सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कज्जली तीज या हरियाली तीज मनाई जाती है। इस साल हरियाली तीज 26 जुलाई 2017 को मनाई
जा रही है। लेकिन तीज क्यों मनाई जाती है?
प्रस्तुत है संक्षिप्त जानकारी ....
- इसे सबसे पहले गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने किया था जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए।
- कुंवारी लड़कियां भी मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती की
पूजा करती हैं।
- हरियाली तीज के दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया।
- पार्वती के कहने पर शिव जी ने आशीर्वाद दिया कि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी उसके विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी।
हरियाली तीज पूजा विधि
निर्जला व्रत और भगवान शिव और माता पार्वती जी की विधि पूर्वक पूजा करने का विधान है। इस दिन व्रत के साथ-साथ शाम को व्रत की कथा सुनी जाती है। माता पार्वती जी का व्रत पूजन करने से धन, विवाह
संतानादि भौतिक सुखों में वृद्धि होती है।
तृतीया तिथि आरंभ - 09:57 बजे से (25 जुलाई 2017)
तृतीया तिथि समाप्त - 08:08 बजे तक ( 26 जुलाई 2017)
हरियाली तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हरियाली तीज के ही दिन माता पार्वती ने कठोर तप किया था और इसी से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. यही कारण है कि इस दिन व्रत रखने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. इस दिन को सुहागिन स्त्रियों के लिए विशेष माना जाता है.
हरियाली तीज का क्या मतलब होता है?
हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. माना जाता है कि हरियाली तीज के दिन ही माता पार्वती का कठोर तप सफल हुआ था. इस दिन शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए थे और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. इसलिए ये दिन माता पार्वती को अत्यंत प्रिय है.
हरियाली तीज पर किसकी पूजा होती है?
सावन माह में मनाई जाने वाली हरियाली तीज का विशेष महत्व होता है। इस तीज पर्व पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।
भारत में तीज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
लेकिन तीज क्यों मनाई जाती है? प्रस्तुत है संक्षिप्त जानकारी .... - इसे सबसे पहले गिरिराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने किया था जिसके फलस्वरूप भगवान शंकर उन्हें पति के रूप में प्राप्त हुए। - कुंवारी लड़कियां भी मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा करती हैं।