कौन सा शब्द नुक्ता के प्रयोग के आधार पर अशुद्ध है? - kaun sa shabd nukta ke prayog ke aadhaar par ashuddh hai?

नुक़्ते ऐसे व्यंजनों को बनाने के लिए प्रयोग होते हैं, जो पहले से मूल लिपि में न हों, जैसे कि ‘ढ़’ मूल देवनागरी वर्णमाला में नहीं था और न ही यह संस्कृत में पाया जाता है।

 
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Class 10 Hindi Grammar Lessons

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नुक़्ता का प्रयोग किन वर्णों में किया जाता है

उर्दू, अरबी, फ़ारसी भाषा से हिंदी भाषा में आए क, ख, ग, ज, फ वर्णों को अलग से बताने के लिए नुक़्ता का प्रयोग किया जाता है क्योंकि नुक़्ता के बिना इन भाषाओं से लिए गए शब्दों को हिंदी में सही से उच्चारित नहीं किया जा सकता। नुक़्ता के प्रयोग से उस वर्ण के उच्चारण पर अधिक दबाव आ जाता है।
जैसे –

हिंदी में ‘खुदा’ का अर्थ होता है – ‘खुदी हुई ज़मीन’ और नुक़्ता लग जाने से ‘ख़ुदा’ का अर्थ ‘भगवान्’ हो जाता है।

ये समस्या बहुत लोगों की है कि उर्दू और अंग्रेज़ी के शब्दों में कहाँ नुक़्ता लगता है और कहाँ नहीं. अकसर ऐसा होता है कि जहाँ नुक़्ता लगना चाहिए, वहाँ तो लोग लगाते नहीं और जहाँ नुक़्ते की ज़रूरत नहीं, वहाँ इसे लगा दिया जाता है. आइए आज इसी पर बात करते हैं.

सबसे पहले तो यह बात नोट करें कि नुक़्ता संस्कृत या हिन्दी के मूल शब्दों में नहीं लगता क्योंकि संस्कृत या हिन्दी में वैसी ध्वनियाँ हैं ही नहीं. कृपया इसमें हिन्दी के "ड़" और "ढ़" को मत गिन लीजिएगा. ये दोनों स्वतंत्र अक्षर हैं और इनके नीचे लगनेवाली बिन्दी के बिना इनका अस्तित्व सम्भव नहीं. इनके नीचे बिन्दी ऐसे ही लगेगी, जैसे यहाँ दिखायी गयी है.

इसलिए पहला सूत्र यह है कि सबसे पहले यह निश्चित करें कि शब्द मूल रूप से हिन्दी का है क्या? अगर उत्तर हाँ है, तो नुक़्ता लगना ही नहीं है. मैंने बहुत बार "सफल" के "फ" के नीचे लोगों को नुक़्ता लगाते देखा है, जो सरासर ग़लत है. सफल का मतलब है स+फल यानी फल सहित. फल में कैसे नुक़्ता लगेगा? अब मुझे यह नहीं मालूम कि ZUTSHI सरनेम का मूल क्या है. इसमें नुक़्ता लगेगा और इसे "ज़ुत्शी" लिखा जायेगा.

अब अंग्रेज़ी शब्दों की बात. ध्यान दें कि केवल उन्हीं अंग्रेज़ी शब्दों में नुक़्ता लगने की सम्भावना हो सकती है, जिनमें F, PH या Z आते हों. F और PH के लिए फ के नीचे और Z के लिए ज के नीचे नुक़्ता लगा दीजिए. ध्यान रखें कि अंग्रेज़ी में "फ" का उच्चारण है ही नहीं, इसलिए वहाँ जब भी आयेगा "फ़" ही आयेगा. जिन अंग्रेज़ी शब्दों में Z हो, वहाँ "ज" के नीचे नुक़्ता लगा कर "ज़" लिखें. बस.

