जापानी संविधान के अनुच्छेद 13 में किसका वर्णन है - jaapaanee sanvidhaan ke anuchchhed 13 mein kisaka varnan hai

भारतीय संविधान के स्रोत – दोस्तों, जब भारत को अपना संविधान बनाने का अवसर प्राप्त हुआ और कैबिनेट मिशन के भारत आने के बाद संविधान सभा का गठन हुआ, तब संविधान सभा के पास एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी के साथ साथ एक बहुत बड़ी चुनौती भी थी संविधान को एक मजबूत रूप देने की।

भारतीय संविधान बनाने के क्रम में बहुत सारी चीजे आन्तरिक एव बाह्य स्त्रोत से ली गयी जिसे हमने हमारे पिछले आर्टिकल भारतीय संविधान की विशेषताएं में पढ़ा था। भारतीय संविधान को सुदृढ़ बनाने के लिए बहुत सारी चीजें अलग अलग स्रोतों से जोड़ी गयी।

कई बार भारतीय संविधान की आलोचना भी की जाती है कि भारतीय संविधान का अपना कोई अस्तित्व नहीं है क्यूंकि बहुत सारी चीजें इसमें विभिन्न देशों से जोड़ी गयी है।

कुछ आलोचक यह भी कहते है की, भारतीय संविधान का कोई अपना सिद्धांत नहीं है, कभी-कभी इसे उधार का संविधान कहके भी सम्भोदित किया जाता है, परन्तु उन प्रावधानों को भारतीय संविधान में सीधा वैसे ही नहीं जोड़ा गया है बल्कि भारत की प्रस्थितियो के हिसाब से उनमे भारत के हिसाब से बदलाव करके संविधान में जोड़ा गया है, आइये अब इन भारतीय संविधान के स्रोत की सूची देखे जहाँ के प्रावधानों को भारतीय संविधान में जोड़ा गया है:

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1 भारतीय संविधान के स्रोत – sources of Indian constitution in Hindi

2 भारत शाशन अधिनियम 1935

3 ब्रिटेन

4 संयुक्त राज्य अमेरिका

5 कनाडा

6 आयरलैंड

7 दक्षिण अफ्रीका

8 फ्रांस

9 ऑस्ट्रेलिया

10 जर्मनी

11 जापान

12 रूस

13 भारतीय संविधान के स्रोत – sources of Indian constitution in Hindi

14 बार बार पूछे जाने वाले प्रश्न

14.1 भारतीय संविधान का मुख्य स्रोत क्या है?

14.2 भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का प्रावधान कहां से लिया गया है ?

14.3 भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्य किस देश के संविधान से लिए गए हैं ?

भारतीय संविधान के स्रोत – sources of Indian constitution in Hindi

  1. भारत शाशन अधिनियम 1935
  2. ब्रिटेन
  3. संयुक्त राज्य अमेरिका
  4. कनाडा
  5. आयरलैंड
  6. दक्षिण अफ्रीका
  7. फ्रांस
  8. ऑस्ट्रेलिया
  9. जर्मनी
  10. जापान
  11. रूस

आइये अब इन स्त्रोतों से क्या क्या प्रावधान लिए गए है उन्हें जाने:

भारत शाशन अधिनियम 1935

अंग्रेजो द्वारा ये अधिनियम लागू किया गया था, ताकि इससे भारत की शाशन व्यवस्था को चलाया जा सके। अंग्रेजो के जाने के बाद इस अधिनियम से लगभग 250 अनुछेद भारतीय संविधान में जोड़े गए, और उस समय संविधान में कुल 395 अनुछेद थे, तो 395 में से 250 अनुछेद इस अधिनियम से जोड़े गए जो लगभग 60 प्रतिशत होता है, ये अधिनयम भारतीय संविधान का सबसे बड़ा स्त्रोत है।

इस अधिनियम से लिए गए मुख्य प्रावधान कुछ इस प्रकार है:

1. न्यायपालिका – न्यायपालिका की व्यवस्था जैसे सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय, उनकी शक्तियां, ये स्वंतंत्र और निष्पक्ष रूप से कार्य करते है और ये एकीकृत व्यवस्था के अन्तर्गत कार्य करती है।

