कुण्डली मिलान भाग – 3 पिछले अंक मे हम कुण्डली मिलान की अष्टकूट विधी की बारे मे जानकारी प्राप्त किया । 1) ब्राह्मण वर्ण – चंद्रमा जब जलीय राशी मे हो तो जातक को ब्राह्मण वर्ण माना जाता है। जलीय राशी तीन है कर्क राशि , वृश्चिक राशी, मीन राशि। जब जन्म समय चंद्रमा जलीय राशी मे हो तो ऐसा माना जाता है कि जातक भावुक और आध्यात्मिक होता है।जातक भावनात्मक रुप से काफी सक्रिय होते है। 2)क्षत्रिय वर्ण– चंद्रमा जब अग्नि प्रकृति वाले राशी मे हो तो तो जातक को क्षत्रिय वर्ण माना जाता है। अग्नि प्रकृति के राशी है मेष, सिंह और
धनु राशी। जब चंद्रमा अग्नि प्रकृति के राशी मे हो तो जातक मानसिक रुप से उग्र प्रकृति के होते है। जातक मन से आक्रामक व्यवहार वाले होते है। 3) वैश्य वर्ण – चंद्रमा जब भू तत्व वाली राशी मे हो तो जातक को वैश्य माना जाता है। भू तत्व वाले राशी है वृष, कन्या , मकर । जब चंद्रमा भू तत्व वाली राशी मे हो तो व्यावहारिक जातक का संकेत मिलता है। वे लोग किसी कार्य को करने से पहले जो लाभ और हानि के बारे में सोचते है।साथ ही वे कुछ अड़ियल प्रवृति के होते है । 4)शुद्र वर्ण
– जब चंद्रमा जन्म समय वायु तत्व वाली राशी मे हो तो जातक को शुद्र वर्ण का माना जाता है। वायु तत्व की राशी है मिथुन , तुला, कुंभ राशी । जब चंद्रमा वायु तत्व वाली राशी मे हो तो जातक का मन वायु की तरह अस्थिर होता है। जातक मिलनसार होते है पर उनका व्यवहार अनिश्चित होता है।
वर्ण मिलान
कुण्डली मिलान मे प्रथम कूट मिलान है वर्ण मिलान । वर्ण का साधरण अर्थ कास्ट। वर्ण को चार भागों मे विभाजित किया गया है जो इस प्रकार है
1) ब्राह्मण
2) क्षत्रिय 3) वैश्य 4) शुद्र
कुण्डली वर्ण मिलान विधी –
अष्टकूट मिलान मे कुल अंक 36 होते है । वर्ण मिलान को 1 अंक आंवटित किया गया है ।
1) अगर जातक ब्राह्मण वर्ण का हो तो वर्ण मिलान इस प्रकार होता है
क) जातिका भी
ब्राह्मण हो तो १ अंक
ख) जातिका क्षत्रिय हो तो १ अंक
ग) जातिका वैश्य वर्ण हो तो १ अंक
घ) जातिका शुद्र वर्ण हो तो १ अंक
2) अगर जातक क्षत्रिय वर्ण का हो तो वर्ण मिलान इस प्रकार होता है
क) जातिका ब्राह्मण वर्ण की हो तो ० अंक
ख) जातिका क्षत्रिय वर्ण की हो तो १ अंक
ग) जातिका वैश्य वर्ण की हो तो १ अंक
घ) जातिका शुद्र वर्ण की हो तो १ अंक
3) अगर जातक वैश्य वर्ण का हो तो वर्ण मिलान इस प्रकार होता है
क) जातिका ब्राह्मण वर्ण की हो तो ० अंक
ख) जातिका
क्षत्रिय वर्ण की हो तो ०अंक
ग) जातिका वैश्य वर्ण की हो तो १ अंक
घ) जातिका शुद्र वर्ण की हो तो १ अंक
4)अगर जातक शुद्र वर्ण का हो तो वर्ण मिलान इस प्रकार होता है
क) जातिका ब्राह्मण वर्ण की हो तो ० अंक
ख) जातिका क्षत्रिय वर्ण की हो तो ०अंक
ग) जातिका वैश्य वर्ण की हो तो ० अंक
घ) जातिका शुद्र वर्ण की हो तो १ अंक
अगले अंक मे हम वश्य मिलान के बारे मे जानकारी प्राप्त करेगे ।
To read this post in English click the link.
ज्योतिष के अनुसार हर व्यक्ति की एक जन्म कुंडली होती है जो उसके जन्म के समय और स्थान पर ग्रहों की स्थिति के अनुसार निर्मित होती है। किसी भी व्यक्ति की जन्मपत्री में कई तरह के गुणों का उल्लेख होता हैं जैसे राशि, गण, योनी, नाड़ी, नक्षत्र, 'वर्ण' इत्यादि।[1]
जन्मपत्री के अनुसार किसी भी व्यक्ति का 'वर्ण' इन चार में से एक हो सकता है - ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य या शूद्र।[2][3] सरल शब्दों में वर्णन इस प्रकार है:-
- ब्राह्मण - जिस व्यक्ति की चन्द्र राशि कर्क, वृश्चिक या मीन है, उसका वर्ण ब्राह्मण है।[2][4][5]
- क्षत्रीय - जिस व्यक्ति की चन्द्र राशि मेष, सिंह या धनु है, उसका वर्ण क्षत्रीय है।[2][4][5]
- वैश्य - जिस व्यक्ति की चन्द्र राशि वृषभ, कन्या या मकर है, उसका वर्ण वैश्य है।[2][4][5]
- शूद्र - जिस व्यक्ति की चन्द्र राशि मिथुन, कुंभ या तुला है, उसका वर्ण शूद्र है।[2][4][5]
बाहरी कड़ियां[संपादित करें]
- //www.astrosage.com/kundli/
- //astrotalk.com/freekundli
संदर्भ[संपादित करें]
- ↑ कुंडली में वर्ण क्या होता है? Elegant Answer.
