जोधपुर में नाग पंचमी का मेला कब लगता है? - jodhapur mein naag panchamee ka mela kab lagata hai?

प्रतिपदा(एकम), द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अस्ठमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्थदशी, अमावस्या/पूर्णिमा।

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उदाहरण महीना-पक्ष-तिथी : : भाद्रपद-कृष्ण-एकम

  1. चैत्र -मार्च-अप्रेल
  2. वैषाख – अप्रेल -मई
  3. ज्येष्ठ -मई-जून
  4. आषाढ़ – जून-जुलाई
  5. श्रावण-जुलाई- अगस्त
  6. भाद्रपद-अगस्त -सितम्बर
  7. आष्विन- सितम्बर- अक्टूबर
  8. कार्तिक – अक्टूबर – नवम्बर
  9. मार्गषीर्ष – नवम्बर – दिसम्बर
  10. पौष – दिसम्बर- जनवरी
  11. माघ – जनवरी-फरवरी
  12. फाल्गुन -फरवरी -मार्च
महीना-पक्ष-तिथीत्यौहारचैत्र-शुक्ल-प्रतिपदाहिन्दु नववर्ष, नवसंवत प्रारम्भ, बसंतीय नवरात्रा प्रारम्भ, वर्ष प्रतिपदाचैत्र शुक्ल द्वितीयासिधारा,सिंजाराचैत्र शुक्ल अष्ठमीदुर्गाष्ठमी, नवरात्रा समाप्तचैत्र शुक्ल नवमीरामनवमीचैत्र शुक्ल त्रयोदशीमहावीर जयन्तीचैत्र शुक्ल पूर्णिमाहनुमान जयन्तीवैशाख शुक्ल तृतीयाअक्षय तृतीया, आखातीज, कृषि पक्ष,परशुराम जयंतीवैशाख शुक्ल पूर्णिमाबुद्ध, पीपल पूर्णिमाज्येष्ठ शुक्ल एकादशीनिर्जला एकादशी(घडीया ग्यारस)आषाढ शुक्ल नवमीभडंल्या नवमी/भडली(अन्तिम शादी)आषाढ शुक्ल एकादशीदेव शयनी एकादशीआषाढ शुक्ल पूर्णिमागुरू पुर्णिमाश्रावण कृष्ण पंचमीनागपंचमीश्रावण कृष्ण त्रयोदशीशिवरात्रिश्रावण शुक्ल द्वितियासिजांरा,सिधारा,सिद्धाराश्रावण शुक्ल तृतीयाछोटी तीज/हरियाली तीज, श्रावणतीजश्रावण शुक्ल पूर्णिमारक्षा बन्धन, गोगा मेडी मेलाभाद्रपद कृष्ण तृतीयाबड़ी/बुडी/कजली/सातुडी/ भादुडी तीजभाद्रपद कृष्ण सप्तमीथदडी/बडी सातम(सिंधी धर्म)भाद्रपद कृष्ण अष्ठमीजन्माषष्टमीभाद्रपद कृष्ण नवमीगोगानवमी(विशाल मेला)भाद्रपद कृष्ण द्धादशीबच्छ बारसभाद्रपद शुक्ल द्वितीयारामदेव जयन्ती/मेला प्रारम्भभाद्रपद शुक्ल चतुर्थीगणेश चतुर्थीभाद्रपद शुक्ल अष्ठमीराधाषठमीभाद्रपद शुक्ल दशमीरामदेव मेला/तेजा दशमी/खेजडी दिवस मेलाभाद्रपद शुक्ल एकादशीजलझुलनी एकादशी/देव डोल ग्यारसभाद्रपद शुक्ल चतुर्दशीअनंत चतुर्थदशी(अण चैरस)भाद्रपद शुक्ल पुर्णिमागोगा मेडी मेला समाप्त/श्राद पक्ष/पितृ पक्ष/कनागत प्रारम्भआश्विन कृष्ण प्रतिपदाद्वितीय श्राद्धआश्विन अमावस्यासर्वपितर श्राद्ध/श्राद्ध पद्व समाप्तआश्विन शुक्ल प्रतिपदाशारदीय नवरात्र प्रारम्भआश्विन शुक्ल अष्ठमीदुर्गाष्ठमीआश्विन शुक्ल नवमीरामनवमीआश्विन शुक्ल दशमीदशहरा/विजयदशमीआश्विन पुर्णिमाशरद पुर्णिमा(शरद पुर्णिमा)/कार्तिक स्नान प्रारम्भ(विष्णु पूजा)कार्तिक कृष्ण चतुर्थीकरवा चैथकार्तिक कृष्ण अष्ठमीअहोई अष्ठमी/साहू माताकार्तिक कृष्ण त्रयोदशीधन तेरस/ध्वन्तरी जयंतीकार्तिक कृष्ण चतुर्दशीनरक चतुर्दशी/रूप चैदस/कानी दीवालीकार्तिक अमावस्यादीपावली(लक्ष्मी पूजन)कार्तिक शुक्ल प्रतिपदागौवर्धन पूजा/अन्नकुटकार्तिक शुक्ल द्वितीयायम द्वितीया/भैया दुजकार्तिक शुक्ल षष्ठीछठ पूजाकार्तिक शुक्ल अष्ठमीगोपास्ठमीकार्तिक शुक्ल नवमीअक्षय नवमी/आवला नवमीकार्तिक शुक्ल एकादशीदेव उठनी/देवोस्थान/प्रबोधनी/तुलसी विवाहकार्तिक पूर्णिमाकार्तिक स्नान समाप्त/गुरू पर्व14 जनवरीमकर सक्रांतिमाघ कृष्ण चतुर्थीतिलकुटी चैथ/शकंर चतुर्थी/माही चैथमाघ अमावस्यामौनी अमावस्यामाघ शुक्ल पंचमीबसंत पचमीमाघ शुक्ल दशमीरामदेव मेलामाघ पूर्णिमाबैणेश्वर धाम मेलाफाल्गुन कृष्ण त्रयोदशीमहाशिवरात्रिफाल्गुन शुक्ल द्वितीयाफुलेरा/फलरिया दुजफाल्गुन पूर्णिमाहोलीका दहनचैत्र कृष्ण प्रतिपदागैर/फाग /धुलण्डी/छारडी/गणगौर पुजन प्रारम्भचैत्र कृष्ण अष्ठमीशीतलाष्टमी

