बेहतर समय प्रबंधन की तकनीक बताइए समय प्रबंधन के क्या फायदे हैं? - behatar samay prabandhan kee takaneek bataie samay prabandhan ke kya phaayade hain?

विषयसूची

  • 1 समय प्रबंधन का महत्व क्या है?
  • 2 टाइम मैनेजमेंट से आप क्या समझते हैं?
  • 3 समय प्रबंधन सीखने की ज़रूरत कब है *?
  • 4 प्रत्येक कार्य को समय पर करने से क्या होगा?
  • 5 हमें बेकार या खाली समय का सदुपयोग कैसे करना चाहिए?

समय प्रबंधन का महत्व क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसमय प्रबंधन अलग-अलग गतिविधियों पर खर्च किए जाने वाले समय की मात्रा का निर्णय करने और नियंत्रित करने की कला है। यह उत्पादकता बढ़ाने और संगठित रहने की महत्वपूर्ण कुंजी है। यही कारण है कि समय प्रबंधन जीवन के सभी क्षेत्रों से जुड़े लोगों के लिए आवश्यक है और यह आपके लक्ष्यों को प्राप्त करने में आपकी सहायता कर सकता है।

समय प्रबंधन मैट्रिक्स क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसमय प्रबंधन मैट्रिक्स आपके कार्यों को पूरा करने में आपकी सहायता करने से अधिक करने के लिए है। यह आपके लिए एक तरीका है कि आप पीछे हटें और जिस तरह से आप उन सभी चीजों को देखें, जिन्हें आप करना चाहते हैं। मैट्रिक्स को भौतिक रूप से लिखना आपको ऐसा करने में मदद करता है।

टाइम मैनेजमेंट से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंऐसा इसलिए होता है क्योकि जितने सफल व्यक्ति होते है वो अपने समय को मैनेज करना जाते है। वो अपने पुरे दिन के काम के लिए एक उचित समय की सूचि रखते है। और वो अपने पुरे काम को उस समय सूची के अनुसार ही करते है। और इसको ही हम समय प्रबंधन कहते है।

कोई काम उसके निर्धारित समय पर न किया जाए तो क्या हानि होती है?

इसे सुनेंरोकेंमनुष्य कितना ही परिश्रमी क्यों न हो परन्तु समय पर कार्य न करने से उसका श्रम व्यर्थ चला जाता है। वक्त पर न काटी गई फसल नष्ट हो जाती है। असमय बोया बीज बेकार चला जाता है। जीवन का प्रत्येक क्षण एक उज्जवल भविष्य की संभावना लेकर आता है।

समय प्रबंधन सीखने की ज़रूरत कब है *?

इसे सुनेंरोकें(क) समय प्रबन्धन सीखने की जरूरत कब है? ► समय प्रबन्धन सीखने की जरूरत तब पड़ती है, जब हमें किसी परीक्षा की तैयारी करनी पड़ती है, लेकिन समयभाव के कारण हम पढ़ाई पर पर्याप्त समय नही दे पा रहे। ऐसी स्थिति हमें समय का सही प्रबन्धन करना होगा, समय का अधिक से अधिक उपयोग कर सकें।

प्रबंधन किसे कहते हैं एवं आप प्रबंधन कैसे कर सकते हैं?

इसे सुनेंरोकेंव्यवसाय एवं संगठन के सन्दर्भ में प्रबन्धन (Management) का अर्थ है – उपलब्ध संसाधनों का दक्षतापूर्वक तथा प्रभावपूर्ण तरीके से उपयोग करते हुए लोगों के कार्यों में समन्वय करना ताकि लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित की जा सके। प्रबंध में पारस्परिक रूप से संबंधित वह कार्य सम्मिलित हैं जिन्हें सभी प्रबंधक करते हैं।

प्रत्येक कार्य को समय पर करने से क्या होगा?

इसे सुनेंरोकेंजब आप अपने सारे कार्य समय पर पूरा कर लेते हैं तो आप अनावश्यक तनाव से मुक्ति पा जाते हैं और न ही आपको अंत समय में किसी प्रकार की परेशानी का सामना करना पडता है।

समय का सदुपयोग कैसे करें निबंध?

इसे सुनेंरोकेंकभी कभी हम कार्यों के लिए कोई समय सीमा(Deadline) निर्धारित नहीं करते और देखते ही देखते सारा वक्त निकल जाता है और हम उस कार्य को कर ही नहीं पाते। जिन कार्यों हेतु समय सीमा निर्धारित की जा सकती है, उसे अवश्य करें। अपने कार्य की समय सीमा निर्धारण करने से उन पर नियंत्रण करने में आसानी रहती है।

हमें बेकार या खाली समय का सदुपयोग कैसे करना चाहिए?

समय क्या होता है/समय का अर्थ? What is Time in Hindi?

  • अपने कार्य को पूर्ण करने के लिए अपनी जी-जान लगा दीजिए
  • अपने कार्य को श्रेणीयों(categories) में भाग कर दीजिये
  • बिन बुलाये मेहमानों से दूर रहें
  • दूसरों के समय को बेकार न करें
  • रात्रि के समय अच्छी नींद सोयें
  • अपने काम न आने वाले समय को भी काम में लाना
  • समय क्या होता है/समय का अर्थ? What is Time in Hindi?

