हिंदी में मुक्त छंद के प्रवर्तक कौन है? - hindee mein mukt chhand ke pravartak kaun hai?

विषयसूची

  • 1 मुक्तक कैसे लिखें मुक्तक लिखने की विधि?
  • 2 मुक्तक कितने प्रकार के होते हैं?
  • 3 प्रबंध काव्य की परिभाषा क्या है?
  • 4 मुक्त छंद किसकी देन है?
  • 5 प्रबंध काव्य कौन सा है?
  • 6 प्रबंध काव्य का क्या अर्थ है?

मुक्तक कैसे लिखें मुक्तक लिखने की विधि?

मुक्तक कैसे लिखें

  1. मुक्तक में सामान्यतःचार पंक्तियाँ होती है।
  2. चारों पंक्तियों में मात्रा भार समान होता है।
  3. मुक्तक (चतुष्पदी) में लय और सुविधानुसार मात्रा निर्धारित की जा सकती है।
  4. यथा 28 मात्रिक, 24 मात्रिक
  5. मैने 8 मात्रिक भी लिखा है।
  6. प्रथम द्वितीय व चतुर्थ पंक्तियाँ समतुकांत हो।
  7. यह चार पंक्तियों की ऐसी कविता (रचना) है।

मुक्तक कितने प्रकार के होते हैं?

प्रकार

  • मुक्तक- प्रसंगवश किसी एक रस से निहित पद्य जो अपने आप में पूर्ण हो।
  • संदानिक- दो मुक्तक पद्य जो परस्पर सम्बन्ध रखते हो।
  • विशेषक- तीन मुक्तक पद्य जो परस्पर सम्बन्ध रखते हो।
  • कुलक- चार मुक्तक पद्य जो परस्पर सम्बन्ध रखते हो।
  • संघात- किसी एक प्रसंग पर रचित एक ही कवि के कुछ मुक्तक पद्य।

प्रबंध और मुक्तक काव्य क्या है?

इसे सुनेंरोकें1. प्रबंध काव्य में छंद एक कथासूत्र में पिरोए हुए होते हैं, जबकि मुक्तक काव्य में छंद एक-दूसरे से स्वतंत्र होते हैं। 2. प्रबंध काव्य में किसी एक व्यक्ति के जीवन चरित्र का वर्णन होता है, जबकि मुक्तक काव्य में किसी अनुभूति, कल्पना या भाव का चित्रण होता है।

छंद मुक्त कविता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंदोस्तों, छंद मुक्त कविता उस कविता को कहते हैं, जो छंद के नियमों से स्वतंत्र रहती है। जिसे बिना छंद के नियमों को ध्यान में रखकर लिखा जाता है। लेकिन आज के वक्त में लोग छंद मुक्त कविता का अर्थ गलत समझ लेते हैं। वो इसलिए क्योंकि छंद मुक्त कविता छंद से मुक्त होती है।

प्रबंध काव्य की परिभाषा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइसमें कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे रामचरित मानस।

मुक्त छंद किसकी देन है?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दी में मुक्तछन्द की परम्परा सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ ने आरम्भ की।

खंडकाव्य कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंमहाकाव्य प्रमुख कथा केसाथ अन्य अनेक प्रासंगिक कथायें भी जुड़ी रहती हैं इसलिए इसका कथानक उपन्यास की भाँति धीरे-धीरे फलागम की ओर अग्रसर होता है। खण्डाकाव्य में केवल एक प्रमुख कथा रहती है, प्रासंगिक कथाओं को इसमें स्थान नहीं मिलने पाता है। भाषा विभाषा नियमात् काव्यं सर्गसमुत्थितम्।

मुक्तक छंद के प्रवर्तक कौन है?

प्रबंध काव्य कौन सा है?

इसे सुनेंरोकेंप्रबंध काव्य में कोई धारावाहिक कथा होती है। अर्थात किसी कथायुक्त श्रव्य को प्रबंध काव्य कहा जाता है। इसमें किसी घटना अथवा क्रिया का वर्णन काव्यात्मक रूप में होता है। जयशंकर प्रसाद की रचना ‘ कामायनी ‘ को इसका एक श्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है।

प्रबंध काव्य का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंइसमें कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे रामचरित मानस। 1- महाकाव्य इसमें किसी ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुष की संपूर्ण जीवन कथा का आद्योपांत वर्णन होता है।

छंद मुक्त कविता को कविता बनाने वाले तीन तत्व कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकें3) भाव प्रवाह :- छंदमुक्त कविता में भावों का निरंतर प्रवाह होना आवश्यक है अर्थात किसी भी बंद में भावों की शृंखला ना टूटे और पाठक को कविता पड़ने पर मजबूर करदे। 4) भाषा शैली :- मुक्तछंद कविता की भाषा शैली अत्यंत ही सहज, सरल और सर्वग्राही होनी चाहिए। यदि कंही कंही तुकांत भी हो जाए तो कविता का काव्य सौंदर्य निखर उठेगा।

छंदमुक्त कविता की क्या विशेषता होती है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: कविता सहज सरल तरल है जैसे पानी और यह उतनी ही स्वाभाविक जैसे सांस लेना। जो छंद जानता है वही छंद मुक्त भी लय में लिख सकता है, वरना छंद मुक्त कविता मंे शिल्प लय की कमी होती है। वैसी कविता गद्यात्मक हो जाती है।

मुक्त छंद का प्रवर्तक कौन है?

हिन्दी में मुक्तछन्द की परम्परा सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' ने आरम्भ की।

मुक्तक छंद क्या होता है?

मुक्तक, काव्य या कविता का वह प्रकार है जिसमें प्रबन्धकीयता न हो। इसमें एक छन्द में कथित बात का दूसरे छन्द में कही गयी बात से कोई सम्बन्ध या तारतम्य होना आवश्यक नहीं है। कबीर एवं रहीम के दोहे; मीराबाई के पद्य आदि सब मुक्तक रचनाएं हैं। हिन्दी के रीतिकाल में अधिकांश मुक्तक काव्यों की रचना हुई।

हिंदी की पहली मुक्त छंद कविता कौन सी है?

'जुही की कली' (1916 ई. ) निराला को हिंदी में मुक्त छंद का प्रवर्तक माना जाता है

छंद के प्रणेता कौन है?

छंद-शास्‍त्र के आदि प्रणेता पिंगल नाम के ऋषि थे।

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