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प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
हूण ^१ संज्ञा पुं॰ [देश॰ या सं॰] एक प्राचीन क्षत्रिय वंश जिसका जिक्र महाभारत में भी है, ये एशिया और योरप के सभ्य देशों पर आक्रमण करती हुई फैले थे। विशेष—हूणों का इतना भारी दल चलता था कि उस समय के बड़े बड़े सभ्य साम्राज्य उनका उवरोध नहीं कर सकते थे । चीन की ओर से हटाए गए हूण लोग तुर्किस्तान पर अधिकार करके सन् ४०० ई॰ से पहले वंक्षु नद (आवसस नदी) के किनारे आ बसे । यहाँ से उनकी एक शाखा ने तो योरप के रोम साम्राज्य की जड़ हिलाई और शेष पारस साम्राज्य में घुसकर लूटपाट करने लगे । पारसवाले इन्हें 'हैताल' कहते थे । कालिदास के समय में हूण वंक्षु के ही किनारे तक आए थे, भारतवर्ष के भीतर नहीं घुसे थे; क्योंकि रघु के दिग्विजय के वर्णन में कालिदास ने हूणों का उल्लेख वहीं पर किया है । कुछ आधुनिक प्रतियों में 'वंक्षु' के स्थान पर 'सिंधु' पाठ कर दिया गया है, पर वह ठीक नहीं । प्राचीन मिली हुई रघुवंश की प्रतियों में 'वंक्षु' ही पाठ पाया जाता है । वंक्षु नद के किनारे से जब हूण लोग फारस में बहुत अपद्रव करने लगे, तब फारस के प्रसिद्ध बादशाह बहराम गोर ने सन् ४२५ ई॰ में उन्हें पूर्ण रूप से परास्त करके वंक्षु नद के उस पार भगा दिया । पर बहराम गोर के पौत्र फीरोज के समय में हूणों का प्रभाव फारस में बढ़ा । वे धीरे धीरे फारसी सभ्यता ग्रहण कर चुके थे और अपने नाम आदि फारसी ढंग के रखने लगे थे । फीरोज को हरानेवाले हूण सम्राट का नाम खुशनेवाज था । जब फारस में हूण साम्राज्य स्थापित न हो सका, तब हूणों ने अपने घर भारतवर्ष की ओर वापिस रुख किया । पहले उन्होंने सीमांत प्रदेश कपिश और गांधार पर अधिकार किया, फिर मध्यदेश की ओर चढ़ाई पर चढ़ाई करने लगे । बौद्ध धर्म के अनुयायी गुप्त सम्राट् कुमारगुप्त इन्हीं चढ़ाइयों में मारा गया । इन चढ़ाइयों से तत्कालीन गुप्त साम्राज्य निर्बल पड़ने लगा । कुमारगुप्त के पुत्र महाराज स्कंदगुप्त बड़ी योग्यता और वीरता से जीवन भर हूणों से लड़ते रहे । सन् ४५७ ई॰ तक अंतर्वेद, मगध आदि पर स्कंदगुप्त का अधिकार बराबर पाया जाता है । सन् ४६५ के उपरांत हुण प्रबल पड़ने लगे और अंत में स्कंदगुप्त हूणों के साथ युध्द करने में मारे गए । सन् ४९९ ई॰ में हूणों के प्रतापी राजा तुरमान शाह (सं॰ तोरमाण) ने गुप्त साम्राज्य के पश्चिमी भाग पर पूर्ण अधिकार कर लिया । इस प्रकार गांधार, काश्मीर, पंजाब, राजस्थान, मालवा और काठियावाड़ उसके शासन में आए । तुरमान शाह या तोरमाण का पुत्र मिहिरगुल (सं॰ मिहिरकुल) बड़ा ही अत्याचारी और निर्दय बताया। क्योंकि वह कट्टर शैव था । जो शिव को नहीं मानता था। उन्होंने ही हूणों को बर्बर कहा, गुप्तवंशीय नरसिंहगुप्त और मालव के राजा यशोधर्मन् से उसने सन् ५३२ ई॰ मे गहरी हार खाई और अपना इधर का सारा राज्य छोड़कर वह काश्मीर चला गया । हूणों में ये ही दो सम्राट् उल्लेख योग्य हुए । कहने की आवश्यकता नहीं कि हूण लोग कुछ और प्राचीन जातियों के समान धीरे धीरे भारतीय सभ्यता में मिल गए । गुर्जर या गुर्जर प्रतिहार में एक शाखा हूण भी है । गुर्जर क्षत्रियों में R1A1 आर्यन DNA सबसे अधिक मिलता है। तो कोई शक नहीं कि हूण ही गुर्जर है।
२. एक स्वर्णमुद्रा । दे॰ 'हुन' (को॰) ।
३. बृहत्संहिता के अनुसार एक देश का नाम जहाँ हूण रहते थे ।—बृहत्॰, पृ॰ ८६ ।
विषयसूची
हूण वंश के संस्थापक कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंयूरोप पर आक्रमण करने वाले हूणों का नेता अट्टिला (Attila) था। भारत पर आक्रमण करने वाले हूणों को श्वेत हूण तथा यूरोप पर आक्रमण करने वाले हूणों को अश्वेत हूण कहा गया। भारत पर आक्रमण करने वाले हूणों के नेता क्रमशः तोरमाण व मिहिरकुल थे।
मिहिर गुल की मृत्यु कब हुई?