उर्दू में नुक़्ता वाले उच्चारण सिर्फ़ ये पाँच हैं: क़, ख़, ग़, ज़, और फ़. इसलिए आपको केवल इन पाँचों पर ध्यान केन्द्रित करना है और काॅपी में इन पाँच कैरेक्टरों से बने उर्दू शब्दों को तौलना है कि यहाँ नुक़्ता लगेगा या नहीं. अब अगर ऐसे शब्द व्यक्तियों या स्थानों के नाम हैं और आपके पास समाचार की मूल काॅपी अंग्रेज़ी में (जैसे PTI आदि के समाचार) आयी है तो काम थोड़ा आसान हो जाता है. इसलामी देशों के जिन नामों में अंग्रेज़ी का Q अक्षर आता हो, वहाँ Q के स्थान पर नुक़्ते वाला "क़" लगायें. जैसे : QAZI क़ाज़ी, QAIDA क़ायदा, QAISER क़ैसर, TARIQ तारिक़, SAQLAIN सक़लैन, QUTUB क़ुतुब, IRAQ इराक़. लेकिन इसके एकाध अपवाद भी हैं, जैसे पाकिस्तान का QUETTA शहर, जिसका उच्चारण है क्वेटा और इसमें "क" के नीचे नुक़्ता नहीं लगता.

दूसरा उच्चारण है "ख़" का. अंग्रेज़ी में प्रायः इस उच्चारण को KH से व्यक्त करते हैं. जैसे KHAN ख़ान, AKHTAR अख़्तर, BAKHT बख़्त, KHUSHBU ख़ुशबू, KHADIM ख़ादिम. इसका अपवाद है KHAR. पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिना रब्बानी का सरनेम है खर, जिसे अंग्रेज़ी में KHAR ही लिखा जायेगा. लेकिन उर्दू में एक और शब्द है ख़ार, इसे भी अंग्रेज़ी में KHAR ही लिखेंगे. इसी तरह, एक नाम है निकहत. अंग्रेज़ी में इसे NIKHAT ही लिखेंगे, इसलिए इसे "निख़त" या "निखत" न लिखें.

तीसरा उच्चारण है "ग़" का, जिसे अंग्रेज़ी में GH से व्यक्त करते हैं: जैसे GHULAM ग़ुलाम, GHAZANFAR ग़ज़नफ़र, GHAUS ग़ौस, GHALIB ग़ालिब, GHAZALA ग़ज़ाला, GHAZAL ग़ज़ल, SAGHIR/ SAGHEER सग़ीर, ASGHAR असग़र. ध्यान रखें कि GH के लिए "ग़" केवल नामों के लिए ही लिखा जायेगा.

चौथा उच्चारण है "ज़" का, जिसके लिए अंग्रेज़ी के Z अक्षर का प्रयोग होता है. जैसे ZAIN ज़ैन, ZOHRA ज़ोहरा, ZULFIQAR ज़ुल्फ़िक़ार, HAZRAT हज़रत, AZHAR अज़हर, MUZAFFAR मुज़फ़्फ़र. पाँचवाँ और अन्तिम उच्चारण है "फ़" का. ध्यान रखें कि उर्दू नामों में केवल F ही "फ़" का उच्चारण देता है. PH से उर्दू में "फ" का उच्चारण ही होगा और नुक़्ता नहीं लगेगा. इसलिए AFROZ अफ़रोज़, FIRDAUS फ़िरदौस, FASIH/FASEEH फ़सीह, FAISAL फ़ैसल, FAIZAL फ़ैज़ल, TUFAIL तुफ़ैल लिखा जायेगा. उम्मीद है कि इससे उर्दू नामों में नुक़्ते की समस्या सुलझ जायेगी.

प्रवेश: ॐ —देववाणी संस्कृत: ”भव्य ब्रह्मांडीय संगीत” A Cosmic Grand Opera –कहते हैं, ”अमरिकन संस्कृत इन्स्टीट्यूट” के निर्देशक प्रो. व्यास ह्युस्टन ॐ —प्राचीन भारतीय ऋषि-मनीषियों ने, शब्द की अमरता का, गहन आकलन किया था। ॐ—मानवीय चेतना की उत्क्रान्ति का क्रम-विकास, भाषा-विकास के साथ अटूट रूप से जुडा हुआ है; इस तथ्य को समझा था। ॐ—संकरित… Read more »

