छोटे बच्चे का कान बहता है तो क्या करना चाहिए? - chhote bachche ka kaan bahata hai to kya karana chaahie?

वैसे तो बच्चों का कान बहना एक सामान्य समस्या है लेकिन इसे साधारण समझकर हल्के में नहीं लेना चाहिए वरना बच्चे को गंभीर नुकसान हो सकता है। नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों को वैसे भी वयस्कों की तुलना में कान से जुड़ी समस्याएं और संक्रमण ज्यादा होते हैं। फिर चाहे कान में दर्द हो, कान में संक्रमण हो या फिर कान बहना। साधारण भाषा में समझें तो जब कान से किसी तरह के तरल पदार्थ का रिसाव होने लगता है तो इसे कान बहना कहते हैं और मेडिकल भाषा में कान बहने की समस्या को otorrhea कहा जाता है।

ज्यादातर मौकों पर कान से जो रिसाव होता है वह ईयरवैक्स या कान का मैल होता है। यह एक तरह का तेल है जिसका हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से उत्पादन होता है। कान का मैल या वैक्स इस बात को सुनिश्चित करता है कि किसी तरह की धूल, बैक्टीरिया या कोई अन्य पदार्थ कान में न जाए। कान से निकलने वाला वैक्स रूपी रिसाव तो कान की हिफाजत करता है। लेकिन अगर कान से पस, मवाद, खून या पानी जैसा कोई तरल पदार्थ निकलने लगे तो यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।

(और पढ़ें : बच्चों के कान में दर्द)

नवजात शिशु या बच्चों का कान बहना कोई जन्मजात बीमारी नहीं है और इसके होने के कई कारण हो सकते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि बच्चों में कान से होने वाला रिसाव कितने तरह का होता है, बच्चों के कान बहने का कारण क्या है, इसका लक्षण और इलाज क्या है, इस बारे में यहां जानें।

In this article

  • मुझे कैसे पता चलेगा कि शिशु के कान में इनफेक्शन (कर्ण संक्रमण) है?
  • शिशुओं और छोटे बच्चों में कान का संक्रमण होना कितना आम है?
  • शिशु के कान में इनफेक्शन होने की वजह क्या है?
  • बच्चे के कान के इनफेक्शन का उपचार कैसे किया जा सकता है?
  • शिशु के कान में से मवाद (पीप) क्यों निकल रही है?
  • मेरे बच्चे के कान का संक्रमण ठीक नहीं हो रहा है। मुझे क्या करना चाहिए?
  • शिशुओं और बच्चों को कान के इनफेक्शन से बचाने के लिए क्या करना चाहिए?

मुझे कैसे पता चलेगा कि शिशु के कान में इनफेक्शन (कर्ण संक्रमण) है?

यह पता लगाना मुश्किल हो सकता है कि शिशु के कान में इनफेक्शन है। अगर शिशु को खांसी-जुकाम है या उसकी नाक बह रही है और अचानक तीन से पांच दिन बाद उसे बुखार भी हो जाता है, तो संभव है कि उसे कान में इनफेक्शन हो।

हो सकता है वह अपने कान को खींचता रहे या फिर बीमार सा लगे। अगर शिशु ने चलना शुरु कर दिया है, तो संभव है उसे संतुलन बनाने में सामान्य से ज्यादा मुश्किल हो रही हो।

शिशु को चूसने और निगलने में दर्द हो सकता है। शिशु दूध पीना शुरु करने के बाद स्तन या बोतल को छोड़ सकता है, शायद दर्द की वजह से।

शिशुओं और छोटे बच्चों में कान का संक्रमण होना कितना आम है?

शिशुओं और छोटे बच्चों में कान का इनफेक्शन होना काफी आम है। यह अधिकांशत: छह से 18 महीने के शिशुओं में ज्यादा होता है, मगर वैसे यह किसी भी उम्र में हो सकता है। माना जाता है कि लड़कियों की तुलना में लड़कों को कर्ण संक्रमण होने की संभावना ज्यादा होती है, हालांकि इसका कारण पता नहीं है।

शिशु के कान में इनफेक्शन होने की वजह क्या है?

आपके शिशु को शायद सर्दी-जुकाम है, जिसकी वजह से उसके मध्य कान में सूजन आ गई है। सूजन के कारण तरल उसके कान के भीतर फंस गया है। इससे गर्माहट भरा और नम वातावरण बन जाता है, जिससे जीवाणु और विषाणु फैल सकते हैं।

जब इनफेक्शन होता है, तो मवाद (पीप) पैदा हो जाती है और आपके शिशु के कान के पर्दे पर दबाव पड़ने से इसमें उभार आ जाता है और यह सूज जाता है। इसके बाद शिशु को बुखार हो सकता है, क्योंकि उसका शरीर इनफेक्शन से लड़ने का प्रयास करता है। इस तरह के कर्ण संक्रमण को एक्यूट ओटाइटिस मीडिया कहा जाता है।

कान का इनफेक्शन होने का एक अन्य कारण यह है कि उसके मध्य कान में नलिका छोटी और अनुप्रस्थ (हॉरिजोंटल) है, क्योंकि यह अभी भी विकसित हो रही है। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता है, यह नलिका तिगुनी लंबी होकर 1.25 सें.मी. से 3.8 सें.मी. हो जाती है और अधिक लंबवत हो जाती है, जिससे इनफेक्शन की संभावना कम हो जाती है।

बच्चे के कान के इनफेक्शन का उपचार कैसे किया जा सकता है?