इसे सुनेंरोकेंइन बहुमूल्य सांस्कृतिक भंडार को बर्बर हूणों ने नष्ट किया। यशोधर्मन और मिहिरकुल का युद्ध सन् 532 से कुछ पूर्व हुआ होगा, पर इतिहासकार मानते हैं कि मिहिरकुल उसके 10-15 वर्ष बाद तक जीवित रहा। उसके मरने पर हूण-शक्ति टूट गयी।
इसे सुनेंरोकेंसम्राट तोरमाण हूण को हूण राजवंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। हूण साम्राज्य की राजधानी सियालकोट ( आधुनिक पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में) थी। इनके साम्राज्य में अफगान, पाक व भारत का बडा भूभाग शामिल था। यह चौथी सदी की बात है।
गोरे हूण की सरदार का क्या नाम था?
हूणों ने प्रथम आक्रमण के समय मगध के सम्राट कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंवह गुप्त शासक जिसके समय में हूणों का प्रथम आक्रमण हुआ-स्कन्दगुप्त । वह बर्चर जाति जो मध्य एशिया के निवासी थे-हूण।
हूणों ने भारत पर कितने वर्ष शासन किया?
इसे सुनेंरोकेंहूणों ने लगभग 50 वर्षों तक शासन सत्ता सँभाली। अंत में कन्नौज के हर्षवर्धन ने उत्तर से लेकर मध्य भारत तक एक शक्तिशाली राज्य की स्थापना कर उन्हें पराजित किया।
गोरे हूण कहाँ के निवासी थे class 8?
इसे सुनेंरोकेंगोरे हूण कौन थे? गुप्त वंश के समय मध्य एशिया की एक जाति ने लगातार भारत पर आक्रमण किया यही ‘गोरे हूण’ कहलाए।
गोरे हूण जो कि गुप्त वंश में भारत पर आक्रमण कर रहे थे उनका सरदार कौन था *?
इसे सुनेंरोकेंसन् 335 में समुद्रगुप्त राजा बना और देखते ही देखते उसकी ख्याति विश्व में फैल गई। समुद्रगुप्त के बाद गुप्त वंश में चंद्रगुप्त विक्रमादित्य, कुमारगुप्त और स्कंदगुप्त नाम के राजा हुए और उनके शासनकाल में मध्य एशिया के हूण नाम के कबीले ने कई बार हमला किया।
भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम सम्राट कौन था?
इसे सुनेंरोकेंसबसे पहले जवाब दिया गया: भारत पे सबसे पहला आक्रमण कौन किया? मोहम्मद बिन कासिम ने 712 ईस्वी में सिंध के राजा दाहिर पर आक्रमण किया । जिसमें उनकी हार हुई। अरबों (यवनों )के द्वारा किया गया यह पहला आक्रमण था।
हूणों का शासनकाल कितने समय तक रहा *?
इसे सुनेंरोकेंहूणों ने दक्षिण-पूर्वी यूरोप और उत्तर-पश्चिम एशिया में अपना साम्राज्य स्थापित किया था। ‘अटिला’ नामक हूण ने अपना साम्राज्य चौथी-पांचवीं शताब्दी के दौरान यूरोप में स्थापित किया था। मध्य एशिया में यह 6ठी-7वीं शताब्दी में बस गए। 100 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व तक हूणों का आतंक रहा।
हूणों ने भारत पर कितने वर्ष शासन किया और उन्हें किसने हराया था?
भारत में प्रथम हूण आक्रमण कब हुआ?
इसे सुनेंरोकेंभारत पर हूणों का पहला आक्रमण 458 ई. में हुआ. उस समय गुप्त सम्राट कुमार गुप्त गद्दी पर था. उसने युवराज स्कन्दगुप्त को हूणों का सामना करने का उत्तरदायित्व सौंपा.
इसे सुनेंरोकेंस्कन्दगुप्त ने जो उपाधि धारण की थी, वह थो-परम भागवत एवं क्रमादित्य । वह गुप्त शासक जिसके समय में हूणों का प्रथम आक्रमण हुआ-स्कन्दगुप्त । वह बर्चर जाति जो मध्य एशिया के निवासी थे-हूण।
यमराज का वाहन क्या है?
इसे सुनेंरोकेंयमराज भैंसे की सवारी करते हैं और यमराज की आराधना विभिन्न नामों से की जाती है, जैसे कि यम, धर्मराज, मृत्यु, आतंक, वैवस्वत, काल.
मछली कौन से भगवान की सवारी है?
इसे सुनेंरोकेंमछली किस देवता का वाहन मानी गई है? – Quora. मछली किस देवता का वाहन मानी गई है? मछली गंगा जी का वहां है. मछली का हि एक रूप है मगर मच्छ और यही गंगा जी का वहां है.
शक कहाँ से आये थे?
इसे सुनेंरोकेंशक प्राचीन मध्य एशिया में रहने वाली स्किथी लोगों की एक जनजाति या जनजातियों का समूह था। शक मूलतः आर्य थे। इनकी सही नस्ल की पहचान करना कठिन रहा है क्योंकि प्राचीन भारतीय, ईरानी, यूनानी और चीनी स्रोत इनका अलग-अलग विवरण देते हैं।