जीवन के नैतिक मूल्य से आप क्या समझते हैं? - jeevan ke naitik mooly se aap kya samajhate hain?

  • बच्चों के लिए नैतिक मूल्य (Moral Values) जरूरी क्यों ?
  • नैतिक मूल्य किसे कहा जाता है
  • नैतिक मूल्य (Moral Values) के उदहारण
  • नैतिक मूल्य (Moral Values) कैसे प्रभावित होते है
  • बच्चों में नैतिक मूल्यों (Moral Values) का विकास कैसे करें?
  • FAQ
    • बच्चों के लिए नैतिक मूल्य (Moral Values) जरूरी क्यों?
    • क्या बच्चो की संगति उनके नैतिक मूल्यों को प्रभावित करती है?
    • बच्चों में नैतिक मूल्यों के विकास में कौन कौन शामिल है?
    • बच्चों को नैतिक मूल्यों को सिखाने का रोचक ढंग क्या है?
  • इसे भी पढ़े :

बच्चों के लिए नैतिक मूल्य (Moral Values) जरूरी क्यों ?

नैतिक मूल्य (Moral Values) को समझना मनुष्य के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है | नैतिक शिक्षा (Moral Values) का आरंभ बचपन से ही हो जाता है | नैतिक मूल्यों (Moral Values) को बचपन से ही घर पर माता-पिता और विद्यालय में शिक्षकों द्वारा सिखाया जाता है | किसी भी विद्यार्थी का भविष्य उसके जीवन के दौरान अभिभावकों द्वारा दिए गए नैतिक मूल्यों पर निर्भर करता है | नैतिक मूल्यों (Moral Values) के ज्ञान से ही एक व्यक्ति सही और गलत के बीच अंतर भेद करने में सक्षम हो सकता है | सभी माता -पिता यहीं चाहते हैं की हमारा बच्चा बड़ा होकर कुछ अच्छा करे इसलिए माता-पिता उन्हें पढ़ाते हैं | जो बच्चा नैतिक मूल्यों को समझता है वही जीवन में आगे बढ़ता है| सिर्फ अच्छे अंकों के साथ शिक्षा प्राप्त करना ही सफल होना नहीं है बल्कि नैतिक शिक्षा (Moral Values) को जीवन का आधार बनाना असली सफलता है।

नैतिक मूल्य किसे कहा जाता है

पेड़-पौधों की रक्षा कर अपने पर्यावरण को बचाना, सभी पशु-पक्षी, जीव-जंतुओं के प्रति करुणा की भावना रखना | झूठ न बोलना, सब पर दया करना, अपने से बड़ों का आदर करना, सच बोलना, सबकी मदद करना, किसी की निंदा न करना नैतिक मूल्य कहलाता है |

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नैतिक मूल्य (Moral Values) के उदहारण

ईमानदारी (Honesty)

अपने जीवन में ईमानदारी को शामिल करने से आप भरोसेमंद बनते हैं. आपके पास एक स्पष्ट विवेक होगा क्योंकि आपके पास आत्म-सम्मान है. आपके संपर्क में आने वाले लोग निष्पक्ष और ईमानदार होने के लिए आपकी गिनती करेंगे, आपकी ईमानदारी आपको अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन दोनों में प्रगति करने में मदद करेगी, यदि आप एक ईमानदार व्यक्ति हैं तो आपके जीवन का पूरी तरह से अनुभव करने के लिए अन्य अवसर हैं।

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करुणा (Compassion)

करुणा आपको दूसरों के प्रति सहानुभूति रखने की अनुमति देती है. यह आपको अपनी सीमा में उन्हें सहायता देने के लिए भी प्रेरित करता है. करुणा से दूसरों के लिए दया की भावना पैदा होती है, अनुकंपा आपको उन लोगों पर विश्वास हासिल करने की अनुमति देती है क्योंकि आप उनकी परिस्थितियों के गैर-निर्णय होंगे।

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साहस (Courage)

साहस, जीवन के माध्यम से आपकी प्रगति में बाधा डालने वाली किसी भी चीज़ का सामना करने का दृढ़ संकल्प देता है. आप किसी भी बाधा को दूर करने में सक्षम होंगे क्योंकि आपने डर के मारे अपने आप को पकड़ नहीं लिया. अन्यथा आप प्रोत्साहन के लिए स्वयं पर भरोसा करेंगे क्योंकि आप किसी भी समस्या का समाधान पाएंगे।

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विनम्र व्यवहार (Modesty)

