चीन में अंतिम संस्कार कैसे करते हैं - cheen mein antim sanskaar kaise karate hain

चीन में मृतकों के अस्थि कलश, जिन्हें या तो सरकार परिजनों तक पहुंचाती है या फिर परिजनों से उन्हें आकर ले जाने के लिए कहा जाता है

चीन में इन दिनों अजीब सी स्थिति हो गई है. मृतक के परिजन अब ना तो उसको अंतिम विदाई देते हैं और ना ही अंतिम संस्कार कर सकते हैं. बस शवदाह के बाद अस्थि कलश घर पर पहुंचा दिए जाते हैं. ऐसा नहीं है कि ये प्रतिबंध कोरोना वायरस के कारण मरने वालों पर लगाया गया है बल्कि चीन में आप किसी भी बीमारी से मरे हों , ये नियम उन पर लागू हो रहा है

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  • News18Hindi
  • Last Updated : March 30, 2020, 18:22 IST

चीन में इन दिनों अजीब हाल है. किसी के भी परिवार में अगर किसी की मृत्यु किसी भी कारण हो जाए लेकिन तब भी परिवार को अंतिम विदाई देने की इजाजत नहीं है. तो ऐसे में कौन कर रहा है उनका अंतिम संस्कार. वैसे चीन में पिछले दिनों ये खबरें भी आयीं थीं कि चीन सरकार ने गुपचुप तरीके से काफी तादाद में हुबेई प्रांत में कोरोना से मरे लोगों के शवों को ठिकाने लगा दिया.

हालत ये है कि मध्य चीन के हुबेई प्रंत के जिंगझोऊ शहर के श्मशान में कई लावारिस अस्थि कलश पड़े हुए हैं. जिन्हें कोई लेने वाला नहीं है. रोज ही चीन के श्मशान घरों में पार्थिव शरीर लाए जाते हैं. यहां उनका शवदाह किया जाता है. इसके बाद अस्थि कलश में अस्थियां रख दी जाती हैं.

ये अस्थि कलश फिर चीन की सरकारी गाड़ियां उठाती हैं और मरने वाले के घर पर परिजनों के पास पहुंचा देती हैं. चीन में पिछल करीब दो महीने से कहीं भी परिजन अपने परिवार में किसी की मृत्यु पर खुद उसका अंतिम संस्कार नहीं कर सकता. ना उसकी विदाई कर सकता है और मृत्यु के बाद कोई कार्यक्रम कर सकता है, जिसमें लोग शामिल हैं.

निश्चित तौर पर चीन के लोगों के लिए ये बहुत दुखदायी है लेकिन वो इसमें कुछ नहीं कर सकते. शवों के अंतिम संस्कार करने और फिर अस्थि कलश को घर तक भेजने का काम हर शहर का शवदाहगृह खुद करता है.

अस्पताल की गाड़ी पार्थिव शरीर लेने आती है
जैसे ही किसी घर में किसी की मृत्यु होती है, उसे सरकारी स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचना देनी होती है. अस्पताल से शव को लेने के लिए एक वाहन भेज दिया जाता है. जैसे ही किसी शख्स की मौत होती है, अस्पताल डिसइंफेक्शन प्रक्रिया करता है. उसके तुरंत बाद अंतिम संस्कार हो जाता है.

चीन में 01 फरवरी से किसी भी तरह की मृत्यु पर परिजनों के खुद अंतिम संस्कार करने पर रोक लगी हुई है. अब ये काम खुद सरकार संभाल रही है

फिर शवदाह गृह खुद अस्थि कलश भेज देता है
शवदाह गृह में शव जब पहुंचता है तो वहां इसे लाइन में लगा दिया जाता है. जब उसका नंबर आ जाता है, तब उसका विद्युत शवदाह कर दिया जाता है. इसके बाद अस्थियों को कलश में भरकर रख देते हैं. इन्हें बारी-बारी से परिजनों के पास भेज दिया जाता है. कई बार अस्थियां परिजनों के पास पहुंचने में कई दिन भी लग जाते हैं.

कई बार इंतजार करना होता है
कुछ मामलों में परिजनों को शवदाहगृह आकर अस्थि कलश लेने की भी अनुमति मिल जाती है. हुबेई प्रांत की रहने वाली वेंजुन के परिवार को अपने रिश्तेदार की अस्थियां लेने के लिए 15 दिनों का इंतजार करना पड़ा था. वेंजुन के चाचा की मौत कोविड-19 से हुई थी.

चीन ने करीब दो-तीन साल पहले देश में शवों को दफनाने पर रोक लगा दी थी. अब वहां शवों का केवल शवदाह ही किया जाता है

चीन के हुबेई प्रांत में बहुत से घर इस समय ऐसे हैं, जहां परिवार में एक्का दुक्का लोग ही बच पाए हैं या पूरा परिवार ही साफ हो गया है. फिर चीन सरकार का ये नया कानून उनके लिए और भी कष्टदायी हो गया है. उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें ये दिन भी देखना होगा.