2. CAG ( Comptroller and Auditor General ) – ये एक संविधानिक पद और बहुत ही महत्वपूर्ण पद है, इनका कार्य सरकारी खातों और सरकार द्वारा खर्च की जा रही राशि की जाँच करना होता है, इनका कार्य ये पता लगाना होता है कि सरकार जो राशि खर्च कर रही है वो सही दिशा में खर्च कर रही है या नहीं, ये केंद्र और राज्य सरकार दोनों की ही जाँच करते है।

इसका उल्लेख हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 में मिलता है।

3. लोक सेवा आयोग ( UPSC ) – भारतीय संविधान के तहत ही इसका गठन हुआ और इसके द्वारा विभिन्न प्रकार के अखिल भारतीय सेवक चुने जाते है जैसे आईएएस ( IAS ), आईपीएस ( IPS ), आईएफएस ( IFS ) आदि और इसका उल्लेख भारतीय संविधान के भाग 14 और अनुछेद संख्या 315 से लेकर 323 तक मिलता है।

ब्रिटेन

बहुत वर्षों तक अंग्रेजों के अधीन रहने के बाद संविधान बनाने के क्रम में क्यूँकि ब्रिटेन ही भारत पर राज कर रहा था तो उसके कार्यो की छवि भारत में दिखी और वहां से भी बहुत सारे प्रावधान संविधान में जोड़े गए, यहाँ से जोड़े गए मुख्य प्रावधान कुछ इस प्रकार है:

1. संसदीय शाशन व्यवस्था – इस व्यवस्था के अंतर्गत लोक सभा, राज्य सभा, और संसद में राष्ट्रपति भी शामिल होते है, संसद के बहुत से कार्य होते है जैसे विधेयक ( bill ) बनाना, और कई उच्च पदों को निलंबित करने की प्रक्रिया आदि, इसमें स्तरीय बैठक होती है जिसमे देश की नीतियों के संधर्ब में कार्य होता है।

एक वर्ष में 3 सत्र होते है जिसमे बजट सत्र, मानसून सत्र, और शीतकालीन सत्र होते है।

2. संसदीय विशेषाधिकार – लोक सभा, राज्य सभा तथा उनके सदस्यों और संसदीय समितियों को कुछ विशेषाधिकार संविधान में प्राप्त है, ये विशेषाधिकार इन्हे इसलिए दिए गए है, ताकि ये स्वंतंत्र रूप से कार्य कर सके, इसका उल्लेख हमे अनुछेद 105 में मिलता है।

3. विधि का शाशन – इस प्रावधान का अर्थ यह है की विधि ही शाशक है और विधि के हिसाब से ही शाशन चलना चाहिए अगर कोई विधि के शाशन का उलंघन करता है तो उसे दण्डित करा जाना चाहिए।

4. एकल नागरिकता – भारत में रहने वाला हर व्यक्ति भारत का ही नागरिक होगा वह किसी राज्य का नागरिक नहीं होगा, वह विशेष रूप से किसी राज्य का नागरिक नहीं होगा, उसे भारत का नागरिक ही कहा जायेगा।

5. मंत्री-मंडल व्यवस्था – संसद में मंत्री-मंडल व्यवस्था है, संसद में चुनी हुई सरकार मंत्री-मंडल का गठन करती है, जैसे प्रधान मंत्री, विदेश मंत्री आदि।

संयुक्त राज्य अमेरिका

अमेरिका से लिए गए मुख्य प्रावधान कुछ इस प्रकार है:

1. मौलिक अधिकार – भारत में हर एक नागरिक को कुछ मौलिक अधिकार दिए जाते है, जो उससे कोई नहीं छीन सकता है, ये प्रावधान भारतीय संविधान में अमेरिका से लिया गया है, इनका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 के बीच और भाग 3 में मिलता है और वर्तमान में 6 मौलिक अधिकार दिए जाते है।

