गुलाब फूलों में श्रेष्ठ है रेखांकित शब्द में कौन सी संज्ञा है - gulaab phoolon mein shreshth hai rekhaankit shabd mein kaun see sangya hai

List of Topics

  • संज्ञा की परिभाषा: (Sangya ki Paribhasha in Hindi)
    • संज्ञा के उदाहरण Sangya ke Udaharan, Sangya examples in Hindi
    • संज्ञा के भेद (Sangya Ke Bhed) :- (Types of Noun in Hindi)
      • 1. जातिवाचक संज्ञा क्या होती है :-
      • जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण :-
      • 2. भाववाचक संज्ञा क्या होती है :-
      • भाववाचक संज्ञा के उदाहरण :-
      • भाववाचक संज्ञा बनाना :-
      • 3. व्यक्तिवाचक संज्ञा क्या होती है :-
      • जातिवाचक संज्ञा और व्यक्तिवाचक संज्ञा में अंतर-
      • 4. समूहवाचक संज्ञा क्या होती है :-
      • समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण :-
      • 5. द्रव्यवाचक संज्ञा क्या होती है :-
      • द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण :-
      • जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग–
      • व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग–
    • संज्ञा के रूपान्तर (लिंग, वचन और कारक में सम्बन्ध)
      • लिंग के अनुसार संज्ञा के रूपान्तर
      • वचन के अनुसार संज्ञा के रूपान्तर
      • कारक- चिह्नों के अनुसार संज्ञा के रूपान्तर

संज्ञा की परिभाषा: (Sangya ki Paribhasha in Hindi)

संज्ञा का शाब्दिक अर्थ होता है – नाम। किसी व्यक्ति , गुण, प्राणी, एवं  जाति, स्थान , वस्तु, क्रिया और भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।
यदि हम अपने आस पास दृष्टि डालें तो अनेक पदार्थ नज़र आते हैं।  इन सभी पदार्थों के अलग अलग नाम होते हैं। व्याकरणिक दृष्टिकोण से इन नामों को ही संज्ञा कहते हैं।

निम्न वाक्यों पर ध्यान दें :-
1. राम पुस्तक पढता है।
2. आगरा में ताजमहल है।
3. गुलाब का फूल सुन्दर होता है।
4. पक्षियों का झुण्ड आकाश में उड़ रहा है।
5. सोने का भाव आसमान छू रहा है।

उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्द किसी व्यक्ति , वस्तु, स्थान , भाव, समूह, धातुओं का संकेत करते हैं। अतः संज्ञा को इस रूप में परिभाषित किया जा सकता है : “किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव के नामो को संज्ञा कहते हैं।” जैसे : राम, मोहन, आगरा, विद्यालय, पुस्तक, मेज, सुंदरता, बुढ़ापा, झुण्ड, सेना, सोना, लोहा इत्यादि।

संज्ञा के उदाहरण Sangya ke Udaharan, Sangya examples in Hindi

रमेश परीक्षा में प्रथम आया था। इसलिए वह दौड़ता हुआ स्कूल से घर पहुंचा, इस बात से वह बहुत खुश था। उसने यह बात अपने माता- पिता को बताई। यह समाचार सुन वह इतने आनंदित हुए कि उन्होंने उसे गले लगा लिया।

यहाँ पर खुश और आनंदित (भाव ), रमेश , माता-पिता (यक्ति ), स्कूल, घर (स्थान ), गले आदि संज्ञा आई हैं।

संज्ञा के भेद (Sangya Ke Bhed) :- (Types of Noun in Hindi)

1. जातिवाचक संज्ञा Common Noun in Hindi

2. भाववाचक संज्ञा Abstract Noun in Hindi

3. व्यक्तिवाचक संज्ञा Proper Noun in Hindi

4.समूहवाचक संज्ञा Collective Noun in Hindi

5. द्रव्यवाचक संज्ञा Material Noun in Hindi

1. जातिवाचक संज्ञा क्या होती है :-

(Common Noun Paribhasha in Hindi)