ना अंतिम विदाई की इजाजत ना ही श्रृद्धांजलि कार्यक्रम की
रायटर्स न्यूज एजेंसी ने इस बारे में जब जिंगझोऊ शवदागृह के निदेशक से बात की, तो उन्होंने बताया कहते हैं, "मृतकों की अस्थियां फिलहाल हमारी देखरेख में है क्योंकि उनके परिजन क्वारंटीन में हैं या फिर वह अभी यहां नहीं आ पाए हैं." शवदागृह के निदेशक को मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं है, इसलिए उन्होंने सिर्फ अपना उपनाम शेंग बताया. शेंग ने "ना ही कोई अंतिम विदाई और ना ही श्रद्धांजलि समारोह की इजाजत है.”

चीन से शुरू हुआ नोवल कोरोना वायरस ने ना ही केवल चीन को भारी तौर पर प्रभावित किया बल्कि अब ये 202 देशों तक पहुंच गया है. कोरोना वायरस के कारण दुनिया से विदा लेने वालों को सम्मान से विदाई देने की परंपरा तक प्रभावित हुई है. इटली में भी ऐसा ही हो रहा है. वहां शव को दफनाते समय केवल दो से चार नजदीकी परिवारजनों को अनुमति है. उसमें कई बार वो भी नहीं जा पा रहे हैं.

01 फरवरी से लागू है ये नियम 
जहां तक चीन की बात है, तो वहां अगर कोई शख्स कोरोना वायरस के अलावा दूसरी बीमारी से भी मर रहा है, तब भी उसे श्मशान जाने की इजाजत नहीं. परिजन 01 फरवरी से ही अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे हैं. बेशक देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले कम हो चुके हैं लेकिन इसके बाद भी अंतिम संस्कार में कोई ढील नहीं है.
जिन परिवारों के सदस्य अब इस दुनिया से चले गए हैं उनके लिए सिर्फ अकेलापन रह गया है, क्योंकि वो खुद भी क्वारंटीन में हैं. इस वजह से अस्थियों तक को विदाई नहीं दे पा रहे हैं.

अब चीन में केवल शवदाह 
करीब दो-तीन साल पहले चीन ने देश में हर तरह के शवों के विद्युत शवदाह का फैसला किया था. हालांकि वहां कई जगह लकड़ी से भी शवदाह किए जाते हैं लेकिन वहां अब शवों को जमीन में दफ़न करने पर रोक लगाई जा चुकी है. ये नियम हर धर्म के लोगों पर लागू हो चुका है.चीन में इसका विरोध भी नहीं हुआ. चीन सरकार का कहना था कि मरने के बाद किसी व्यक्ति को जमीन में गाड़ने से जमीन बर्बाद होती है.

अंतिम संस्कार के कितने तरीके
गौरतलब है कि सेमेटिक-सम्प्रदायों को छोड़कर दुनिया में शवों को जलाने की परंपरा है. सेमेटिक से मतलब है अरब की सामी जमीन से निकले यहूदी, ईसाई और इस्लाम मजहब. दुनिया भर में अंतिम संस्कार के तीन तरीके हैं- शवदाह, शव को दफनाना और शवों को खुला छोड़ देना या पानी में बहा देना.

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Tags: China, Corona, Corona Virus, Coronavirus in India

FIRST PUBLISHED : March 30, 2020, 16:03 IST

चीन में दाह संस्कार कैसे किया जाता है?

पश्चिमी मध्य चीन के दापाशान और वुलिंगशान पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित थु जाति में अंतिम संस्कार बड़े धूमधाम से किया जाता है। मृतक को विदाई देने के दौरान नाच-गाना और खान-पान चलता रहता है। ये लोग बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं, लेकिन स्था‍नीय प्रभाव के कारण यह प्रथा प्रचलन में है।

पंजाबी लोग दाह संस्कार कैसे करते हैं?

आज उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव मानसा में होगा.

बौद्ध धर्म में अंतिम संस्कार की विधि क्या है?

बौद्ध धर्म में कैसे होता है अंतिम संस्कार? बौद्ध धर्म में मृत शरीर को जलाया भी जा सकता है और दफनाया भी जा सकता है। इस धर्म में दोनों ही परंपरा को मान्यता प्रदान की गई है। इसमें अंतिम संस्कार की जो परंपरा है वो स्थानीय संस्कृति में चले आ रहे रीति रिवाजों पर निर्भर करती है।

अंतिम संस्कार के बाद पीछे मुड़कर क्यों नहीं देते?

शवदाह के बाद पीछे मुड़कर न देखें मृत व्यक्ति की आत्मा वहां मौजूद अपने संबंधियों को देखती है और मोह वश उनके साथ लौटना चाहती है। इसलिए कहते हैं शवदाह के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। इससे व्यक्ति की आत्मा को मोह बंधन से निकलने में आसानी होती है और उसे आगे का सफर आरंभ करना होता है।

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