- ↑ अ आ इ ई उ कुंडली में वर्ण कूट मिलान क्या होता है। Dainik Astrology.
- ↑ Varna Kuta in Kundali Matching, DrikPanchang.
- ↑ अ आ इ ई "वर्ण मिलान – कुण्डली मिलान भाग – 3".
- ↑ अ आ इ ई ब्रहत पराशर होरा शास्त्र पृष्ठ 49-50
विषयसूची
कुंडली में वर्ण क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंवर्ण का अर्थ होता है स्वभाव और रंग। वर्ण चार प्रकार होते हैं- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। लड़के या लड़की की जाति कुछ भी हो लेकिन उनका स्वभाव और रंग इन चारों में से कोई एक होगा। कुंडली मिलान में इस मानसिक और शारीरिक मेल का बहुत महत्व है।
कुंडली में ब्राह्मण वर्ण क्या होता है?
इसे सुनेंरोकें1) ब्राह्मण वर्ण – चंद्रमा जब जलीय राशी मे हो तो जातक को ब्राह्मण वर्ण माना जाता है। जलीय राशी तीन है कर्क राशि , वृश्चिक राशी, मीन राशि। जब जन्म समय चंद्रमा जलीय राशी मे हो तो ऐसा माना जाता है कि जातक भावुक और आध्यात्मिक होता है। जातक भावनात्मक रुप से काफी सक्रिय होते है।
कुंडली में वर्ण कितने प्रकार के होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंकुंडली में मंगल दोष भी देखा जाता है, फिर सप्तम भाव, सप्तमेश, सप्तम भाव में बैठे ग्रह, सप्तम और सप्तमेश को देख रहे ग्रह और सप्तमेश की युति आदि भी देखी जाती है। 1. वर्ण : वर्ण का अर्थ होता है स्वभाव और रंग। वर्ण 4 होते हैं- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।
दशकूट मिलान क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंकुंडली में वर-वधू दोनों के वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रहमैत्री, गण, भकूट, नाड़ी आदि के मिलान को अष्टकूट मिलान कहा जाता है। किसी की कुंडली और जन्म नक्षत्र की जानकारी न होने की दशा में, वर और कन्या के नाम अक्षर के अनुसार गुण मिलान किया जाता है। तो चलिए जानते हैं कि अष्टकूट मिलान में किन बातों पर विचार किया जाता है।
शूद्र का गण क्या है?
इसे सुनेंरोकेंकुंडली में शूद्र वर्ण का क्या मतलब होता है? करम करने के अनुसार इंसान को चार varna मे बांटा गिया था , brahmin ,क्षत्रीय , वैशया और shudra । इनमे shudra का काम होता था वाकी तीन varna के लोगो को सेवा करना । कुडली मे राशी अनुसार varna देखा जाता है ।
ब्राह्मण वर्ण के लोग कैसे होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंजिसका स्वभाव पढ़ना-पढ़ाना, आत्म ज्ञान, शिक्षा लेना-देना, शास्त्र ज्ञान, संतुलित जीवन, ब्रह्म की तलाश, अपने स्वभाव में रहना, विचारक और चिंतक होते थे, उनको ब्राह्मण की उपाधि दी जाती थी ताकि वे ब्रह्म भाव को अनुभव कर समाज को एक नई दिशा दे सकें।
षोडश वर्ग कुंडली कैसे देखे?
इसे सुनेंरोकेंसप्तमांश वर्ग Saptansh varga D7 in Astrologyजन्म कुण्डली के पंचम भाव से संतान के बारे में पूर्ण रुप से विवेचन किया जाता है. इसी पंचम भाव के सूक्ष्म अध्ययन के लिए वैदिक ज्योतिष में सप्तांश कुण्डली का आंकलन किया जाता है. जन्म कुण्डली का पंचम भाव 30 अंश का होता है.
भकूट कितने प्रकार के होते हैं?
भकूट अष्टकूटो में 7 वां है,भकूट निम्न प्रकार के होते हैं.
- प्रथम – सप्तक 2. द्वितीय – द्वादश 3. तृतीय – एकादश 4. चतुर्थ – दशम 5. पंचम – नवम 6. षडष्टक
- यदि वर-वधू दोनों के राशीश आपस में मित्र हों।
- यदि दोनों के राशीश एक हों।
- यदि दोनों के नवमांशेश आपस में मित्र हों।
- यदि दोनों के नवमांशेश एक हो।
कुंडली मिलान में गण क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंगण : गण का संबंध व्यक्ति की सामाजिक स्थिति को दर्शाता है। गण 3 प्रकार के होते हैं- देव, राक्षस और मनुष्य। 7. भकूट : भकूट का संबंध जीवन और आयु से होता है।