आपने स्कूल में पढा होगा कि सन 1498 में वास्को द गामा ने भारत की खोज की थी। हमारे टीचर्स, हमारे देश के इतिहासकार यहाँ तक कि हमारे देश की सरकारें भी वास्को द गामा की बहुत ज्यादा आभारी रही है कि उसने इतनी बड़ी दुनिया में खो चुके इतने विशाल देश को ढूंढ कर वापस दुनिया के नक्शे पर लाया था और उसका आभार मानते हुए हमारी सरकार ने तो गोवा के एक शहर का नाम ही वास्को द गामा रख दिया।
सबसे पहला सवाल ये है कि क्या भारत कोई ऐसी चीज है जो खो जाए और उसे ढूंढने के लिए यूरोप अपने जहाजी बेड़े को एक के बाद एक भेजता रहे कि जाओ भाई, भारत गुम हो गया है उसे खोज कर लाओ। क्या आपको यह हास्यापद नहीं लगता? यह तो कुछ ऐसा ही है कि आप अपने पड़ोसी के घर को खोज लें और आपका नाम इतिहास में दुनिया के महान खोजकर्ता के रूप में दर्ज कर दिया जाए। आज हम जानने की कोशिश करेंगे कि क्या वाकई वास्को द गामा ने भारत की खोज की थी।
सबसे पहले हम जानेंगे कि वास्को द गामा को भारत खोजने के अभियान पर क्यों निकलना पड़ा?
दरअसल, पहले यूरोपीय देशों के लिए भारत एक पहेली जैसा था। यूरोप, अरब के देशों से मसाले, मिर्च आदि खरीदता था लेकिन अरब देश के कारोबारी उसे यह नहीं बताते थे कि यह मसाले वह कहाँ से लाते हैं। यूरोपीय भी इस बात को समझ चुके थे कि अरब कारोबारी उनसे जरूर कुछ छुपा रहे हैं।
यूरोपीय कारोबारियों को भारत के बारे में ज्यादा नहीं पता था। वैसे इसके लिए भारत की भौगोलिक स्थिति भी जिम्मेदार थी क्योंकि भारत के एक ओर हिमालय की ऐसी श्रृंखलाएं हैं जिसे पार करना उस दौर में असंभव ही था तो वहीं दूसरी ओर भारत को तीन तरफ से समुद्र ने घेर रखा था। ऐसे में यूरोप वासियों के लिए भारत पहुंचने के तीन रास्ते थे।
पहला रशिया पार करके चीन होते हुए बर्मा में पहुंचकर भारत में आना जोकि अनुमान से कहीं ज्यादा लंबा ओर जोखिम भरा था। दूसरा रास्ता था अरब और ईरान को पार करके भारत पहुंचना। लेकिन यह रास्ता अरब के लोग इस्तेमाल करते थे और वे किसी अन्य को अंदर घुसने नहीं देते थे। तीसरा रास्ता समुद्र का था जिसमें चुनौती देने वाला सिर्फ समुद्र ही था।
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ऐसे में एक ऐसे देश के समुद्री मार्ग को खोज करने यूरोप के नाविक निकल पड़े जिसके बारे में उनलोगों ने सुना तो बहुत था लेकिन देखा नहीं था। इन नाविकों में से एक का नाम क्रिस्टोफर कोलंबस था जो कि इटली का निवासी था। भारत का समुद्री मार्ग खोजने निकला कोलंबस अटलांटिक महासागर में भटक गया और अमेरिका की तरफ पहुंच गया।
कोलंबस को लगा कि अमेरिका ही भारत है और इसी कारण वहां के मूल निवासियों को उसने रेड इंडियंस का नाम दिया। कोलंबस की यात्रा के करीब 5 साल बाद पुर्तगाल के नाविक वास्को द गामा 1498 में भारत का समुद्री मार्ग खोजने निकला। मई 1498 में समुद्र के रास्ते कालीकट पहुंचकर वास्को ने यूरोपवासियों के लिये भारत पहुंचने का एक नया मार्ग खोज लिया था।
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वास्को द गामा ने भारत को नहीं बल्कि यूरोप से भारत आने वाले समुद्री रास्ते को खोज निकाला था।
जैसा कि आपको पता भी है कि वास्को द गामा भारत में 1498 में आया था जबकि उसके आने के हजारों साल पहले से हमारे देश पर विदेशी आक्रमण होने शुरू हो गए थे। लिखित इतिहास के मुताबिक, भारत पर पहला आक्रमण 550 ईसा पूर्व में फारस के हखामनी साम्राज्य के शासक सायरस ने किया था यानि वास्को के आने के 1900 साल पहले। इसके अलावा वास्को के आने के 1700 साल पहले अलेक्जेंडर यानि सिकंदर ने भारत पर हमला किया था और यूनानी राजदूत मेगास्थनीज भारत आया था।
इतना ही नहीं, वास्को के आने के हजारों साल पहले हमारे देश में तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय थे जहाँ एशिया के अलग-अलग भागों से लोग पढने आते थे। यूरोपीय और अफ्रीकी देशों की तूलना में एक विकसित सभ्यता मौजूद थी। ऐसे में आप खुद से सोच कर देखिए कि क्या वाकई में भारत को खोजने की जरूरत थी? नहीं न? लेकिन धन्य हैं हमारे देश के स्वघोषित महान इतिहासकार जिन्होने हमारे इतिहास के साथ छेड़-छाड़ कर के हमे ये पढाया कि वास्को द गामा जैसे एक लुटेरे नाविक ने हमारे महान देश को समुद्र की गहराइयों से खोज निकाला था।
इस पर भी हैरानी की बात ये है कि इन इतिहासकारों ने भारत के इतिहास में वास्को को एक हीरो के तौर पर पेश किया है जबकि असल सच्चाई यह है कि वो पुर्तगाल का एक लुटेरा था जो वहाँ के राजा के कहने पर कीमती मसालों से सम्पन्न सोने की चिड़िया यानि भारत के समुद्री रास्ते की खोज में निकला था। उसकी इस खोज के दुष्परिणाम भारत को भुगतने पड़े और पहले पुर्तगाली, फिर डच, फ्रांसीसी और बाद में अंग्रेजो ने उस रास्ते से आकर हम पर हमले किए और हमे अपना गुलाम बनाया।
आज के बाद कोई आपसे ये कहे कि भारत की खोज वास्को द गामा ने की थी तो उसे ये सच्चाई जरूर बताइएगा। दी गई जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे लाइक और अपने दोस्तों के साथ शेयर करना बिल्कुल मत भूलिएगा।
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