2. न्यायिक पुनरावलोकन – न्यायपालिका को शक्ति प्राप्त है की वो संसद के द्वारा बनाए गए विधि की जांच कर सकती है की वो विधि संविधान के अनुरूप बनायीं गयी है या नहीं, इसका उल्लेख अनुछेद 137 में देखने को मिलता है।

3. संविधान की सर्वोच्चत्ता – भारत में सबसे ऊपर संविधान है, संविधान को सर्वोच्चत्ता प्रदान करने वाली जनता होती है, संविधान को जनता से शक्ति मिलती है।

4. निर्वाचित राष्ट्रपति – इस प्रावधान के तहत भारत में निर्वाचित राष्ट्रपति होगा, जो जनता के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होगा।

5. महाभियोग – अगर राष्ट्रपति संविधान के खिलाफ कार्य करते है तो उन पर संसद में महाभियोग चलाया जा सकता है, इसका उल्लेख अनुछेद 61 में मिलता है।

कनाडा

कनाडा से लिए गए मुख्य प्रावधान कुछ इस प्रकार है:

1. संघात्मक व्यवस्था – इस प्रावधान में केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार में एक जोड़ होता है, इसमें केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच में शक्तियों का विभाजन होता जिसकी वजह से दोनों सरकार स्वतंत्र रूप से कार्य करती है।

2. अवशिष्ट शक्तियां केंद्र के पास – वह शक्तियां जो केंद्र और राज्य सरकार में दोनों के ही पास नहीं आती और बची रह जाती है तो उस स्थिति में वो शक्ति केंद्र के ही पास जाएँगी और राज्य सरकार उन पर अपना अधिकार नहीं डाल सकती है।

आयरलैंड

आयरलैंड – आयरलैंड से लिए गए मुख्य प्रावधान कुछ इस प्रकार है:

1. राज्य के नीति निर्देशक तत्व – संविधान में केंद्र और राज्य सरकार दोनों को ही निर्देश दिए गए है की जनता के सम्बन्ध में कुछ भी बनाना हो या कोई विधि बनाना हो तो इन सब चीजों को करने में संविधान में दिए गए नीति निर्देशक तत्वों को ध्यान में रखा जाए और इनके अंतर्गत ही कोई कार्य किया जाए और अनुछेद 36 से लेकर अनुछेद 51 तक इनका उल्लेख भारतीय संविधान में मिलता है।

2. राज्य सभा में मनोनय – संविधान में राष्ट्रपति को यह शक्ति प्राप्त है कि वह राज्य सभा में 12 सदस्यों को मनोनीत कर सकते है।

दक्षिण अफ्रीका

दक्षिण अफ्रीका से लिए गए मुख्य प्रावधान कुछ इस प्रकार है:

1. संविधान संशोधन – संविधान संशोधन की व्यवस्था भारतीय संविधान में दक्षिण अफ्रीका से ली गयी है, ये बहुत ही महत्वपूर्ण व्यवस्था है क्यूंकि हमेशा परिस्थिति एक जैसी नहीं रहती, परिस्थितियों के हिसाब से हमेशा परिवर्तन करना चाहिए। संविधान में अगर कुछ संशोधन करना हो तो इस प्रावधान के तहत संशोधन किया जा सकता है, इसका उल्लेख हमे अनुछेद 368 में मिलता है।

फ्रांस

फ्रांस से लिए गए मुख्य प्रावधान कुछ इस प्रकार है:

1. समानता, स्वंतंत्रता और बंधुत्व – फ्रांस की क्रांति में समानता, स्वंतंत्रता और बंधुत्व ये तीन शब्द बहुत ज्यादा प्रचलित थे उनकी क्रांति में इन शब्दों का बहुत प्रयोग हुआ, भारत के संविधान में भी इन तीन शब्दों को फ्रांस से ही लिया गया है।

2. गणतंत्र – इस व्यवस्था में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही संचालन करेंगे, इसमें कुछ भी वंशानुगत नहीं होगा।

ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया से लिए गए मुख्य प्रावधान कुछ इस प्रकार है:

