Published in Journal
Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education [JASRAE] (Vol:17/ Issue: 1) DOI: 10.29070/JASRAE |
Authors: Shreekrishna Kumar*, Punit ., |
Subjects: Multidisciplinary Academic Research |
Year: Apr, 2020
Volume: 17 / Issue: 1
Pages: 307 - 310 (4)
Publisher: Ignited Minds Journals
Source:
E-ISSN: 2230-7540
DOI:
Published URL: //ignited.in/I/a/304612
Published
On: Apr, 2020
CTET 2015 Exam Notes : Teaching of Mathematics in Hindi Medium
गणित शिक्षण के उद्देश्य
गणित एक बहुत सी महत्वपूर्ण विषय है इसकों हम गणनाओं का विज्ञान, संख्याओं तथा स्थान का विज्ञान मानते है इसको कोई मापन (माप तोल) मात्रा और (दिशा आकार प्रकार) का विज्ञान भी मानते है वास्तव में गणित का शाब्दिक अर्थ होता है में प्रयुक्त करते है गणितज्ञ सार्थक विभिन्न टेम्पल बैल ने गणित को विज्ञान की रानी एवं नौकर माना है विभिन्न-2 परिभाषाओं के आधर पर गणित के सम्बन्ध मे ंसारांध रूप से वह सकते है।
1. गणित विज्ञान की क्रमबद्ध संगठित तथा यर्थार्थ शाखा है।
2. यह विज्ञान का अमूर्त रूप है।
3. गणित स्थान तथा संख्याओं का विज्ञान है।
4. गणित वह विज्ञान है जिसके आवश्यक निष्कर्ष निकाले जाते है।
5. गणित गणनाओं का विज्ञान है।
6. यह तार्कित का विज्ञान है।
7. यह आगनात्मक तथा प्रायोगिक विज्ञान है।
8. यह मापन मात्रा (परिभाषा) तथा दिशा का विज्ञान है।
9. इसमें मात्रात्म्क तथ्यों और सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।
10. गणित के अध्ययन से मस्तिष्क में तर्क करने की आदत स्थापित होती है।
यंग के अनुसार –यदि विज्ञान का आधार स्तम्भ गणित हटा दिया जाये तो सम्पूर्ण भौतिक सभ्यता निःसन्देह नष्ट हो जायेगी। किसी ने सच कहा है कि विज्ञान उस सीमा तक ही सत्य है जंहा तक कि उसमें गणित का उपयोग हुआ है।
गणित शिक्षण के उद्देश्य (Aims of mathematics teaching)
N.C.E.R.T के अनुसार माध्यमिक स्तर पर गणित शिक्षक के निम्नलिखित उद्देश्य है।
- गणित के दोष एवं गणित को रोचक बनाने हेतु सुझाव
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गणित
शिक्षण के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। किसी भी विषय के लक्ष्यों के निर्धारण में कई प्रमुख तत्वों का योगदान रहता है। इसके अन्तर्गत राष्ट्र के शैक्षिक उद्देश्य, राष्ट्रीय आवश्यकतायें, विषय की प्रकृति, समाज की मांग तथा राष्ट्रीय समस्याओं की मुख्य भूमिका होती है। किसी भी विषय के शिक्षण का कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होता है। बिना उद्देश्य के शिक्षण एक दिशाहीन नाविक की नाव की तरह से है, जो कभी गन्तव्य पर नहीं पहुँचती। ये उद्देश्य समय के साथ-साथ बदलते रहते हैं। प्राचीन
काल में गणित के अध्ययन का उद्देश्य केवल दैनिक जीवन में आने वाली समस्याओं से सम्बन्धित था, परन्तु आज गणित शिक्षण व अध्ययन के उद्देयों में परिवर्तन हो गया है।