जिस संज्ञा शब्द से संसार के समस्त व्यक्तियों, वस्तुओं, और प्राणियों का बोध होता है उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं , जैसे- मनुष्य, औरत, शहर,नदी, क़िताब, पर्वत इत्यादि। “मनुष्य ” कहने से संसार के समस्त व्यक्ति हमारे आंखों के सामने खड़े हो जाते हैं। क़िताब शब्द संसार के समस्त किताबों को अपने में समाहित कर लेता है। औरत शब्द संसार के समस्त औरतों का प्रतिनिधित्व करतीं हैं।
जिस शब्द से किसी जाति का सम्पूर्ण बोध होता हो या उसकी पूरी श्रेणी और पूर्ण वर्ग का ज्ञान होता हो, उस संज्ञा शब्द को जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण :-

(Common Noun Examples in Hindi)

मोटर साइकिल, कार, टीवी, पहाड़, तालाब, गॉंव, लड़का, लडकी,घोडा, शेर।

  • ‘लड़का‘ से राजेश, सतीश, दिनेश आदि सभी ‘लड़कों का बोध होता है।
  • ‘पशु–पक्षियों‘ से गाय, घोड़ा, कुत्ता आदि सभी जाति का बोध होता है।
  • ‘वस्तु’ से मकान कुर्सी, पुस्तक, कलम आदि का बोध होता है।
  • ‘नदी‘ से गंगा यमुना, कावेरी आदि सभी नदियों का बोध होता है।
  • ‘मनुष्य’ कहने से संसार की मनुष्य-जाति का बोध होता है।
  • ‘पहाड़’ कहने से संसार के सभी पहाड़ों का बोध होता है।

2. भाववाचक संज्ञा क्या होती है :-

(Abstract Noun Paribhasha in Hindi)

जिस संज्ञा शब्द से किसी के गुण, दोष, दशा, स्वाभाव , भाव आदि का बोध हो वहाँ पर भाववाचक संज्ञा कहते हैं। भाव का तात्पर्य प्राणी या वस्तु के गुण दोष, अवस्था, कार्य या व्यवहार से है। किसी व्यक्ति या वस्तु को देखकर मन में जो अनुभूति होती है उस अनुभूति से उत्पन्न भाव, भाववाचक संज्ञा के अंतर्गत आता है, जैसे- सुंदर, कुरूप, मीठा, कड़वा, खट्टा, बुढ़ापा ,जवानी इत्यादि।
जलेबी को देखकर मिठास का नीम को देखकर कड़वेपन का, इमली को देखकर खट्टेपन का, वृद्ध को देखकर बुढ़ापे का तथा सुंदर युवती को देखकर सुंदरता का भाव उत्पन्न होता है। वस्तु का विशेष गुण ही भाववाचक संज्ञा का जनक होता है। 

भाववाचक संज्ञा के उदाहरण :-

(Abstract Noun Examples in Hindi)

गर्मी, सर्दी, मिठास, खटास, हरियाली, सुख।

भाववाचक संज्ञा बनाना :-

भाववाचक संज्ञा चार प्रकार से बनाई जा सकती हैं —

1. जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा का  निर्माण
2. सर्वनाम से से भाववाचक संज्ञा का  निर्माण
3. विशेषण से से भाववाचक संज्ञा का  निर्माण
4. क्रिया से से भाववाचक संज्ञा का  निर्माण
5, अव्यव से से भाववाचक संज्ञा का  निर्माण

1. जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना :-

जातिवाचक संज्ञा से किसी वर्ग विशेष का बोध होता है, जैसे पुरुष से पुरुष वर्ग का, शिशु से शिशु वर्ग का, बच्चा से बच्चों के वर्ग का, व्यक्ति से व्यक्तियों के वर्ग का। इस तरह वर्ग विशेष का जो विशेष गुण होता है वह भाववाचक संज्ञा में परिवर्तित हो जाता है।
वर्ग विशेष -> जातिवाचक -> वर्ग विशेष का खास गुण या भाव -> भाव वाचक संज्ञा