जीवन में अस्तित्व के लिए विनय आवश्यक है, यह आपकी सीमाओं को महसूस करने में मदद करता है. यह केंद्रित रहने में भी मदद करता है और आपको अति आत्मविश्वास से दूर रखता है. आपके विनम्र व्यवहार से लोग आपके आसपास सहज महसूस करेंगे।

क्षमा (Forgiveness)

क्षमा आपको अतीत की हानिकारक और हानिकारक स्थितियों को स्थानांतरित करने की अनुमति देती है. यह आपको दूसरों या खुद के खिलाफ क्रोध और घृणा की भावनाओं को भूलने में मदद करता है. क्षमा आपको भावनात्मक रूप से स्वस्थ रखती है क्योंकि यह आपको बुरी अतीत की यादों और अपराध बोध से दूर जाने में मदद करती है.

आदर (Respect)

अपनों से बड़ो का आदर करना नैतिक शिक्षा का आधार है। इससे से बड़ो की आँखो में आपके लिए प्यार और सम्मान दोनों बढ़ते है । बड़ो का आदर करके ही हम उनके करीब जा सकते है और जीवन के उनके अनुभवों से सीख ले सकते है। जो बच्चा आदर से किसी से बात नहीं करता उसे कोई भी पसंद नहीं करता जिससे उसके जीवन में तनाव बढ़ता है। इसी लिए बच्चों की संगत पर जरूर ध्यान देना चाहिए। अच्छी संगत से ही बच्चा अच्छे नैतिक मूल्य सीखेगा।

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नैतिक मूल्य (Moral Values) कैसे प्रभावित होते है

1) यह परिवर्तनीय होते हैं, बच्चों की संगत एवं वातावरण में बदलाव आने से उनके नैतिक मूल्यों में भी बदलाव आता हैं।

2) यह आचरण बद्ध होते हैं एवं सदैव सकारात्मक पक्ष की ओर इनका झुकाव होता हैं।

3) इनके समस्त गुणों को बच्चे दुसरो को देखकर या दूसरों के विचार सुनकर सीखते है।

4) इनका विकास धार्मिक शिक्षा, सामाजिक शिक्षा, मानवता की शिक्षा द्वारा किया जाता हैं।

5) यह भावात्मक पक्ष का एक पहलू है, जिसका उद्देश्य भावात्मक पक्ष को मजबूत करना एवं बच्चों की भावनाओं को दिशा प्रदान करना होता हैं।

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बच्चों में नैतिक मूल्यों (Moral Values) का विकास कैसे करें?

बच्चे को नैतिक मूल्यों की जानकारी सबसे पहले परिवार में मिलती है। सबसे पहले मां-बाप ही बच्चों में नैतिक मूल्यों के बीज रोपते हैं। परिवार में ही बच्चा संस्कार, नैतिकता और शिष्टाचार की जानकारी पाता है जिससे वह जान सके कि समाज में बड़ों के साथ, अपने मित्रों के साथ और अन्य लोगों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए।

बच्चों को नैतिक मूल्यों की जानकारी देने के कुछ आसान तरीके

1. घर के माहौल का महत्व –

बच्चे का पहला स्कूल उसका घर होता है, तो सबसे पहले घर का माहौल स्नेहशील होना चाहिए। घर का माहौल खुशनुमा होना, घर में बड़ों को आदर होना, बोल-चाल में सभ्यता और सौम्यता, एक-दूसरे के प्रति लगाव जैसी बातों से बच्चे प्रेरित होते हैं और इन बातों को बड़ी जल्दी सीखते हैं।

2. संगत का असर –जब बच्चे एक-दूसरे के साथ खेलते हैं तो यह उनमें समाजीकरण की अहसास पैदा करता है। उसके समूह में बच्चे के कुछ गलत किए जाने पर उसे एसा न करने के लिए समझाना या कुछ अच्छा करने पर उसकी प्रसंसा करना उसके आचरण और बर्ताव पर असर करता है पर बच्चों की संगत पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। बच्चा जिसके सम्पर्क में आता है, उसी का अनुसरण करता हैं। यह बात घर के बाहर भी लागू होती है। बच्चे घर से ज्यादा अपने दोस्तों की संगत में सीखते हैं। अगर उसके साथियों में झूठ बोलना, चोरी करना जैसी आदतें है तो बच्चा बड़ी जल्दी उसका शिकार बनेगा। इसी लिए बच्चों की संगत पर जरूर ध्यान देना चाहिए। अच्छी संगत से ही बच्चा अच्छे नैतिक मूल्य सीखेगा।  