  • अपने कार्य को पूर्ण करने के लिए अपनी जी-जान लगा दीजिए
  • अपने कार्य को श्रेणीयों(categories) में भाग कर दीजिये
  • बिन बुलाये मेहमानों से दूर रहें
  • दूसरों के समय को बेकार न करें
  • रात्रि के समय अच्छी नींद सोयें
  • अपने काम न आने वाले समय को भी काम में लाना
  • इसे सुनेंरोकेंसमय प्रबंधन एक समय का कुशलतापूर्वक उपयोग करने की तकनीक है ताकि इसका अधिकतम लाभ उठाया जा सके। यह जितना आसान लगता है, इस तकनीक में महारत हासिल करने के लिए बहुत प्रयास करता है। जो समय का प्रबंधन करना सीखता है वह जीवन में लगभग कुछ भी हासिल कर सकता है।

    समय प्रबंधन के कुछ सूत्र – एक दिन में 40 घण्टे का काम कैसे करें

    समय प्रबंधन पर आलेख लिखने में एक ही बाधा थी, समय की बाधा। कुछ भी करने के लिये समय एक सामान्य आवश्यकता है। आप कितने भी समृद्ध, कुशल, महान, या प्रसिद्ध हो जायें, समय का कोष सीमित ही रहता है। सफलता की कितनी भी चोटियाँ चढ़ने के पश्चात भी आपके दिन में 24 घण्टे ही रहने वाले हैं। जो कुछ करना है इन्हीं के कुशल प्रबंधन और सदुपयोग से करना पड़ेगा। कई वर्ष पहले मैंने नायकों पर एक आलेख लिखा था, जिसमें नायकों का आधारभूत सामान्य गुण साहस बताया गया था। इसी भाँति समय-प्रबंधन को मैं सफलता का एक आधारभूत सामान्य गुण कहूँगा।

    हम सबके व्यक्तित्व की अपनी कई विशेषताएँ होती हैं। किसी व्यक्ति में कोई गुण स्वाभाविक रूप से निखरकर आता है किसी में कोई। कोई शक्तिशाली है, कोई बुद्धिमान, कोई सुंदर, और कोई उदार। मेरा मानना यह है कि स्वाभाविक रूप से मिली शक्ति को भी शिक्षा, अभ्यास और कौशल से निखारा जा सकता है और अनेक नई शक्तियों को भी इन्हीं प्रयत्नों से पाया, अपनाया, और निखारा जा सकता है। तो आइये आज काल-प्रबंधन पर एक लघु-विमर्श करते हैं। मेरी सीखी और/या अपनाई जो बातें इस समय मुझे याद आ रही हैं, वे आपके सामने रख रहा हूँ। जो छूट गई हों, या जिन्हें आपने अपने जीवन में सफलता से प्रयोग किया हो, उनके बार में आपसे जानना चाहूँगा।

    धन की बात चलने पर दो मुख्य सुझाव सामने आते हैं, एक आय बढ़ाने का, दूसरा व्यय घटाने का। समय के मामले में इसे बढ़ाना कठिन लगता है लेकिन अपना कौशल और क्षमता बढ़ाने से यदि आप सामने पड़े कामों को कम समय में कर पायें तो उसका प्रभाव भी एक प्रकार से समय बढ़ाने जैसा ही होगा। इस आलेख में हम ऐसे उपायों पर भी चर्चा करेंगे। लेकिन व्यय घटाने वाला पक्ष एकदम स्पष्ट और सरल है। उन व्यवधानों का निराकरण कीजिये जो आपके समय को चोरी कर रहे हैं। चोरी से मेरा आशय उन कर्मों से है जिनमें समय तो बीतता है लेकिन लाभ कुछ भी नहीं होता।

    समय प्रबंधन का पहला सूत्र है – समय का आदर। समय की सीमित आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए हमें समय को सम्मान देना सीखना चाहिये। समय के सम्मान में अपना ही नहीं, दूसरों का समय भी व्यर्थ नष्ट करने से बचना भी सम्मिलित है। किसी व्यक्ति से सम्पर्क करते समय सबसे पहले उससे यह पूछ लेने में कोई बुराई नहीं है कि क्या अभी उसके पास 2-4 या 15 मिनट हैं। बल्कि यदि आप उसका सामान्य दैनंदिन कार्यक्रम जान लें तो और भी अच्छा होगा। यदि आप दूसरे देश में रह रहे व्यक्ति को फ़ोन कर रहे हैं तो यह चैक कर लीजिये कि कहीं वहाँ रात के दो या तीन तो नहीं बजे हैं। अच्छा यही होगा कि पहले उस व्यक्ति से वार्ता का उचित समय पता कर लें। व्यस्त लोगों से अपॉइंट्मेंट लेना एक अच्छी आदत है। याद रहे, एक-एक पल कीमती है। समय का सदुपयोग एक आदत है। एक-एक क्षण बचाकर आप दिन भर में कई अतिरिक्त घण्टे इकट्ठे कर सकते हैं और फिर कार्यकौशल की सहायता से आप उनका कई गुना अधिक सदुपयोग कर सकते हैं। संसार भर में सक्षम लोग ऐसा करते आये हैं। कितने सरकारी कार्यालयों में मैंने ऐसे सक्षम कर्मियों को अपने 10 अन्य सहकर्मियों से अधिक उत्पादक पाया है।

