हिमकर श्याम
हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ ‘भारतेन्दु काल’ से माना जाता है. भारतेन्दु हरिश्चंद्र आधुनिक हिंदी के जन्मदाता और भारतीय नवजागरण के अग्रदूत थे. वह बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न साहित्यकार थे. उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी की वह एक साथ कवि, नाटककार, पत्रकार एवं निबंधकार थे. उन्होंने एक उत्कृष्ट कवि, नाटककार और गद्य लेखक के रूप में अप्रतिम योगदान दिया, वहीँ एक पत्रकार के रूप में समस्त देश को जागरण का नवसंदेश दिया. उनका सुधारवादी दृष्टिकोण रहा था. उनके द्वारा किये गए कार्य उन रेखाओं की भांति हो गए जिन पर भारत के अनेकों महापुरुषों ने उनके बाद भारत के भविष्य की आधार-शिलाएं रखीं.
समाज सुधार से लेकर स्वदेशी आन्दोलन तक उनकी दृष्टि गयी थी. वे देश की जनता में एक नई चेतना जगाना चाहते थे जो प्रत्येक क्षेत्र में उसे सजग रखे. उन्होंने देश की गरीबी, पराधीनता, शासकों के अमानवीय शोषण का चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया. साथ ही अनेक साहित्यिक संस्थाएँ भी खड़ी कीं. वैष्णव भक्ति के प्रचार के लिए उन्होंने ‘तदीय समाज’ की स्थापना की थी. अपनी देश भक्ति के कारण राजभक्ति प्रकट करते हुए भी उन्हें अंग्रेज़ी हुकूमत का कोपभाजन बनना पड़ा. उनकी लोकप्रियता से प्रभावित होकर काशी के विद्वानों ने 1880 में उन्हें ‘ भारतेन्दु’ की उपाधि प्रदान की थी, जो उनके नाम का पर्याय बन गया.
उन्होंने अपनी रचना के माध्यम से भारतीय समाज ख़ास कर हिंदी जनमानस में राष्ट्रीय चेतना भरने का काम किया. अपनी पत्रिका ‘कवि वचन सुधा’ के माध्यम से उन्होंने लेखन की दिशा में अनेक प्रयोग किये. उनके द्वारा सम्पादित ‘हरिश्चंद्र मैगज़ीन’, ‘हरिश्चंद्र चन्द्रिका’ और ‘बाला बोधनी’ आदि पत्रिकाओं की भूमिका भी कम महत्व नहीं रखती. ‘हरिश्चंद्र चन्द्रिका’ तथा ‘हरिश्चंद्र मैगज़ीन’ ने जहाँ देश की शिक्षित और जागरूक जनता को राष्ट्रभाषा हिंदी में अपने विचारों के प्रचार करने का खुला मंच प्रदान किया, वहीँ ‘बाला बोधनी’ के माध्यम से उन्होंने महिलाओं को भी इस दिशा में आगे बढाने का सराहनीय कार्य किया.
उन्नीसवीं शताब्दी कि आरंभ में भारत के नवशिक्षित बौद्धिकों में एक नई चेतना का उदय हुआ था. इस चेतना को अपने देश में कहीं पुनर्जागरण और कहीं नवजागरण कहा जाता है. नवजागरण के लिए पुनरूत्थान, पुनर्जागरण, प्रबोधन, समाज सुधार आदि अनेक शब्द प्रचलित हैं. निस्स्न्देह इनमें से प्रत्येक शब्द के साथ एक निश्चित अर्थ, एक निश्चित प्रत्यय जुड़ा हुआ है. चेतना की लहर देर-सवेर कमोवेश भारत के सभी प्रदेशों में फैली. देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने के लिए जहाँ भारत माता के कुछ सपूतों ने जंग छेड़ी हुई थी, वहीं कुछ लोग गुलाम होने के कारणों को जानकर उन्हें हटाने में जुटे हुए थे. भारतेन्दु उनमें से एक थे. उनके विचार में साहित्य की उन्नति देश और समाज की उन्नति देश और समाज की उन्नति से जुड़ी है. सामाजिक उन्नति का एक महत्वपूर्ण सूत्र था ‘नारि नर सम होहिं’. यह बात रुढ़िवादियों को वैसे ही पसंद नहीं थी जैसे भारत के भारत के निज स्वत्व प्राप्त करने की बात अंग्रेजों को. भारतेन्दु दोनों के ही कोपभाजन हुए. नवजागरण काल के इस प्रणेता को आज का भारत कभी नहीं भुला सकता. वे एक व्यक्ति नहीं विचार थे. कर्म नहीं क्रांति में विश्वास रखते थे.