कान के अधिकांश इनफेक्शन अपने आप जल्दी ही ठीक हो जाते हैं, मगर निम्न स्थितियों में शिशु को डॉक्टर दिखा लेना बेहतर रहता है:

  • आपके शिशु की उम्र तीन महीने से कम है
  • 24 घंटे के बाद भी उसके लक्षण बेहतर न लगें
  • आपके बच्चे को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है
  • बच्चे के कान से तरल बाहर निकल रहा है
  • बच्चे के दोनों कानों में इनफेक्शन है

यदि आपके शिशु की तबियत ज्यादा खराब लगे और इनफेक्शन कि वजह विषाणु (वाइरस) न हों, तो डॉक्टर एंटिबायटिक दवाएं दे सकते हैं। आपके शिशु के कान का संक्रमण एंटिबायटिक दवा लेने या न लेने पर भी तीन से चार दिन में ठीक होना शुरु हो जाना चाहिए।

आप अपने शिशु को इन्फेंट पैरासिटामोल दे सकती हैं, हालांकि पहले शिशु के डॉक्टर से पूछ लें। पैरासिटामोल की खुराक शिशु के वजन के अनुसार दी जाती है, न कि उम्र के अनुसार और डॉक्टर ही बता सकते हैं कि आपके बच्चे के लिए कितनी खुराक सही रहेगी। डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चे को कोई अन्य दवा न दें।

बच्चे के कान में कोई तेल, जड़ी-बूटी या घरेलू उपचार न डालें। इनसे फायदा होने की बजाय बच्चे को नुकसान हो सकता है। यदि आप फिर भी इन्हें आजमाना चाहें, तो पहले डॉक्टर की सलाह ले लें।

साथ ही शिशु को पर्याप्त मात्रा में स्तनपान करवाती रहें, ताकि वह जलनियोजित रहे और शरीर में पानी की कमी न हो। यदि आपका शिशु फॉमूला दूध पीता है या ठोस आहार लेता है, तो आप उसे अतिरिक्त पानी दे सकती हैं।

शिशु के कान में से मवाद (पीप) क्यों निकल रही है?

बच्चे के कान से मवाद या खून के धब्बों से युक्त पीला तरल निकले तो इसका मतलब हो सकता है कि उसके कान के पर्दे में एक छोटा छेद हो गया है।

यह छिद्र अपने आप दो हफ्तों के भीतर ठीक हो जाना चाहिए, मगर आपको डॉक्टर से इसकी जांच करवा लेनी चाहिए।

मेरे बच्चे के कान का संक्रमण ठीक नहीं हो रहा है। मुझे क्या करना चाहिए?

यदि आपके शिशु के कान का इनफेक्शन चार दिन बाद भी एंटिबायटिक्स के उपचार से या इसके बिना भी बेहतर न लगे, तो शिशु के डॉक्टर आपको बच्चों के ईएनटी (कान, नाक, गला) विशेषज्ञ के पास जाने की सलाह दे सकते हैं, ताकि उसके कान की जांच हो सके।

आपके बच्चे को कान का अधिक गंभीर इनफेक्शन भी हो सकता है, जिसमें उसके कान का पर्दा फट सकता है और कर्ण नलिका में तरल भर सकता है। कई बार इसकी वजह से सुनने की क्षमता खो जाने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

यदि आपके शिशु में कोई नए लक्षण दिखाई दें जैसे कि उल्टी, बुखार या भूख कम लगना आदि, तो उसे फिर से डॉक्टर के पास ले जाएं। नए लक्षण सेप्सिस होने के संकेत हो सकते हैं। सेप्सिस तब होता है, जब शरीर खुद पर हमला करके इनफेक्शन के प्रति प्रतिक्रिया करता है।

इस बात की पूरी संभावना है कि आपका शिशु ठीक-ठाक होगा, मगर सेप्सिस अक्सर बहुत जल्द गंभीर रूप ले लेता है, इसलिए हमेशा एहतियात रखना और शिशु को डॉक्टर को दिखाना बेहतर रहता है।

यदि शिशु को बार-बार कान में इनफेक्शन हो, तो इससे सुनने की क्षमता समाप्त होने और कान के अंदर घाव होने का खतरा हो सकता है। ऐसा होना दुर्लभ है, मगर जरुरी है कि शिशु को कान का संक्रमण होने पर तुरंत इसका उपचार कराया जाए, ताकि स्थिति अधिक न बिगड़े।

शिशुओं और बच्चों को कान के इनफेक्शन से बचाने के लिए क्या करना चाहिए?