    सूत्र: स्पष्ट, संक्षिप्त, परंतु सक्षम सम्वाद

    वर्तमान काल में टीवी, सोशल मीडिया, चैट आदि में हमारा बहुत समय लगता है। मैं चैट से बचता हूँ। यदि आवश्यक हो तो फ़ोन पर दो मिनट की लक्ष्यात्मक वार्ता से वह सब पाया जा सकता है जो लम्बी चैट में ठीक से नहीं पाया जा सकता। तो आज का दूसरा सूत्र – कम बात कीजिये, स्पष्ट बात कीजिये, ताकि एक ही बार में संदेश स्पष्ट हो जाये और उसे समझने-समझाने में बहुत समय न लगे। शब्दों की कृपणता का अभ्यास कीजिये। जहाँ मुख से काम चले, मुखड़ा मत कहिये, न लिखिये। यदि आप एक नेता या नीति-निर्देशक हैं तो किसी एक ही मुद्दे पर अनेक लोगों से बारी-बारी व्यक्तिगत सम्वाद करने से अच्छा है कि ट्विटर, यूट्यूब, रेडियो, टीवी, या प्रेस रिलीज़ आदि जैसे जन-संचार साधनों का प्रयोग करके एक ही बार में सम्बोधित कर दिया जाये। यहाँ सम्पर्क या सम्वाद के उपयुक्त साधन का प्रयोग विचारणीय है। थोड़े से अभ्यास से आपको पता लग जायेगा कि किस प्रकार के सम्वाद के लिये कौन सा साधन सक्षम है। उदाहरण के लिये मघा पर यह एक आलेख समय-संरक्षण के बिंदु एक साथ अनेक पाठकों तक पहुँचाने में सक्षम है।

    सूत्र – मुख्य बिंदुओं के नोट्स रखा कीजिये।

    स्पष्ट सम्वाद के लिये स्पष्ट विचार भी ज़रूरी है। आप कम शब्दों में अपनी बात तभी कह सकते हैं जब आपके मन में उसके मूल बिंदु सुनिश्चित हों। विषय की समझ, अच्छी स्मृति के साथ-साथ विषयवस्तु या मूल बिंदु नोट करने का अभ्यास रखने से भी स्पष्ट और सुचारु विचारसम्प्रेषण में सहायता मिलती है। विचारबिंदु सुरक्षित करने के लिये अपने स्मार्टफ़ोन का कुशल प्रयोग कीजिये, या एक छोटी सी नोटबुक जेब में रखिये, ताकि किसी विचार को लिख सकें। इस प्रक्रिया से आप कभी भी मुख्य बिंदु नहीं खोयेंगे, साथ ही आप किसी विचार को मस्तिष्क में बलात पकड़े रहने के उहापोह एवं संघर्ष से भी बचे रहेंगे। नोट्स तैयार कीजिये, मस्तिष्क पर अवांछित बोझ डालने से बचिये।

    सूत्र – मुक्तमना रहें

    मन-मस्तिष्क पर बोझ न रखें। बात कितनी भी महत्वपूर्ण हो, उसे नोटबुक, डायरी, फ़ोन/ईमेल में बने कलेंडर/अलार्म में रखकर भूल जाइये। जीवन की फ़ाइलों को अंतिम निर्धारण के साथ बंद करके समस्या का वास्तविक निराकरण करना सीखें। यदि आप सोचते ही रहते हैं, चिंता से मुक्त नहीं हो पाते तो उसका मूल कारण ढूंढकर उसके निवारण का प्रयास करें। यह बात आपको कोई बाबा नहीं बताने वाला कि आपके जीवन में जितने अधिक अनसुलझे मुद्दे हैं, उतना ही बोझ आपके मन पर रहेगा। ऐसी अधिकाधिक फाइलों को बंद करने का प्रयास कीजिये। यदि आप इस विषय पर विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो बताइये, इस पर विस्तृत चर्चा करने, और आपको समस्या का स्थाई हल खोजने में सहायता करने में मुझे प्रसन्नता होगी।

    सूत्र – समयानुकूल काम कीजिये

    कई लोगों का जीवन टीवी सर्फ़िंग, यानी चैनल बदलते रहने में व्यर्थ जा रहा है और कई लोगों का फ़ेसबुक के नोटिफ़िकेशन चैक करने में। यदि आप इन दोनों में से कुछ करने में जुटे हुए हैं तो आपकी समस्या का कारण कहीं और है। आपको अपना जीवन रुचिकर बनाने की आवश्यकता है। चाहे वह कोई हॉबी हो जो आपको आनंद दे, या फिर कोई नया कौशल जो आपको सफलता का भाव दे। स्वास्थ्य, पोषण, आदि का नया कार्यक्रम अपनाकर आप अपने जीवन को रोचक बनाने के साथ-साथ अपनी क्षमता एवं स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकते हैं। फ़ेसबुक देखिये अवश्य, लेकिन तभी जब आप बाकी सब कार्य कर चुके हों और अब आपके पास और कुछ करने को न हो। बल्कि, फ़ेसबुक आप सोने से ठीक पहले की अर्धनिद्रा की स्थिति में फ़ोन पर देख सकते हैं क्योंकि वहाँ आप कोई जटिल गणितीय समस्या हल करके संसार को प्रलय से बचाने के लिये नहीं हैं। हल्का-फुल्का लेखन, सूचना, लाइक-कमेंट आदि के लिये एकाग्रता नहीं चाहिये। अपने सचेत और एकाग्र मन को महत्वपूर्ण प्रयोजनों में लगाइये। आशय यह कि जबतक आपका मन और शरीर तरोताज़ा हैं, महत्त्वपूर्ण काम निबटा डालिये। फ़िज़ूल काम फ़िज़ूल वक़्त पर छोड़िये।