नुक़्ता देवनागरी, गुरमुखी और अन्य ब्राह्मी परिवार की लिपियों में किसी व्यंजन अक्षर के नीचे लगाए जाने वाले बिन्दु को कहते हैं। इस से उस अक्षर का उच्चारण परिवर्तित होकर किसी अन्य व्यंजन का हो जाता है। मूल रूप से 'नुक़्ता' अरबी भाषा का शब्द है और इसका मतलब 'बिन्दु' होता है। साधारण हिन्दी-उर्दू में इसका अर्थ 'बिंदु' ही होता है।[1] नुक़्ते ऐसे व्यंजनों को बनाने के लिए प्रयोग होते हैं जो पहले से मूल लिपि में न हों, जैसे कि 'ढ़' मूल देवनागरी वर्णमाला में नहीं था और न ही यह संस्कृत में पाया जाता है। अरबी-फ़ारसी लिपि में भी अक्षरों में नुक़्तों का प्रयोग होता है, उदाहरणार्थ 'ر‎' का उच्चारण 'र' है जबकि इसी अक्षर में नुक़्ता लगाकर 'ز‎' लिखने से इसका उच्चारण 'ज़' हो जाता है। इन भाषाओं में ज एवं ज़, दोनों ही शब्द उपलब्ध एवं प्रयोग होते हैं, एनके अलावा एक अन्य ज़ भी होता है जिनके लिये निम्न शब्द प्रयोग होते हैं: ज के लिये जीम, ज़ के लिये ज़्वाद (ض)/ज़े (ژ‬)/ ज़ाल(ذ)/ज़ोए (ظ) - ये चार अक्षर होते हैं। यहां ध्यान योग्य ये है कि चार अक्षर ज़ के लिये होने के बावजूद ज के लिये जीम (ج) होता ही है। अतः जीम का प्रयोग भी होता है, जैसे जज़्बा में ज एवं ज़ दोनों ही प्रयुक्त हैं। ऐसे ही बहुत स्थानों पर ग के लिये गाफ़ (گ) एवं ग़ (غ) के लिये ग़ैन का भी प्रयोग होता है।

हिन्दी में नुक्ता उस बिन्दी को कहते हैं, जो अरबी और फारसी से हिंदी में आए शब्दों की कुछ ध्वनियों को लिखने के लिए देवनागरी के कुछ वर्णों के नीचे लगाई जाती है। हिंदी के क, ख, ग, ज और फ वर्णों के नीचे नुक्ता लगा कर अरबी-फारसी की ध्वनियों (क़, ख़, ग़, ज़, फ़) को लिखा जाता है। यह पद्धति उस दौर में शुरू हुई थी, जब हिंदी के परिष्कार और परिमार्जन का कार्य जोरों पर था। वह शुद्धतावादी लोगों का समय था। उनका मानना था कि अरबी-फारसी के जो शब्द हिंदी में प्रचलित हैं, उनको उनके शुद्ध रूप में हिंदी में लिखना चाहिए। हिंदी में क, ख और ग का उच्चारण जिस स्थान (कण्ठ) से होता है, उसके और नीचे (गले) से अरबी में इन ध्वनियों का उच्चारण होता है। इनका मूल उच्चारण दिखाने के लिए क, ख, ग के नीचे नुक्ता लगा कर क़, ख़, ग़ के रूप में अरबी की ये ध्वनियां लिखी जाने लगीं। ज़ और फ़ फारसी की ध्वनियां हैं। ये संघर्षी ध्वनियां हैं। हिंदी में ऐसी ध्वनियां नहीं हैं। हिंदी में ग और फ स्पर्श ध्वनि हैं।हिंदी भाषा की संरचना की दृष्टि से अरबी-फरसी की इन ध्वनियों को उनके मूल रूप में लिखना आज अनावश्यक है।

यहां ध्यान देने की बात यह है कि उर्दू में क, ख, ग, ज, फ ध्वनियां भी हैं और क़, ख़, ग़, ज़, फ़ भी। यह तय करने का कोई उपाय नहीं है कि किस क, ख, ग, ज, फ के नीचे नुक्ता लगेगा और किसके नीचे नहीं लगेगा। ‘इजाज़त’ शब्द में दोनों ध्वनियां आती हैं। यह कैसे तय होगा कि पहले ‘ज’ के नीचे नुक्ता क्यों नहीं लगता और दूसरे ‘ज’ के नीचे नुक्ता क्यों लगता है? इसी आग्रह का परिणाम है कि छात्र फल को फ़ल और फिर को फ़िर बोलते सुने जाते हैं।