भारतेन्दु का मानना था कि अंग्रेजी राज ख़त्म होने पर ही देश की वास्तविक उन्नति संभव होगी. भारतेन्दु ने अंग्रेजी राज में भारत के आर्थिक ह्रास का जो विश्लेषण किया था, उससे स्वदेशी आन्दोलन की आवश्यकता प्रमाणित होती थी. उन्होंने ऐसी सभा बनाई जिसके सदस्य स्वदेशी वस्तुओ का ही व्यवहार करते थे. स्वदेशी वस्तुओं के व्यवहार से उद्योगीकरण में सहायता मिलेगी, यह बात वह अच्छी तरह से जानते थे. भारतेन्दु को विश्वास था कि जिस प्रकार अमेरिका उपनिवेषित होकर स्वाधीन हुआ वैसे ही भारत भी स्वाधीनता लाभ कर सकता है. भाषा के क्षेत्र में उन्होंने खड़ी बोली के उस रूप को प्रतिष्ठित किया, जो उर्दू से भिन्न है और हिंदी क्षेत्र की बोलियों का रस लेकर संवर्धित हुआ है. इसी भाषा में उन्होंने अपने संपूर्ण गद्य साहित्य की रचना की. देश सेवा और साहित्य सेवा के साथ-साथ वह समाज सेवा भी करते रहे. दीन-दुखियों, साहित्यिकों तथा मित्रों की सहायता करना वे अपना कर्तव्य समझते थे. धन के अत्यधिक व्यय से भारतेंदु ऋणी बन गए और अल्पायु में ही उनका देहांत हो गया.
भारतेंदु युग - प्रश्न और उत्तर
1.आधुनिक काल का जनक किस लेखक को कहा जाता है ?
a. महावीर प्रसाद द्विवेदी
b. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
c. रामचन्द्र शुक्ल
d. हजारीप्रसाद द्विवेदी
Ans-b
2.भारतेन्दु युग का अन्य नाम है—
a. सुधारकाल
b. पुनर्जागरण काल
c. नवोत्थान काल
d. आरंभकाल
Ans-b
3.इनमें से भारतेन्दु मण्डल का लेखक कौन है?
a. बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन
b. सरदार पूर्णसिंह
c. मैथिली शरण गुप्त
d. अयोध्या सिंह उपाध्याय
Ans-a
5.भारतेन्दु जी का जीवन काल कुल कितने वर्ष का था?
a. 30 वर्ष
b. 38 वर्ष
c. 40 वर्ष
d. 35 वर्ष
Ans-d
6.कौनसी कृति भारतेन्दु की नहीं है ?
a. भारत हरण
b. भारत दुर्दशा
c. अंधेर नगरी
d. वैदिकी हिंसा हिंसा न भवती
Ans-a
7.भारतेन्दु ने अपनी किस कृति में देशी राजाओं को रासभ(गधा) कहा है ?
a. भारत दुर्दशा
b. अंधेर नगरी
c. चंद्रवली
d. नीलदेवी
Ans-a
8.इनमें से कौन-सी प्रवृत्ती भारतेन्दु युग की प्रवृत्ति नहीं है ?
a. भक्तिभावना
b. प्रकृति चित्रण
c. इतिवृत्तात्मकता
d. श्रृंगारिकता
Ans-c
9. ‘हिंदी नई चाल में ढली’ किसकी उक्ति है ?
a. भारतेन्दु
b. प्रेमघन
c. निराला
d. महादेवी वर्मा
Ans-
10.भारतेंदुजी ने स्त्री शिक्षा के लिए कौनसी पत्रिका निकाली ?
a. बाल बोधनी
b. हरिश्चन्द्रिका
c. ब्रह्मण
d. हिन्दी प्रदीप
Ans-a
11.निम्नलिखित में भारतेन्दुजी का मौलिक नाटक क्या है ?
a. मुद्राराक्षस
b. कर्पूरमंजरी
c. विद्यासुंदर
d. अंधेर नगरी
Ans-d
12.आधुनिक हिन्दी काव्य का वैतालिक किसे कहा गया है ?
a. भारतेन्दु
b. प्रेमघन
c. राधाकृष्ण दास
d. बालमुकुंद गुप्त
Ans-a
13.”प्रेम फुलवारी” किसकी रचना है ?