    सूत्र – ऊर्जावान रहिये

    समय प्रबंधन के लिये क्षमता चाहिये और क्षमता बनाये रखने के लिये ऊर्जावान होना ज़रूरी है। भरपूर नींद, समुचित व्यायाम, और उचित पोषण पर ध्यान दीजिये। नींद का कोई विकल्प नहीं है। इसी प्रकार व्यायाम हमारे शरीर को सुचारु, शक्तिशाली, और सक्षम बनाता है। सूर्य-नमस्कार जैसे सरल और लगभग सम्पूर्ण व्यायाम नियमित रूप से कीजिये। उच्चकोटि के पोषण के लिये दुग्ध-शाकाहार की समयसिद्ध भारतीय परम्परा का पालन कीजिये। माइक्रो-न्यूट्रियेंट्स की पूर्ति के लिये अनियमित रूप से मल्टी-विटैमिन/मिनरल आदि भी लिये जा सकते हैं। अंकुरित दालें स्वास्थ्यवर्धक हैं। पर्याप्त जल पीना भी लाभदायक है। शवासन, ध्यान, शांति, और सहनशक्ति का अभ्यास भी हमारी ऊर्जा बनाये रखने में सहायक है।

    सूत्र – सार-सार को गहि रहे, थोथा देय उड़ाय

    टीवी पर आप जितने कार्यक्रम देखते हैं, उससे कहीं अधिक समय कार्यक्रम के बीच आने वाले विज्ञापनों में व्यर्थ होता है। इसी तरह मुख्य धारा की अधिकांश हिंदी फ़िल्मों में गीत कथा से असम्बद्ध पूरक होते हैं जिनके बिना भी फ़िल्म सम्पूर्ण है। इसलिये इन कार्यक्रमों के प्रसारण (लाइव) देखने के बजाय रिकॉर्डेड देखकर आप समय की खासी बचत कर सकते हैं। भाषण, प्रवचन आदि सुनते समय भी दोहराव होने पर उस समय को किसी अन्य काम में लगा सकते हैं, यथा – फ़ोन या नोटबुक में रखी महत्वपूर्ण बिंदुओं की सूची ठीक करने में। महत्वपूर्ण पुस्तकों, सिद्धांतों आदि के भी यदि प्रामाणिक सारांश से काम चलता हो तो चलायें।

    सूत्र – सटीक/अनुकूल उपकरण का प्रयोग

    हमारा बहुत सा समय अनुपयुक्त उपकरणों के प्रयोग में खराब होता है। पेंचकस का काम जब आप सिक्के से लेते हैं, या पेपर-कटर की जगह कागज़ को मोड़कर हाथ से फाड़ते हैं तो उसमें समय नष्ट होता है। ऐसे कई कामों में धन या अन्य संसाधन भी व्यर्थ होते हैं। उचित उपकरण का प्रयोग करके आप काम शीघ्रता से अच्छी तरह से कर सकते हैं। लैपटॉप के उपयोग से आप फ़ोन की छोटी स्क्रीन की बाधा और वर्कस्टेशन की जड़ता से मुक्ति पाते हैं। एक से अधिक मॉनिटर आपको एक साथ कई विंडोज़ को खुले रखने की सुविधा प्रदान करते हैं। रिमोट कीबोर्ड आदि आपको ड्राइंगरूम में बैठकर बड़े टीवी मॉनिटर के प्रयोग की सुविधा प्रदान करते हैं। क्लाउड पर रखी फ़ाइलें कहीं भी प्रयोग की जा सकती हैं। बैटरी के पेंचकस, बिजली की आरी, बिना फ़ीते वाले जूते, वेल्क्रो वाले जैकेट, फ़ोल्डिंग ईयरमफ़, बैटरीचलित पोर्टेबल शेवर आदि समय बचाने के साधन हैं। उदाहरण के लिये यदि आप लेखक बनना चाहते हैं तो वर्तनी, व्याकरण (और आजकल यूनिकोड भी) सीखना आपका बहुत समय बचायेगा। जो काम आप नियमित रूप से कर रहे हैं, या करना चाहते हैं, उसमें समय और संसाधन का निवेश कई गुना फलदायक होता है। मग और बाल्टी से नहाने के बजाय फुहारे से नहाने में समय बचता है। पानी का सही तापक्रम भी समय बचाने में सहायक है। डिशवाशर, वाशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर आदि जैसे उपकरण भी समय बचाते हैं। फ़ोन होल्ड करते समय स्पीकरफ़ोन का प्रयोग, सामान्य स्थितियों में भी हैडफ़ोन, या ब्लूटूथ जैसे उपकरणों का प्रयोग आपके हाथों को मुक्त करके समय बचाता है। पर्याप्त प्रकाश, चश्मा, कॉन्टेक्ट लेंस, छड़ी या हियरिंग एड जैसे सहायक साधनों का प्रयोग भी इसी श्रेणी में आयेगा।

    सूत्र – सावधानी

    असावधानी दुर्घटना की सम्भावना बढ़ाती है। किञ्चित सी असावधानी से आग आदि लगने जैसी भीषण दुर्घटनाएँ होती हैं, पानी का एक गिलास गिरकर आपकी कड़ी मेहनत के ब्लूप्रिंट को बिगाड़ सकता है, वहीं बंद बोतल आपको इससे बचा सकती है। अलमारियों के कपाट, डिब्बों के ढक्कन आदि बंद रखें। पटरी पर केले के छिलके और सड़क पर बड़े पत्थर जैसी बाधाओं को सहन न करें। चीज़ों को रास्ते को रोड़ा बनने से रोकें। चश्मे, फ़ोन आदि को केस में रखना उनके शीशे की सुरक्षा में सहायक हो सकता है। उपकरणों के प्रथम प्रयोग से पहले उनके मैनुएल पढ़ लें। किसी वाहन को पहली बार चलाने से पहले उसके कंट्रोल्स से परिचित हो लें। जीवन में यथासम्भव सावधानी रखें, और अवांछित दुर्घटनाओं से बचें।