कुछ ऐसी चीजें अवश्य हैं जिन्हें आप अपनाकर अपने बच्चे के कान में इनफेक्शन होने से बचा सकती हैं, जैसे कि:

  • शिशु को पीठ के बल लिटाकर दूध पिलाने की बजाय, थोड़ा ऊंचा बिठाकर दूध पिलाएं।
  • कोशिश करें कि आप शिशु को पैसिफायर या चूसनी न दें। यदि आप शिशु को यह देती भी हैं, तो कोशिश करें कि यह कम समय के लिए दें।
  • कोशिश करें कि रुई का फाहा या कॉटन बड का इस्तेमाल न करें। यदि आप इस्तेमाल करती भी हैं, तो इससे केवल कान का बाहरी हिस्सा ही साफ करें। कॉटन बड को बच्चे की कर्ण नलिका के अंदर न डालें। यदि आप गलती से कान के ज्यादा अंदर तक कॉटन बड ले जाएं, तो इससे बच्चे को दर्द हो सकता है, और साथ ही कान के पर्दे को भी क्षति पहुंच सकती है।
  • धूम्रपान न करें और किसी और को भी शिशु के आसपास धूम्रपान न करने दें।
  • साथ ही सुनिश्चित करें कि शिशु को सभी टीके सही समय पर लगें। न्यूमोकोकल का टीका कुछ बच्चों में कर्ण संक्रमण होने के खतरे को कम कर सकता है। इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
  • यदि संभव हो तो एक साल से कम उम्र के बच्चे को डेकेयर या क्रेश में न डालें। क्रेश और डेकेयर में शिशु को खांसी-जुकाम होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे कान का इनफेक्शन हो सकता है।

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References

Jansen A, Hak E, Veenhoven RH, Damoiseaux R, Schilder A, Sanders E. 2009. Pneumococcal conjugate vaccines for preventing otitis media. The Cochrane Library. DOI: 10.1002/14651858.CD001480.pub3

NHS. 2012. Middle ear infection (otitis media). NHS Choices, Health A-Z.

NICE/CKS. 2009. Otitis media – acute. National Institute for Health and Care Excellence/NHS Clinical Knowledge Summaries.

NICE. n.d. Otitis media: Introduction. National Institute for Health and Care Excellence.

Niemela M, Pihakari O, Pokka T, et al. 2000. Pacifier as a risk factor for acute otitis media: a randomized, controlled trial of parental counseling. Pediatrics 106:483-8

बच्चे का कान बहता है तो क्या करें?

जब इनफेक्शन होता है, तो मवाद (पीप) पैदा हो जाती है और आपके शिशु के कान के पर्दे पर दबाव पड़ने से इसमें उभार आ जाता है और यह सूज जाता है। इसके बाद शिशु को बुखार हो सकता है, क्योंकि उसका शरीर इनफेक्शन से लड़ने का प्रयास करता है। इस तरह के कर्ण संक्रमण को एक्यूट ओटाइटिस मीडिया कहा जाता है।

कान बहने की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

जिस तर तुलसी के पत्ते खाकर हमें कई फायदे मिलते हैं, ठीक उसी तरह तुलसी के रस को कान में डालने से कान में हो रहे दर्द और आ रहे मवाद से छुटकारा मिल सकता है। रोजाना 2-3 बूंद कान में डालने से महज कुछ ही दिनों में आपको आराम मिल सकता है।

कान का बहना कैसे रोका जाए?

कान बहने से राहत दिलाने में गर्म पानी से सिकाई करना बहुत ही फायदेमंद होता है। क्योंकि गर्म पानी से सिकाई करने से कान से पस भी आसानी से बाहर निकल जाएगी और दर्द से भी राहत मिलती है।.
तुलसी कान बहने से रोकने में तुलसी का पत्ता फायदेमंद माना जाता है। ... .
नीम का तेल ... .
लहसुन और तेल ... .
गर्म पानी से सिकाई करें.

बच्चों के कान क्यों बहता है?

एसी दिक्कत होने के बाद तुरंत चिकित्सक की सलाह से लेना चाहिए क्योंकि ज्यादा दबाव बढऩे से कान का परदा फट सकता है। कान बहने लगता है। दो हफ्ते से अधिक इंफेक्शन रहता है तो उसे क्रॉनिक इंफेक्शन कहते हैं। यदि दवाएं लेने के दो सप्ताह तक आराम नहीं मिलता तो परदे में छेद कर मवाद निकालते हैं।

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