जातिवाचक संज्ञा = भाववाचक संज्ञा
मित्र = मित्रता
पुरुष = पुरुषत्व
पशु = पशुता
पंडित = पांडित्य
दनुज = दनुजता
सेवक = सेवा
नारी = नारीत्व
भाई = भाईचारा

जातिवाचक संज्ञा भाववाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा भाववाचक संज्ञा
स्वामी स्वामित्व कवि कवित्व
बूढ़ा बुढ़ापा भाई भाईचारा
युवक यौवन दानव दानवता
दास दासता पंडित पांडित्य, पंडिताई
क्षत्रिय क्षत्रियत्व पुरुष पुरुषत्व, पौरुष
लड़का लड़कपन शिशु शैशव
मित्र मित्रता, मैत्री ब्राह्मण ब्राह्मणत्व
पशु पशुता, पशुत्व नारी नारीत्व
देव देवत्व प्रभु प्रभुत्व, प्रभुता

2. सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना :-

सर्वनाम = भाववाचक संज्ञा
पराया = परायापन
सर्व = सर्वस्व
निज = निजत्व

सर्वनाम भाववाचक संज्ञा सर्वनाम भाववाचक संज्ञा
स्व स्वत्व मम ममता, ममत्व
निज निजता, निजत्व अपना अपनत्व, अपनापन
सर्व सर्वस्व पराया परायापन
अहं अहंकार मै ममत्व

3. विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना :-

व्यक्ति या वस्तु के विशेष गुण को विशेषण कहते हैं और उस विशेष गुण के अंदर छिपा भाव ही भाववाचक संज्ञा कहलाता है अर्थात विशेषण का विशेष गुण भाववाचक संज्ञा में परिवर्तित हो जाता है।

विशेषण = भाववाचक संज्ञा
मीठा = मिठास
मधुर = मधुरता
चौड़ा = चौडाई
गंभीर = गंभीरता
मूर्ख = मूर्खता
पागल = पागलपन
भला = भलाई
लाल = लाली

विशेषणभाववाचक संज्ञाविशेषणभाववाचक संज्ञा
लघु- लघुता, लघुत्व, लाघव वीर- वीरता, वीरत्व
एक- एकता, एकत्व चालाक- चालाकी
खट्टा- खटाई गरीब- गरीबी
गँवार- गँवारपन पागल- पागलपन
बूढा- बुढ़ापा मोटा- मोटापा
नवाब- नवाबी दीन- दीनता, दैन्य
बड़ा- बड़ाई सुंदर- सौंदर्य, सुंदरता
भला- भलाई बुरा- बुराई
ढीठ- ढिठाई चौड़ा- चौड़ाई
लाल- लाली, लालिमा बेईमान- बेईमानी
सरल- सरलता, सारल्य आवश्यकता- आवश्यकता
परिश्रमी- परिश्रम अच्छा- अच्छाई
गंभीर- गंभीरता, गांभीर्य सभ्य- सभ्यता
स्पष्ट- स्पष्टता भावुक- भावुकता
अधिक- अधिकता, आधिक्य गर्म- गर्मी
सर्द- सर्दी कठोर- कठोरता
मीठा- मिठास चतुर- चतुराई
सफेद- सफेदी श्रेष्ठ- श्रेष्ठता
मूर्ख- मूर्खता राष्ट्रीय राष्ट्रीयता

4. क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना :-

क्रिया = भाववाचक संज्ञा
उड़ना = उड़ान
लिखना = लेख
खोदना = खुदाई
बढ़ना=बाढ़
कमाना = कमाई
घेरना = घेरा
खपना = खपत
बचना =बचाव
नाचना = नाच
पड़ना = पड़ाव
लूटना = लूट