1. समवर्ती सूची – ये केंद्रीय और राज्य सूची से अलग वह सूची है जिसमें केंद्रीय और राज्य सरकार दोनों ही कानून बना सकते है।

2. संयुक्त अधिवेशन – विधेयक ( bill ) से जुड़े कार्य संसद में होते है, और यदि कोई विधेयक राज्य सभा और लोक सभा में अलग अलग पारित नहीं हो पाता है तो उस स्थिति में राष्ट्रपति एक संयुक्त अधिवेशन बुला सकते है जिसमे दोनों सदन की कार्यवाही साथ में होती है और उसकी अध्यक्षता लोक सभा के अध्यक्ष करते है, इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 108 में मिलता है।

जर्मनी

जर्मनी से लिए गए मुख्य प्रावधान कुछ इस प्रकार है:

1. आपात के समय मूल अधिकार का खंडन – भारतीय संविधान में ये प्रावधान है कि आपातकाल के समय जो संविधान के तहत नागरिकों को जो मौलिक अधिकार दिए जाते है, वो मौलिक अधिकार आपातकाल के समय समाप्त हो जाते है और कोई भी न्यायालय में इसके खिलाफ अपनी याचिका दर्ज नहीं कर सकता।

जापान

जापान से लिए गए मुख्य प्रावधान कुछ इस प्रकार है:

1. विधी द्वारा स्थापित प्रक्रिया – भारतीय संविधान में विधी द्वारा स्थापित प्रक्रिया का प्रावधान जोड़ा गया है, इसका तात्पर्य यह है की विधि के द्वारा जो भी प्रक्रिया निर्धारित करी गयी है, हमेशा उसके हिसाब से ही कार्य करते हुए आगे बढ़ते चले जाना चाहिए।

रूस

रूस से लिए गए मुख्य प्रावधान कुछ इस प्रकार है:

1. मौलिक कर्त्तव्य – मूल संविधान में मौलिक कर्तव्य का प्रावधान नहीं था, इन्हे 42वे संविधान संशोधन 1976 में स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर संविधान में शामिल किये गए और वर्तमान में 11 मौलिक कर्तव्य भारतीय संविधान में शामिल है जिन्हें भारत के हर एक नागरिक को इनका पालन करना चाहिए।

भारतीय संविधान के स्रोत – sources of Indian constitution in Hindi

हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई भारतीय संविधान के स्रोत, भारतीय संविधान के विदेशी स्रोत, sources of Indian constitution in Hindi के बारे में  जानकारी आपके लिए बहुत उपयोगी होगी और आप इससे बहुत लाभ उठाएंगे। हम आपके बेहतर भविष्य की कामना करते हैं और आपका हर सपना सच हो।

जापानी संविधान का जनक कौन है?

अब इतो का उदय जापान के संविधान के जनक के रूप में हुआ ।

जापान के संविधान में डाइट क्या है?

जापान की राष्ट्रीय डायट (国会 कोक्काई)वहाँ की द्विसदनीय विधानपालिका है। इसकी निचली सदन को जापान की प्रतिनिधि सभा और ऊपरी सदन को पार्षद सभा कहते हैं। दोनों सदनों का चुनाव समांतर मतदान के होता है। कानून बनाने के साथ-साथ, प्रधानमंत्री का चुनाव करना भी संसद की ज़िम्मेदारी है।

जापान के संविधान का दूसरा नाम क्या है?

जापान की मूल विधि (कानून) है। इसे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ३ मई १९४७ को लागू किया गया था। जापान में इसे 'संविधान दिवस' के रूप में मनाया जाता है। यह संविधान 'शांति संविधान' भी कहलाता है। .

जापानी संविधान को क्या कहा जाता है?

जापान का नया और वर्तमान संविधान 1947 से लागू हुआ । इसको मैक्आर्थर और शोवा (Showa) संविधान के नाम से जाना गया । शोवा सम्राट हिरोहितो के शासन की उपाधि है जिसका अर्थ है- 'कांतिमान शांति' । नए संविधान के अंगीकरण के दौरान जापान का सम्राट हिरोहितो और प्रधानमंत्री शिहारा था ।

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