गणित शिक्षण के लक्ष्य (Aims of Teaching Mathematics)
गणित शिक्षण के प्रमुख लक्ष्य निम्नलिखित हैं-
1. व्यावहारिक लक्ष्य (Practical Aims) – मनुष्य के विवेक तथा चिन्तन के स्वस्थ विकास से एक स्थिर समाज की रचना होती है। गणित रोजी-रोटी कमाने में सहायता के अतिरिक्त ऐसे समाज की रचना करने में सहायता करता है। उपयोगिता की दृष्टि से गणित इन्जीनियरिंग, भौतिकी, अर्थशास्त्र, भूगोल व अन्तरिक्ष विज्ञान आदि में प्रत्यक्ष काम आता है। व्यवसाय तथा वाणिज्य की प्रगति का आधार भी गणित ही है। अनेक क्षेत्रों में खोज व अनुसन्धान, सर्वेक्षण तथा आँकड़ों से निष्कर्ष निकालने का कार्य गणित द्वारा ही सम्भव होता है।
2. अनुशासनात्मक लक्ष्य (Disciplinary Aims) –गणित व्यक्ति में आदतों तथा क्षमताओं का विकास करता है। सादगी परिणामों की निश्चितता, मौलिकता, समन्वय तथा अन्य विषयों से सम्बन्ध की स्थापना अनुशासन के ही गुण हैं। गणित इन सबका सन्तुलित विकास करता है। गणित की समस्यायें हमारे जीवन की समस्याओं से बिल्कुल मिलती-जुलती होती हैं।
3. सांस्कृतिक एवं नैतिक लक्ष्य (Cultural and Moral Aims)- अनेक शिक्षाविद् आज इस मान्यता से सहमत हैं कि गणित शिक्षण का सांस्कृतिक एवं नैतिक महत्त्व भी है। गणित अप्रत्यक्ष रूप से छात्रों में स्वस्थ आदतों का विकास करता है। नागरिकों में शुद्ध सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना के लिए तर्क शक्ति तथा निर्णय शक्ति का विकास आवश्यक है। इन शक्तियों का गणित से निकट का सम्बन्ध है। अतः गणित शिक्षण के पीछे यह लक्ष्य निहित होता है कि विषय के ज्ञान के साथ-साथ छात्र समाज के सभ्य नागरिक बनें तथा उसे अधिक सुखी बनाने में सहायता कर सकें।
गणित शिक्षण के उद्देश्य (Objectives of Teaching Mathematics)
गणित शिक्षण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
(i) छात्र को नवीनतम ज्ञान व खोजों से अवगत कराना।
(ii) छात्र में अन्तर्निहित गुणों तथा योग्यताओं का विकास करना ।
(iii) छात्र को सौन्दर्य तथा आनन्द की अनुभूति प्रदान करना तथा खाली क्षणों का उपयोग करना सिखाना।
(iv) छात्र को ज्ञान, सूझ-बूझ, रुचियाँ तथा कलाओं आदि से सुसज्जित करना
(v) छात्र को समाज के लिए उपयोगी नागरिक के रूप में तैयार करना।
प्राप्य उद्देश्य का अर्थ (Meaning of Objectives)
प्राप्य उद्देश्य किसी कार्य के वे अन्तिम बिन्दु हैं, जिन्हें एक अध्यापक सीमित समय में प्राप्त करना चाहता है एवं जिसके लिए उसकी समस्त कार्य प्रणाली उसी ओर (अन्तिम बिन्दु) निर्देशित होती रहती है।
अतएव एक उद्देश्य
- किसी कार्य का अन्तिम बिन्दु या वह अन्तिम दृश्य है, जिसकी ओर क्रिया निर्देशित रहती है।
- उद्देश्य एक योजनाबद्ध क्रिया है, जिसके माध्यम से व्यवहार में परिवर्तन लाया जाता है।
- उद्देश्य वह है, जिसकी प्राप्ति के लिए हम कार्य करते हैं।
गणित शिक्षण के प्राप्य उद्देश्य (Objectives of Teaching Mathematics)
