गोरखपुर में जमीन के झगड़े सुलझाने के लिए पुलिस ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। अवैध कब्जा, जमीन को जबरन बेचने, खरीदी हुई प्रापर्टी पर कब्जा न देने जैसे मामलों में अब तेजी से कार्रवाई होगी।
Ajay Singhवरिष्ठ संवाददाता,गोरखपुरWed, 11 May 2022 08:09 AM
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जमीन के झगड़ों को सुलझाने के लिए एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने हेल्पलाइन नंबर जारी करने का निर्देश दिया है। हेल्पलाइन नंबर पर आने वाली शिकायतों की समीक्षा करते हुए अब कार्रवाई की जाएगी। इससे यह भी पता चलेगा कि किस इलाके में सबसे ज्यादा भूमि विवाद है और उसके पीछे क्या वजह है। इस जानकारी के आधार पर लेखपाल और पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। एसएसपी ने कहा कि प्रापर्टी पर अवैध कब्जा करने, किसी की भूमि को जबरन बेचने, खरीदी हुई प्रापर्टी पर कब्जा न करने देने सहित कई प्रकरण रोजाना सामने आते हैं। इनके निस्तारण के लिए नम्बर जारी किया जाएगा।
शहर में भूमि विवाद के मामलों में फरियादियों को इंसाफ नहीं मिल पा रहा है। सीएम के जनता दर्शन में पहुंचने वाली शिकायतों में करीब 60 फीसदी मामले भूमि से जुड़े होते हैं। जबकि अन्य प्रकरण पुलिस सहित अन्य विभागों के सामने आते हैं। भूमि विवादों में कभी पुलिस कर्मचारियों की शिकायत होती है तो कभी यह पता लगता है कि लेखपाल भी मनमानी कर रहे हैं। जनता दर्शन के अलावा पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के दफ्तर में शिकायतें पहुंचती हैं। मंगलवार को एसएसपी करीब 80 लोगों से मुलाकात की जिसमें 60 लोगों ने भूमि संबंधित प्रकरणों की शिकायत दर्ज कराई। शाहपुर से आए पीड़ित ने बताया कि वह बलिया में रहकर जॉब करते थे। शाहपुर में उन्होंने भूमि खरीद ली। लगातार प्रॉपर्टी से संबंधित मामले आने पर एसएसपी ने हेल्पलाइन नंबर जारी करने का निर्देश दिया।
शहर में भू माफिया करोड़ों रुपए की सरकारी भूमि पर कब्जा कर निर्माण कार्य करा रहा है। बासौंड़ी तिराहा पर भी सरकारी सर्वे नंबर में हेराफेरी कराकर जमीन पर निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जिसकी शिकायत शनिवार को स्थानीय लोगों ने एसडीएम को आवेदन देकर की है। दरअसल शहर में कई जगह करोड़ों रुपए की सरकारी भूमि पड़ी हुई है। लेकिन भू माफिया द्वारा सरकारी जमीनों पर कब्जा कर मकान बनाने से लेकर प्लाट काटने तक का काम किया जा रहा है। अभी तक करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन पर कब्जा भी किया जा चुका है। शनिवार को भी बासौंड़ी चौराहा पर सरकारी जमीन पर कब्जा कर निर्माण कार्य कराए जाने को लेकर लोगों ने एसडीएम केके सिंह गौर से शिकायत की। लोगों ने शिकायत करते हुए बताया कि जिस जमीन पर निर्माण कार्य कराया जा रहा है, वह पहले शासकीय रूप से अभिलेख में दर्ज थी। लेकिन बाद में राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारियों से मिलजुल कर उक्त भूमि को भूमाफिया ने सर्वे नंबर सहित जमीन की नोईयत भी बदलवा कर रिकॉर्ड में दर्ज करा दिया है। पूर्व में इसी के पास भूमाफिया द्वारा इस जगह पर दुकान निर्मित करा ली गई हैं। शेष सरकारी जगह को भी लॉज के उपयोग में लाने की तैयारी चल रही है। लोगों ने बताया कि उक्त जमीन पर अनंत कुमार जैन पुत्र नेमी चंद्र जैन द्वारा नगर की बेशकीमती जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया है, इसलिए मामले की जांच कराई जाए और सरकारी भूमि को मुक्त कराया जाए।
कार्रवाई की जाएगी
शासकीय जमीन पर किसी भी प्रकार का कब्जा तथा निर्माण कार्य नहीं होने दिया जाएगा। पूरे मामले की जांच करने के तहसीलदार को निर्देश दे दिए हैं। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
केके सिंह गौर, एसडीएम भितरवार
अगर कोई व्यक्ति किसी भूमिस्वामी की भूमि पर अनुचित कब्जा कर लेता है तब पीड़ित पक्षकार तहसीलदार को भूमि पर से कब्जा हटवाने के लिए आवेदन करेगा। तहसीलदार उक्त धारा के अंतर्गत ऐसी भूमि के से कब्जा हटवायेगा।
पीड़ित व्यक्ति कौन होगा एवं आवेदन की समय अवधि क्या होगी:-
1. अनुसूचित जनजाति वर्ग का का सदस्य हैं वह 1 जुलाई 1976 के पहले बेदखल कर दिया गया हो तो 1 जुलाई 1978 के पूर्व का कब्जा किया हो तब भूमि के क्षेत्र में तहसीलदार को कभी भी आवेदन कर सकता है।
2. अन्य मामले में आदिवासी अवैध कब्जा के लिए तारीख से पाँच वर्ष के भीतर तहसीलदार को कब्जा पुनः प्राप्त के लिए आवेदन कर सकता है।
★ अन्य व्यक्ति जो अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है वह पुनः कब्जा प्राप्त करने के लिए तहसीलदार को दो वर्ष के भीतर आवेदन कर सकता है।
महत्वपूर्ण नोट:-
• इस धारा के अनुसार पीड़ित व्यक्ति को पुनः कब्जा दिलवाने का दायित्व तहसीलदार का है।
• भूमि स्वामी को आवेदन के साथ यह साक्ष्य देना होगा की जब उसकी भूमि पर कब्जा किया गया था तब भूमि का स्वामी स्वंय था।
• तहसीलदार द्वारा विरोधी पक्षकार से आवेदक को भूमि का प्रतिकर भी दिलवा सकता है।
• ऐसी भूमि के बाजार मूल्य के बीस प्रतिशत रुपये तक दण्ड अधिरोपित की जा सकता है।
दण्ड का प्रावधान:-
उपखण्ड अधिकारी (SDO) धारा 250(क) के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान करेगा जब व्यक्ति को अवैध कब्जा वापस करने का आदेश जारी हो गया है एवं आदेश जारी होने के सात दिन के भीतर कब्जा वापस नहीं करता है तब उसे 15 दिन की कालावधि के लिए सिविल जेल भेज देगा।
• द्वितीय या दोबारा कब्जे के आदेश के बाद तीन माह की जेल भेज दिया जाएगा।
◆ ° पीड़ित व्यक्ति सिविल कब्जे को पुनः प्राप्ति के लिए सिविल वाद भी ला सकता है (बाबू लाल बनाम कालूराम वाद)। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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