धुलण्डी:- चैत्र कृष्ण एकम् (रंगो का पर्व)

बादशाह मेला/सवारी- ब्यावर (अजमेर)

पत्थर मार होली – बाड़मेर

लट्ठमार होली -चांदनपुर (करौली)

कोडामार होली – भीनाय (अजमेर)

फूल डोल मेला इसी दिन भरता है।

शीतलाष्टमीः- चैत्र कृष्ण अष्टमी

चाकसू (जयपुर) में शीतला माता का मेला भरता है।

मारवाड में घुड़ला पर्व इसी दिन मनाया जाता है।

वर्ष प्रतिपदा/नवसवत्सर – चैत्र शुक्ल एकम्

विक्रमादित्य मेला इसी दिन मनाया जाता है।

नवरात्र:-चैत्र शुक्ल एकम् से चैत्र शुक्ल नवमी तक

चैत्र मास के नवरात्रे, बसन्तीये नवरात्र कहलाते है।

अश्विन मास के नवरात्रे शरदीय/केसूला नवरात्र कहलाते है।

गणगौरः- चैत्र शुक्ल तृतीया

गणगौर से पूर्व (1 दिन) सिंजारा भेजा जाता है।

गणगौर, शिव व पार्वती का पर्व है।

जयपुर की गणगौर प्रसिद्ध है।

गणगौर का निर्माण उदय में होता है।

बिना ईसर की गणगौर जैसलमेर की प्रसिद्ध है।

इस त्यौहार से त्यौहारों की समाप्ति मानी जाती है।

रामनवमीः- चैत्र शुक्ल नवमी –

गवान राम का जन्मदिन है।

महावीर जयंती:- चैत्र शुक्ल त्रयोदषी

हनुमान जयन्ती:- चैत्र पूर्णिमा

अक्षय तृतीयाः- वैषाख शुक्ल तृतीया

इसे आखा तीज भी कहते है। इस दिन राजस्थान में सर्वाधिक बाल-विवाह होते है।

घींगा गंवर गणगौरः- वैषाख कृष्ण तीज

धींगा गंवर बैंत मार मेला जोधपुर में आयोजित होता है।

वैषाख पूर्णिमाः- बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ।

वट सावित्री पर्वः- ज्येष्ठ अमावस्या को

इसे बड़मावस भी कहते है। इस दिन बरगद की पूजा की जाती है।

निर्जला एकादशीः- ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को।

मीठे पानी की छबीले लगाई जाती है।

देवशयनी एकादशी:- आषाढ़ शुक्ल एकादशी को

गुरू पूर्णिमा:- आषाढ़ पूर्णिमा को।

नाग पंचमी:- श्रावण कृष्ण पंचमी

इस दिन मण्डोर (जोधपुर) में तीरपुरी का मेला भरता है।

ऊब छटः- श्रावण कृष्ण षष्टी

बिहारियों का मुख्य पर्व है।

हरियाली अमावस्या:- श्रावण अमावस्या को

हरियाली अमावस्या मेंला/ कल्पवृक्ष मेला इसी दिन मांगलियावास (अजमेर) में भरता है।

छोटी तीज/झूला तीज/श्रावणी तीज/हरियाली

तीजः- श्रावण शुक्ल तीज

तीज की सवारी के लिए जयपुर प्रसिद्ध है।

इस दिन से त्यौहारों का आगमन माना जाता है।

रक्षाबंधन:- श्रावण पूर्णिमा को

कजली तीज/बडी तीज/सातुडी तीजः- भाद्र कृष्ण तीज को

कजली तीज बूंदी की प्रसिद्ध है।