3. मनोरंजन गतिविधि –बच्चों को नैतिक मूल्यों की जानकारी के लिए मौज-मस्ती और मनोरंजन का किरदार भी अहम् है। अच्छी फिल्में, टीवी प्रोग्राम, काॅमिक्स, कहानियां बच्चों के लिए स्वस्थ्य मनोरंजन का साधन होने के साथ-साथ उनके कोमल मतिष्क पर बड़ी जल्दी असर करती हैं।

4. पुरस्कृत करना

बच्चों को अच्छे नैतिक मूल्य का अनुसरण करने पर इनाम देना चाहिए। जिससे नैतिक मूल्य का अनुसरण करना उनके स्व्भाव में आ जाये।

कोई बच्चा पढ़ाई-लिखाई में कितना भी होशियार हो पर यदि उसमें नैतिक शिक्षा का अभाव है तो सब बेकार है। नैतिकता हमारी शख्सियत को निखारने की पहली सीढ़ी है। नैतिकता ही वह खूबी है जो हमारे सामाजिक होने की पहचान कराती है और जीवन को बेहतर ढंग से जीना सिखाती है। बच्चों को नैतिक मूल्यों की जानकारी देना इसलिए जरूरी है ताकि वे अच्छे-बुरे, सही-गलत का फर्क समझ सकें और जान सकें कि क्या करने से समाज में आदर, सराहना और प्यार मिलता है और क्या करने से नहीं।

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FAQ

बच्चों के लिए नैतिक मूल्य (Moral Values) जरूरी क्यों?

जो बच्चा नीति मूल्यों को समझता है वही जीवन में आगे बढ़ता है| सिर्फ अच्छे अंकों के साथ शिक्षा प्राप्त करना ही सफल होना नहीं है बल्कि नैतिक शिक्षा (Moral Values) को जीवन का आधार बनाना असली सफलता है।

क्या बच्चो की संगति उनके नैतिक मूल्यों को प्रभावित करती है?

हाँ, बच्चों की अच्छी/बुरी संगति नैतिक मूल्यों को प्रभावित करती है।

बच्चों में नैतिक मूल्यों के विकास में कौन कौन शामिल है?

माता पिता, टीचर, आस पास का वातावरण, संगति ।

बच्चों को नैतिक मूल्यों को सिखाने का रोचक ढंग क्या है?

अच्छी व् प्रेरणादायक फिल्मे, टीवी प्रोग्राम, कहानियाँ, किताबें

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जीवन के नैतिक मूल्य क्या है?

सब पर दया करना, कभी झूठ नहीं बोलना, बड़ों का आदर करना, दुर्बलों को तंग न करना, चोरी न करना, हत्या जैसा कार्य न करना, सच बोलना, सबको अपने समान समझते हुए उनसे प्रेम करना, सबकी मदद करना, किसी की बुराई न करना आदि कार्य नैतिक शिक्षा या नैतिक मूल्य कहलाते हैं।

नैतिक मूल्यों से आप क्या समझते हैं?

नैतिक मूल्य क्या है ? (What is Moral value?) सच्चाई, ईमानदारी, प्रेम, दयालुता, मैत्री आदि को नैतिक मूल्य कहा जाता है। सच्चाई को स्वतः साध्य मूल्य कहा जाता है यह अपने आप में ही मूल्यपूर्ण है। इसका प्रयोग साधन की भांति नहीं किया जाता, बल्कि यह स्वतः साध्य है। सभी विवादों में भी सत्य के अन्वेषण का प्रयास किया जाता है।

जीवन में नैतिक मूल्य क्यों आवश्यक है?

नैतिकता का सम्बंध मानव जीवन की अभिव्यक्ति से हैं। मानव जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता, महत्त्व अनिवार्यता व अपरिहार्यता जरुरी हैं, ताकि वह अपने परिवार के साथ -साथ सामाजिक दायित्व को निभा सके। नैतिकता सामाजिक जीवन को सुगम एवं विस्तृत बनाती हैं । वैदिक मन्त्रों में नैतिकता को विशेष महत्व दिया जाता हैं ।

नैतिक मूल्य का क्या आधार है?

नैतिकता/नैतिक मूल्य वास्तव में ऐसी सामाजिक अवधारणा है जिसका मूल्यांकन किया जा सकता है. यह कर्तव्य की आंतरिक भावना है और उन आचरण के प्रतिमानों का समन्वित रूप है जिसके आधार पर सत्य असत्य, अच्छा-बुरा, उचित-अनुचित का निर्णय किया जा सकता है और यह विवेक के बल से संचालित होती है.

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