गर्भावस्था के दौरान सेमी में गर्भाशय ग्रीवा लंबाई चार्ट - garbhaavastha ke dauraan semee mein garbhaashay greeva lambaee chaart

इस दौरान आपको एक्सरसाइज करने की आदत डालनी चाहिए। हालांकि, आपको कौन सी और कितनी देर एक्सरसाइज करनी चाहिए, इसकी सलाह अपने डॉक्टर से अवश्य लें।

प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही (Second Trimester of Pregnancy)

अब बात करते हैं दूसरे प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) की, जो 13 to 28वें हफ्ते का समय होता है। इस दौरान आप पहली बार अपने बेबी को हिलते हुए भी देख सकते हैं। दूसरी तिमाही (Second Trimester) की अच्छी बात यह है कि इसमें आपकी थकावट और मॉर्निंग सिकनेस की समस्या दूर हो जाएगी। लेकिन, आप कुछ अन्य समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं।

दूसरी तिमाही (Second Trimester) में महिला के शरीर में कौन से परिवर्तन आ सकते हैं?

इसके साथ ही आपको सिर चकराना, बार-बार मूत्र त्याग, सिरदर्द जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं।

इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) का भ्रूण में क्या बदलाव आता है?

दूसरी तिमाही (Second Trimester) के दौरान शिशु के अंग पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं। शिशु सुनना और निगलना भी शुरू कर सकता है। दूसरी तिमाही (Second Trimester) के अंत में, शिशु घूमना शुरू कर देगा जिसे मां महसूस कर सकती है। दूसरी तिमाही (Second Trimester) के अंत तक शिशु की लंबाई लगभग 14 इंच होगी और उसका वजन 900 ग्राम से थोड़ा अधिक होगा।

प्रेग्नेंसी में टीकाकरण की क्यों होती है जरूरत ?

दूसरी तिमाही (Second Trimester) में कौन से टेस्ट कराना जरूरी हैं?

गर्भावस्था के दूसरे तिमाही (Second Trimester of Pregnancy) में महिलाओं को हर दो से चार सप्ताह में डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। डॉक्टर आपको यह टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं:

  • ब्लड प्रेशर और वजन की जांच
  • अल्ट्रासाउंड
  • ब्लड ग्लूकोज
  • जन्म दोष और अन्य आनुवंशिक जांच के लिए टेस्ट
  • एमनियोसेंटेसिस (Amniocentesis)

इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव के दौरान डायट (Diet during Stages of Pregnancy) कैसी होनी चाहिए?

गर्भावस्था के दौरान, महिलाओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें पर्याप्त विटामिन, खनिज, प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट मिल रहे हैं या नहीं। हालांकि, दूसरी तिमाही (Second Trimester) के दौरान गर्भवती महिला शरीर को थोड़ी अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है।

जानिए इस दौरान डायट में किन चीजों को शामिल करें

  • यदि आपके आहार में आयरन (Iron) की कमी है, तो इससे एनीमिया हो सकता है। हरी सब्जियां, दालें, बींस, साबुत अनाज आदि इसका अच्छा स्त्रोत हैं।
  • आप प्रोटीन (Protin) को मेवे, अंडे, मछली, दालों आदि से प्राप्त कर सकते हैं।
  • कैल्शियम (Calcium) से बच्चे की हड्डियों और दांतों को बनाने में मदद मिलती है। दूध और दूध से बने उत्पाद, सब्जियां आदि इसका अच्छा स्त्रोत हैं।
  • फोलेट (Folate) न्यूरल ट्यूब डिफेक्टस को दूर करने में मदद करता है। इसके लिए संतरे, हरी सब्जियां, साबुत अनाज आदि को अपने आहार में शामिल करें।
  • ओमेगा-3 फैटी एसिडस (Omega-3 Fatty Acids) हृदय, मस्तिष्क, आंखों, प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए आवश्यक हैं। मछली का तेल, चिया सीडस से आप इन्हें प्राप्त कर सकते हैं।
  • गर्भवती महिला को अधिक पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए पानी और अन्य तरल पदार्थों को अधिक से अधिक पीएं।

इस दौरान किन चीजों का सेवन न करें

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही (Second Trimester of Pregnancy)में आपको इन चीजों का सेवन कम या बिलकुल भी नहीं करना चाहिए:

  • कच्चे अंडे, मांस और मछली
  • अधिक मिर्च-मसाले या तला हुआ आहार
  • सॉफ्ट चीज़ जैसे ब्लू चीज़ और फेटा
  • अल्कोहल
  • कैफीन

इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) में कौन से व्यायाम करने चाहिए

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही (Second Trimester of Pregnancy) में हमेशा लौ इम्पैक्ट एक्सरसाइजेज को ही चुनें, जैसे:

इन्हें करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें और किसी एक्सपर्ट की निगरानी में ही करें।

यह भी पढ़ें: प्रेग्नेंसी के दौरान कितना होना चाहिए नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल?

प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही (Third Trimester of Pregnancy)

यह अंतिम प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) है यानी 29 से 40वें सप्ताह की अवधि है। इस तिमाही में शिशु का पूरा विकास हो जाता है, वह अपनी पोजीशन बदलता है और जन्म के लिए तैयार होता है। यह समय सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण होता है।

तीसरी तीसरी (Third Trimester) में महिला के शरीर में कौन से परिवर्तन आ सकते हैं?