उद्देश्य तथा प्राप्य उद्देश्य एक-दूसरे से निकटतः सम्बन्धित होते हैं, यद्यपि ये दोनों अलग-अलग होते हैं। उद्देश्य का लक्ष्य वह है, जो हम किसी विषय के अध्ययन से प्राप्त करना चाहते हैं। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये हम जो मार्ग अपनाते हैं, वह प्राप्य उद्देश्य कहलाता है। उद्देश्य का क्षेत्र विस्तृत तथा व्यापक होता है। इसकी प्राप्ति के लिए छात्र ही नहीं, वरन् अध्यापक, विद्यालय तथा समाज सभी मिलकर प्रयत्न करते हैं। उद्देश्य हमेशा आदर्शों पर आधारित होते हैं, जिन्हें पूरी तरह तो किसी भी ढंग से प्राप्त नहीं किया जा सकता।
प्राप्य उद्देश्य छोटे अर्थों में लिए जाते हैं तथा शिक्षक और विद्यार्थी के प्रयलों द्वारा इन्हें प्राप्त किया जाता है। समय-समय पर इनकी प्राप्ति की जाँच परीक्षाओं आदि से कर ली जाती है। प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर पर गणित शिक्षण के अलग-अलग प्राप्य उद्देश्य होते हैं।
प्राथमिक स्तर पर गणित शिक्षण के उद्देश्य (Objectives of Teaching Mathematics at Primary Level)
1. विद्यार्थी में सतर्कता, दक्षता तथा गणितशीलता लाने की आदत पैदा करना ।
2. दैनिक जीवन में इन क्षमताओं का अनुप्रयोग करना।
प्राथमिक स्तर पर गणित शिक्षण के प्राप्य उद्देश्य (Objectives at Teaching Mathematics at Primary Level)
- इस स्तर पर छात्र पढ़ने, लिखने व गिनने की कलायें सीखता है।
- माप-तोल की इकाइयों तथा उनके व्यावहारिक उपयोग को सीखना ।
- मौखिक व लिखित गणनाओं में समुचित दक्षता प्राप्त करना ।
- अंकों व शून्य का प्रयोग सीखना।
- साधारण गणनायें करना, तुलना करना तथा समस्याओं को समझना।
- जोड़, घटाना, गुणा, भाग आदि मौलिक नियमों की जानकारी प्राप्त करना ।
- साधारण व दशमलव भिन्नों का ज्ञान प्राप्त करना उचित व अनुचित भिन्नों का अन्तर जानना।
माध्यमिक स्तर पर गणित शिक्षण के उद्देश्य (Aims of Teaching Mathematics at Secondary Level)
1. विद्यार्थी ने चारों ओर के वातावरण में गणित की उपयोगिता को समझाना।
2. विद्यार्थी को अपनी क्षमताओं तथा कमियों को अनुभव करने देना ताकि वह भविष्य में अपने व्यवसाय या शिक्षा के सम्बन्ध में सही निर्णय ले सकें।
3. छात्र को दैनिक जीवन से सम्बन्धित, गणित से सम्बन्धित तथा ज्ञान के अन्य क्षेत्रों से सम्बन्धित गणित का ज्ञान कराना ।
माध्यमिक स्तर पर गणित शिक्षण के प्राप्य उद्देश्य (Objectives of Teaching of Mathematics at Secondary Level)
- छात्र सांख्यिकीय आँकड़ों के संगठन तथा प्रदर्शन को सीखता है।
- छात्र गणना सम्बन्धी दक्षता का विकास करता है।
- विद्यालय में प्राप्त ज्ञान दैनिक जीवन में प्रयोग करना ।
- आधुनिक व्यवसाय तथा उद्योग में गणित के महत्व को जानना।
- छात्र गणित की धारणाओं को समझता है तथा उनका उपयोग करता है।
- छात्र गणित की भाषा को समझता है तथा उसका अध्ययन करता है
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