क्रियाभाववाचक संज्ञाक्रियाभाववाचक संज्ञा
खोजना- खोज सीना- सिलाई
जीतना- जीत रोना- रुलाई
लड़ना- लड़ाई पढ़ना- पढ़ाई
चलना- चाल, चलन पीटना- पिटाई
देखना- दिखावा, दिखावट समझना- समझ
सींचना- सिंचाई पड़ना- पड़ाव
पहनना- पहनावा चमकना- चमक
लूटना- लूट जोड़ना- जोड़
घटना- घटाव नाचना- नाच
बोलना- बोल पूजना- पूजन
झूलना- झूला जोतना- जुताई
कमाना- कमाई बचना- बचाव
रुकना- रुकावट बनना- बनावट
मिलना- मिलावट बुलाना- बुलावा
भूलना- भूल छापना- छापा, छपाई
बैठना- बैठक, बैठकी बढ़ना- बाढ़
घेरना- घेरा छींकना- छींक
फिसलना- फिसलन खपना- खपत
रँगना- रँगाई, रंगत मुसकाना- मुसकान
उड़ना- उड़ान घबराना- घबराहट
मुड़ना- मोड़ सजाना- सजावट
चढ़ना- चढाई बहना- बहाव
मारना- मार दौड़ना- दौड़
गिरना- गिरावट कूदना- कूद

5. अव्यय से भाववाचक संज्ञा का निर्माण

अव्यय = भाववाचक संज्ञा
दूर = दूरी
शीघ = शीघ्रता
ऊपर = ऊपरी
समीप = समीपत्व

3. व्यक्तिवाचक संज्ञा क्या होती है :-

(Proper Noun Paribhasha in Hindi)

जिस संज्ञा शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, विशेष स्थान, विशेष वस्तु का बोध होता है उसे व्यक्ति वाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे : राम, सीता, गोपाल (व्यक्ति विशेष) ; आगरा, पटना, दिल्ली (स्थान विशेष) ; कामायनी, साकेत, रामायण (वस्तु विशेष)। उपर्युक्त उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि व्यक्ति वाचक संज्ञा से समाज के किसी ख़ास व्यक्ति का, ख़ास वस्तु का, या ख़ास जगह का बोध होता है जो सिर्फ और सिर्फ एक ही होता है।

व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण :- (Proper Noun Examples in Hindi)

भारत, गोवा, दिल्ली, भारत, महात्मा गाँधी , कल्पना चावला , महेंद्र सिंह धोनी , रामायण ,गीता, रामचरितमानस आदि।

जातिवाचक संज्ञा और व्यक्तिवाचक संज्ञा में अंतर-

  • व्यक्तिवाचक संज्ञा और जातिवाचक संज्ञा में यहअंतर होता है कि व्यक्तिवाचक संज्ञा से किसी एक खास व्यक्ति का बोध होता है जबकि जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत वर्ग विशेष के समस्त प्राणियों का बोध होता हैं।
  • व्यक्तिवाचक संज्ञा एक व्यक्ति के लिए जबकि जातिवाचक संज्ञा से अनेक का बोध होता है ,जैसे – “राम पुरुषों में उत्तम है। ” यहां राम किसी खास व्यक्ति के लिए और पुरुष समस्त पुरुष जाति का परिचायक है।

4. समूहवाचक संज्ञा क्या होती है :-

(Collective Noun Paribhasha in Hindi)

जिस संज्ञा शब्द से किसी समूह या समुदाय का बोध होता हैं उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे- सेना, भीड़ विद्यालय ,दल, झुण्ड इत्यादि।  अथार्त जो शब्द किसी विशिष्ट या एक ही वस्तुओं के समूह या एक ही वर्ग एवं जाति के समूह को दर्शाता है वहाँ पर समूहवाचक संज्ञा होती है।

समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण :-

(Collective Noun Examples in Hindi)

गेंहू का ढेर, लकड़ी का गट्ठर , विद्यार्थियों का समूह , भीड़ , सेना, खेल आदि।

5. द्रव्यवाचक संज्ञा क्या होती है :-

(Material Noun Paribhasha in Hindi)