    सूत्र – प्रवाह के साथ बहिये

    प्रवाह के विरुद्ध तैरने की अपेक्षा प्रवाह के साथ चलने में कम प्रयास में अधिक दूरी तय की जा सकती है। शोरशराबे में एकाग्रता का प्रयास आपके लिये, तथा शांत स्थल में हैडफ़ोन के बिना ऑडियो सुनने का प्रयास अन्य उपस्थितजनों के लिये कम उत्पादक है। लम्बी दूरी के विमान जेट स्ट्रीम के सहारे अपनी क्षमता बढ़ाते हैं। सफल लोग परिस्थिति के अनुकूल काम करते हैं, न होने पर अनुकूल परिस्थिति ढूँढते हैं। इससे समय का काफ़ी सदुपयोग होता है। अमेरिका की एक प्रसिद्ध उद्यमी मार्था स्टुआर्ट को सन् 2005 में मिथावादिता के लिये पाँच महीने का कारावास हुआ। 63 वर्षीया मार्था ने उस समय का उपयोग कर योगाभ्यास करके अपना भार तो कम किया ही, एक पुस्तक ‘द मार्था रूल्स’ पर भी काम किया। भारत में लोकमान्य टिळक सहित अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने जेल में रहते हुए पुस्तकें लिखी हैं। धुले जेल में बंदी विनोबा भावे ने बंदी अपराधियों के जीवन के उत्थान के लिये हर रविवार को गीता प्रवचन किये जो तत्पश्चात अनेक भाषाओं में अनूदित होकर कितने ही लोगों के लिये लाभप्रद सिद्ध हुए।

    सूत्र – कर्म, प्रशिक्षण और विश्राम का संतुलन

    विपरीत ध्रुवों के बीच संतुलन बना रहना चाहिये। अति किसी बात की अच्छी नहीं होती। कोई उपकरण लगातार काम नहीं कर सकता। आप कितनी भी देर लगातार करते रहें, काम खत्म होने वाला नहीं है, सो एक तार्किक बिंदु पर विश्राम लीजिये। यह बिंदु किसी पुस्तक का एक अध्याय भी हो सकता है और किसी वाहन का एक उपकरण भी। घर की सफ़ाई करते समय यह कोई एक कमरा हो सकता है, और मारक कला में कोई एक दाँव। लेकिन आपको विश्राम के लिये रुकना ही होगा। आपको विश्राम भी चाहिये एवं श्रेष्ठतर काम करने के लिये प्रशिक्षण भी। इनमें थोड़े समय का निवेश, इनके बिना लगातार काम करने से उपयुक्त है।

    सूत्र – कार्यकौशल

    काम करते-करते कई बार उसके प्रावधान, साधन, या उपकरणों की कमी अपने आप ही पकड़ में आ जाती है। उसमें सुधार करके आप कम समय में अधिक काम करने का कौशल पा सकते हैं। भारत में यदि आपको ड्राइव करते हुए कई जगह जाना है तो उन्हें क्रमित करते हुए ध्यान रखिये कि दाएँ की तुलना में बहुसंख्य मोड़ बाएँ हों। केवल इतने भर से आप विपरीत यातायात में फंसने से बचेंगे। अमेरिका में केवल इसी सिद्धांत का पालन करके प्रसिद्ध कुरियर कम्पनी यूपीएस ने ‘नो लेफ़्ट टर्न’ (यहाँ वाहन भारत से विपरीत दिशा में चलते हैं) अपनाकर, न केवल समय बल्कि ईंधन भी बहुत बचाया है। नवोन्मेष एक दुर्लभ गुण है। इसमें निपुण लोग कार्य निष्पादन के अनूठे नमूने ढूँढ निकालते हैं। अन्य सभी के लिये विषय-विशेष के स्थापित विशेषज्ञों से कौशल और गुरुओं से गुर सीखना एक अच्छा साधन हो सकता है। मैंने अब तक अनेक प्रकार के कार्य किये हैं और लगभग सभी में कुशल प्रक्रियाएँ अपनाने के कारण अपना कार्य सुधार सका। सम्बंधित विषय विशेषज्ञों की सलाह सुनने से भी मुझे वर्जना नहीं है, भले ही सुनने के पश्चात मुझे यह पता लगे कि उनका पुस्तकीय सिद्धांत मैं बरसों पहले ही नकार चुका हूँ। शिक्षकों से मुझे अनेक लाभदायक सूत्र मिले हैं, आपको भी मिल सकते हैं। हाँ, वाट्सऐप और यूट्यूब पर टहलते छद्मगुरुओं से सावधान रहें क्योंकि उन लम्बी-लम्बी फेंकने वालों की वास्तविकता निराशाजनक ही नहीं, हानिप्रद भी हो सकती है। अच्छे परामर्शदाता को पहचानकर उस पर निर्भर होने में बुराई नहीं है। आपकी कार्यकुशलता बढ़ने के साथ-साथ, आपके परामर्शदाता का मूल्यांकन करने की आपकी क्षमता भी सुधरती जायेगी।