कुछ महिलाएं इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of pPregnancy) पर बवासीर, बैचनी, डिस्चार्ज का भी सामना कर सकती हैं।

इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) पर भ्रूण में क्या बदलाव आता है?

तीसरी तिमाही (Third Trimester) में शिशु का विकास होता रहता है। इस समय शिशु यह सब करने में सक्षम होता है:

  • सुनना
  • अपने अंगूठे को चूसना

अब आपके शिशु का दिमाग का विकास जारी होता है। इसके फेफड़े और गुर्दे तैयार होते हैं। इस तिमाही के अंत में शिशु का आकार 19 to 21 इंच और 2 .5 से 4 किलोग्राम तक हो सकता है।

तीसरी तिमाही (third trimester) में कौन से टेस्ट कराना जरूरी हैं?

तीसरी तिमाही (Third Trimester) में डॉक्टर आपकी शारीरिक जांच करेंगे और आपको यूरिन और ब्लड टेस्ट कराने के लिए कहेंगे, ताकि वो यह सब टेस्ट कर सकें:

  • आपके खून के प्रकार और रीसस फ़ैक्टर (Rhesus Factor) को जांचने के लिए ब्लड टेस्ट
  • एनीमिया (Anemia) के लिए रेड ब्लड सेल काउंट
  • हेपेटाइटिस B and HIV
  • इम्युनिटी टू जर्मन मीसल्स (Rubella) और चिकेनपॉक्स (Varicella)

इसके साथ ही आपको अल्ट्रासाउंड, ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस स्क्रीनिंग, ग्लूकोज स्क्रीनिंग और कंट्रक्शन स्ट्रेस टेस्ट के लिए भी कहा जा सकता है। आपकी शारीरिक स्थिति को देखते हुए कुछ टेस्ट टेस्ट भी कराए जा सकते हैं।

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इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव के दौरान डायट (Diet during Stages of Pregnancy) कैसी होनी चाहिए?

आपके आहार पर ही शिशु की ग्रोथ निर्भर करती है। ऐसे में, आपको इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) पर अपने खाने-पीने का खास ध्यान रखना चाहिए। अपने आहार में इन चीजों को शामिल करें:

  • आयरन (Iron)
  • प्रोटीन (Protin)
  • फोलिक एसिड (Folic Acid)
  • DHA-रिच फूड जैसे दूध, अंडे, फ्रूट आदि
  • कैल्शियम युक्त आहार (Calcium Rich Food)
  • मैग्नीशियम (Magnisium) जैसे बादाम, कद्दू के बीज, जौ, जई और सेम आदि।
  • फल और सब्जियां (Fruits and Vegetable)
  • मेवे (Nuts)
  • तरल पदार्थ (Liquids)

इस दौरान किन चीजों का सेवन न करें

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही (Third Trimester of Pregnancy) में आपको इन चीजों का सेवन कम या बिलकुल भी नहीं करना चाहिए:

इस प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) में कौन से व्यायाम करने चाहिए

तीसरी तिमाही (Third Trimester) में भी आपका शारीरिक रूप से एक्टिव रहना जरूरी है। इस दौरान आप इन एक्सरसाइजेज को कर सकती हैं। लेकिन, इन्हें करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें और किसी एक्सपर्ट की निगरानी में ही इन्हें करें।

  • योग (Yoga) और पिलाटे (Pilate)
  • वाकिंग (Walking)
  • स्विमिंग (Swiming)
  • पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज यानी केगल एक्सरसाइज (Kegal Exercise)

यह भी पढ़ें: क्या प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियोसेंटेसिस टेस्ट करवाना सेफ है?

यह नौ महीने एक सुन्दर और कभी न भूलने वाला अहसास है। ऐसे में जरूरी है प्रेग्नेंसी के पड़ाव (Stages of Pregnancy) के हर पल को एन्जॉय करने का। अपने बैग को पैक करें और तैयार हो जाएं एक स्वस्थ और सुन्दर शिशु को अपने घर लाने के लिए। इस दौरान आपका सकारात्मक, स्वस्थ और खुश रहना भी बेहद जरूरी है।

गर्भाशय ग्रीवा की लंबाई कितनी होनी चाहिए?

(1.2 इंच) और पांच सें. मी. (2 इंच) के बीच लंबी होती है। इसका एक सिरा योनि के मुख की तरफ खुलता है (एक्सटरनल ओएस)।

35 सप्ताह में गर्भाशय ग्रीवा की लंबाई क्या है?

35 सप्ताह की गर्भावस्था में भ्रूण विकास आपका शिशु अब एक बड़े खरबूजे जितना भारी हो गया है, लगभग 2.4 किलोग्राम। उसकी लंबाई करीबन 46.2 सें. मी. (18.2 इंच) हो गई है।

22 सप्ताह में गर्भाशय ग्रीवा की लंबाई सामान्य क्या है?

(10.9 इंच) हो गया है।

क्या गर्भावस्था में गर्भाशय ग्रीवा सामान्य है?

यदि आपका गर्भाशय सामान्य आकार या संरचना से थोड़ा अलग है, तो भी आपकी गर्भावस्था पूरी तरह सामान्य रहने की उम्मीद होती है। साथ ही आपको या गर्भस्थ शिशु को भी कोई बड़ा खतरा नहीं होता है। हालांकि, गर्भाशय से जुड़ी कुछ असामान्यताएं गर्भधारण करना मुश्किल बना सकती हैं या उनकी वजह से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।

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