सामान्यत: स्वास्थ्य से तात्पर्य बीमारियों से मुक्त होने से समझा जाता है, परंतु वैज्ञानिक दृष्टि से इसे स्वास्थ्य नहीं कहा जाता है। स्वास्थ्य होने का तात्पर्य शारीरिक, मानसिक, अध्यात्मिक एवं सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति से है। शाब्दिक दृष्टि से जन स्वास्थ्य का आशय जनता के स्वास्थ्य से है। क्योंकि जन से आशय जनता से तथा ‘स्वास्थ्य’ का अर्थ उसका शारीरिक-मानसिक दृष्टि से स्वस्थ होने से है। आज यहाँ संतुलित आहार की गंभीर समस्या है तथा महामारियों और बीमारियों का प्रकोप बना हुआ है। जनसंख्या की व्यापकता निर्धनता और प्रति व्यक्ति आय का कम होना कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कारक है जिनसे स्वास्थ्य समस्या गहन रूप से संबंधित है। जन स्वास्थ्य स्तर निम्न होने के अनेक कारण है, उनमें कुछ प्रमुख का उल्लेख किया जा रहा है। निर्धनता और प्रति व्यक्ति आय कम होने के
कारण अधिकांश जनता को पेट भर दिन में दोनों समय भोजन नसीब नहीं है। जहाँ भरपेट भोजन ही नहीं मिलता हो वहाँ घी, दूध, फल व अन्य प्रोटीन युक्त पोष्टिक पदार्थ आवश्यक मात्रा में ग्रहण करने का प्रश्न ही नहीं उठता हे। निर्धनता के कारण न तो लोग पर्याप्त और पौष्टिक भोजन ही प्राप्त कर पाते है न रहने के लिए उचित वातावरण में मकान ही प्राप्त कर पाते है। यही कारण है कि यहाँ के नागरिकों का स्वास्थ्य स्तर बहुत ही गिरा हुआ है । स्वास्थ्य व स्वच्छता के महत्व को नहीं
समझते।स्वास्थ्य स्तर गिरने के कारण
1. निर्धनता एवं प्रति व्यक्ति आय का कम होना
2. अज्ञानता
3. कार्य-स्थल का अस्वस्थ कर वातावरण
हर मनुष्य जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए को न को कार्य या व्यवसाय करता है। उसके स्वास्थ्य पर कार्य की प्रकृति और कार्य करने के स्थल की दशाओं का भी प्रभाव होता है।
4. स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी
भारत में जहाँ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की व्यवस्था की गई है वहाँ उस प्रकार से अन्य सुविधाओं की व्यवस्था नहीं की ग है जिससे स्वास्थ्य की समस्या उसी अवस्था में बनी रहती है और इसका प्रभाव
भारतीय अर्थव्यवस्था प्रणाली पर पड़ती है।
4. बीमारियों की व्यापकता
भारत में स्वास्थ्य स्तर निम्न होने के उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त उपयोग संबंधी बुरी आदते, नशीली वस्तुओं का प्रयोग, गर्म जल वायु, दोषपूर्ण आनुवंशिकता, सामाजिक कुप्रथाएं एवं अंधविश्वास, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का अभाव, अश्रितों की अधिक संख्या, अविवेकपूर्ण मातृत्व तथा इस संदर्भ में शिक्षा व प्रशिक्षण का अभाव है। जब तक इन कारणों का दूर नहीं किया जायेगा तब तक भारतीयों का स्वास्थ्य स्तर ऊपर उठाना संभव नहीं होगा।
जन स्वास्थ्य स्तर में सुधार के लिए सुझाव
जनस्वास्थ्य स्तर की समस्या का स्थायी रूप से समाधान संभव हो सकता है-
- जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण लगाया जाये इसके लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रभावशाली ढंग से लागू करना आवश्यक है।
- स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा को अध्ययन में अनिवार्य विषय के रूप में प्राथमिक स्तर से उच्च स्तर तक पढ़ाया जाना चाहिए।
- महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा, पोषण, प्रसूति व आहार संबंधी शिक्षा देने के साथ-साथ इनके प्रति जागरूकता उत्पन्न की जानी चाहिए।
- पौष्टिक आहार संबंधी जानकारी की व्यवस्था की जानी चाहिए और शिक्षा संस्थाओं में बच्चों को पौष्टिक आहार का वितरण कराया जाए।
- देश में पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों का उत्पादन तेजी से हो तथा उनका समुचित वितरण किया जाना चाहिए।
- देश में व्याप्त निर्धनता की हर-संभव प्रयत्नों से दूर करना चाहिए।
- चिकित्सा विज्ञान को प्रगतिशील बनाने के साथ-साथ चिकित्सा सेवाओं में पर्याप्त विस्तार किया जाना चाहिए।
- जनस्वास्थ्य सेवाओं व सुविधाओं में वृद्धि व विस्तार किया जाता है।
- पेयजल की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।
- बीमारियों की रोकथाम के लिए हर दृष्टि से व्यापक अभियान चलाया जाना चाहिए।
- नियोजित नगरों का विकास भी स्वास्थ्य के सुधार की दिशा में उपयोगी होना।
- ऐसी समस्त सामाजिक, धार्मिक, कुप्रथाओं, रूढियों, और अंधविश्वाओं के विरूद्ध जीवन स्वास्थ्य की प्रगति में बाधक है जबरदस्त आंदोलन चलाकर इन्हें शीघ्र दूर कर स्वास्थ्य के लिए अनुकूल सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण करना अनिवार्य है।
जनता के स्वास्थ्य को बढावा देने और रोगों की रोकथाम करने के विज्ञान और कला का नाम जनस्वास्थ्य या लोक-स्वास्थ्य (Public health) ।
जन स्वास्थ्य का उदय
जनस्वास्थ्य शब्द की उत्पत्ति इंग्लैंड में हुई। इंग्लैंड में सन् 1840 ई. में जनस्वास्थ्य अवधारणा का उदय हुआ। उस समय संचारी बीमारी (communicable disease) तेजी से फैल रही थी। स्वास्थ्य दर्शन शास्त्री जे. पी. फ्रैंक ने जन स्वास्थ्य को राज्य की जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि जन स्वास्थ्य का अर्थ जन समुदाय के अच्छे स्वास्थ्य से है। जिसे राज्य द्वारा कानूनी रूप से लागू किया जाना चाहिए। इंग्लैंड में 1848 ई. में जन स्वास्थ्य एक्ट 1948 बनाया गया, जिसमें संगठित समाज में स्वास्थ्य की सुरक्षा, बढ़ावा एवं पुनर्स्थापन इत्यादि को शामिल किया गया।
जन स्वास्थ्य के चरण
- जन स्वास्थ्य (public health)
- सामुदायिक स्वास्थ्य (community health)
- निरोध आत्मक एवं सामाजिक चिकित्सा (preventive and social medicine)
- सामुदायिक चिकित्सा (community medicine)
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- लोकस्वास्थ्य इंजीनियरी
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- जनस्वास्थ्य इंजीनियरी (इण्डिया वाटर पोर्टल)