    सूत्र – तैयार रहें

    बालचरों का नियम है ‘तैयार रहें’। मैंने इस नियम को सदा लाभप्रद पाया है, विशेषकर समय बचाने के उद्देश्य से। तैयार रहें क्योंकि समय अभी है। लगभग 30 साल हो चुके जब से मैं बैंडएड आदि के साथ इलेक्ट्रिक शेवर, नेलकटर जैसी चीज़ें भी अपने ऑफ़िस में रखता हूँ। मेरी कार में लेखनी, डायरी, पुस्तकें आदि तो होती ही हैं, अतिरिक्त जैकेट, कई लोगों के लिये पर्याप्त जल, भोजन आदि की आपूर्ति भी सदा उपस्थित रहती है। इन सब ने मेरा बहुत समय बचाया है। शहर के चौराहे पर खड़े किसी गृहविहीन को देने को पैसे निकालने में भी मैं समय व्यर्थ नहीं करता क्योंकि कार में उनकी आवश्यकता की समस्त सामग्री के बंद किये गये पैकेट तैयार रखे रहते हैं जो शीशा गिराकर पल भर में उन्हें दिये जा सकते हैं। कोई विचार मन में आते ही उसे पकड़ने के लिये फ़ोन में ऑडियो रिकार्ड ऐप आदि तैयार रखिये। यदि आप ऑडियो-विडियो स्ट्रीम करते हैं तो उनके ऐप, यदि कलाकार हैं तो उनके ऐप आदि आपके पास आवश्यकता पड़ने से पहले ही तैयार रहने चाहिये। क्विक टी (या सत्तू) जैसी चीज़ें समय बचाने में लाभप्रद हैं। शहर से दूर कहीं अकेले रहने वालों के लिये ‘रेडी टू सर्व’ भोजन बहुत समय बचा सकता है।

    सूत्र – बहुकार्यण या मल्टी-टास्किंग

    खाना खाते समय अखबार पढ़ लेना, कपड़े बदलते समय टीवी पर समाचार देख लेना, या कार चलाते समय संसार भर की खबरों को रेडियो से जान लेना, सच्चे बहुकार्यण के उदाहरण हैं। मैं ऐसे लोगों को जानता हूँ जो दांत माँजते समय उट्ठक-बैठक लगा लेते हैं, शौचालय में कुछ पढ़ने वाले लोग भी हैं और वहाँ अपने फ़ोन संदेश चैक करने वाले भी। एक मित्र प्रात: की चाय के लिये कप में क्विक-टी पाउडर (इसमें दूध-चीनी आदि भी पहले से है) माइक्रोवेव में दो मिनट के लिये रखकर घंटी बजने तक सूर्य-नमस्कार के कुछ चक्र पूरे कर लेते हैं। कोई-कोई व्यायाम के समय सेल्फ़ हेल्प या व्यवसायिक जानकारी की ऑडियो बुक्स सुनते हैं। अपनी पहली सेवा में मैं प्रतिदिन कुल 6 घंटे से अधिक की यात्रा ऐसी भीड़ भरी बसों में करता था जिनमें ठीक से खड़े होना भी कठिन था। रविवार को छुट्टी मिलने पर मैं सप्ताह भर के अखबारों से काम की क्लिपिंग काटकर उन्हें फ़ाइल करते हुए टेप रिकॉर्डर में ऑडियो बना लेता था और फिर सप्ताह भर साँझ सबेरे सुन लेता था। इतने भर से मैं बैंक अधिकारी की परीक्षा में शत-प्रतिशत अंक लेकर आया और चुने गये अभ्यर्थियों में प्रथम पाँच में स्थान पाया। बहुकार्यण मेरी जमकर अपनाई हुई विधि है, और इसमें मैंने श्रवण का भरपूर प्रयोग किया है। यदि आप एक साथ कई लोगों से बात करने के अभ्यस्त हैं तो फ़ोन पर बात करते समय भी दो और काम आराम से कर सकते हैं। आधुनिक हस्त-मुक्त फ़ोन भी आपको बात करते समय अन्य कार्य करने की सुविधा देते हैं।

    सूत्र – व्यवस्था

    व्यवस्था की दुधारी तलवार कौशल बढ़ाने के साथ ही समय भी बचाती है। व्यवस्था बनाना सीखिये। कम्प्यूटर में जानकारी को नियमित कीजिये, और घर-कार्यालय आदि भौतिक स्थलों में सामान को। व्यवस्था आपको सही समय पर सही सामग्री ढूँढने में प्रभावी सिद्ध होती है। लेबलिंग, टैगिंग आदि का भरपूर उपयोग कीजिये। फ़ाइलों तथा फ़ोल्डरों के नामकरण और विभाजन की भी सम्पूर्ण रूपरेखा बनाकर रखिये। कार्यस्थल को आरामदायक रखिये, और उपयोगी वस्तुओं को सटीक ऊँचाई पर रखने का प्रयास कीजिये ताकि शरीर पर अतिरिक्त दवाब न पड़े।

    सूत्र – प्रतिनिधित्व

    आप कितने भी सक्षम हों, कितने बड़े तुर्रमखाँ हों, अपने को अलादीन के चिराग़ का जिन्न न समझें। डेलीगेशन अर्थात प्रतिनिधित्व आपका उद्धारक है। व्यवस्था के पदानुक्रम में अपना स्थान पहचानिये। अपने उत्तरदायित्व को समझकर भी सब कुछ अपने हाथ में रखने का प्रयास न करें। महत्वपूर्ण कार्य में एकाधिक लोगों को शामिल करने का प्रयास करें, उन्हें प्रशिक्षित करें। इस सम्बंध में आवश्यकतानुसार आलेख, प्रपत्र, प्रशिक्षण प्रारूप आदि, भी बनाएँ। सहकर्मियों को यथाशक्ति मेंटर भी करें और सशक्त भी। कई लोग ऐसे भी मिलेंगे जो कुछ सीखने के बजाय हरदम आत्मप्रसार/प्रचार में ही लगे रहेंगे। उनसे निराश न हों। समुचित अवसर देने पर भी न सुधरने वाले आत्मकेंद्रितों  को तंत्र से अलग करें, लेकिन प्रतिनिधित्व के महत्व को अवश्य पहचानें।