a. भारतेन्दु
b. प्रतापनारायण मिश्र
c. श्रीधर पाठक
d. मैथिलीशरण गुप्त
Ans-a
14. भारतेन्दुजी ने कुल कितनी काव्यकृतियों का सृजन किया ?
a. 60
b. 65
c. 70
d. 75
Ans-c
15.“पै धन विदेश चलि जात यहै अति ख्वारी”
a. राधाकृष्ण दास
b. प्रताप नारायण मिश्र
c. अम्बिका दत्त व्यास
d. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
Ans-d
16.भारतेन्दु की कविता की सबसे बड़ी विशेषता है –
a. प्राचीन और नवीन का समन्वय
b. साम्प्रदायिक कट्टरता का अभाव
c. ब्रज और खड़ी बोली दोनों में काव्य रचना
d. व्यंग्य द्वारा अंग्रेजी शासन की निंदा
Ans-a
17. इन्हें द्वतीय भारतेन्दु भी कहते है ?
a. प्रतापनारायण मिश्र
b. बालकृष्ण भट्ट
c. बदरीनारायण चौधरी
d. अंम्बिकादत्त व्यास
Ans-a
18.“नूतन ब्रह्मचारी” नामक उपन्यास के लेखक कौन हैं ?
a. लाला श्रीनिवासदास
b. श्रध्दाराम फुल्लौरी
c. बालकृष्ण भट्ट
d. अयोध्यासिंह उपाध्याय
Ans-b
19.आनंद अरुणोदय किसकी रचना है ?
a. भारतेन्दु
b. राधाकृष्ण
c. प्रेमघन
d. जगमोहन सिंह
Ans-c
20.आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी का पहला उपन्यास इनमें से किसे माना है ?
a. नूतन ब्रह्मचारी
b. सौ अजान एक सुजान
c. परीक्षागुरु
d. चन्द्रकान्ता
Ans-c
21. “समस्या पूर्ती सर्वस्य” नामक ग्रंथ के लेखक कौन हैं?
a. भारतेन्दु
b. प्रताप नारायण मिश्र
c. अम्बिकादत्त व्यास
d. नाथूराम शर्मा शंकर
Ans-c
22.बाबू बालमुकुंद गुप्त की साहित्यिक प्रसिध्द का मूलाधार है—
a. बंगवासी
b. भारत मित्र
c. जोगीड़ों का संग्रह
d. शिव-शंभू का चिट्ठा
Ans-d
23.भारतेन्दु मंडल के किस लेखक को उस युग का अत्यंत सजग, सतर्क, गहरी सूझबूझ वाला तथा भारतेन्दु का सफल उत्तराधिकारी माना जाता है ?
a. प्रतापनारायण मिश्र
b. लाला श्रीनिवास दास
c. बालमुकुंद गुप्त
d. जगमोहन सिंह
Ans-c
24.नव भक्तमाल के रचयिता कवि कौन हैं ?
a. प्रेमघन
b. भारतेन्दु
c. नाभादास
d. राधाचरण गोस्वामी
Ans-d
25. “जपो निरंतर एक जबान, हिन्दी, हिन्दू हिन्दुस्तान” किसकी उक्ति है?
a. भारतेन्दु
b. प्रताप नारायण मिश्र
c. श्रीधर पाठक
d. मैथिलीशरण गुप्त
Ans-b
26.…धन्य भारत भूमि सब रतननि की उपजावनि-
a. बद्री नारयण चौधरी प्रेमघन
b. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
c. मैथिलीशरम गुप्त
d. गया प्रसाद शुक्ल सनेही
Ans-a
27…“हमारो उत्तम भारत देश” किसकी उत्तर है ?
a. राधाचरण गोस्वामी
b. राधाकृष्ण दास
c. बालमुकुंद गुप्त
d. भारतेन्दु हरिश्चंद
Ans-a
28.“प्रेम सम्पत्तिलता” किसकी रचना है ?
a. बद्रिनारायण चौधरी
b. प्रताप नारायण मिश्र
c. जामोहन सिंह
d. शाह ललित किशोरी
Ans-c
29.“हिंदी प्रदीप” अखबर किससे संबंधित थे ?
a. प्रतापनारायण मिश्र
b. बालकृष्ण भट्ट
c. लाला श्रीनिवासदास
d. राधाकृष्णदास
Ans-b
30. रहीम के दोहों पर कुणडलिया किसने बनाई है ?
a. ठाकुर जगमोहन सिंह
b. अम्बिकादत्त व्यास
c. राधाकृष्ण दास
d. दुर्गादत्त व्यास
Ans-c
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