हल हट्टः- भाद्र कृष्ण षष्टी को

जन्माष्टमीः- भाद्र कृष्ण अष्टमी को

भगवान श्री कृष्ण का जन्म दिवस

पूर्वी क्षेत्र में लोकप्रिय है।

जाम्भों जी का जन्म दिवस।

गोगानवमी:- भाद्रपद कृष्ण नवमी को।

बच्छब्बारसः- भाद्रपद कृष्ण द्वादषी को।

बछडे की पूजा की जाती है।

गणेश चतुर्थीः- भाद्रपद षुक्ल चतुर्थी को

रणथम्भौर (सवाई माधोपुर ) में इस दिन मेला भरता है।

महाराष्ट्र का प्रमुख त्यौहार है।

महाराष्ट्र मेंु इसकी शुरूआत बाल गंगाधर तिलक द्वारा की गई।

राधाष्टमीः- भाद्रपद शुक्ल अष्टमील को।

इस दिन निम्बार्क सम्प्रदाय का मेला सलेमाबाद (अजमेर) में भरता है।

तेजादशमीः- भाद्रपद शुक्ल दशमी को

जाजी अजमेर क्षेत्र में लोकप्रिय व पूज्य है।

देव झुलनी/जल झुलनी एकादशीः- भाद्रपद शुक्ल एकादशी

बेवाण, पर देवताओं की सवारी निवाली जाती है।

बेवाण, लकड़ी से बना कलात्मक पलंग जिसका निर्माण बस्सी (चित्तौड़गढ) में है।

सांवलिया जी का मेला मण्डफिया से इसी दिन भरता है।

डोल मेला, बांरा मे।

श्राद्ध पक्ष:- भाद्र पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक।

नवरात्रेः- आश्विन शुक्ल एकम् से शुक्ल नवमी तक

शारदीय/केसुला नवरात्रे कहलाते है।

दुर्गाष्टमी:- आश्विन शुक्ल अष्टमी को

बंगाल (भारत) व बागड़ (राजस्थान) में इस दिन मेले भरते है।

दशहराः- आश्विन शुक्ल दशमी को

इसे विजयदशमी भी कहते है।

इस दिन खेजड़ी वृक्ष की पूजा होती हैं

कोटा का दशहरा मेला प्रसिद्ध है।

कोटा में दशहरे मेले की शुरूआत माधोसिंह हाडा ने की।

शरद पूर्णिमाः- आश्विन पूर्णिमा को

इस दिन चन्द्रमा अपनी सौलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।

मेवाड़ में इस दिन मीरा महोत्सव मनाया जाता है।

सालासर (चूरू) मेला भी इसी दिन भरता है।

करवा चैथः- कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को।

अहोई अष्टमीः- कार्तिक कृष्ण अष्टमी को।

स्याऊं माता की पूजा की जाती है।

तुलसी एकादशी:- कार्तिक कृष्ण एकादशी को।

धनतेरस:- कार्तिक कृष्ण श्रयोदशी को

आयुर्वेदाचार्य धन्वतरी की स्मृति में मनाया जाता है।

यमराज की पूजा की जाती है।

रूप चतुर्दषीः- कार्तिक कृष्ण चतुर्दषी कों

इसे छोटी दीपावली भी कहते है।

दीपावलीः- कार्तिक अमावस्या को।

गोवर्धन पूजाः- कार्तिक शुक्ल एकम् को।

इस दिन नाथद्वारा (राजसमंद) मे अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है।

