इस कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
Solution
यह कविता पढ़कर हमें यह प्रेरणा मिलती है कि सभी प्राणियों को एक समान मानना चाहिए। जन्म को आधार मानकर किसी को अछूत कहना निन्दनीय अपराध हैं। किसी को निम्न जाति का मानकर मंदिर में प्रवेश न करने देना, मारपीट करना सरासर गलत है। मानव-मानव में भेद नहीं करना चाहिए। यदि हम ऐसा करते है तो यह सम्पूर्ण मानवता का अपमान करने के समान है।
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CBSE Class 9 Hindi Ch – 10 Practice Questions
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Practice Test for Class 9 Hindi – B Chapter 10
Ch-10 एक फूल की चाह (सियाराम शरण गुप्त)
पापी ने मंदिर में घुसकर किया अनर्थ बड़ा भारी। कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
एक फूल की चाह कविता से क्या प्रेरणा मिलती है?
बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर छाती धधक उठी मेरी। कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
एक फूल की चाह कविता में न्यायालय द्वारा सुखिया के पिता को क्यों दंडित किया गया?
सुखिया के पिता किस सामाजिक बुराई के शिकार हुए? एक फूल की चाह कविता के आधार पर बताइए।
एक फूल की चाह कविता में माता के भक्तों ने सुखिया के पिता के साथ कैसा व्यवहार किया?
पिता को सुखिया की अंतिम इच्छा पूरी करने में क्या-क्या कठिनाइयाँ आईं? एक फूल की चाह कविता के आधार पर लिखिए।
एक फूल की चाह कविता में देवी के भक्तों की दोहरी मानसिकता उजागर होती हैं। स्पष्ट कीजिए।
Ch-10 एक फूल की चाह (सियाराम शरण गुप्त)
Answer
- इसमें ढोंगी भक्तों ने सुखिया के पिता पर मंदिर की पवित्रता नष्ट करने का भीषण आरोप लगाया है। सियारामशरण गुप्त वे कहते हैं-सुखिया का पिता पापी है। यह अछूत है। इसने मंदिर में घुसकर भीषण पाप किया है। इसके अंदर आने से मंदिर की पवित्रता नष्ट हो गई है।
- इस कविता से यह प्रेरणा मिलती है कि सभी प्राणियों को एक समान मानना चाहिए। जन्म का आधार मानकर किसी को अछूत कहना निंदनीय अपराध है।
- जब सुखिया का पिता जेल से छूटा तो वह श्मशान में गया। उसने देखा कि वहाँ उसकी बेटी की जगह राख की ढेरी पड़ी थी। उसकी बेटी की चिता ठंडी हो चुकी थी। पर एक पिता के सीने के आग धधक रही थी।
- न्यायालय द्वारा सुखिया के पिता को इसलिए दंडित किया गया, क्योंकि वह अछूत होकर भी देवी के मंदिर में प्रवेश कर गया था। मंदिर को अपवित्र तथा देवी का अपमान करने के कारण सुखिया के पिता को न्यायालय ने सात दिन के कारावास का दंड देकर दंडित किया।
- सुखिया का पिता उस वर्ग से संबंधित था, जिसे समाज के कुछ लोग अछूत कहते हैं, इस कारण वह छुआछूत जैसी सामाजिक बुराई का शिकार हो गया था। अछूत होने के कारण उसे मंदिर को अपवित्र करने और देवी का अपमान करने का आरोप लगाकर पीटा गया तथा उसे सात दिन की जेल मिली।
- माता के भक्त जो माता के गुणगान में लीन थे, उनमें से एक की दृष्टि माता के प्रसाद का फूल लेकर जाते हुए सुखिया के पिता पर पड़ी। उसने आवाज़ दी कि “यह अछूत कैसे अंदर आ गया। इसको पकड़ लो।” फिर क्या था, माता के अन्य भक्तगण पूजा-वंदना छोड़कर उसके पास आए और कोई बात सुने बिना ज़मीन पर गिराकर मारने लगे।
- पिता को सुखिया की अंतिम इच्छा पूरी करने में निम्नलिखित
कठिनाइयाँ आईं :-
- सुखिया के पिता को मंदिर के प्रसाद का एक फूल लाना था, अतः वह निराशा में डूब गया, क्योंकि वह सामाजिक स्थिति को जानता था।
- मंदिर में जैसे ही उसने पुजारी से प्रसाद लिया तभी कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया और उन्होंने उसे खूब मारा-पीटा। मंदिर में पुजारी से मिला प्रसाद नीचे बिखर गया।
- न्यायालय से दण्ड दिया गया।
- वह पुत्री को प्रसाद का फूल न दे सका और उसके घर पहुँचने से पहले ही वह स्वर्ग सिधार गई।
- ‘एक फूल की चाह’ कविता में देवी के उच्च जाति के भक्तगण जोर-ज़ोर से गला फाड़कर चिल्ला रहे थे, “पतित-तारिणी पाप-हारिणी माता तेरी जय-जय-जय!” वे माता को भक्तों का उद्धार करने वाली, पापों को नष्ट करने वाली, पापियों का नाश करने वाली मानकर जय-जयकार कर रहे थे। उसी बीच एक अछूत भक्त के मंदिर में आ जाने से वे उस पर मंदिर की पवित्रता और देवी की गरिमा नष्ट होने का आरोप लगा रहे थे। जब देवी पापियों का नाश करने वाली हैं तो एक पापी या अछूत उनकी गरिमा कैसे कम कर रहा था। भक्तों की ऐसी सोच से उनकी दोहरी मानसिकता उजागर होती है।