संज्ञा का वह रूप जिससे संसार के समस्त धातुओं का बोध होता है ,उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। धातु उस वस्तु का पर्याय है जिससे अनेक वस्तुओं का निर्माण होता है। द्रव्य ठोस भी होता है और तरल भी, जैसे – पीतल, लोहा ( बर्तनों के लिए), लकड़ी (फर्नीचर के लिए), सोना ,चांदी (आभूषणों के लिए) तरल द्रव्य- दूध ,तेल, पानी इत्यादि।

द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण :-

(Material Noun Examples in Hindi)

गेंहू , तेल, पानी, सोना, चाँदी, दही , स्टील , घी, लकड़ी आदि।

समूहवाचक संज्ञा एवं द्रव्यवाचक संज्ञा का एकवचन में प्रयोग :

समूहवाचक संज्ञा एवं द्रव्यवाचक संज्ञा प्रायः एकवचन में प्रयुक्त होता है क्योंकि यह गणनीय नही होते हैं और व्याकरण के नियमों के अनुसार जो वस्तु गणनीय नहीं होते है वह एकवचन में प्रयुक्त होते हैं जबकि गणनीय वस्तुओं को बहुवचन में रखा जाता है।

समूहवाचक संज्ञा एवं द्रव्यवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा के उपभेद:

मूलतः समूहवाचक संज्ञा और द्रव्यवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा के ही उपभेद है। धातुओं के नाम हो या समूहों के नाम वे किसी वर्ग विशेष का ही संकेत करतें है परंतु गुण और स्वरूप में अंतर होने के कारण इसका वर्णन अलग से किया जाता है।

जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग

कभी-कभी समाज में  कोई जातिवाचक संज्ञा किसी व्यक्ति के नाम  के अर्थ में रूढ हो जाता हैं। ऐसी स्थिति में वह जातिवाचक संज्ञा व्यक्तिवाचक  का पर्याय माना जाता है। जैसे-

  • “पंडित जी देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं।“ यहां पंडित जी किसी खास वर्ग का द्योतक है, लेकिन यह जवाहरलाल नेहरू के नाम के लिए रूढ़ हो गया है। इसलिए यहां पंडित जी का तात्पर्य वर्ग विशेष से नहीं बल्कि जवाहरलाल नेहरू से है
  • “मैथिल कोकिल के गीत मिथिला के घर घर में गूंजते हैं। “मैथिल कोकिल” विद्यापति के लिए रूढ़ हो गया है इसलिए यहां यह जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक के रूप में प्रयोग किया गया है।
  • “सुर साम्राज्ञी हिंदूस्तान की जान है।“ लता मंगेशकर की मधुर आवाज के कारण उनका नाम सुर साम्राज्ञीके लिए रूढ़ हो गया है।

व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग

कभी-कभी किसी व्यक्ति का नाम किसी विशेष अर्थ के लिए रूढ़ हो जाता है। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति वाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा का पर्याय बन जाता है, जैसे-

  • “जिस घर में विभीषण होगा वह घर अवश्य टूट जाता है।“ यहां विभीषण एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है लेकिन यह नाम घर के भेदिये के लिए रूढ़ हो गया है।
  • “तुम आए बड़े सत्य हरिश्चंद्र बनने” यहां सत्य हरिश्चंद्र व्यक्तिवाचक संज्ञा है लेकिन अब यह सत्यवादी लोगों के लिए रूढ़ हो गया है।

याद रखने योग्य बातें–

  • संसार के दृश्य और अदृश्य समस्त पदार्थ संज्ञा कहलाते हैं।
  • समस्त संज्ञाओं को उनके स्वरूप और गुण के आधार पर 5 भागों में बांटा गया है।
  • समूह वाचक संज्ञा और द्रव्यवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा के ही उपभेद है।
  • भाववाचक संज्ञा का निर्माण  जातिवाचक संज्ञा ,विशेषण सर्वनाम, क्रिया और अव्यय से होता है।

संज्ञा के रूपान्तर (लिंग, वचन और कारक में सम्बन्ध)

संज्ञा विकारी शब्द है। विकार शब्द रूपों को परिवर्तित अथवा रूपान्तरित करता है। संज्ञा के रूप लिंग, वचन और कारक चिह्नों (परसर्ग) के कारण बदलते हैं।