हिन्दी में प्रयोग होने वाले नुक़्तेदार अक्षर और उनके बिना नुक्ते वाले रूप नीचे की तालिका दिए गए हैं। उनके हन्टेरियन लिप्यन्तरण और अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला चिह्न भी दिए गए हैं। जहाँ उपलब्ध है उनके लिए एक बजाई जा सकने वाले ध्वनि भी दी गई है।

नुक़्ता-रहितनुक़्ता-सहितकk
/k/क़q
/q/खkh
/kʰ/ख़k͟h
/x/गg
/g/ग़g͟h
/ɣ/जj
/dʒ/ज़z
/z/झjh
/jʰ/झ़zh
/ʒ/डḍ
/ɖ/ड़ṛ
/ɽ/ढḍh
/ɖʱ/ढ़ṛh
/ɽʱ/फph
/pʰ/फ़f
/f/

हिन्दी में नुक्ते के प्रयोग के विषय में मानक[संपादित करें]

नुक्ता लम्बे समय से हिंदी विद्वानों के बीच विमर्श का विषय रहा है। किशोरीदास वाजपेयी (हिंदी शब्दानुशासन, नागरी प्रचारिणी सभा) जैसे व्याकरण के विद्वान हिन्दी लेखन में नुक्ता लगाने के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि ये सब शब्द अब हिंदी के अपने हो गए हैं और हिंदी भाषी इन शब्दों का उच्चारण ऐसे ही करते हैं जैसे उनमें नुक्ता नहीं लगा हो। बहुत कम लोगों को उर्दू के नुक्ते वाले सही उच्चारण का ज्ञान है।

केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा जारी मानक हिन्दी वर्तनी के अनुसार उर्दू से आए अरबी-फ़ारसी मूलक वे शब्द जो हिंदी के अंग बन चुके हैं और जिनकी विदेशी ध्वनियों का हिंदी ध्वनियों में रूपांतर हो चुका है, हिंदी रूप में ही स्वीकार किए जा सकते हैं। जैसे :– कलम, किला, दाग आदि (क़लम, क़िला, दाग़ नहीं)। पर जहाँ उनका शुद्‍ध विदेशी रूप में प्रयोग अभीष्ट हो अथवा उच्चारणगत भेद बताना आवश्‍यक हो (जैसे उर्दू कविता को मूल रूप में उद्दृत करते समय) , वहाँ उनके हिंदी में प्रचलित रूपों में यथास्थान नुक्‍ते लगाए जाएँ। जैसे :– खाना : ख़ाना, राज : राज़, फन : हाइफ़न आदि।

नुक्ता वाले शब्द कौन से हैं?

हिन्दी में नुक्ता उस बिन्दी को कहते हैं, जो अरबी और फारसी से हिंदी में आए शब्दों की कुछ ध्वनियों को लिखने के लिए देवनागरी के कुछ वर्णों के नीचे लगाई जाती है। हिंदी के क, ख, ग, ज और फ वर्णों के नीचे नुक्ता लगा कर अरबी-फारसी की ध्वनियों (क़, ख़, ग़, ज़, फ़) को लिखा जाता है।

कागज शब्द में प्रयुक्त होने वाले नुक्ते का सही स्थान क्या है?

'कागज' शब्द में नुक्ता का प्रयोग कहाँ होता है? बीच और अंतिम के अक्षरों के ऊपर नुक्ता (बिंदी) है। अतः कागज को नुक्ता के साथ लिखना चाहे तो ग और ज के नीचे नुक्ता आएगा।

ज और ज़ में क्या अंतर होता है?

हिंदी शब्द है जबकि ज़ उर्दू शब्द है। हिंदी में जमानत लिखा जाएगा जबकि उर्दू में ज़मानत जिसे नुक़्ता कहा जाता है। हिंदी में प्रयुक्त होता है । ज़ उर्दू में इस्तमाल किया जाता है।

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