    सूत्र – कार्याकार विभाजन

    काम के विभिन्न घटकों को उनके आकार के अनुपात से श्रेणियों में बाँटने का स्वभाव विकसित कीजिये। मैं अपने कार्यों को उसमें व्यय होने वाले समय की दृष्टि से घंटे, दिन, सप्ताह की श्रेणी में डालता हूँ अर्थात कुछ घंटों में होने वाले काम, एक दिन से अधिक वाले काम, तथा एक सप्ताह से अधिक लेने वाले काम। ध्यान दीजिये कि पाँच मिनट में होने वाला एक काम अगले सप्ताह के लिये टाल भी दिया जाये तो भी वह 5 मिनट वाला काम ही है, सप्ताह वाला नहीं। एक महीने से बड़े काम, यथा आपकी एमटेक, या पीएचडी की डिग्री जैसे कार्यक्रम, विशाल कार्यक्रम में डाले जा सकते हैं जिनके लिये अपनी अलग ही परियोजना होनी चाहिये और इन्हें आपके अन्य लम्बित अपूर्ण कार्यों में नहीं मिलाया जाना चाहिये। कार्याकार का सटीक अनुमान लगाने की क्षमता अभ्यास से सुधारी जा सकती है।

    सूत्र – कार्यसूची तथा प्राथमिकता क्रम

    अपूर्ण कार्यों की सूची बनाकर उनका क्रमनिर्धारण कीजिये। क्रमनिर्धारण के लिये आप कई गुण-धर्म प्रयोग में ला सकते हैं, यथा –

    काम न करने, या टालने से सम्भावित आसन्न विपत्ति का स्वरूप?

    काम करने में आने वाले जोखिम की मात्रा?

    लम्बित कामों का आकार – मिनट, घंटे, सप्ताह?

    लम्बित काम की किसी अन्य काम पर निर्भरता?

    सूत्र – प्रतीक्षा कभी नहीं

    समय की सब तरह की हानियों में प्रतीक्षा में की गई क्षति सबसे बुरी है। प्रतीक्षा का अर्थ ही है कि आप कुछ और न करके कुछ होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मीटिंग आदि में समय से पहुँचिये लेकिन किसी मित्र की शादी में घोड़ी चढ़ने के मुहूर्त पर आपके न पहुँचने पर घोड़ी त्यागपत्र नहीं देगी। सो पहले से पहुँचने की आतुरता ज़रूरी नहीं। फिर भी यदि समय से पहले कहीं पहुँच ही जायें तो कोई जनोपयोगी कार्य ढूंढ लें, भले ही वह फ़ुटपाथ पर पड़े केले के छिलके हटाने का ही काम हो। कुछ और नहीं तो अपने फ़ोन की कॉन्टेक्ट लिस्ट में देखकर उन मित्रों से बात ही कर लें जिनसे लम्बे समय से सम्पर्क नहीं हुआ है। परंतु खाली प्रतीक्षा में कभी न रुकें।

    कुल मिलाकर कुशल समय प्रबंधन भी अभ्यास से सीखा जा सकता है। आँखें खुली रखिये। अति परिश्रम के विकल्प कौशल का प्रयोग कीजिये। यदि आपके पास भी कुछेक सूत्र हैं तो इस आलेख की टिप्पणी पेटिका में साझा कीजिये ताकि अन्य पाठक भी उनका लाभ उठा सकें।