लिंग के अनुसार संज्ञा के रूपान्तर

नर खाता है- नारी खाती है।
लड़का खाता है- लड़की खाती है।

इन वाक्यों में ‘नर’ पुंलिंग है और ‘नारी’ स्त्रीलिंग। ‘लड़का’ पुंलिंग है और ‘लड़की’ स्त्रीलिंग। इस प्रकार, लिंग के आधार पर संज्ञाओं का रूपान्तर होता है।

वचन के अनुसार संज्ञा के रूपान्तर

लड़का खाता है- लड़के खाते हैं।
लड़की खाती है- लड़कियाँ खाती हैं।
एक लड़का जा रहा है- तीन लड़के जा रहे हैं।

इन वाक्यों में ‘लड़का’ शब्द एक के लिए आया है और ‘लड़के’ एक से अधिक के लिए। ‘लड़की’ एक के लिए और ‘लड़कियाँ’ एक से अधिक के लिए व्यवहृत हुआ है। यहाँ संज्ञा के रूपान्तर का आधार ‘वचन’ है। ‘लड़का’ एकवचन है और ‘लड़के’ बहुवचन में प्रयुक्त हुआ है।

कारक- चिह्नों के अनुसार संज्ञा के रूपान्तर

लड़का खाना खाता है- लड़के ने खाना खाया।
लड़की खाना खाती है- लड़कियों ने खाना खाया।

इन वाक्यों में ‘लड़का खाता है’ में ‘लड़का’ पुंलिंग एकवचन है और ‘लड़के ने खाना खाया’ में भी ‘लड़के’ पुंलिंग एकवचन है, पर दोनों के रूप में भेद है। इस रूपान्तर का कारण कर्ता कारक का चिह्न ‘ने’ है, जिससे एकवचन होते हुए भी ‘लड़के’ रूप हो गया है। इसी तरह, लड़के को बुलाओ, लड़के से पूछो, लड़के का कमरा, लड़के के लिए चाय लाओ इत्यादि वाक्यों में संज्ञा (लड़का-लड़के) एकवचन में आयी है। इस प्रकार, संज्ञा बिना कारक-चिह्न के भी होती है और कारक चिह्नों के साथ भी। दोनों स्थितियों में संज्ञाएँ एकवचन में अथवा बहुवचन में प्रयुक्त होती है। उदाहरणार्थ-

बिना कारक-चिह्न के- लड़के खाना खाते हैं। (बहुवचन)
लड़कियाँ खाना खाती हैं। (बहुवचन)

कारक-चिह्नों के साथ- लड़कों ने खाना खाया।
लड़कियों ने खाना खाया।
लड़कों से पूछो।
लड़कियों से पूछो।
इस प्रकार, संज्ञा का रूपान्तर लिंग, वचन और कारक के कारण होता है।

गुलाब के फूल में कौन सी संज्ञा है?

वाक्य में गुलाब शब्द है तो इस हिसाब से ये व्यक्तिवाचक संज्ञा है।

फूल शब्द में कौनसी संज्ञा है?

जिस शब्द से किसी प्राणी या वस्तु की समस्त जाति का बोध होता है,उन शब्दों को जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। यथा- घोड़ा, फूल, मनुष्य,वृक्ष इत्यादि।

प्रश्न 4 गुलाब अच्छा लड़का है वाक्य में रेखांकित शब्द में कौन सी संज्ञा है?

वाचक संज्ञा कहते हैं ।

भाववाचक संज्ञा उदाहरण क्या है?

3) भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun in Hindi) जिन शब्दों से किसी प्राणी या पदार्थ के गुण भाव स्वभाव के अवस्था का बोध होता है, उन्हें भाववाचक sangya कहते हैं। मिठास, बुढ़ापा, गरीबी, आजादी, साहस, वीरता, आदि शब्द भाव पूर्ण अवस्था तथा क्रिया के व्यापार का बोध करा रहे हैं इसलिए भाववाचक sangya है।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग