा से शुरू होकर दुर्ग जिले के पूर्वी भागों में बहती है। यह नदी उत्तर की ओर बहती है और सोमनाथ में शिवनाथ नदी से मिल जाती है। यह नदी रायपुर और दुर्ग जिले की सीमा निर्धारित करता है। इस नदी की लंबाई करीब 120 किलोमीटर दूर है।
खनिज संसाधन
जिले में उच्च गुणवत्ता वाले चूना पत्थर का समृद्ध भंडार है। चूना पत्थर का उत्खनन मुख्यत: नंदिनी, सेमरिया, खुदंनी, पिथौरा, सहगांव, देउरझाल, अहिवारा, अछोली, मातरागोटा, घोटवानी और मेडेसरा में किया जाता है। इस प्रकार उत्पादित चूना पत्थर का उपयोग जिले में ही स्थापित भिलाई इस्पात संयंत द्वारा इस्पात उत्पादन के लिए एवं ACC जामुल और जे. के. लक्ष्मी फैक्टरी द्वारा सीमेंट उत्पादन के लिये किया जाता है।
मौसम
जिले की जलवायु उष्णकटिबंधीय प्रकार की है। गर्मियों में तापमान 45-46 डीग्री सेन्टीग्रेड तक पहुंच जाता है। मार्च के महीने से तापमान में वृद्धि शुरू होकर मई महिने तक होती है। मई और महिनों की तुलना में सबसे अधिक गर्म होता है। दुर्ग जिले की वार्षिक औसत वर्षा 1052 मिमी है। वर्ष के दौरान सबसे अधिक वर्षा मानसून के महीनों जून से सितंबर के दौरान होता है। जुलाई सर्वाधिक वर्षा का महीना है।
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- लाम्पोलाई राजस्थान का केंद्र बिंदु, 67 साल बाद भी नहीं मिल पाई अलग पहचान
लाम्पोलाई को दिलाएं सेंटर प्वाइंट का सम्मान
भास्कर मुद्दा
प्रमोद आचार्य/श्रीधर व्यास | मेड़ता सिटी/नागौर
राजस्थानका सेंटर प्वाइंट (केंद्र बिंदु) लाम्पोलाई गांव है। यह मेड़तासिटी से 15 किलोमीटर दूर नेशनल हाइवे-89 पर आया हुआ है। राजस्थान की स्थापना (30 मार्च, 1949) के 67 साल बाद भी इस सेंटर को वो कोई पहचान नहीं मिल पाई, जिसका वो हकदार था। उधर, महाराष्ट्र में स्थित है नागपुर शहर। इस नाम से हर कोई वाकिफ है। यह भौगोलिक दृष्टि से देश के केंद्र में स्थित है, लेकिन लांपोलाई गांव से शायद कोई परिचित नहीं है। जबकि यह राजस्थान का सेंटर प्वाइंट है। आज यह खबर राजस्थान के लिए इसलिए भी प्रासंगिक है, क्योंकि आज राजस्थान का स्थापना दिवस है। ऐसे में सभी लोगों को इसकी जानकारी भी होनी चाहिए कि हमारे राजस्थान का केंद्र बिंदु कौनसा है।
देश में नागपुर को मध्य में स्थित होने और केंद्र बिंदु घोषित हाेने से कई फायदे भी मिले है। आज नागपुर शहर देश के महानगरों के समान सुविधाएं हैं। इसके विपरीत लांपोलाई गांव में आज पर्याप्त मूलभूत सुविधाओं के होने से इसका विकास नहीं हो पाया है। इसकी वजह यही मानी जा रही है कि तो सरकार ने इसे सेंटर प्वाइंट के रूप में स्थान दिया और ही इस दिशा में विकास के कोई कार्य शुरू किए। हालांकि गूगल मेप और अन्य भूगोल विदों के अनुसार राजस्थान का सेंटर प्वांइट लाम्पोलाई गांव ही है।
बन सकता है पर्यटन केेंद्र
राज्यसरकार चाहे तो प्रदेश के इस सेंटर प्वाइंट को पर्यटन हब के रूप में विकसित कर सकती है। सरकार यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए राजस्थान की संस्कृति से रूबरू कराने वाला पैनोरमा बनवा कर पर्यटकों को जोड़ सकती है। करीब 1500 घरों की आबादी वाले इस गांव को विकास की जरूरत है। सेंटर प्वाइंट के रूप में इसका विकास किया जाए तो राजस्थान के पर्यटन मानचित्र में लाम्पोलाई का नाम हो सकता है।
लाम्पोलाई को मिलनी थी सेंट्रल यूनिवर्सिटी : एकदशक पहले केंद्र सरकार ने प्रदेश के सेंटर में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय मंजूर किया था, इस लिहाज से लाम्पोलाई को सेंट्रल यूनिवर्सिटी मिलनी चाहिए थी। लेकिन उस वक्त राजनीतिक कारणों से यूनिवर्सिटी अजमेर जिले के बांदर सिंदरी में खोल दी गई। प्रो. केसी शर्मा का कहना है कि उन्होंने लाम्पोलाई का नाम सुझाया भी था, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से लाम्पोलाई ही सेंटर प्वाइंट है। इसे उस लिहाज से विकसित किया जाए तो यह पयर्टन स्थल बन सकता है।
> हाल ही में इस शहर को देश के सबसे स्वच्छ सुंदर शहर का पुरस्कार मिला है।
-नागपुर देश के दूसरे नंबर का ग्रीनेस्ट (हरित शहर) शहर माना जाता है।
-बढ़ते इन्फ्रास्ट्रक्चर की वजह से नागपुर की गिनती जल्द ही महानगरों में की जाएगी।
-आस पास के क्षेत्रों में तीन टाइगर प्रोजेक्ट होने से इसे टाइगर कैपिटल के रूप में भी जाना जाता है।
-एम्स नागपुर को मिल चुका है। फिलहाल इसका निर्माण कार्य चल रहा है।
-मल्टी मॉडल कार्गो हब की भी घोषणा हो चुकी है। जिससे कि वायु मार्ग से माल का परिवहन किया जा सकेगा।
-स्पेशल इकॉनोमिक जोन भी बनाया गया है। 50 कंपनियों को जगह भी दी गई है। फिलहाल 7-8 कंपनियों ने यहां काम शुरू किया है।
>देश के पॉवर सेंटर के रूप में भी मिली है पहचान। आरएसएस का मुख्यालय यहां। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इसी शहर से। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी नागपुर से ही।
>शहर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट भी मिल चुका है और यह संस्थान यहां शुरू भी हो चुका है।
>इसके अलावा कई केंद्रीय कार्यालय संस्थान भी यहां पर है। यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है।
सेंटर प्वाइंट के रूप में करें विकसित
^सरकारीस्तर पर लाम्पोलाई गांव को सेंटर प्वाइंट घोषित करने के लिए किसी तरह की कार्यवाही नहीं हुई है। यह ग्राम पंचायत रियांबड़ी पंचायत समिति के अधीन है। मैंने बचपन में सुना था कि यहां पर कोई सर्वे आदि हुआ, लेकिन कभी कोई प्रयास नहीं हुए। सरकार को चाहिए कि वह लाम्पोलाई गांव को सेंटर प्वाइंट के रूप में विकसित करें। सुशीललटियाल, सरपंच, लाम्पोलाई