    Author: अनुराग शर्मा

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    एक बेहतरीन किस्सागो, कवि और विचारक अनुराग शर्मा की कथाएँ पाठकों को अपनी अंतिम पंक्ति तक बांधे रहने में सक्षम है। उनकी कहानी पढ़ते हुए अक्सर पाठक को निजी संस्मरण की अनुभूति होती है। एक पूर्णतः अप्रत्याशित अंत उनके कथालेखन की विशेषता है। उत्तरप्रदेश में जन्मे अनुराग पढ़ाई और कामकाज के सिलसिले में भारत के विभिन्न राज्यों में रहे हैं। लिखना, पढ़ना, वार्ता, और सामाजिक संवाद उनकी अभिरुचि है। साहित्य की विभिन्न विधाओं में सतत लिखने वाले अनुराग ने हिन्दी अकादमी के प्रवासी काव्य संग्रह देशांतर तथा अंतर्राष्ट्रीय काव्य संकलन एसर्बिक एंथोलोजी सहित अनेक प्रतिष्ठित प्रकाशनों में स्थान पाया है। काव्य संग्रह 'पतझड़ सावन वसंत बहार' तथा खोजपरक अध्ययन 'इण्डिया एज़ एन आईटी सुपरपॉवर' प्रकाशित हो चुके हैं। अनुरागी मन उनका ताज़ा कथा-संग्रह है। उनके तकनीकी प्रपत्र अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में पढ़े गए हैं और प्रकाशित हुए हैं। वे सृजनगाथा और गर्भनाल पर पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति के स्तंभकार रहे हैं। 'बांधों को तोड़ दो', 'वैरागी मन', 'प्रवासी मन', 'एन एलियन अमंग फ्लेशईटर्स' व 'सीक्रेट डायरी ऑफ एन एक्ज़ीक्यूटेड फ़्रीडम फाइटर' उनकी आगामी कृतियों के नाम हैं। भारत से दूर रहते हुए भी 'पॉडकास्ट कवि सम्मेलन', 'शब्दों के चाक पर', 'सुनो कहानी' और 'बोलती कहानियाँ' जैसे स्वर-आकर्षणों का संचालन कर चुके अनुराग ने 'विनोबा भावे के गीता प्रवचन ' तथा प्रेमचन्द की कहानियों की ऑडियोबुक' को स्वर दिया है। उन्होने इंटरनैट पर चौबीसों घंटे चलने वाले भारतीय रेडियो स्टेशन की स्थापना भी की थी। तिब्बत के मित्र, यूनाइटेड वे एवं निरामिष जैसे सामाजिक संगठनों से जुड़े अनुराग सन् 2005 की त्सुनामी में एक लाख डॉलर की सहायता राशि जुटाने वाली समिति के सक्रिय सदस्य थे। 'आनंद ही आनंद' संस्था द्वारा उन्हें 2015-16 का 'राष्ट्रीय भाष्य गौरव सम्मान' प्रदान किया गया था। वे महात्मा गांधी संस्थान, मॉरिशस द्वारा स्थापित प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय द्वैवार्षिक पुरस्कार 'आप्रवासी हिंदी साहित्य सृजन सम्मान' के प्रथम विजेता हैं। आईटी प्रबंधन में स्नातकोत्तर अनुराग एक बैंकर रह चुके हैं और आजकल पिट्सबर्ग, अमेरिका में परियोजना प्रबन्धक हैं। लिंक्डइन पर उनका सूचना प्रौद्योगिकी सम्बंधी परिचय उपलब्ध है। वे हिंदी तथा अंग्रेज़ी में प्रकाशित मासिक पत्रिका सेतु के संस्थापक, प्रकाशक तथा प्रमुख सम्पादक हैं। सम्प्रति: रेडियो प्लेबैक इंडिया के सह संस्थापक पिटरेडियो के संस्थापक व संचालक सेतु पत्रिका के प्रमुख सम्पादक निजी ब्लॉग: बर्ग वार्ता वैबस्थल: स्मार्टइंडियन डॉट कॉम प्रकाशित कृतियाँ: अनुरागी मन (कथा संग्रह); देशांतर (काव्य संकलन); एसर्बिक ऐंथॉलॉजी (काव्य संकलन); पतझड सावन वसंत बहार (काव्य संग्रह); इंडिया ऐज़ ऐन आय टी सुपरपॉवर (अध्ययन); विनोबा भावे के गीता प्रवचन की ऑडियोबुक; सुनो कहानी; प्रेमचन्द की कहानियों की ऑडियोबुक; हिन्दी समय पर कहानियाँ; तकनीक सम्बन्धी शोधपत्र तकनीकी पत्रिकाओं में; कवितायें, कहानियाँ, साक्षात्कार, तथा आलेख अंतर्जाल पर, साहित्यिक पत्रिकाओं व हिन्दी समाचार पत्रों में प्रकाशित

    बेहतर समय प्रबंधन के लिए तकनीक क्या है?

    समय प्रबंधन के लिए स्वयं का मूल्यांकन करें. एक डायरी में रोज की बातें लिखें. इससे आपको पता चलेगा कि आप कितना समय उपयोगी कार्य को देते हैं और कितना समय अनुपयोगी और बेकार कामों को देते हैं। किसी भी कार्य को करने के लिए योजना बनाएं अर्थात प्लॉनिंग करें और उसके अनुसार ही समय पर कार्यों का निष्पादन करें.

    बेहतर समय प्रबंधन की तकनीकों का उल्लेख कीजिए समय प्रबंधन के क्या लाभ हैं?

    समय प्रबंधन से विशाल लाभ प्राप्त हो सकते हैं जैसे:.
    अधिक उत्पादकता.
    उच्चतर कुशलता.
    बेहतर व्यवसायिक प्रतिष्ठा.
    तनाव में कमी.
    करियर में उन्नति की उच्चतर संभावनाएं.
    लक्ष्य प्राप्ति के लिए अधिक अवसर.

    समय प्रबंधन क्या है संक्षेप में समय प्रबंधन तकनीकों की व्याख्या करें?

    आपको जीवन में सफलता, शांति एवं आनन्द प्राप्त होंगे । प्रभाव भी उन्हें समझाना है । समय प्रबंधन का अर्थ, समय प्रबंधन का अर्थ, आवश्यकता, महत्व तथा उसकी सीमाएं भी उन्हें समझाना है । सप्ताह होता है ।

    समय प्रबंधन से आप क्या समझते हैं बेहतर समय प्रबंधन के लिए हम क्या कर सकते है तनाव प्रबंधन से आप क्या समझते हैं?

    तनाव के प्रबंधन का पहला चरण तनाव के मूल कारण का पता लगाना है क्योंकि तनाव प्रबंधन के तरीके तब तक प्रभावी नहीं होंगे जब तक वे मूल कारण को संबोधित नहीं करते हैं। कभी-कभी व्यक्ति महसूस कर सकता है कि वह एक निश्चित स्थिति के कारण तनावग्रस्त है लेकिन अंतर्निहित तनाव स्थिति के प्रति उसका दृष्टिकोण हो सकता है।

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