भाई दूजः- कार्तिक शुक्ल दूज को।

गोपालाष्टमीः- कार्तिक शुक्ल अष्टमी को

इस दिन गाय की पूजा की जाती है।

आवला नवमी/अक्षय नवमीः- कार्तिक शुक्ल नवमी

आॅवले के वृक्ष की पूजा की जाती है।

देव उठनी ग्यारस:- कार्तिक शुक्ल एकादशी को।

तुलसी विवाह इसी दिन होता है।

महापर्वः- कार्तिक पूर्णिमा को।

गुरू नानक जयन्ती।

चुरू में साहवा का मेला।

अजमेर में पुष्कर मेला।

कोलायत (बीकानेर) में कपिल मुनि का मेला।

झालरापटन (झालावाड़) में चंद्रभागा का मेला।

मकर सक्रांति:- 14 जनवरी को ।

ज्ञातव्य है कि सन् 2008 में मकर सक्राति 15 जनवरी को थी। मकर सक्रांति को दिन सूर्य कर्क राशि में मकर राशि में प्रवेश करता है।

मोनी अमावस्याः- माघ अमावस्या को।

बसंत पंचमी:- माघ शुक्ल पंचमी को।

इस दिन भरतपुर में कृष्ण-राधा की लीलाओं का आयोजन होता है।

इस दिन कामदेव व रति की पूजा की जाती है।

शिवरात्री:- फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी (तेरस) को।

घुष्मेश्वर महादेव मंदिर -शिवाड़ (सवाई-माधोपुर) की शिवरात्री प्रमुख है।

इस दिन करौली में पशु मेला आयोजित होता है।

होलीः- फाल्गुन पूर्णिमा को।

मुस्लिम त्यौहार

1. मुहर्रम

मुहर्रम, हिजरी सन् का प्रथम महीना है।

यह त्यौहार कुर्बानी का त्यौहार है। मुहम्म्द साहब के बेटे इमाम हुसैन के षहीदी दिन को षेक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन “ताषा” नामक वाद्ययंत्र के वादन के साथ ताजिये निकाली जाती है। ताजिया को कर्बला के मैदान में दफनाया जाता है।

2. ईद-उल-मिला- दुलनबी (बारावफात)

मुस्लिम धर्म के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद साहब के जन्म दिवस को इस त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।

मुहम्मद साहब का जन्म मक्का (सऊदी अरब) में हुआ था।

3.ईद-उल-फितर (मिठी ईद)

रमजान के महीने में रोजे रखे जाते है और उसके इस दिन सेवईयां बनाई जाती है।

4.ईद-उल-जूहा (बकरीद)

यह कुर्बानी का त्यौहार है।

5.षब्रे कद्र षब्रे बरात, चेहलुम- ये अन्य मुस्लिम त्यौहार है।

जैन धर्म के त्यौहार

ऋषभ देवजी/ आदिनाथ/ केसरियाजी/काला जी को जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है। ऋषभ देव जी का जन्म 540 ई. पूर्व. वैषाली ग्राम में (कुण्ड ग्राम) में हुआ।

नाग पंचमी का मेला कब भरता है?

हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

राजस्थान में सबसे बड़ा मेला कौन सा है?

पुष्कर मेला: दुनिया का सबसे बड़ा पशु मेला राजस्थान में शुरू; यहां 1 करोड़ का भैंसा और 51 लाख का घोड़ा भी मौजूद जयपुर. राजस्थान के पुष्कर में दुनिया का सबसे बड़ा पशु मेला शुरू हो गया है।

राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध मेला कौन सा है?

पुष्कर पशु मेला-अजमेर

जोधपुर जिले में कौन कौन से मेले लगते हैं?

वृक्ष मेला (खेजड़ली- जोधपुर) यह मेला भाद्र शुक्ल दशमी को भरता है। भारत का एकमात्र वृक्ष मेला है।

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